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ये है वैवाहिक जीवन (Married Life) में कलह को दूर करने के लिए कुछ उपाय

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गुरुवार

वैवाहिक जीवन में कलह एक आम समस्या है जो आपसी समझदारी और सामंजस्य की आवश्यकता को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, वैवाहिक जीवन के साथियों के बीच सुख और समृद्धि का संचालन करने के लिए कठिनाइयों को दूर करने का महत्वपूर्ण उपाय ढूंढना आवश्यक होता है। इस लेख में हम वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय पर चर्चा करेंगे। ये उपाय शांति, समझदारी, सहयोग, संवाद और सम्बंधों को मजबूत बनाने के लिए सहायक हो सकते हैं। इससे वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

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परम पूज्य दादाश्री और उनकी धर्मपत्नी हीराबा के वैवाहिक जीवन ने पूरे शांतिपूर्ण, परस्पर सम्मानपूर्ण और विनययुक्त माहौल का निर्माण किया। उनका व्यवहार प्रेमपूर्ण था और उनकी संयमित आचरण ने सभी उनके परिजनों और मित्रों को प्रेरित किया। एक उदाहरण के रूप में, हर दिन हीराबा बाजार जाकर सब्जी लेती थी, तब वे परम पूज्य दादाश्री से पूछतीं, "क्या सब्जी लाऊँ?" और दादाश्री कहते थे, "जो ठीक लगे वही।" इस तरह, दोनों अपने कर्तव्यों को निभाते थे। हीराबा ने अंत तक ईमानदारी से इस प्रथा को निभाया, जहां वे परम पूज्य दादाश्री से सब कुछ पूछती थीं।


उन्होंने प्रत्येक व्यवहार को सिंसियारिटी से पूरा किया। उनके व्यवहार में किसी संयोग या किसी व्यक्ति के कारण कोई बदलाव नहीं आता। दोनों में प्रति पूज्य भाव और समझदारीपूर्ण व्यवहार हमेशा बना रहा। उनके बीच विनम्रता, दिखावटीता और अभिनय नहीं थी, बल्कि वैचारिकता और समझदारी का परिपूर्ण भाव था।


ऊपर दिए गए सन्दर्भ में, परम पूज्य दादाश्री के आदर्श और सुखी वैवाहिक जीवन का सिर्फ एक उदाहरण है। इसलिए, आप भी नीचे दिए गए टिप्स (चाबियां) का उपयोग करके अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बना सकते हैं और वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के उपाय (Remedies for Happy Married Life) प्राप्त कर सकते हैं।


Also Read: Vastu Tips: पूजा-घर में भूलकर भी न रखें ये चीजें, मिल सकते हैं अशुभ प्रभाव


पति-पत्नी के बजाय मित्र की भांति रहें: Be Friends Instead of Husband and Wife

यह वैवाहिक जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने का सबसे उत्तम उपाय है। सच्ची मित्रता में कभी भेद नहीं होता। आपके और आपके मित्र के बीच किसी भी बाधा को आने की इजाजत नहीं होती।, उसी तरह पति-पत्नी के बीच भी वैसा ही आदर्श व्यवहार होना चाहिए। यदि आप अपने मित्र का ध्यान नहीं रखेंगे तो आपकी मित्रता लंबे समय तक नहीं टिक सकेगी। दोस्ती का मतलब दोस्ती होता है। पति-पत्नी को मित्र के समान माना गया है। इसीलिए उन दोनों को, दो मित्रों की तरह उनके घर को चलाना चाहिए। पति-पत्नी के बीच व्यवहार में शांति होना चाहिए। यदि इस रिश्ते में दोनों में से किसी एक को भी दुःख हो तो उसे आदर्श पति-पत्नी का संबंध नहीं माना जा सकता। क्या पति-पत्नी को भी यही ध्यान रखना चाहिए कि वे एक दूसरे को दुःख न दें? मित्र इस सिद्धांत पर चिपके रहते हैं, क्या पति-पत्नी को भी इसे अपनाना चाहिए? पति-पत्नि के बीच मित्रता, यही सर्वश्रेष्ठ मित्रता है।


प्रशंसा युक्त शब्दों का उपयोग करें: Use Words of Praise

यह वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने का सबसे सरल उपाय है। अगर आपकी पत्नी आपसे नाराज हो जाए, तो थोड़ी देर रुककर उनसे बात करें, "आप मुझे चाहे कुछ भी कह दो या मुझसे चाहे कितना भी नाराज़ हो जाओ, पर जब आप नहीं होती, तो मुझे आपकी बहुत कमी महसूस होती है।" पत्नी से कहना कि आपको उनके बिना अच्छा नहीं लगता। बस इस तरह आगे बढ़ों और यह "गुरुमंत्र" कहो। (ऐसे शब्द जो परिणामकारक हों) सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए आपको अपनी पत्नी के साथ प्रेम और प्रशंसा युक्त व्यवहार करना आवश्यक है। ऐसा करने में हर्ज़ ही क्या है? आप अपनी भावनाओं को अपने अंदर ही सीमित रखें, लेकिन कुछ ऐसा कहें जब आप क्रियान्वित होते हैं, 'मुझे आपसे दूर जाना अच्छा नहीं लगता।


सामंजस्य रखें वैवाहिक जीवन में: Keep Harmony in Married Life

किसी भी प्राणी को सुख देने की इच्छा होना अंतिम ज्ञान है, जहां उसे किंचित भी दुःख नहीं होता। विरोधी भी शांत हो जाएगा और यह कहेगा, "हमारे बीच मतभेद है लेकिन साथ ही साथ मेरे मन में आपके प्रति उतना ही आदर भी है।" हालांकि, विरोधी हमेशा रहेगा। सभी का दृष्टिकोण एक समान नहीं होता। सभी के विचार एक समान नहीं हो सकते। घर में, आपका व्यवहार सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए। आपकी पत्नी को ऐसा लगना चाहिए कि आपके जैसा पति उसे नहीं मिल सकता और आपको ऐसा लगना चाहिए कि इसके जैसी पत्नी आपको नहीं मिल सकती, जब ऐसा होगा तभी आपका वैवाहिक जीवन सार्थक कहलाएगा।


