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जाने सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए और क्या पानी पी सकते हैं

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सोमवार

मित्रो, आपको नमस्कार क्या आप जानना चाहते है की सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए और साथ में ये भी होने की सोमवार के व्रत में पानी पी सकते हैं। विस्तार से जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े - 

हिन्दू सनातन धर्म में सोमवार के व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव का विशेष आदर्श माना जाता है। सोमवार के दिन व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए

    यह कहा जाता है कि महिलाएं जो सोमवार का व्रत करती हैं, उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए हिन्दू सनातन धर्म में भगवान शिव के नाम पर सोमवार का व्रत बड़ी श्रद्धा से किया जाता है।

    दोस्तों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए और क्या पी सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे। इसके अलावा, हम सोमवार के व्रत से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे। इस आर्टिकल को पूरा पढ़कर आप इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पूरी तरह से विवेचित कर सकते हैं। तो चलिए, हम आपको इस विषय में पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

    Monday/सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए

    यदि आप श्रावण महीने के सोमवार का व्रत करते हैं, तो आपको पूरे दिन फलाहार ही खाना चाहिए। सोमवार के व्रत में भोजन का समय चयन करना महत्वपूर्ण होता है ताकि व्रत का पूरा फल मिल सके। इस दिन व्रत करने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि वे शाकाहारी भोजन पर ध्यान केंद्रित करें और तामसिक भोजन से बचें।

    सोमवार के व्रत में सुबह का समय आदिकाल से लेकर दोपहर तक रहता है। इस समय के अंदर व्रती को सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए, जैसे कि फल, सब्जियां, दूध, नट्स, और साबूदाना की खिचड़ी। यह आहार पचने में सहायक होता है और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।

    शाम को व्रती को अन्य फलाहार विकल्पों की स्वीकृति है, जैसे कि फल, ड्राई फ्रूट्स, और दही। ध्यान रहे कि व्रत के दौरान उचित मात्रा में पानी पीना भी महत्वपूर्ण है ताकि शरीर सही तरीके से हैद्रेटेड रहे।

    इस रूप में, सोमवार के व्रत में खाना उचित समय पर लेना आवश्यक है ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दिया जा सके। इस दिन, सात्विक भोजन ही लेना उपयुक्त है, और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।



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    सोमवार के व्रत को कितने बार करना चाहिए?

    सोमवार के व्रत का आचरण करना हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे भगवान शिव को समर्पित करना एक श्रद्धालु का धार्मिक कर्तव्य माना जाता है। सोमवार का व्रत प्रतिसप्ताह एक बार किया जाता है और इसमें व्रती एकाग्रचित्त होकर भगवान शिव की पूजा आराधना करता है।

    यदि आप सोमवार के व्रत में शुरुआत करते हैं, तो कम से कम 16 सोमवारों का व्रत रखना उचित माना जाता है। हालांकि, यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है। आप इच्छा के अनुसार 5, 7, 11, 16, 21 सोमवारों का व्रत रख सकते हैं, और यदि चाहें, इससे अधिक सोमवारों का व्रत भी कर सकते हैं। कुछ लोग अपने जीवन भर सोमवार का व्रत रखते हैं।

    सोमवार के व्रत का पालन करने से श्रद्धालु भक्त शिव जी से अपने मन की इच्छाएं मांगता है और सात्विक आहार का पालन करके आत्मशुद्धि का अनुभव करता है। सोमवार के व्रत की नियमित प्राथमिकता से भक्त अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का सामर्थ्य प्राप्त कर सकता है और शिव की कृपा को प्राप्त कर सकता है।



    जानिए सोमवार के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए

    सोमवार के व्रत में अधिक तला हुआ और भुना हुआ आहार न लेना उचित है। आप सात्विक भोजन कर सकते हैं और इस दौरान मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

    सोमवार के व्रत में इसके अलावा ऐसी खाद्यवस्तुएं भी बचनी चाहिए जो आपके पाचनतंत्र को प्रभावित कर सकती हैं और जो गैस और एसिडिट का उत्पन्न कर सकती हैं। इस प्रकार की वस्तुएं सोमवार के व्रत में नहीं खानी चाहिए, नहीं तो आपके शरीर को हानि हो सकती है।

    सोमवार के व्रत में मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन, अद्भुत और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। तम्बाकू और अधिक मात्रा में चाय और कॉफ़ी का सेवन भी विरति रखना चाहिए। व्रती को सात्विक भोजन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसे कि फल, सब्जियां, दूध, दही, घी, मक्खन, शाकाहारी आदि।

    अधिक मात्रा में नमक, मिर्च, तेल और तीखे मसाले का सेवन भी नहीं करना चाहिए। व्रती को व्रत के दिन फलाहार, साबूदाना, फल, नारियल पानी, शाकाहारी खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए जो उसके शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखें।

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    Hindu God Lord Shiva

    सोमवार के व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए

    सोमवार के व्रत में शाम को सही आहार का चयन करना आत्मा को पवित्रता और सात्विकता की ओर मोड़ने में मदद करता है। शाम का भोजन सात्विक और आहार से भरपूर होना चाहिए।

    सोमवार के व्रत में, आप शाम को दूध या मिल्कशेक का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, शाम को फल और ड्राई फ्रूट का सेवन भी कर सकते हैं। अगर आपको शाम को अधिक भूख लगती है, तो आप साबूदाना खिचड़ी बनाकर भी खा सकते हैं। इसके अलावा, मिश्रित फल सलाद भी अच्छा विकल्प है। शुगर और नमक की मात्रा को कम रखना उचित है।

    व्रती को सात्विक भोजन के साथ साथ पौराणिक तथा धार्मिक दृष्टिकोण से भी जोड़ना चाहिए। शाम का भोजन व्रत के सिद्धांतों का पालन करता है और श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांत्वना प्रदान करता है।



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    जानिए सोमवार व्रत के नियम

