Hanuman Jayanti 2026: हनुमान जयंती कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Hanuman Jayanti 2026 Date: हिन्दू धर्म में, हनुमान जयंती का त्योहार Hanuman Ji के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भक्त बजरंगबली (Bajrangbalii) की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस ब्लॉग में जानिए हनुमान जयंती 2026 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इसका आध्यात्मिक महत्व के बारे में।

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2026 में, हनुमान जन्मोत्सव 02 अप्रैल, गुरुवार को है। यह माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था। हनुमान जन्मोत्सव के दिन, मंदिरों में प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में आध्यात्मिक प्रवचनों का आयोजन किया जाता है और यह आयोजन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाते हैं।

बात करे तो साल 2026 में हनुमान जन्मोत्सव ने सालों बाद एक अद्भुत संयोग बना लिया है। शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार को हनुमान जी का विशेष दिन माना जाता है और 2026 में हनुमान जन्मोत्सव का दिन भी गुरुवार को पड़ रहा है।

हनुमान जयंती पर पूजा करके भक्तगण शक्ति और बुद्धि प्राप्त करते हैं, और उनकी समस्याएँ कम हो जाती हैं। हनुमान, एक संरक्षक के रूप में, अपने भक्तों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। आगामी चैत्र मास के साथ, इस वर्ष के हनुमान जयंती के उत्सव की विशेष तारीख, और शुभ समय के बारे में जागरूक रहना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

हनुमान जयंती 2026 कब है?

Hanuman Jayanti 2026 Me Kab Hai: हनुमान जयंती को प्रमुख रूप से चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। आइए शुरुआत करें और 2026 के लिए चैत्र मास की पूर्णिमा की शुरुआत और समाप्ति की तिथियों का निर्धारण करें। 2026 में हनुमान जयंती का शुभोत्सव, जिसे ब्रह्मा उत्सव कहा जाता है, गुरुवार 02 अप्रैल, 2026 को सुबह होगा। इस दिन भक्तों को सुबह जल्दी ही भगवान हनुमान की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

2026 में हनुमान जन्मोत्सव का तारीख और शुभ मुहूर्त -

  • चैत्र पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 01 अप्रैल 2026 को सुबह 07:06 AM शुरू होगी
  • चैत्र पूर्णिमा तिथि समाप्त: 02 अप्रैल 2026 को सुबह 07:41 AM समाप्त होगी।

इस तिथि को पूरे भारत में कई स्थानों पर विशेष पूजा-अनुष्ठान, हनुमान चालीसा पाठ, सुंदरकांड पाठ और भंडारों का भी आयोजन होता है।

हनुमान जन्मोत्सव की आवश्यक सामग्री -

  • हनुमान जी की मूर्ति या छवि
  • गंगाजल या साफ पानी
  • श्रीराम और सीता माता की मूर्तियां (अगर हो सके)
  • तुलसी पत्तियां
  • रोली, चावल, दूध, दही, घी, शहद
  • बैलपत्र, बेल का फूल, लौंग, इलायची, सुपारी, कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती, दीपक आदि।

हनुमान जी की पूजा इस विधि से करें -

हनुमान जी की पूजा को एक शुभ और विधिपूर्वक तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  • शुद्धिकरण: पूजा की शुरुआत अच्छे और शुद्ध मन से करें। हाथ धोकर पवित्रता बनाएं।
  • पूजा स्थल: हनुमान जी की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  • कलश स्थापना: एक कलश में गंगाजल या साफ पानी भरकर उसे हनुमान जी के सामने रखें।
  • पूजा आरंभ: रोली, चावल, दूध, दही, घी, शहद से हनुमान जी की मूर्ति का स्नान कराएं।
  • तुलसी पूजन: तुलसी पत्तियों से हनुमान जी को अर्पित करें।
  • पूजा आरती: आरती करते समय श्रीराम, सीता माता, और लक्ष्मण जी की मूर्तियों को भी याद करें।
  • प्रसाद: हनुमान जी को विशेष रूप से प्रसाद के रूप में सीता राम का भोग अर्पित करें।
  • आरती के बाद: आरती के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
  • धूप, दीप, नैवेद्य: धूप, दीप, और नैवेद्य के साथ हनुमान जी की पूजा को समाप्त करें।

नोट: पूजा में श्रद्धा और विश्वास रखें। मन में हनुमान जी की भक्ति और प्रेम के साथ पूजा करें। पूजा के बाद आप अपनी स्थिति और उत्साह में सुधार पाएंगे।

हनुमान जयंती के लिए शक्तिशाली मंत्र:

ॐ श्री हनुमते नमः 
Om Shri Hanumate Namah

ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:

Om Aim Bhrim Hanumante,

Shri Ram Dutay Namah:

ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ||
Om Anjaneyay Vidmahe Vayuputraya Dhimahi. Tanno Hanumant Prachodayat ||

हनुमान जन्मोत्सव के संबंधित पौराणिक कथा -

हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा विशेष रूप से "रामायण" महाकाव्य में मिलती है, जो वाल्मीकि ऋषि द्वारा रचित हुआ है। कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म सुन्दरकाण्ड के एक अध्याय में वर्णित है।