दखल करना टालिए: Refrain from Interfering

यह वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के उपाय में से सबसे चतुर उपाय है। जिस प्रकार नौकरी में आपके उत्तरदायित्व की रुपरेखा निश्चित होती है, उसी प्रकार वैवाहिक जीवन में अपनी जिम्मेदारियों की रुपरेखा भी आपके पास होनी चाहिए। एक बार यह स्पष्ट हो जाए कि किसके डिपार्टमेन्ट में क्या आता है, उसके बाद आपको दूसरे के डिपार्टमेंट में दखल नहीं करनी चाहिए। पुरुष को स्त्री के काम में और स्त्री को पुरुष के काम में दखल नहीं करनी चाहिए। दोनों को अपने-अपने डिपार्टमेंट में ही रहना चाहिए। हालांकि यदि आपको लगे कि आपके जीवनसाथी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नहीं पहुँच पा रहे हैं तो फिर अवश्य ही आपको उनकी मदद करनी चाहिए। तभी आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बना पाएँगे।


वफादारी वैवाहिक जीवन में: Loyalty in Marriage

यह सुखी वैवाहिक जीवन के उपाय में से सबसे आवश्यक उपाय है। अपने जीवनसाथी के अलावा किसी दूसरे के साथ आपका शारीरिक संपर्क या संबंध नहीं होना चाहिए। सबसे बड़ा जोखिम यदि कोई है, तो वह है किसी और के जीवनसाथी से सुख लेना! अपने पति या पत्नी से सुख लेने में कोई हर्ज़ नहीं है। तभी कहा जा सकेगा कि आप अपने जीवनसाथी के प्रति सिन्सियर हो।


जीवनसाथी के साथ संबंध सुधारें: Improve Relationship with Spouse

एक बार एक पति ने परम पूज्य दादाश्री से शिकायत की कि उनकी पत्नी अपने माता-पिता के साथ रहना नहीं चाहती और उन्हें अपने घर बुलाना भी नहीं चाहती। परम पूज्य दादाश्री ने उनके बीच समाधान करवाया और उन्हें उस प्रकार का मार्गदर्शन दिया जिससे वे अपना संबंध बनाए रख सकें। दादाश्री ने उन्हें सलाह दी कि वे अपनी पत्नी के माता-पिता को आमंत्रित करें और उनका ध्यान रखें। अपनी पत्नी के साथ अपने संबंधों को इस तरह संयोजित करें कि वह खुद ही आपके माता-पिता की देखभाल करने के लिए कहें।


वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के लिए कुछ उपाय: Tips For Married Life

वैवाहिक जीवन में कलह और विवाद आम समस्याएं हैं जो कई बार पति-पत्नी के बीच आपसी समझदारी और संवाद के कमी के कारण होती हैं। यह कलह न केवल दोनों के बीच तनाव उत्पन्न करती है, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को भी प्रभावित करती है। हालांकि, यदि हम विवेकपूर्ण तरीके से इन कलहों का सामना करें और उन्हें हल करने के उपाय ढूंढ़ें, तो वैवाहिक जीवन को सुखद और समृद्ध बनाए रखना संभव होता है। यहां कुछ उपाय हैं जो आपको वैवाहिक कलह को दूर करने में मदद कर सकते हैं:


संवाद: अच्छा संवाद वैवाहिक समस्याओं को हल करने का पहला कदम होता है। पति-पत्नी को खुले मन से बातचीत करनी चाहिए और एक दूसरे की समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। संवाद में संयम और सहजता बनाए रखना आवश्यक होता है।


समझौता करें: वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के लिए समझौता करना बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों पति-पत्नी को एक दूसरे की दृष्टिकोण समझने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि वे किसी समस्या का समाधान केवल इकट्ठे करके ही पा सकते हैं।


साथी के साथ समय बिताएं: व्यस्त जीवन में भी साथी के साथ समय बिताना बहुत महत्वपूर्ण है। विवादों को दूर करने के लिए आप दोनों मिलकर मनोरंजन कर सकते हैं, यात्राएं कर सकते हैं या आपस में रोमांटिक तारिकों से जुड़ सकते हैं।


संतुलन बनाए रखें: वैवाहिक जीवन में संतुलन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए। अधिकता या कमी के साथ काम करने की क्षमता वैवाहिक जीवन को स्थिर रखने में मदद करती है।


समय-समय पर मनोरंजन करें: वैवाहिक जीवन में मनोरंजन का महत्वपूर्ण स्थान होता है। आपको समय-समय पर मनोरंजन के लिए विशेष समय निकालना चाहिए। मिलकर फिल्म देखना, रंगमंच पर जाना, यात्रा करना आदि वैवाहिक जीवन में मनोरंजन के लिए कुछ सुविधाएं हैं।


सहानुभूति और समर्थन: कभी-कभी हमारे वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिनका हम प्रभाव नहीं देख पाते हैं। इस स्थिति में, हमें दूसरे के साथी के प्रति सहानुभूति और समर्थन बनाए रखने की जरूरत होती है। एक दूसरे की समस्याओं का समय निकालकर समर्थन करना और उन्हें आदर और सम्मान देना वैवाहिक सम्बंधों को मजबूत बनाए रखने में मदद करेगा।


सलाह और परामर्श: कभी-कभी हमारे वैवाहिक जीवन में समस्याओं का समाधान खोजने में हमें मदद की जरूरत होती है। ऐसे में, हमें परामर्श और सलाह लेने के लिए उचित स्थानों की तलाश करनी चाहिए। वैवाहिक सलाहकार, परिवार सलाहकार या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से मिलकर हम समस्याओं का समाधान ढूंढ़ सकते हैं।


वैवाहिक कलहों को दूर करने के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं। हालांकि, याद रखें कि हर संबंध अद्वितीय होता है और इन उपायों का प्रभाव भी अलग-अलग हो सकता है। अगर समस्याएं गंभीर हैं और आपको स्वयं के बीच समस्याओं का समाधान नहीं मिल रहा है, तो वैवाहिक सलाहकार या परिवार सलाहकार की सहायता लेने का विचार करें। वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं और आपकी सहायता कर सकते हैं ताकि आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखद और समृद्ध बनाए रख सकें।

शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे - शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने के फायदे

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सोमवार

सोमवार को भगवान शिव जी का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है। हालांकि, आप भगवान शिव की पूजा-अर्चना कभी भी कर सकते हैं। हिंदू सनातन धर्म में भगवान शिव को सभी देवताओं में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

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इस संसार में भगवान शिव / Lord Shiva के लाखों भक्त हैं। भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कुछ व्यक्ति भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर कुछ ना कुछ चढ़ाते हैं, जिससे भगवान शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। इससे हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