    नीचे हमने सोमवार व्रत के कुछ नियम बताए हैं।

    • जिस दिन आप सोमवार के व्रत को शुरू करते हैं, उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
    • स्नान आदि करने के बाद, भगवान शिव के मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल का अभिषेक करें।
    • और भगवान शिव से व्रत शुरू करने की अनुमति प्राप्त करके उनसे प्रार्थना आदि करें।
    • उसके बाद, भगवान शिव के मंदिर की परिक्रमा करें।
    • उसके बाद, आप दिनभर में एक बार अन्न का भोजन कर सकते हैं, और इसके अलावा पूरे दिन फलाहार कर सकते हैं।
    • कुछ व्यक्ति व्रत को पूरा करने के लिए पूरे दिन फलाहार का पालन करते हैं।
    • आप अपनी इच्छा के अनुसार, या तो पूरे दिन फलाहार करके या फिर एक समय अन्न का भोजन करके व्रत शुरू कर सकते हैं।

    निष्कर्ष

    दोस्तों, आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया है कि सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए और क्या पी सकते हैं, साथ ही सोमवार के व्रत में पानी पी सकते हैं। इसके अलावा, हमने इस विषय से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।

    हम उम्मीद करते हैं कि आज का हमारा लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। यदि यह उपयोगी साबित होता है, तो कृपया इसे आगे साझा करें, ताकि अन्य लोग भी इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्राप्त कर सकें।

    दोस्तों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए और सोमवार के व्रत में पानी पी सकते हैं का अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

    FAQs

    सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए?

    सोमवार के व्रत में भक्तों को सूर्योदय के बाद व्रत करना शुभ माना जाता है, इसलिए खाना सूर्योदय के बाद खाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि आप व्रत के नियमों का पूर्णांकित कर रहे हैं।

    सोमवार के व्रत में क्या खाना चाहिए?

    सोमवार के व्रत में सब्जियां, फल, सबूदाना, कुटू का आटा, साबूत खाद्यान्न, और दूध के आदान-प्रदान से बना आहार अच्छा होता है। शाकाहारी और दूध प्रोडक्ट्स का सेवन करना सुझाया जाता है।

    सोमवार के व्रत में पानी पी सकते हैं?

    हां, सोमवार के व्रत में पानी पी सकते हैं। पानी पीना शुद्धता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें नमक नहीं मिलाना चाहिए। निश्चित रूप से ध्यान दें कि आप व्रत के नियमों का पालन कर रहे हैं।

    सोमवार के व्रत में उपवास के दौरान कौन-कौन सी चीजें बर्तन में नहीं ले सकते?

    सोमवार के व्रत में उपवास के दौरान ताम्र, कांस्य, लोहा, और सोने के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, गहनों में सोने का उपयोग भी वितर्कित है।

    सोमवार के व्रत में खाना बनाने के लिए कुछ टिप्स क्या हैं?

    सोमवार के व्रत में खाना बनाते समय, अच्छी तरह से सुधारित व्यंजनों के लिए साबूदाना, कुटू का आटा, और सब्जियों का उपयोग करें। व्रती बरतें, और अच्छी सेहत के लिए उपयुक्त पोषण प्रदान करने के लिए सावधानीपूर्वक बनाएं।

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    जानिए पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का | श्री कृष्ण का जन्म कितने साल पहले हुआ था

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    पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का श्री कृष्ण का जन्म कितने साल पहले हुआ था – भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण दोनों ही हिन्दू सनातन धर्म के देवता माने जाते हैं। इन दोनों देवताओ ने अलग अलग युग में जन्म लेकर इस सृष्टि पर अच्छे अच्छा कार्य किये। आज भी मनुष्य इन दोनों देवताओ की पूजा करते हैं और यह दोनों देवता भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं।

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    पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का

      लेकिन इनके जन्म के बारे में कुछ लोगो के मन में सवाल है की पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का जन्म हुआ। आज हम आपको इस सवाल का विस्तृत जवाब देने वाले हैं। इसलिए आज का हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े। 

      दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले है की पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते है।

      पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का

      पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का इस सवाल का जवाब देंने से पहले हम युग के बारे में जानेगे जिससे आपको आसानी से पता चल जायेगा की पहले राम का जन्म हुआ या श्री कृष्ण का।

      हिन्दू धर्म में कुल चार युग बताए गए हैं। सबसे पहले सतयुग, त्रेता युग, द्रापर युग और सबसे अंत में कलयुग भी वर्तमान में जो चल रहा हैं। यह कलयुग चल रहा हैं। सतयुग, त्रेता युग और द्रापर युग आकर चले गए। ऐसा माना जाता है की कलयुग में पाप अधिक होगा, जो आज के समय में हमे देखने को मिलता हैं।

      इसके बाद ऐसा माना जाता है की कलयुग खत्म होने के बाद फिर से सतयुग आएगा। कलयुग को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु इस धरती पर कल्कि के रूप में अवतार लेगे और और इस दुनिया का विनाश करेगे। इसके बाद पुन: सतयुग की स्थापना होगी।

      सतयुग के बाद हमेशा ही त्रेता युग आता हैं। हिन्दू धर्म के इन चार युग के अनुसार भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। इसके बाद द्रापर युग आता हैं। इस युग में श्री कृष्ण ने जन्म लिया था।

      यानी की युग के अनुसार देखा जाए तो भगवान श्री राम ने भगवान श्री कृष्ण से पहले जन्म लिया था। इससे माना जा सकता है की पहले राम ने जन्म लिया और बाद में कृष्ण का जन्म हुआ।

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      श्री कृष्ण का जन्म कितने साल पहले हुआ था

      हिन्दू धर्म में कुछ चार युग बताए गए हैं। जिसमे से सबसे पहले सतयुग की स्थापना हुई। इसके बाद दुसरे नंबर पर त्रेता युग की स्थापना हुई। इसके बाद तीसरे नंबर पर द्रापर युग की स्थापना हुई और चौथे नंबर पर कलयुग का विकास हुआ और अब कलयुग चल रहा हैं।

