भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती - भगवान परशुराम के बारे में हम में से काफी लोग जानते है क्योंकि भगवान परशुराम का उल्लेख रामायण में भी देखने को मिलता हैं। परशुराम अति क्रोधी स्वभाव के और एक वीर यौद्धा थे।
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| भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती |
उनके हाथ में हमेशा ही एक फरसा रहता था। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम को यह फरसा भगवान शिव ने दिया था। परशुराम जी ने भगवान शिव की आराधना करके उनको प्रसन्न किया था। बदले में भगवान शिव ने परशुराम को फरसा प्रदान किया था।
दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले है की भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? इसके अलावा इस टॉपिक से जुड़ी अन्य और भी बहुत जानकारी प्रदान करने वाले हैं, तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े।
भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती
आपको बता दे कि कुछ शास्त्रों और पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम अमर हैं। इसलिए उनकी पूजा नही की जाती हैं। भगवान परशुराम आज भी हमारे बीच में मौजूद हैं और वह अमर हैं। इसलिए दुसरे देवी देवताओ की तरह भगवान परशुराम की पूजा नही की जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम हिन्दू सनातन धर्म के सबसे योद्धा हैं और भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त भी माने जाते हैं। भगवान परशुराम ने कठिन आराधना करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और परशुराम की इस कठिन परिश्रम को देखते हुए भगवान शिव ने परशुराम को परसा आशीर्वाद स्वरूप उनको दिया था।
भगवान परशुराम जी भगवान विष्णु का छठा अवतार माने जाते हैं और यदि आपने रामायण देखा होगा तो इनका जिक्र रामायण में देखने को मिलता हैं। भगवान परशुराम अमर होने की वजह से उनकी पूजा अर्चना करना वर्जित माना जाता हैं।
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भगवान परशुराम का जीवन परिचय तथा इतिहास
भगवान परशुराम का जीवन परिचय और उनका इतिहास हमने एक टेबल के माध्यम से आपको बताने की कोशिश की हैं:
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नाम:- |
भगवान परशुराम |
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अन्य नाम:- |
अनंतर राम |
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कौन है:- |
भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं |
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जन्म:- |
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि |
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जन्म स्थान:- |
पता नही |
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पिता का नाम:- |
जगदग्नि |
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माता का नाम:- |
रेणुका |
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दादा का नाम:- |
ऋचीक |
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परशुराम जयंती:- |
अक्षय तृतीय के दिन |
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जाति:- |
ब्राह्मण |
भगवान परशुराम कौन थे
भगवान परशुराम के बारे में हमने कुछ मुख्य जानकारी नीचे प्रदान की हैं:
- भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता हैं।
- भगवान परशुराम ऋषि जमादग्नी और माता रेणुका के पांचवें पुत्र थे। इनका जन्म ब्राह्मण जाति में हुआ था।
- भगवान परशुराम वीरता के उदाहरण माने जाते हैं। यह स्वभाव से अधिक क्रोधित और एक योद्धा थे।
- भगवान परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम त्रेता और द्रापर युग से अभी के वर्तमान तक अमर हैं।
- कुछ शास्त्रों के अनुसार भगवान परशुराम ने त्रेता युग में रामायण में और द्रापर युग में महाभारत में अहम भूमिका में थे। इन दोनों ग्रंथ में आज भी भगवान परशुराम के बारे में जिक्र देखने को मिलता हैं।
- रामायण में जब सीता का स्वयंवर हो रहा था। तब भगवान राम ने शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ दिया था। उस दौरान भगवान परशुराम सबसे अधिक क्रोधित हुए थे। क्योंकि भगवान परशुराम शिवजी के बड़े भक्त थे और उनका धनुष तोड़ने पर वह क्रोधित हो गए थे।
भगवान परशुराम के शिष्य कौन थे
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की भगवान परशुराम ने महाभारत के कर्ण, द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह को अस्त्र और शस्त्र की शिक्षा प्रदान की थी। इसलिए भगवान परशुराम इन तीनो के गुरु और यह तीनो भगवान परशुराम के शिष्य माने जाते हैं।
वर्तमान में भगवान परशुराम के मंदिर कहां है
वर्तमान समय में भी भारत में भगवान परशुराम के मंदिर मौजूद हैं जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं:
- परशुराम मंदिर: सोहनाग, सलेमपुर और उत्तर प्रदेश
- परशुराम मंदिर जी: पीतमबरा, कुल्लू तथा हिमाचल प्रदेश
- भगवान परशुराम मंदिर: अखनूर, जम्मू और कश्मीर
- भगवान परशुराम जी का मंदिर: कुंभलगढ़ और राजस्थान
- परशुराम मंदिर: महुगढ़ और महाराष्ट्र
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है कि भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? इसके अलावा इस टॉपिक से जुड़ी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।
हम आपसे उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ हैं तो आगे जरुर शेयर करे। ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके।
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? - भगवान परशुराम कौन थे ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!
FAQs
भगवान परशुराम किसके अवतार थे?
भगवान परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं।
परशुराम ने अपनी मां का सिर क्यों काटा था
भगवान परशुराम ने अपनी माँ का सिर इसलिए काटा क्योंकि पिता जमदग्नि ने आज्ञा दी थी। इसलिए परशुराम धर्म, कर्तव्य और पिता की आज्ञा के पालन के लिए दृढ़ थे। पुरानी कथाओ के अनुसार, बाद में भगवान शिव की कृपा से उनकी माता पुनर्जीवित हुई थी।
परशुराम के पिता का नाम थे
जी हां, भगवान परशुराम के पिता का नाम महर्षि जमदग्नि था। वे सप्तर्षियों में से एक ऋषि थे और अत्यंत तपस्वी, विद्वान तथा धर्मपरायण माने जाते हैं।
परशुराम का जन्म स्थान था
कथाओं के अनुसार, परशुराम जी का जन्म स्थान महेंद्र पर्वत को माना जाता है, जो वर्तमान में ओडिशा क्षेत्र में स्थित बताया जाता है। पुरानी ग्रंथों में यही स्थान पर वे तप, साधना और प्रारंभिक जीवन का प्रमुख केंद्र भी बताया गया है।
क्या परशुराम की शादी हुई थी?
पुरानी कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम का विवाह नहीं हुआ था; वे एक ब्रह्मचारी थे।
परशुराम के पूर्वज कौन थे?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम के पूर्वज महर्षि भृगु थे।
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