दोस्तों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने और शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने के फायदे बता रहे हैं। इसके अलावा, हम आपको मूंग, सरसों तेल, केसर, और शहद चढ़ाने के लाभों की भी जानकारी प्रदान करेंगे। इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया हमारे ब्लॉग को अन्त तक पढ़ें। क्योकि हम आपको इस विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे

शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं। गुड़ में भरपूर मिठास और पोषण होता है, जिससे पूजा का मौषम आनंदमय होता है। यह भगवान शिव जी को भी प्रिय है और उन्हें संतुष्ट करने में सहायक होता है। गुड़ की महक आस्था को बढ़ाती है और मानवता को शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति का अनुभव होता है। इसके अलावा, गुड़ का उपयोग शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और सामाजिक दृष्टि से भी एकता बनाए रखता है। गुड़ चढ़ाने से भक्तों को आनंद, शांति और धन की प्राप्ति होती है।

यदि आपके घर में परिवार के सदस्यों के बीच आपसी विरोध बढ़ रहा है और घराने में झगड़े उत्पन्न हो रहे हैं, तथा आप आर्थिक कमी का सामना कर रहे हैं, तो आपको ऐश्वर्य की कमी का सामना करना पड़ रहा है, तो शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाना उपयुक्त है। गुड़ मीठा होता है, इसलिए यह परिवार में मिठास बढ़ाएगा और शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने से धन और ऐश्वर्य की भी प्राप्ति हो सकती है।

शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने के फायदे

यदि आपको शनिदेव के प्रभाव में कठिनाई हो रही है, तो आप शनि के कष्ट से मुक्ति प्राप्त करने के लिए काले रंग के कपड़े में काली मिर्च बांधकर उसमें 11 रूपये रख सकते हैं। इस पोटली को शिवलिंग से स्पर्श कराकर आप किसी भी व्यक्ति को दान करें। इस प्रक्रिया से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, और आपको उनके अनुकूल प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।

शिवलिंग पर मूंग चढ़ाने के फायदे

ऐसा माना जाता है की भगवान शिव जी को मुंग अतिप्रिय हैं। अगर आप सोमवार के दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर मुंग अर्पित करके भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

शिवलिंग पर मुंग चढाने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। अगर आपके घर में कोई भी कार्य करने से पहले बाधा तथा समस्या आ रही हैं, तो शिवलिंग पर मुंग चढाने से इस समस्या से छुटकारा मिलेगा।

शिवलिंग पर सरसों का तेल चढ़ाने के फायदे

शिवलिंग पर सरसों का तेल अर्पित करने से ग्रह्बाधा समाप्त हो जाती हैं। इसके लिए आपको सरसों तेल से एक समान धार बनाते हुए। शिवलिंग पर अर्पित करना हैं, इसके अलावा शिवलिंग पर सरसों का तेल चढाने से जातक को हर एक क्षेत्र में सफलता मिलती हैं, जातक के सभी कार्य सिद्ध होने लगते हैं।

शिवलिंग पर शहद चढ़ाने के फायदे

अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित है और बार-बार कोई ना कोई छोटी-मोटी बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं, तो भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर शहद अर्पित करे। यह उपाय करने से आपको रोगों से मुक्ति मिलेगी। अगर आपको कोई असाध्य बीमारी भी हैं, तो यह उपाय करने से आपको फायदा होता हैं।

शिवलिंग पर केसर चढ़ाने के फायदे

कहा जाता है कि केसर भगवान शिव का अतिप्रिय माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग पर केसर युक्त दूध चढाने से विवाह संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा शिवलिंग पर केसर का टिका करने से या केसर अर्पित करने से सौम्यता की प्राप्ति होती हैं।

शिवलिंग पर भांग चढ़ाने के फायदे

भांग का नाम तो आपने सुना ही होगा, भांग भगवान शिव जी का प्रिय माना जाता हैं। शिवलिंग पर भांग या भांग के पत्ते चढाने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। यह उपाय करने से आपके अंदर मौजूद नेगेटिव विचार दूर होते हैं। आपके अंदर मौजूद बुराई तथा कमियां भी दूर होती हैं। यह दूर होने पर आप किसी भी क्षेत्र में सफल होने में सक्षम हो जाते हैं।

शिवलिंग पर जौ चढाने के फायदे

अगर घर में मनमुटाव चल रहा हैं या फिर घर के सदस्यों में प्रेम नही हैं। छोटी बातो पर बार-बार झगड़े उत्पन्न हो रहे हैं, तो ऐसे में शिवलिंग पर हर सोमवार के दिन जौ चढाने चाहिए। इससे आपके घर के सभी आपसी मतभेद दूर होते हैं।

शिवलिंग पर घी चढाने के फायदे

शिवलिंग पर शुद्ध देसी घी चढ़ाना काफी अच्छा माना जाता हैं। अगर कोई जातक शारीरिक रूप से काफी कमजोर हैं, और लंबे समय से अपनी खराब सेहत से परेशान हो चूका हैं, तो ऐसे में जातक को श्रावण के माह में शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर घी चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं।

शिवलिंग पर गेहूं चढाने के फायदे

शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाना अतिउत्तम माना जाता हैं। सोमवार के दिन शिवलिंग पर गेहूं चढाने के बाद किसी जरूरतमंद लोगो को गेहूं का दान कर से जातक के जीवन में संतान से जुडी समस्या खत्म होती हैं। इससे संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने के फायदे

अगर कोई व्यक्ति धन की कमी का सामना कर रहा हैं। यदि वह आर्थिक रूप से काफी परेशान हैं, तो ऐसे जातक को श्रावण माह में जल के साथ काले तिल डालकर शिवलिंग पर चढ़ाने से धन की कमी और आर्थिक तंगी दूर होती हैं।

शिवलिंग पर चावल चढाने के फायदे

शिवलिंग पर प्र्त्येक दिन चावल चढ़ाने से भगवान शिव जातक पर प्रसन्न होते हैं। इससे जातक की सभी प्रकार की समस्या दूर होती हैं। इससे जातक को सुख, शांति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे तथा शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने के फायदे बताए हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं। हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे - शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने के फायदे आर्टिकल अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!!

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

शिवलिंग पर कौन से लोटे से जल चढ़ाना चाहिए?

अगर आप शिवलिंग पर जल चढाते हैं. तो आपको तांबे, सोने या फिर चांदी के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। आपको शिवलिंग पर जल चढाने के लिए लोहे या स्टील के लोटे का उपयोग नही करना चाहिए।

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ा सकते हैं?