      हमारे पुराने शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्रापर युग में हुआ था और वर्ष देखे जाए तो 8,63,874 वर्ष साल पहले श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।

      भगवान राम और कृष्ण में क्या समानता थी

      भगवान राम और श्री कृष्ण के बारे में तो हम सभी लोग जानते ही है। लेकिन इन दोनों देवता में कुछ समानता थी। जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं:

      • भगवान राम जन्म लेने वाले सातवें अवतार थे, जबकि भगवान श्री कृष्ण जन्म लेने वाले आठवें अवतार थे। लेकिन इन दोनों में यह समानता थी की यह दोनों देवता भगवान विष्णु के अवतार थे।
      • भगवान श्री कृष्ण द्वारका के राजा थे.जबकि भगवान राम अयोध्या के राजा थे। इन दोनों देवता में यह समानता है की दोनों ही राजाधिराज थे।
      • भगवान राम की पत्नी सीताजी थी और भगवान श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणी थी। लेकिन क्या आपको पता है की दोनों ही माता लक्ष्मी की ही अवतार थी।
      • आपने देखा होगा की इस संसार में इन दोनों देवता का नाम एक साथ लिया जाता हैं। हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णा रामा रामा।
      • क्या आप जानते है श्री कृष्ण और राम दोनों का ही संबंध जामवंत जी से था।
      • यह दोनों देवता भगवान शिव की पूजा अर्चना करते थे और उन्हें ही सर्वोपरी मानते थे।
      • ऐसा माना जाता है की हनुमान जी ने भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण दोनों देवता का युद्ध में साथ दिया था।
      • भगवान राम और श्री कृष्ण दोनों देवता ने असुरो का वध किया थ। राम ने रावण का वध किया तो कृष्ण ने कंस वध किया था।


      राम भगवान असली में कैसे दिखते थे

      अगर बात की जाए वाल्मीकि रामायण के बारे में तो वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का काफी अच्छे तरीके से वर्णन किया गया हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम का रूप अतिसुंदर था।

      ऐसा माना जाता है की उनकी आँखे बड़ी बड़ी और कमल की तरह खिली खिली थी। इसके अलावा बात की जाए उनके बाल बारे में उनके बाल चमकदार और लंबे थे। उनका रूप मनमोहक और आकर्षित करने वाला था।

      उनका चेहरा बिलकुल चन्द्रमा की तरह सौम्य और कोमल और कांतिवान था। उनका नाक भी उनके चेहरे के अनुरूप था। यानी की नाक सुडोल और बड़ा था। उनके होंठ सूर्य के समान लाल और दोनों होंठ एक समान थे।

      ऐसा माना जाता है की भगवान राम के हाथ काफी लंबे थे। उनके हाथ घूंटनो तक आते थे। इसलिए तो भगवान राम को आजानभुज के नाम से भी जाना जाता था। उनके कान बेहद ही प्यारे और लंबे थ। इसलिए उनके कानो में कुंडल शोभा देते थे।

      उनके पूर्ण शरीर की रचना अच्छी थी। यानी की शरीर की रचना अधिक लंबी या अधिक छोटी नही थी। उनके पैरो की लंबाई भी शरीर के ऊपरी हिस्से के समानुपात थी।

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      निष्कर्ष

      दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।

      हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ हैं, तो आगे जरुर शेयर करे। ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके।

      दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा पहले राम का जन्म हुआ या कृष्ण का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

      FAQs

      श्री कृष्ण का जन्म कब और कहां हुआ था?

      ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष कि अष्टमी तिथि को मथुरा नगरी के कारागार में हुआ था।

      श्री कृष्ण का जन्म कितने साल पहले हुआ था?

      हिंदू के पुराणी मान्यता अनुसार श्री कृष्ण का जन्म आज से लगभग 5250 वर्ष पहले द्वापर युग में हुआ था।

      राम का जन्म कब और कहां हुआ था?

      भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग के चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या नगरी में राजा दशरथ के यह हुआ था।

      कृष्ण का जन्म किस युग में हुआ था?

      पुराने तथ्यों के आधार पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। जिन्हे भगवान विष्णु का आठवें अवतार कहा जाता हैं।

      कृष्ण भगवान का जन्म कब हुआ था?

      कृष्ण भगवान का जन्म मध्यरात्रि में मथुरा नगरी के कारागार में हुआ था।

      राम और कृष्ण में कौन बड़ा है?

      पुराने शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम त्रेता युग में और भगवान श्री कृष्ण द्वापर युग में अवतरित हुए, इसलिए कालक्रम से राम जी बड़े माने जाते हैं, लेकिन दोनों लोग विष्णु के समान अवतार हैं।

      सबसे पहले कौन पैदा हुआ था, राम या कृष्ण?

      भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था, जबकि भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ।

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      गुरुवार के दिन पैसा मिलना शुभ या अशुभ – पैसा हमारे जीवन का अहम हिस्सा माना जाता हैं। इसी से ही हमारे जीवन का गुजारा चलता हैं और पैसे पाने के लिए इंसान मेहनत करता हैं। लेकिन हिन्दू सनातन धर्म में पैसे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए अगर हम पैसो का सम्मान करते हैं, तो मान लीजिए की हम माता लक्ष्मी का भी सम्मान करते हैं।

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        दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले है की गुरुवार के दिन पैसा मिलना शुभ या अशुभ। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं, तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी को पाने के लिए आज का हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े, तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

        गुरुवार के दिन पैसा मिलना शुभ या अशुभ

        हमारे पुराने शास्त्रों के अनुसार गुरूवार को पैसा मिलना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। गुरूवार का दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का दिन होता हैं और इस दिन पैसा मिलना हमारे लिए अतिउत्तम माना जाता हैं।

        ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपने किसी को पैसा दिया हैं और आप उनसे अपना पैसा ले रहे हैं, तो गुरूवार के दिन आपको पैसा लेना चाहिए। इससे आपको फायदा होगा और इस दिन लिया गया पैसा आपको शुभ फल देने वाला साबित होगा।