अयोध्या के राजा दशरथ ने विश्वामित्र ऋषि के साथ राजा होने के दौरान अनेक यज्ञ किए थे, परंतु उनकी यज्ञशक्ति कमजोर थी। इससे उन्हें यज्ञ संपन्न करने में समस्या हो रही थी। इस पर विश्वामित्र ऋषि ने राजा से यह कहा कि उन्हें यज्ञ को सम्पन्न करने के लिए राम और लक्ष्मण को सहायता के लिए भगवान विष्णु के अवतार हनुमान को साथ लेना चाहिए। राजा ने राम और लक्ष्मण को भगवान विष्णु के स्वरूप में मानकर उन्हें विश्वामित्र के साथ भेज दिया।

राम और लक्ष्मण ने विश्वामित्र के मार्गदर्शन में त्रिशीर्षा पर्वत पहुंचकर वहां तपस्या में रत ऋषियों से मिले। वहां विश्वामित्र ऋषि के आश्रम में जनकपुरी के राजा जनक की पुत्री सीता से स्वयंवर में प्रशान्त हुई सीता से मिले और उन्होंने धनुष को धनुषधारी श्रीराम के समर्थन में तोड़ दिया।

राम और लक्ष्मण के साथ विश्वामित्र ऋषि के साथी बन गए और उनके साथ मिथिला नगरी में वापस आए। हनुमान का परिचय यहां होता है। हनुमान विश्वामित्र के उपदेश से राम के भक्त बन गए और उनके साथ विदेहा नगरी गए।

विदेहा में, हनुमान ने अपनी अद्भुत भक्ति और सेवा भावना के साथ राम की पहचान की और वहां राम से मिलकर उनके सेवक बन गए। हनुमान जन्मोत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान हनुमान के जन्मोत्सव को मनाने से भक्तिभाव और पवित्रता में वृद्धि होती है और भक्त उनकी कृपा पा सकते हैं।

इस रूप में, हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन भक्तों के लिए एक पुण्यकारी और आध्यात्मिक अनुभव होता है, जो हनुमान जी के प्रति उनकी श्रद्धांजलि को और भी सामर्थ्यपूर्ण बना देता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं, जिनका श्राप के कारण उन्होंने पृथ्वी पर जन्म लिया, और इस श्राप को हटाने का उपाय यह था कि वह एक संतान को जन्म दें। रामायण के अनुसार, महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे, और वे सुमेरू के राजा थे जो केसरी नामक बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक भगवान शिव की अत्यंत गहन तपस्या की, और उसके परिणामस्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमान जी को प्राप्त किया। इस परम्परागत विश्वास के अनुसार, हनुमानजी भगवान शिव के स्वयं के अवतार माने जाते हैं।

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हनुमान जयंती का आध्यात्मिक महत्व

हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और समर्पण का बिशेष प्रतीक माना जाता है। उन्हें 'अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता' कहा गया है। जीवन में जो भी भय, बाधा या मानसिक कमजोरी हो, हनुमान जी की उपासना से दूर होती है।

हनुमान जयंती पर श्रद्धालु उपवास रखकर भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन से संकट और भय समाप्त हो। इस दिन:

  • विद्यार्थियों के लिए बुद्धि व विद्या का आशीर्वाद

  • नौकरी/व्यापार में रुकावट दूर करने के लिए विशेष लाभकारी

  • ग्रह बाधाओं व शनि दोषों को दूर करने में अत्यंत फलदायी

हनुमान जयंती पर इस क्रिया को अवश्य करें

  • हनुमान जयंती के दिन, स्थानीय मंदिर जाएं और हनुमान जी के दर्शन करें, उनके सामने घी या तेल का दीपक जलाएं। 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस प्रकार का आचरण करने से हनुमान जी सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।
  • इस दिन, हनुमान जी से कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें गुलाब की माला समर्पित करें। यह हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे सहज तरीका है।
  • इस दिन धन प्राप्ति के लिए, हनुमान मंदिर में हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। इसके अलावा, सिंदूर लगाकर हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
  • किसी भी प्रकार की धन हानि से बचने के लिए, हनुमान जयंती पर 11 पीपल के पत्तों पर श्रीराम नाम लिखकर हनुमान जी को समर्पित करें। इस प्रक्रिया से आपकी धन संबंधित समस्याएं दूर हो सकती हैं।

निष्कर्ष

Hanuman Jayanti 2026 का पर्व न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें हनुमान जी जैसे गुणों – धैर्य, बल, सेवा, और भक्ति – को अपनाने की प्रेरणा देता है। इस दिन की गई सच्ची भक्ति और सेवा, जीवन को सकारात्मकता और सफलता से भर देती है। आप सभी को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। 

FAQs
Hanuman Jayanti 2026 me kab hai?
साल 2026 में हनुमान जयंती 02 अप्रैल, 2026 दिन गुरुवार को मनाया जायेगा।   

हनुमान जयंती पर कौन-कौन से पाठ करना चाहिए?
इस दिन आप लोग हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण, राम रक्षा स्तोत्र और “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।

क्या हनुमान जयंती पर दान करना शुभ होता है?
जी हां, इस दिन गरीबों को भोजन, फल और वस्त्र आदि का दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है और जीवन में सुख-शांति लाता है।

इस हनुमान जयंती पर व्रत कैसे रखें?
भक्त सूर्योदय से पूर्व स्नान कर, हनुमान जी की पूजा करते हैं। उपवास रखकर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और हनुमान जी के मंत्र जाप किया जाता है। दिनभर सात्त्विक भोजन या फलाहार कर सकते हैं।

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