शिवलिंग पर आप अपनी इच्छा अनुसार बेलपत्र चढ़ा सकते हैं, लेकिन कुछ मान्यता के अनुसार आपको शिवलिंग पर 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ा सकते हैं।

श्रावण माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से क्या होता है?

श्रावण माह भगवान शिव का माह माना जाता हैं। इस महीने भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। श्रावण माह में शिवलिंग पर जल चढाने से आपकी सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती हैं। आपको धन, संपति और संतान की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता हैं।

जाने दुकान के गले में क्या रखना चाहिए और तिजोरी में क्या रखना चाहिए

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क्या आप भी जानना कहते है कि दुकान के गले में क्या रखना चाहिए और साथ ही तिजोरी  में क्या रखना चाहिए, कई बार हम दुकान में काफी मेहनत करने के बाद, हमें उतनी ही कमाई नहीं होती जितनी होनी चाहिए। मेहनत करने के बाद, ग्राहक के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के बाद भी, हमारी दुकान से अच्छी कमाई नहीं हो रही है। इसलिए, समझिए कि हम कहीं ना कही कुछ गलतियाँ कर रहे हैं।

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कई बार दुकान की अच्छी से चलने में ज्योतिष और वास्तु शास्त्र का भी प्रभाव होता है। अगर हमारी दुकान की वास्तुशास्त्रिक योजना अच्छी नहीं है या फिर दुकान का गुणा वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं किया गया है, तो इसका सीधा प्रभाव दुकान के व्यापार पर पड़ सकता है। इसलिए, दुकान को अच्छे से चलाने के लिए वास्तुशास्त्र का भी ध्यान रखना जरूरी है।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि दुकान के गले में क्या रखना चाहिए और तिजोरी में क्या रखना चाहिए। इसके अलावा, हम यह भी साझा करेंगे कि दुकान का काउंटर किस दिशा में होना चाहिए। इस सभी महत्वपूर्ण जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें। तो चलिए, हम आपको इस विषय में पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

दुकान के गले में क्या रखना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र के अनुसार व्यापार को अच्छे से चलाने के लिए दुकान के गले में साबुत सुपारी और लक्ष्मीजी की प्रतिमा वाला चांदी का सिक्का रखना चाहिए। यह दोनों वस्तुएँ दुकान के गले में रखने से व्यापार में सफलता होती है। इससे धन की प्राप्ति होती है और ग्राहक भी हमारी दुकान की तरफ आकर्षित होते हैं।

आप दुकान के गले में साबुत सुपारी और चांदी का सिक्का किसी भी दिन रख सकते हैं, लेकिन इन दोनों वस्तुओं को गले में रखने से पहले शुभ मुहूर्त निकालें। इसके पश्चात, शुभ मुहूर्त में ही गले में ये दोनों वस्तुएँ रखें।

गले में साबुत सुपारी और लक्ष्मीजी की प्रतिमा वाला चांदी का सिक्का रखना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे व्यापार में वृद्धि होती है, आपके दुकान में बरकत आती है, धन का अनुपयोग कम होता है, और मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से धन की वर्षा होती है।

तिजोरी में क्या रखना चाहिए?

तिजोरी में हम सभी अपनी कीमती वस्तुएँ और पैसा इत्यादि रखते हैं, जैसा कि माना जाता है कि तिजोरी को कभी भी खाली नहीं रखना चाहिए। हमारे घर में लगातार धन की प्राप्ति होती रहे, इसलिए नीचे दी गई वस्तुएँ तिजोरी में रखनी चाहिए।

  • तिजोरी में साबुत सुपारी रखने से धन की लगातार प्राप्ति होती रहती है।
  • इसके अलावा, आप तिजोरी में 10-10 के नोटों की गड्डी तथा चांदी और तांबे के सिक्के भी रख सकते हैं। इससे धन की प्राप्ति होती है।
  • शुक्रवार के दिन पीले कपड़े में थोड़ा सा केसर, चांदी का सिक्का तथा 5 कौड़ी रखके घर या दुकान की तिजोरी में रख ले। यह उपाय करने से धन की प्राप्ति होती रहेगी तथा बरकत बनी रहेगी।
  • कई बार हमारा चालू बिजनेस अचानक से ठप हो जाता हैं। ऐसे में एक पीपल का पत्ता लेकर उसे घी में डुबोकर उसपर सिंदूर ओम लिख दे। अब इस पीपल के पत्ते को तिजोरी में रख दे। यह उपाय लगातार पांच शनिवार करे। इसके पश्चात आपका बिजनेस पहले की तरह चलने लगेगा, और धन की प्राप्ति होगी, तथा आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा।

तो यह सभी वस्तु तिजोरी में आप रख सकते हैं। इन सभी वस्तुओं को तिजोरी में रखने से आपको फायदा होगा। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि आप अपने घर और दुकान में बरकत चाहते हैं, या फिर लगातार धन की प्राप्ति चाहते हैं।

तो अपने घर या दुकान की तिजोरी कभी भी खाली न रखें। तिजोरी में कुछ ना कुछ रखना जरूरी होता है। खाली तिजोरी रखने से धन का व्यय अधिक होने लगता है, तथा इसका असर व्यापार पर भी पड़ता है।

दुकान का काउंटर किस दिशा में होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, इसे ऐसा स्वीकृति मिलता है कि व्यापार में वृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए, दुकान का काउंटर इस प्रकार स्थित होना चाहिए कि हमें जब भी काउंटर खोलें, उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर हो।

निष्कर्ष

मित्रों, आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया है कि दुकान के गले में क्या रखना चाहिए और तिजोरी में क्या रखना चाहिए। साथ ही, हमने यह भी साझा किया है कि दुकान का काउंटर किस दिशा में होना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

मित्रों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा लेख 'दुकान के गले में क्या रखना चाहिए और दुकान का काउंटर किस दिशा में होना चाहिए' पसंद आया होगा। धन्यवाद!