        ऐसा माना भी माना जाता है की गुरूवार के दिन पैसा मिलने से आपके जीवन की समस्या खत्म होती हैं और आपको आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है। गुरूवार के दिन पैसा मिलने से माना जाता है की माता लक्ष्मी के आशीर्वाद की प्राप्ति हुई हैं। इससे आपको निरंतर अपार धन की प्राप्ति होती हैं।

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        गुरुवार के दिन क्या खरीदना चाहिए

        गुरूवार के दिन खरीदी करना भी काफी शुभ माना जाता हैं। अगर आप गुरुवार के दिन खरीदी करते हैं, तो आपको नीचे दी गई वस्तु खरीदना चाहिए:

        • अगर आप गुरूवार के दिन कुछ खरीदना चाहते हैं, तो आपको गुरूवार के दिन सोना या चांदी खरीदना चाहिए। गुरूवार के दिन सोना-चांदी खरीदना अतिउत्तम और शुभ माना जाता हैं।
        • ज्योतिष शास्त्र एक अनुसार ऐसा माना जाता है कि गुरूवार के दिन सोना और चांदी खरीदने से हमारी कुंडली के ग्रह नक्षत्र मजबूत बनते हैं।
        • गुरूवार के दिन ज्ञान और शिक्षा से जुडी वस्तु खरीदना भी शुभ माना जाता हैं, ऐसा माना जाता है की गुरवार के दिन किताब, कोपी, स्टेशनरी का सामान, पुस्तके आदि खरीदना चाहिए। इससे ज्ञान में वृद्धि होती हैं।
        • Astrology शास्त्र के अनुसार गुरूवार के दिन इलेक्ट्रोनिक सामान खरीदना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की गुरूवार के दिन इलेक्ट्रिक वस्तु खरीदने से हमारे जीवन में सुख शांति बनी रहती हैं।

        गुरुवार को क्या नहीं करना चाहिए

        कुछ हमारी पुरानी मान्यताओ के अनुसार कुछ ऐसे काम है जिसे हमें गुरुवार के दिन नही करने चाहिए। ऐसे ही कार्यो के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं:

        • कुछ मान्याताओ के अनुसार गुरुवार के दिन महिलाओं को बाल धोने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है की गुरुवार के दिन बाल धोने से कुंडली का गुरु ग्रह कमजोर हो जाता हैं। साथ-साथ इससे महिला का वैवाहिक जीवन खराब होता हैं और संतान सुख की भी प्राप्ति नही होती हैं।
        • गुरुवार के दिन दाढ़ी, बाल तथा नाख़ून कटवाने से भी बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है की गुरुवार के दिन यह सभी करने से संतान की तरक्की रुक जाती हैं।
        • गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा में मुख करके पूजा करने से बचना चाहिए। क्योकि गुरुवार के दिन दिशाशुल होता हैं और इसका बुरा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता हैं।
        • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरुवार के दिन केला खाने से बचना चाहिए। लेकिन इस दिन केले के पत्ते की पूजा करना शुभ माना जाता हैं।
        • गुरुवार के दिन कपडे धोने से और पोछा लगाने से भी बचना चाहिए। क्योकि इस दिन यह कार्य करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं तथा हमारी कुंडली का गुरु भी कमजोर हो जाता है।
        • गुरुवार के दिन यह सभी कार्य करने से हमें समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए हो सके तो गुरुवार के दिन इन सभी कार्य करने से बचे।


        गुरुवार के बारे में कुछ और बातें

        • गुरुवार के देवता ब्रह्मा को माना जाता हैं।
        • गुरुवार के दिन किसी को कर्ज देने से बचना चाहिए। लेकिन अगर आप गुरुवार के दिन कर्ज लेते हैं, तो गुरुवार के दिन लिया गया कर्ज जल्दी उतर जाता हैं।
        • गुरुवार के दिन भूलकर भी किसी को उधार पैसे नही देने चाहिए।
        • शास्त्र के अनुसार गुरुवार के दिन पैसे लेन देन करने से बचना चाहिए।
        • गुरुवार को अच्छाई और उदारता का ग्रह माना जाता हैं।

        गुरुवार के दिन क्या उपाय करे

        गुरुवार के दिन किये जाने वाले कुछ काम और उपाय के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं:

        • गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का माना जाता हैं। इसलिए गुरुवार के दिन इन दोनों देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
        • गुरुवार के दिन जल से कच्चा दूध मिलाकर माता तुलसी को अर्पित करना शुभ माना जाता हैं।
        • भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद पीली वस्तु जैसे की चना दाल, केले और गुड आदि का भोग लगाये।
        • कीस जरूरतमंद या गरीब को इस दिन पीली वस्तु का दान करना भी शुभ माना जाता हैं।
        • इस दिन विष्णुसस्त्रनाम पाठ करना आपके लिए लाभदायी माना जाता हैं।
        • गुरुवार के दिन तुलसी के पौधे के समक्ष घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता हैं। इससे माता लक्ष्मी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

        गुरुवार को धन प्राप्ति के मंत्र

        गुरुवार को धन प्राप्ति के कुछ मंत्र हमने नीचे बताये हैं। आपलोग से ध्यान से पढ़े:

        • ॐ बृं बृहस्पतये नम:
        • ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:
        • ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:
        • ॐ गुं गुरवे नम:
        • ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि
        • ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्
        • ऊं ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा
        • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः


        FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

        गुरुवार के दिन क्या दान करना चाहिए?

        गुरुवार के दिन पीली वस्तु जैसे की चने की दाल, केले, गुड, धार्मिक पुस्तके आदि दान करना चाहिए।

        गुरुवार को तुलसी में क्या चढ़ाना चाहिए?

        गुरुवार के दिन तुलसी के पौधे में जल के साथ कच्चा दूध मिलकार चढ़ाना चाहिए।

        बृहस्पतिवार को तुलसी पूजा कैसे करें?

        इस दिन स्नान आदि करने के बाद तुलसी के पौधे शुद्ध घी का दीपक जलाए। इसके बाद कच्चे और पानी को मिलाकर तुलसी के पौधे को चढ़ा दे।

        तुलसी की पूजा कब करे?

        तुलसी की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता हैं।

        गुरुवार के दिन किस काम को नहीं करना चाहिए?

        गुरुवार के दिन आपको भूल से बाल, दाढ़ी और नाख़ून काटने से बचना चाहिए।

        बृहस्पतिवार के दिन कपडा धो सकते है?

        जी नहीं, इस दिन कपडा को धोने में बचाव करना चाहिए।

        निष्कर्ष

        दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है गुरुवार के दिन पैसा मिलना शुभ या अशुभ। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।

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        जाने एकादशी व्रत किसको करना चाहिए और Ekadashi Vrat क्यों किया जाता है

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        Ekadashi Vrat: दोस्तों, क्या आप को पता है या आप जानना चाहते है कि एकादशी व्रत किसको करना चाहिए, एकादशी व्रत क्यों किया जाता है, एकादशी व्रत के फायदे और एकादशी व्रत के नियम क्या होते हैं, चलिए विस्तार से जानते है, हिंदू धर्म में एकादशी व्रत प्राचीन समय से लोगों द्वारा माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कृपा आशीर्वाद से युक्त होता है। इसके कारण सभी व्रतों में एकादशी का विशेष महत्व है।

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          कहा जाता है कि इस व्रत का पालन करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस से अन्य भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। एकादशी हर माह में दो बार आती है, और आप भी नियमों और विधियों का पालन करते हुए इस व्रत को कर सकते हैं।

          मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि एकादशी व्रत किसे और क्यों करना चाहिए। इसके अलावा, इस विषय से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। इसलिए, आप सभी से अनुरोध है कि इस आर्टिकल को आखिर तक जरूर पढ़ें ताकि आप इस महत्वपूर्ण ज्ञान का अच्छी तरह से लाभ उठा सकें। तो चलिए, हम आपको इस विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।

          एकादशी व्रत किसको करना चाहिए

          एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरागत व्रत है जो मानव जीवन में आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्रदान करने का आदान-प्रदान करता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पुनः जन्मों के चक्र से मुक्ति होती है। 

          एकादशी व्रत का पालन करने से मानव जीवन में शांति, संतुलन, और आध्यात्मिक सद्गुण समृद्धि होती है। इसे महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े-जवान सभी वयस्क व्यक्तियों द्वारा आसानी से किया जा सकता है, जो एक सात्विक और धार्मिक जीवनशैली का अंग है।



          एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है

          एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में एक प्रमुख आध्यात्मिक व्रत है जो भगवान विष्णु की पूजा और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को एक हिन्दू मास की ग्यारही तिथि, यानी एकादशी को किया जाता है, जो चंद्रमा के कृष्ण पक्ष में होती है। 

          इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य मानव जीवन में आध्यात्मिक प्रगति को प्रोत्साहित करना है और शारीरिक-मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना है। एकादशी व्रत करने से व्यक्ति दिव्य ऊर्जा को अनुभव करता है, और इससे उसके मानविकी, आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह व्रत धार्मिक उत्साह, सामर्थ्य, और सांस्कृतिक संबंध को बढ़ावा देने का भी साधन है।

          यहाँ जानें Ekadashi Vrat के फायदे

          नीचे हमने कुछ एकादशी व्रत करने के फायदे बताए हैं।

          • एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है।
          • इस व्रत का पालन करने से भूत-पिशाच आदि से मुक्ति प्राप्त होती है।
          • इस व्रत का पालन करने से मनुष्य की कई समस्याएं दूर होती हैं और उसे संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।
          • इस व्रत का पालन करने से माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से धन की प्राप्ति होती है, जिससे हमें आर्थिक संघर्ष से मुक्ति मिलती है।
          • इस व्रत का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
          • इस व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
          • इस व्रत का पालन करने से परिवार में शांति बनी रहती है।
          • एकादशी व्रत करने से बीमारी से मुक्ति होती है।
          • एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
          • यदि किसी को पुत्र प्राप्ति में बाधा आ रही है, तो एकादशी के व्रत से पुत्र की प्राप्ति हो सकती है।
          • एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
          • एकादशी का व्रत करने से हमें हमारे शत्रु से मुक्ति मिलती है।
          • एकादशी का व्रत करने से हमने जीवन में जो भी खोया है, वह वापस मिलता है।
          • एकादशी का व्रत करने से हमे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।


          एकादशी व्रत/Ekadashi Vrat कब से शुरू करना चाहिए?

          एकादशी व्रत को हिन्दू पंचांग के अनुसार किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत चैत्र और कार्तिक मास की एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। सामान्यत: एकादशी को बारह घंटे तक कार्यक्रम और पूजा के साथ मनाया जाता है, जो रात्रि और प्रात: के समय में होती है। 

          यह व्रत विशेषकर विष्णु भगवान की पूजा के साथ भगवान के नाम का जाप करके किया जाता है जिससे आत्मिक और आर्थिक शुभकामनाएं प्राप्त होती हैं।

          Ekadashi Vrat में क्या खाना चाहिए?