जाने प्रेगनेंसी में मंदिर जाना चाहिए या नहीं और किस भगवान की पूजा करे

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हेलो दोस्तों, क्या आप जानना चाहते है की प्रेगनेंसी के दौरान मंदिर जाना चाहिए या नहीं, और जाने गर्भवती महिला को किस भगवान की पूजा करनी चाहिए, Pregnant होना किसी भी महिला के लिए सपने से कम नहीं है। इस समय को महिला जी भर के जीती हैं, लेकिन हिंदू धर्म में कुछ ऐसे नियम हैं जो pregnant woman के लिए वर्जित माने जाते हैं। जो भी pregnant महिला होती है, वह यह चाहती है कि उनकी आने वाली संतान योग्य और नाम रोशन करने वाली हो।

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इसलिए उनके मन में कई सवाल उत्पन्न होते हैं, कि क्या उन्हें मंदिर जाना चाहिए या नहीं, या फिर उन्हें भगवान की पूजा करनी चाहिए या नहीं, इत्यादि। इन सभी सवालों के उत्तर जानने के लिए कृपया हमारा यह आर्टिकल आखिर तक पढ़ें।

दोस्तों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि क्या pregnancy में मंदिर जाना चाहिए या नहीं, और गर्भवती महिला को किस भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, हम इस विषय से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करेंगे। आइए, हम आपको इस विषय पर संपूर्ण जानकारी प्रदान करें।

Pregnancy में मंदिर जाना चाहिए या नहीं?

प्रेगनेंसी में महिलाओं को मंदिर जाना चाहिए या नहीं, यह एक श्रद्धा संबंधित विषय है। वह महिला जो यह मानती है कि प्रेगनेंसी के दौरान मंदिर जाना उचित नहीं है, वह प्रेगनेंसी के समय मंदिर नहीं जाती है, और जो महिला ऐसी बातों को नहीं मानती, वह प्रेगनेंसी के दौरान भी मंदिर जाती हैं। इसलिए, प्रेगनेंसी में मंदिर जाना चाहिए या नहीं, यह एक महिला के लिए श्रद्धा और विश्वास का विषय है।

किस God की Puja करनी चाहिए गर्भवती महिला को?

भगवान की puja करना एक आस्था से जुड़ा हुआ विषय माना जाता है। गर्भवती महिला को किस भगवान की पूजा करनी चाहिए, यह उस महिला के व्यक्तिगत प्राथमिकता पर निर्भर करता है। आमतौर पर कुछ महिलाएं गर्भवती होने पर पूजा आदि करना छोड़ देती हैं।

तो कुछ महिलाएं गर्भवती होने पर भी अपनी आस्था के अनुसार भगवान की पूजा/Worship of God करती हैं। इसलिए, आप भी बिना संकोच के अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी भगवान की पूजा कर सकते हैं।

जानिए गर्भवती महिला को शिव मंदिर क्यों नहीं जाना चाहिए

किसी भी धर्म ग्रंथ या पुस्तक में ऐसा लिखा नहीं है कि गर्भवती महिला को शिव मंदिर नहीं जाना चाहिए। अगर महिला इच्छा करे तो वह शिव मंदिर जा सकती है। आमतौर पर, इसे माना जाता है कि गर्भवती महिला को शिव मंदिर जाना चाहिए और भगवान शिव के आशीर्वाद का लाभ उठाना चाहिए। गर्भवती महिला के लिए भगवान शिव के मंदिर जाना shubh माना जाता है।

जाने Pregnant Woman हवन कर सकती है या नहीं?

वास्तविक रूप से, गर्भवती महिला अगर इच्छा करती है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति यह संगत बना रहती है, तो वह हवन में बैठ सकती है। कुछ महिलाएं गर्भवती होने के बाद शारीरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं और इस कारण, लंबे समय तक चलने वाले हवन में बैठने में समस्या आ सकती है। लेकिन यदि आप गर्भवती हैं और आपका शारीरिक स्वास्थ्य सुदृढ़ है, तो आप शारीरिक रूप से मजबूत हैं।

तो हवन कर सकती हैं, लेकिन यदि आप pregnancy के कारण अपने आप को कमजोर महसूस कर रही हैं, तो हवन में बैठना अभिज्ञान नहीं होना चाहिए। क्योंकि हवन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लंबे समय तक बैठना होता है। यदि आप लंबे समय तक बैठ सकती हैं, तो हवन को कर सकती हैं।

गर्भवती महिला को सांप क्यों नहीं काटते हैं?

यह एक मिथ्या धारणा है कि गर्भवती महिला को सांप नहीं काटते हैं। सांप हर किसी को काट सकते हैं, इसलिए गर्भवती महिला को कभी भी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें सांप नहीं काटेगा।

उल्टा, गर्भवती महिला को सांप से दूर रहना उचित है। इससे मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है। यदि किसी गर्भवती महिला को सांप काट ले, तो बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को मंदिर क्यों नहीं जाना चाहिए?

वास्तव में, pregnancy के दौरान गर्भवती महिलाएं मंदिर जा सकती हैं। गर्भवती महिला का मंदिर में जाना कोई अनुचित बात नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे कारण भी हैं जिनके कारण गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान मंदिर जाने से बचना चाहिए।

इसी कारण हमने कुछ कारणों के बारे में नीचे जानकारी प्रदान की है।

  • मंदिर में हम सभी लोग स्वच्छता का ध्यान रखकर जाते हैं, और हमेशा स्वच्छ रहकर ही मंदिर में प्रवेश करना चाहिए, यह हम सभी मानते हैं। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए उन्हें मंदिर जाने से बचना चाहिए।
  • आप देखेंगे कि कई मंदिरों में भीड़ अधिक होती है। इस समय गर्भवती महिलाओं को भीड़ वाली स्थानों से दूर रहना चाहिए।
  • मंदिर में भीड़वाली जगह के कारण संक्रमण का खतरा हो सकता है, और गर्भावस्था के दिनों में महिलाओं को संक्रमण से बचना आवश्यक है। इसलिए, प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को मंदिर में जाने से मना किया जाता है।

Conclusion

मित्रों, आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया है कि प्रेगनेंसी में मंदिर जाना चाहिए या नहीं, और गर्भवती महिला को किस भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, इस विषय से जुड़ी और भी जानकारी प्रदान की गई है।

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FAQs 

गर्भवती महिला क्या उपवास कर सकती है?

जी नहीं, गर्भवती महिलाओं को उपवास आदि करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को उपवास नहीं करना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं क्या पवित्र भोज खा सकती हैं?

जी हाँ, गर्भवती महिलाएं पवित्र भोज भी खा सकती हैं। वे अपने इष्टदेव को चढ़ाया हुआ भोग भी प्रसाद के रूप में ले सकती हैं।

गर्भवती महिला क्या पूजा पाठ कर सकती है?

जी हाँ, अगर आप अपनी स्वच्छता का ख्याल रखती हैं, तो आप अवश्य ही पूजा पाठ कर सकती हैं।

महिलाओं को गर्भावस्था धारण करने के लिए कौन-कौन से मंदिर जाना चाहिए?

कुछ मान्यता के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में माता सिरसा का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में अगर दंपति प्रार्थना करते हैं और माता से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं, तो ऐसे दंपति को अवश्य ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।

क्या गर्भवती महिलाएं व्रत कर सकती हैं या नहीं?

गर्भवती महिला व्रत रखना चाहे तो कर सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था के दिनों में महिला का शरीर काफी कमजोर हो जाता है। इसलिए, महिलाओं को अपने आहार-विहार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दिनों में महिलाओं को व्रत रखने से बचना चाहिए।

जानिए गले में सोने की चेन पहनने के फायदे, नया सोना किस दिन पहनना चाहिए

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रविवार

गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और नया सोना किस दिन पहनना चाहिए, आज के समय में सोने के आभूषण पहनना हर किसी को पसंद है। लोग एक दूसरे की देखते ही सोने के आभूषण पहनते हैं।

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हेलो दोस्तों क्या हम भी जानना चाहते हैं, गले में सोने की चेन पहनने के फायदे और नया सोना किस दिन पहनना चाहिए, आज के समय में सोने के आभूषण पहनना हर किसी को पसंद आता है। लोग दूसरों को सोने के आभूषण पहनते हुए देखकर प्रेरित होते हैं, परंतु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि सोने के आभूषण पहनने से कुछ लोगों को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकता है।

सोने के आभूषण पहनने के पीछे हमारे ग्रह नक्षत्र भी काम करते हैं। कई लोग गले में सोने की चेन पहनना चाहते हैं। सोने की चेन पहनने से कुछ लोगों को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकता है।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और सोने के पहनने के नुकसान को साझा करेंगे। इसके अलावा, हम इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान करेंगे। इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्राप्त करने के लिए, कृपया हमारा लेख अंत तक ज़रूर पढ़ें। चलिए, हम आपको इस विषय पर पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

जाने सोने की चेन गले में पहनने के फायदे

नीचे हमने गले में सोने की चेन पहनने के कुछ लाभ बताए हैं।

  • यदि आप अपने दांपत्य जीवन में सुख चाहते हैं, तो गले में सोने की चेन पहनना आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। इससे आपका दांपत्य जीवन खुशहाल और सुखमय हो सकता है।
  • यदि आपके शरीर में विष का प्रभाव है, तो आप गले या अन्य किसी भी जगह सोने का आभूषण पहन सकते हैं। सोना उष्ण होता है और यह विष को दूर करने में हमारी सहायता कर सकता है।
  • यदि आप दुबले-पतले हैं, तो गले में सोने की चेन पहनें।
  • सोना गले और अन्य किसी भी स्थान पर धारण करने से आँख, कान, नाक, छाती, पेट आदि का दर्द समाप्त हो सकता है।
  • माना जाता है कि सोना सोने को आकर्षित करता है, इसलिए यदि आप गले में सोने की चेन पहनते हैं, तो आपके पास और अधिक सोना इकट्ठा हो सकता है।

किस दिन New Gold पहनना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोना रविवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए। इन दिनों नया सोना धारण करना शुभ माना जाता है।

सोना पहनने के हानिकारक प्रभाव

नीचे हमने सोना पहनने के कुछ हानिकारक प्रभाव बताए हैं।

  • जिन लोगों को मोटापा और पेट की समस्या है, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए। इस तरह के व्यक्तियों को सोना पहनने से उल्टा नुकसान हो सकता है।
  • कभी भी बाएं हाथ में सोना नहीं पहनना चाहिए, लेकिन यदि किसी विशेष कार्य के लिए बाएं हाथ में सोना पहना है, तो वह स्वीकृत होगा।
  • जो व्यक्ति बहुत गुस्सेवाले और वाचाल प्रकार के होते हैं, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए।
  • पैरों में सोने की कोई भी धातु नहीं पहननी चाहिए। सोना बहुत ही पवित्र धातु माना जाता है, इसलिए अगर आप सोना को पैरों में धारण करते हैं, तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • जो महिला वृद्ध हैं या गर्भवती हैं, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए। थोड़ा सोना पहना जा सकता है, लेकिन अधिक सोना पहनने से बचना चाहिए, नहीं तो उल्टा नुकसान हो सकता है।

Gold पहनने के नियम

नीचे हमने सोना पहनने के कुछ नियम बताए हैं।

  • सोना को हमेशा रविवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार के दिन ही पहनना चाहिए।
  • पैरों में सोना नहीं पहनना चाहिए।
  • कुछ लोग सोना पहनने के साथ अन्य धातु के भी आभूषण पहनते हैं, लेकिन सोने के साथ चांदी के अलावा अन्य किसी भी वस्तु को धारण नहीं करना चाहिए।
  • तर्जनी उंगली में सोना पहनना चाहिए ताकि एकाग्रता मिले।
  • सम्मान प्राप्त करने के लिए भी सोना पहनना चाहिए।
  • जुकाम और सर्दी से परेशान हैं? तो कनिष्ठान उंगली में सोना धारण करें।
  • विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए आप किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर सोना धारण कर सकते हैं।

निष्कर्ष

मित्रों, इस आलेख के माध्यम से हमने गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और सोना पहनने के नुकसान को साझा किया है। इसके अलावा, हमने इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आज का आलेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा है, तो कृपया इसे शेयर करें।

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जानिए घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और स्थान कैसे बनाएं

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क्या आप को पता है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं, इस बात के बारे में आज चर्चा करेंगे, हिंदू धर्म में श्राद्ध के दिन पितरों को स्मरण किया जाता है। इस दिन पितरों के लिए खीर का भोग चढ़ाया जाता है, और उनकी फोटो के सामने फूल आदि अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग पितरों की फोटो को अलमारी इत्यादि में सुरक्षित रखते हैं और श्राद्ध के दिन उन्हें बाहर निकालकर पूजा-अर्चना करते हैं, फिर फोटो को फिर से अलमारी में रख देते हैं।

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कुछ लोग अपने घर में पितरों की फोटों को गलत स्थान पर लगा देते हैं, जिसे वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि पितरों की फोटो को घर में सही स्थान पर कैसे रखना चाहिए, तो हमारे यह लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि घर में पितरों को किस स्थान पर रखना चाहिए और उनका स्थान कैसे सुनिश्चित करें। इसके अलावा, हम इस विषय से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। तो चलिए, हम आपको इस विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

परिवार में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए?