          एकादशी के व्रत में विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करना होता है जो शाकाहारी और सात्विक होते हैं। इस व्रत के दौरान अन्न, दाल, गेहूं, राजमा, प्याज, लहसुन, तेल, गाय का दूध, आलू, बैंगन, बैंगनी सब्जियाँ, नमक, तेल, अद्भुत और विष्टारित प्रकार की मिठाईयों का सेवन नहीं किया जाता है। 

          उच्च चरण में व्रत का समापन करते समय, फल, सूजी, किशमिश, दही, मिश्रित दाना, गुड़, नींबू पानी, तुलसी का पत्ता और दूध पीना उचित होता है। यह आत्मा को पवित्र करने और मानवता में सेवा करने का एक उच्च दृष्टिकोण प्रदान करता है।

          चलिए जानते हैं एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए

          • इस दिन जुआ और इससे संबंधित खेलना नहीं चाहिए।
          • इस दिन मांस का सेवन नहीं करना उचित है।
          • इस दूसरी बार भोजन करना नहीं चाहिए।
          • इस दिन गुस्से को त्याग देना उचित है।
          • एकादशी के दिन किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।
          • इस दिन शहद का सेवन नहीं करना उचित है।
          • इस दिन दूसरों के द्वारा दिया गया अन्न नहीं खाना चाहिए।
          • इस दिन चने का शाक, मसूर की दाल, कोंदो का शाक, नमक, तेल, चावल आदि का सेवन नहीं करना उचित है।

          एकादशी व्रत के नियम क्या होते हैं

          यदि आप एकादशी व्रत कर रहे हैं, तो व्रत का आरंभ करने से पहले आपको कुछ नियमों की जानकारी होनी चाहिए। Ekadashi व्रत में कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए हमने एकादशी व्रत में पालन करने वाले कुछ नियमों के बारे में नीचे जानकारी प्रदान की है।

          • एकादशी व्रत के दौरान मांस, तामसिक आहार, प्याज, लहसुन, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
          • एकादशी व्रत में आपको भोग विलास से परहेज रखना चाहिए, अर्थात् आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
          • एकादशी व्रत में आपको किसी भी पेड़ के पौधे को तोड़ने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे आपको पाप लगता है और आप पाप के भागीदार बन सकते हैं।
          • एकादशी व्रत करते समय, स्नान आदि करने के बाद आपको गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है।
          • एकादशी व्रत के दौरान, घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, और इसके अलावा नाख़ून और बाल कटवाने से भी बचना चाहिए।
          • एकादशी व्रत करते समय, आपको मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जाना चाहिए और इसके अलावा आवश्यकता पाने वाले लोगों को दान आदि करना चाहिए।
          • एकादशी व्रत के दौरान, आपको आम, अमरुद, अंगूर, पिस्ता, बादाम, आदि प्रकार के अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
          • एकादशी व्रत के समय, आपको सदैव मिठी भाषा का उपयोग करना चाहिए। इन दिनों, अभद्र भाषा का अनुप्रयोग करना उचित नहीं है।
          • इन दिनों, आपको क्रोध करने से भी बचना चाहिए।
          • एकादशी व्रत में, आपको प्रभु को भोजन का भोग चढ़ाने के बाद ही अपने लिए भोजन करना चाहिए।
          • इन दिनों, आपको तुलसी माता को भी पानी अर्पित करना उचित है।


          निष्कर्ष

          मित्रों, आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया है कि एकादशी व्रत किसे और क्यों करना चाहिए। इसके अलावा, इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान की गई है।

          हम आशा करते हैं कि आज का हमारा लेख आपके लिए फायदेमंद साबित हुआ होगा। यदि ऐसा है, तो कृपया इसे आगे साझा करें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुंच सके।

          मित्रों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा 'एकादशी व्रत किसे करना चाहिए और एकादशी व्रत क्यों किया जाता है' लेख पसंद आया होगा। धन्यवाद!

          FAQs

          एकादशी व्रत में चाय पी सकते है क्या?

          "हाँ, आप एकादशी व्रत में चाय पी सकते हैं। इसमें चाय पीने का कोई विरोध नहीं है।

          एकादशी व्रत में दूध पी सकते है क्या?

          हाँ, एकादशी व्रत में आप दूध भी पी सकते हैं।

          क्या एकादशी व्रत में मूंगफली खा सकते हैं?

          हाँ, आप एकादशी व्रत में मूंगफली खा सकते हैं।

          क्या एकादशी व्रत में चावल खा सकते हैं या नहीं?

          नहीं, अगर आप एकादशी व्रत आरंभ करते हैं, तो आपको इस दिन चावल खाना भूलना चाहिए। इसे माना जाता है कि एकादशी व्रत में चावल खाने से मनुष्य का अगला जन्म सरीसृप का होता है।

          तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं, जानें किस दिन उखाड़ना चाहिए क्या है रहस्य

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          तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं – हिन्दू सनातन धर्म में तुलसी का पौधा बहुत ही पवित्र और वंदनीय माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है की जिस घर में तुलसी का पौधा होता हैं। ऐसे घर में माता लक्ष्मी का वास होता हैं और ऐसे घरो में हमेशा के लिए सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बना रहता हैं। इसलिए काफी लोग अपने घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाते हैं।

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          तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं

            लेकिन क्या तुलसी के पौधे को छत पर लगाया जा सकता हैं। इस बारे में काफी लोगो को जानकारी नही होती हैं। ऐसी ही कुछ जानकारी आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देने वाले हैं। इसलिए आज का हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े।

            दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले है की तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं, तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

            तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं

            वास्तु शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो आपको कभी भी तुलसी का पौधा आपके घर की छत पर नही लगाना चाहिए। ऐसा करना आपके लिए अशुभ माना जाता हैं। 

            ऐसा माना जाता है की अगर हम हमारे घर की छत पर तुलसी का पौधा लगाते हैं तो इससे हमारे घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा रुक जाती हैं और घर में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा भी चली जाती हैं।

            ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है की जिन लोगो की कुंडली में बुध कमजोर स्थिति में मौजूद होता हैं। ऐसे लोगो को भी अपने घर के छत पर भूलकर भी तुलसी का पौधा नही लगाना चाहिए। इससे बुध ग्रह से जुडी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

            ये भी पढ़े: बरगद के पेड़ में पानी डालने से क्या होता है



            छत पर तुलसी लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

            • तुलसी का गमला, चौरा पूर्व और उत्तर‑पूर्व दिशा में रखें।
            • तुलसी के पौधे में रोज़ सुबह‑शाम जल चढ़ाएँ तथा दीपक जरूर जलाएं।
            • तुलसी का पौधा कभी‑भी अंधेरी जगह तथा शौचालय के पास भूल से न रखें।
            • तुलसी के पौधे को हमेशा साफ‑सुथरा तथा व्यवस्थित रखें।
            • वर्षा ऋतु के मौसम में तुलसी से पौधे में अधिक पानी न भरने दें, अन्यथा जड़ें सड़ सकती हैं।