घर में पितरों की फोटो को हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए। यह दिशा पितरों के लिए सही मानी जाती है, और पितरों का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यम की दिशा मानी जाती है, और इसलिए यह पितरों के लिए सही मानी जाती है।

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पितरों का स्थान कैसे तैयार करें?

पितरों के स्थान को बनाने से पहले, नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखें।

  • पितरों का स्थान घर में हमेशा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  • पितरों के मुख की दिशा को घर में हमेशा दक्षिण की ओर रखना चाहिए।
  • एक से अधिक पितरों की फोटो घर में नहीं लगानी चाहिए। एक से अधिक पितरों की फोटो लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
  • मंदिर में पितरों की फोटो को भूलकर भी न रखें।
  • बैठक रूम और शयन रूम में भी पितरों की फोटो नहीं रखनी चाहिए। इसे माना जाता है कि इस जगह पर पितरों की फोटो रखने से घर के सदस्य बार-बार बीमार होते रहते हैं, और इससे परिवार में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • रसोई में भूलकर भी पितरों की फोटो नहीं लगानी चाहिए।

पितरों के विषय में जानकारी

पितरों के बारे में हमने कुछ जानकारी नीचे दी है।

  • हमारे कुछ शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि पितरों का निवास स्थान चंद्र के उधर्वभाग में है।
  • ऐसा भी माना जाता है कि हमारे पितर मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच 1 से 100 वर्ष तक वही स्थान पर रहते हैं।
  • अगर हम हमारे पितरों के श्राद्ध आदि नहीं करते हैं और उनको याद नहीं करते हैं, तो वे हमसे नाराज हो जाते हैं।
  • उनकी नाराजगी के कारण हमें पितृदोष भी हो सकता है, जिसके कारण हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
  • यदि हम समय-समय पर हमारे पितरों को याद करते हैं, और उनका श्राद्ध आदि करते हैं, तो वे प्रसन्न होते हैं और उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है।

पितरों की Puja कैसे करें

  • पितरों की पूजा करने के लिए, सुबह के समय स्नान आदि करने के बाद, उनका ध्यान करते हुए उन्हें याद करें।
  • उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें।
  • उसके बाद पितरों का तर्पण करें। पितरों के तर्पण में फूल, तिल, जल आदि अर्पित करें।
  • उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, तथा दान आदि करें।
  • उसके पश्चात् कौआ, कुत्ता, आदि जैसे पशु-पक्षियों को भोजन कराएं। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। इससे हमारे पितर प्रसन्न होते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताया है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं। इसके अलावा, इस टॉपिक से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।

आशा है कि आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यदि यह आपके लिए उपयोगी सिद्ध होता है, तो कृपया इसे आगे शेयर करें, ताकि अन्य लोग भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें।

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FAQs

पितृस्थान में कौन-सी चीज़ें रखनी चाहिए?

पितृस्थान पर आप अपने पूर्वजों की तस्वीरें, दीपक, फूल, चांदन, अक्षत, पुष्प आदि रख सकते हैं। पिंडदान के लिए एक थाली भी रखें।

पितृस्थान कहाँ बनाना चाहिए घर में?

पितृस्थान घर के पूर्वांगण या फिर आंगन या बगीचे में बनाएँ। पूर्व दिशा श्रेष्ठ मानी गई है पितरों के लिए।

पितृस्थान पर कितने चित्र लगाएँ?

जितने भी अपने पूर्वजों के चित्र उपलब्ध हैं सभी को लगा सकते हैं। अगर कम चित्र हैं तो कम लगाएँ।

पितृस्थान की कितनी बार सफाई करनी चाहिए?

प्रत्येक 15 दिन में एक बार पितृस्थान की सामान्य सफाई अवश्य करें। त्यौहार आने पर विशेष सफाई करवाएँ।

पितृस्थान पर कौन से पौधे लगा सकते हैं?

तुलसी, अशोक, वट वृक्ष और पीपल के पौधे आप पितृस्थान पर अच्छे से उगा सकते हैं।

जानिए Tulsi Ka Paudha/तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं: पूरी जानकारी

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सोमवार

मित्रो, आप को प्रेम पूर्वक नमस्कार, क्या आप जानना चाहते है कि तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं और तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखने से क्या होता है इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानेगे, तो चलिए शुरू करते है। हिन्दू सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग अपने घरों में Tulsi Ka Paudha लगा कर पूजा-अर्चना करते हैं। अधिकांश हिन्दू घरों में तुलसी का पौधा पाया जाता है।

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माना जाता है कि भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है। हालांकि, कई लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं। इस सवाल के जवाब के लिए और अधिक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको यह बताने जा रहे हैं कि तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं, और एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाना चाहिए या नहीं। इसके अलावा, हम इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान करेंगे। तो आइये हम आपको इस विषय पर संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

जानिए क्या तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं?

तुलसी का पौधा इतना महत्वपूर्ण होने के कारण, आप इसे किसी को भी उपहार के रूप में प्रदान कर सकते हैं, बिना किसी चिंता के। इसमें कोई भी दोष नहीं है।

Tulsi Ka Paudha एक पवित्र पौधा है जो हिन्दू सामाजिक सांस्कृतिक में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे लोग घर के आंगन में या पूजा स्थल में उगाते हैं क्योंकि इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता है। तुलसी का पौधा और इसकी पत्तियां आरोग्य के लाभ के लिए भी प्रसिद्ध हैं। 

कई तंत्रों में इसे सुखद औऱ शुभ माना गया है और इसका दान करना किसी को सुख-शांति का अहसास करा सकता है। लोग विशेषकर एकादशी के दिन तुलसी को पूजते हैं और इसे उगाने का परंपरागत तरीके से करते हैं। इससे घर को प्रेम और शांति का वातावरण मिलता है।

एकादशी के दिन क्या तुलसी का पौधा लगाना चाहिए या नहीं?

एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाना और उसमें जल अर्पित करना दोनों ही विशेष संस्कार माने जाते हैं। इसका कारण है कि इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का विवाह हुआ था, और इसी दिन माता तुलसी निर्जला व्रत करती हैं।

एकादशी के दिन Tulsi Ka Paudha लगाना हिन्दू धर्म में एक प्राचीन परंपरा है जो धार्मिक और सामाजिक महत्ता रखती है। तुलसी को एक देवी माना जाता है और उसका पौधा घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। एकादशी के दिन तुलसी को पूजने से व्यक्ति को मानवीय और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। 

तुलसी का पौधा और इसकी पत्तियां आरोग्य के लाभ के लिए भी जाने जाते हैं और इसे उगाने से घर की सुरक्षा बढ़ती है। इस पवित्र दिन पर तुलसी को उगाना एक आदर्श परंपरा मानी जाती है जो सुख, शांति, और प्रेम की भावना को बढ़ावा देती है।

इस व्रत में किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आने के लिए, इस दिन तुलसी का पौधा लगाना और उसमें जल अर्पित करना विशेष रूप से अनुपम माना जाता है।

तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखने से क्या परिणाम होता है?