            तुलसी का पौधा कहां लगाना चाहिए | तुलसी का पौधा किस दिशा में लगाना चाहिए

            अगर आप तुलसी का पौधा लगाना चाहते हैं तो आपको आपके घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। इसके अलावा आप आपके घर के मुख्य दरवाजे के उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की तरफ भी तुलसी का पौधा लगा सकते हैं। घर के आंगन में और मुख्य दरवाजे के उत्तर या पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता हैं।

            लेकिन आज के समय में फ्लेट कल्चर आने की वजह से हमारे घर में कोई भी आंगन नही होता हैं। या फिर शहरो में घर छोटे होते हैं। ऐसे में आंगन का अभाव होता हैं, तो ऐसे घर में हम फलेट की बालकनी में तुलसी का पौधा लगा सकते हैं।

            लेकिन अगर आप फ्लेट में तुलसी का पौधा लगा रहे हैं, तो आपको फ्लेट की बालकनी की उत्तर या पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

            अगर आपका घर छोटा है या फिर घर के आसपास कोई आंगन नही हैं, तो आपके घर में कोई बालकनी होगी। उस बालकनी की पूर्व या उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता हैं, तो कुछ इस प्रकार से आप इन दो दिशा में तुलसी का पौधा लगा सकते हैं।



            तुलसी का पौधा सूख जाए तो क्या करना चाहिए

            कई बार हम देखते है की काफी समय हो जाने के पश्चात तुलसी का पौधा सुख जाता हैं। लेकिन तुलसी का पौधा सुख जाने के बाद भी यह हमारे लिए पवित्र माना जाता हैं। इसलिए तुलसी का पौधा सुख जाने के बाद इसे कही पर भी ऐसे वैसे नही फेंकना चाहिए। 

            अगर तुलसी का पौधा सुख जाता हैं तो उसे आपको जड़ सहित ही उखाड़ना हैं और किसी भी प्रवाहित नदी, जलाशय या फिर तालाब में विसर्जित कर देना हैं। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखे की रविवार के दिन तुलसी के सूखे पौधे को विसर्जित नही करना हैं।

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            तुलसी का पौधा किस दिन उखाड़ना चाहिए

            तुलसी का पौधा आप किसी भी दिन उखाड़ सकते हैं। सिर्फ रविवार, ग्रहण, अमावस्या, पूर्णिमा, चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, पितृपक्ष, सूतक और एकादशी के दिनों में तुलसी का पौधा नही उखाड़ना चाहिए।

            तुलसी के पौधे की देखभाल के वास्तु और दैनिक उपाय

            धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैज्ञानिक के साथ‑साथ तुलसी के पौधे की अच्छी देखभाल करना आवश्यक है। यहाँ मैने कुछ निचे उपाय दिए गए हैं:

            • प्रतिदिन तुलसी के पौधे में शुद्ध जल दें, लेकिन खाश कर आपको रविवार या एकादशी के दिन जल देने से बचना चाहिए।
            • हर दिन सुबह‑शाम दीपक जलाने से घर की नकारात्मक उर्जा का नास होता है।
            • पूजनीय तुलसी के पास हमेशा सफाई-सुथरा रखें, वहाँ धूल तथा कचरा को जमा न होने दें।
            • तुलसी की पत्तियां तोड़ते टाइम आपको इस मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का उच्चारण करते रहना चाहिए।

            इन नियमों का पालन करके आप तुलसी का पौधा को लंबे समय तक हरा‑भरा और ऊर्जा से भरपूर रखा जा सकता है।

            निष्कर्ष

            दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।

            हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ हैं, तो आगे जरुर शेयर करे। ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके।

            दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह तुलसी का पौधा छत पर लगा सकते हैं - तुलसी का पौधा किस दिन उखाड़ना चाहिए ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

            FAQs

            तुलसी का पौधा किस दिन लगाना चाहिए?

            तुलसी का पौधा गुरुवार और शुक्रवार को लगाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष और सुबह का समय भी लगाना सबसे शुभ माना गया है।

            तुलसी का पौधा किस दिशा में लगाना चाहिए?

            तुलसी का पौधा आप घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशा में लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है।

            तुलसी का पौधा सूख जाए तो क्या करना चाहिए?

            तुलसी का पौधा सूख जाए तो उस पौधे को अपवित्र स्थान पर भूल से भी नहीं रखना या फेकना चाहिए। आप इसे मिट्टी में दबाएं तथा बहते जल में प्रवाहित करें और नया तुलसी का पौधा विधिपूर्वक जरूर लगाएं।

            तुलसी का पौधा किस दिन नहीं लगाना चाहिए?

            तुलसी का पौधा जैसे कि रविवार, अमावस्या, एकादशी और ग्रहण के दिन लगाना शुभ नहीं माना जाता है।

            क्या हम तुलसी के पौधे छत पर रख सकते हैं?

            जी हाँ, तुलसी का पौधा छत पर रख सकते है, लेकिन आपको नियमित पूजा, पर्याप्त धूप और शुद्ध वातावरण आवश्यक है। वास्तु रूल के अनुसार ज़मीन और आंगन में लगाना अधिक शुभ माना जाता है।

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            जानिए कन्या के शीघ्र विवाह हेतु मंत्र, उपाय और सम्पूर्ण जानकारी

            जाने अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं

            तुलसी की माला कब नहीं पहननी चाहिए

            जानें सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए, जाने अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं

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            रविवार

            सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए - हमारे हिंदू धर्म में प्राचीनकाल से ही कुछ ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं। जिसका आज के समय में भी पालन किया जाता हैं। कुछ लोग इन सभी परंपरा को वहम मानते हैं तो कुछ लोग परंपरा का पालन करते है और इसे सही मानते हैं।

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            सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए

              इन सभी परंपरा के पीछे कुछ ना कुछ कारण छिपे होते है। इस वजह से आज भी परंपरा का पालन किया जाता हैं। लेकिन एक परंपरा ऐसी है, जो महिलाओं के बाल धोने के बारे में हैं। इस परंपरा पर आज हम आपके साथ इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेगे।

              दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले हैं की सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए तथा अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं। इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं। यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते है।

              सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए

              सुहागन स्त्री को बाल सोमवार, बुधवार तथा गुरुवार के दिन बाल नहीं धोने चाहिए। इसके अलावा किसी भी दिन जैसे की मंगलवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार के दिन बाल धो सकती हैं। सुहागन स्त्री अगर इस दिन बाल धोती हैं, तो उनके जीवन में कोई भी बाधा या अड़चन नहीं आती हैं।

              लेकिन सोमवार, बुधवार और गुरुवार के दिन अगर सुहागन स्त्री बाल धोती हैं, तो उनके जीवन में काफी सारी अड़चने आती हैं।

              ऐसा माना जाता है की सोमवार के दिन सुहागन स्त्री अगर बाल धोती है। तो बेटी पर भार बना रहता है। बेटी के जीवन कोई छोटी-मोटी परेशानी आ सकती हैं। घर की बेटी या बहु पर कर्ज का भार बढ़ सकता हैं।

              इसके अलावा सोमवार के दिन बाल धोने से आर्थिक स्थिति में भी कमजोरी आती हैं। इससे धन की कमी होने लगती है और फ़ालतू के खर्च बढ़ जाते हैं। इसलिए सोमवार के दिन स्त्री को बाल धोने से बचना चाहिए।

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              अगर बुधवार के दिन सुहागन स्त्री बाल धोती है। उनके भाई पर कोई भी आफत आ सकती हैं। खास करके लडकियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की बुधवार के दिन बाल न धोए।

              ऐसा करके आप अपने भाई को मुसीबत में डाल सकते हैं। बुधवार के दिन बाल धोने से आपके भाई की आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। उनकी नौकरी या व्यापार पर बुरा असर पड सकता हैं। इसलिए स्त्री को बुधवार के दिन बाल नहीं धोने चाहिए।

              अगर गुरुवार के दिन सुहागन स्त्री बाल धोती है, तो पति की उम्र कम होती हैं। इसके अलावा गुरुवार के दिन बाल धोने से पति के परेशानियों में भी बढ़ोतरी होती हैं। गुरुवार के दिन महिला अगर बाल धोती हैं, तो उनका गुरु कमजोर होता हैं। इसका असर बच्चों और पति पर पड़ता हैं। इसके अलावा गुरुवार के दिन बाल धोने से घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती हैं।

              सुहागिन महिलाओं को किस दिन बाल धोना चाहिए

              ये सवाल बहुत से महिलाओं के मन में होता है कि किस दिन बाल को धोना चाहिए, तो आज हम आपको बताये गए कि एस्ट्रोलॉजी के अनुसार सोनवार, बुधवार और शुक्रवार को सुहागिन महिलाओं को बाल धोना चाहिए।

              अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं

              जी नहीं, अमावस्या के दिन बाल भी नहीं धोने चाहिए और अमावस्या के दिन बाल, नाख़ून काटने से भी बचना चाहिए।

              व्रत में बाल धोना चाहिए कि नहीं

              जी हां, आप व्रत में बाल धो सकते हैं। लेकिन आपका व्रत सोमवार, बुधवार या गुरुवार के दिन का है, तो व्रत में बाल नहीं धोने चाहिए। इसके अलावा आप किसी भी दिन बाल धो सकते हैं।

              पूर्णिमा के दिन बाल धोना चाहिए या नहीं

              जी हां, आप पूर्णिमा के दिन बाल धो सकते हैं लेकिन पूर्णिमा के दिन अगर सोमवार, बुधवार या गुरुवार का दिन लग रहा हैं, तो इस दिन बाल न धोए। इस दिन बाल धोने से आप पर भार बना रहता हैं और परिवार के कोई भी संकट आदि आ सकता हैं।



              क्या सुहागिन महिलाओं को रोज बाल धोना चाहिये

              पुरानी मान्यताओं के अनुसार सुहागिन महिलाओं को रोज बाल धोना आवश्यक नहीं माना गया है। ऐसा माना जाता है कि रोज बाल धोने से शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है और कई बार इसे अशुभ भी माना जाता है। धार्मिक दृष्टि के अनुसार सप्ताह के कुछ विशेष दिन, जैसे सोमवार, बुधवार और शुक्रवार, बाल धोने के लिए शुभ माने गए हैं। वहीं, शनिवार, अमावस्या और कुछ त्यौहार वाले दिनों में बाल धोने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है।

              निष्कर्ष

              दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है की सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए तथा अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं। इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।

              हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ है, तो आगे जरुर शेयर करे। ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी अन्य लोगो तक भी पहुंच सके।

              दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए - अमावस्या को बाल धोना चाहिए या नहीं ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

              FAQs

              पूर्णिमा के दिन बाल धोना चाहिए या नहीं?

              जी नहीं, पूर्णिमा के दिन बाल भूल से भी नहीं धोना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बाल धोने से व्रत की पवित्रता प्रभावित होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होती है।

              महिलाओं को किस दिन बाल धोना चाहिए?

              सुहागिन महिलाओं को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार के दिन बाल धोना शुभ होता है।

              शनिवार को बाल धोना चाहिए या नहीं?

              पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार के दिन बाल धोना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा माना जाता है कि इससे शनि दोष का प्रभाव बढ़ सकता है और नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।

              सुहागिन महिलाओं को बाल कब धोने चाहिए और कब नहीं?

              सुहागिन महिलाओं को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार के दिन ही बाल धोना चाहिए।

              अमावस्या के दिन सिर धोना चाहिए कि नहीं?

              जी नहीं, अमावस्या के दिन सिर धोना शुभ नहीं माना जाता है।

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