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तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखने से नहीं सिर्फ शांति और सुकून महसूस होता है, बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार भी हो सकता है। तुलसी की महक और प्राकृतिक गुणधर्म तकिये के ऊपर अपना प्रभाव डालती है, जिससे नींद में भी लाभ हो सकता है। तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखने के लाभों को हमने नीचे वर्णित किया है।

  • कहा जाता है कि तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखकर सोने से जागरूक व्यक्ति की जीवनशैली मधुर बनती है। उसके जीवन में मधुरता फैल जाती है।
  • तुलसी के पत्तों को तकिये के नीचे रखकर सोने से आर्थिक कठिनाइयों से राहत मिलती है, और इसके साथ ही मानसिक तनाव से भी मुक्ति होती है।
  • इसके अतिरिक्त, हमारे चारों ओर का वातावरण प्रशांत होता है, और कई बीमारियों से हमें राहत मिलती है।
  • यदि किसी को श्वास संबंधित समस्याएं हैं, तो उन्हें तकिये के नीचे तुलसी के पत्तों को रखकर सोने से लाभ होता है।
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तुलसी के पत्ते रखने से क्या प्राप्त होता है?

  • तुलसी के पत्तों को पास में रखने से हमारा स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
  • व्यक्ति अपने आप को सशक्त महसूस करता है।
  • जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता, उनके पास तुलसी के पत्ते रखना चाहिए।
  • जो बच्चे माता-पिता के कहने पर यादरहित हैं, उन बच्चों को तुलसी के पत्ते रखने चाहिए। इससे वे माता-पिता की सुनते होते हैं और उनकी सलाह मानने लगते हैं।
  • तुलसी के पत्तों को अपने पास रखने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा सदैव बनी रहती है।
  • जो व्यक्ति तुलसी के पत्तों को अपने पास रखता है, उसके ग्रह और नक्षत्र भी सुधर जाते हैं।

तुलसी के पत्ते क्यों नहीं खाने चाहिए?              

सामान्यत: तुलसी के पत्तों का सेवन बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। हालांकि, इसे अधिक मात्रा में खाने से कुछ हानि हो सकती है, जिसका विवरण नीचे दिया गया है। इसलिए, तुलसी के पत्तों को अधिकतम सीमा में ही खाना चाहिए।

  • तुलसी में आयरन और पारा जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे दांतों को क्षति पहुंचा सकते हैं। इसलिए, तुलसी के पत्तों को अधिक चबाकर खाने से दांतों को क्षति हो सकती है।
  • तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन करने से खून पतला होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • गर्भवती महिला के लिए तुलसी के पत्ते हानिकारक साबित हो सकते हैं, इसलिए इन्हें खाना नहीं चाहिए।

तुलसी का पौधा दान करने से क्या प्राप्त होता है?

शास्त्रों के अनुसार, तुलसी का पौधा दान करना बहुत ही श्रेष्ठ और शुभ माना जाता है। तुलसी के पौधा दान से होने वाले कुछ लाभों के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की है।

  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए Tulsi Ka Paudha दान करना।
  • इसके अतिरिक्त, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के आशीर्वाद प्राप्त होती है। इससे हमें धन की प्राप्ति होती है।
  • तुलसी का पौधा दान करने से हमें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • तुलसी का पौधा दान करने से हमें आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।

निष्कर्ष

मित्रों, आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया है कि क्या तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं, और क्या एकादशी के दिन Tulsi Ka Paudha लगाना चाहिए या नहीं। इसके अलावा, इस विषय से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है। हम उम्मीद करते हैं कि आज का हमारा लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

मित्रों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आलेख 'तुलसी का पौधा/Tulsi Ka Paudha किसी को देना चाहिए या नहीं और तुलसी के पत्ते क्यों नहीं खाना चाहिए' पसंद आया होगा। धन्यवाद!

FAQs

घर में कौन-कौनसी तुलसी लगाना शुभ माना जाता है?

यद्यपि आप किसी भी प्रकार की तुलसी घर में लगा सकते हैं, लेकिन रामा और श्यामा तुलसी को घर में लगाना अत्यधिक श्रेष्ठ माना जाता है।

क्या तुलसी के पौधे में दूध डाला जा सकता है?

हाँ, वैसे तो तुलसी के पौधे में पानी ही चाहिए, परंतु आप चाहें तो दूध भी डाल सकते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर आप गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का नाम लेते हुए तुलसी के पौधे में दूध डालते हैं, तो इससे आपको धन की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

तुलसी किस देवता के लिए चढ़ाई नहीं जा सकती है?

तुलसी को आप भगवान शंकर, गणेशजी, हनुमानजी के लिए चढ़ाई नहीं जा सकती हैं।

तुलसी के पौधे के पट्टे में शिवलिंग रखा जा सकता है क्या?

नहीं, तुलसी के पौधे में कभी भी शिवलिंग न रखें। क्योंकि तुलसी को भगवान शिव को भी चढ़ाई नहीं जाती है।

तुलसी को कब नहीं छूना चाहिए?

हालांकि, आप प्रतिदिन तुलसी की पूजा आदि कर सकते हैं, पर कुछ ऐसे दिन भी होते हैं जिनसे बचना चाहिए। उन दिनों तुलसी की पूजा और छूने से भी बचना चाहिए।

सामान्यत: शाम के समय में तुलसी को छूने से बचना चाहिए, जैसा कि मान्यता है। इसके अलावा, रविवार, एकादशी, चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिनों पर भी तुलसी को छूने से बचना चाहिए।

तुलसी के पास क्या रखना नहीं चाहिए?

अगर आपके आंगन में तुलसी लगी है, तो उसके आसपास सफाई का खास ध्यान रखें। तुलसी के पास आपको शिवलिंग, झाड़ू, कांटे दार पौधे, कूड़ादान, और जूते-चप्पलें नहीं रखनी चाहिए।

तुलसी पर सिंदूर लगाना संभव है क्या?

हाँ, आप सुबह के समय पूजा के दौरान तुलसी पर सिंदूर लगा सकते हैं।

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