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Ketu Mahadasha Alert: जानें केतु महादशा के लक्षण, असर, अंतरदशाएं और पक्के उपाय

Ketu Mahadasha Alert: ये 7 साल बना सकते हैं आपको आध्यात्मिक या परेशान! जानें केतु महादशा के लक्षण, असर, अंतरदशाएं और पक्के उपाय

शुक्रवार

/ by Sandeep Kumar Sharma

Ketu Mahadasha: वैदिक ज्योतिष में केतु महादशा को सबसे रहस्यमयी तथा चुनौतीपूर्ण दशाओं में गिना जाता है। यह महादशा यानि केतु की महादशा 7 सालो तक चलती है। केतु को एक छायाग्रह भी माना जाता है, जो आध्यात्म, मोक्ष, रहस्य, त्याग तथा आत्मज्ञान से भी जुड़ा होता है। जब किसी जातक की कुंडली में केतु महादशा शुरू होती है, तो जातक के जीवन में मानसिक उतार-चढ़ाव, अनिश्चितता तथा गहरे आंतरिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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जानें केतु महादशा के लक्षण, असर, अंतरदशाएं और पक्के उपाय

    यह अवधि में जातक को भौतिक दुनिया से दूरी तथा आत्मचिंतन की ओर ले जाता है। कुछ लोगों के लिए यह दौर आध्यात्मिक जागरण लाता है, जबकि कुछ के लिए संघर्ष तथा अकेलापन भी बढ़ा सकता है।

    दोस्तों आज इस ब्लॉग के जरिये से आपको केतु महादशा के लक्षण, असर, अंतरदशाएं और पक्के उपाय के बारे में बताने वाले हैं। साथ ही इसके अलावा आपको इस टॉपिक से सम्बंधित अन्य और भी महत्त्व पूर्ण जानकारी के बारे में बतायेगे, तो यह मुख्य जानकारी को प्राप्त के लिए आज यह लेख आप अंत तक ध्यान से पढ़े।



    केतु महादशा के प्रभाव

    केतु महादशा का असर जातक की कुंडली में केतु की स्थिति तथा अन्य ग्रहों से उसके आपसी संबंध पर निर्भर करता है। शुभ केतु जातक को ऊँचाई दिलाता है, जबकि अशुभ केतु जातक के जीवन में भ्रम, मानसिक तनाव तथा अस्थिरता को भी बढ़ा सकता है।

    ये भी पढ़े: जानिए क्या है महादशा और यह आपकी जिंदगी को कैसे बदलती है!

    सकारात्मक प्रभाव

    • यह समय आध्यात्मिक प्रगति तथा आत्मज्ञान की प्राप्ति का होता है।
    • गूढ़ तथा रहस्यमयी विषयों में रुचि को बढ़ावा मिलता है।
    • जातक को तीव्र अंतर्ज्ञान तथा अतीन्द्रिय अनुभव जागृत भी हो सकती हैं।
    • इस अवधि में पुराने कर्मों के प्रायश्चित का अवसर भी मिल सकता है।
    • विदेश यात्रा या दूरस्थ स्थानों पर जाने के योग भी बन सकते है।

    नकारात्मक प्रभाव

    • इस अवधि में जातक को मानसिक तनाव, अकेलापन तथा अवसाद की स्थिति हो सकती है।
    • जातक को सामाजिक जीवन में दूरी तथा रिश्तों में ठंडापन हो सकती है।
    • धन हानि तथा करियर में उतार-चढ़ाव भी जातक को देखने को मिल सकता है।
    • पारिवारिक अलगाव तथा संवाद की कमी में बाधा की स्थिति भी आ सकती है।
    • अचानक घटनाएँ तथा दुर्घटनाओं की आशंका की कुछ संभावना देखने को मिल सकती है।

    केतु महादशा के प्रमुख लक्षण

    केतु महादशा के इस अवधि के दौरान जातक में कुछ खास बदलाव नजर आ सकते हैं, जो निचे दिए है:

    • इस महादशा में जातक को बार-बार भ्रम तथा मानसिक विचलन का आभास हो सकता है।
    • अनचाही परिस्थितियों में फँसना जैसी उलझने भी बढ़ सकती है।
    • दुनिया से कटाव तथा अकेलापन का भी महसूस भी प्राप्त हो सकता है।
    • रहस्यमयी सपनों की अधिकता भी देखने को मिल सकती है।
    • रिश्तों में दूरी तथा भावनात्मक ठंडापन भी आ सकती है।
    • करियर में अचानक बदलाव भी जातक को देखने को मिल सकते है।
    • थकान, कमजोरी तथा अनजाना भय का भी अनुभूति प्राप्त हो सकती है।

    केतु महादशा के तीन चरण

    यानि केतु महादशा को तीन चरणों में बाटा गया है जो की इस प्रकार से है:

    प्रारंभिक चरण

    • इस समय में जातक को भ्रम तथा मानसिक अस्थिरता रहती है।
    • जातक के जीवन में अचानक बदलाव देखने को मिलते हैं।
    • इस दौरान जातक को मानसिक शांति की खोज बढ़ जाती है।

    मध्य चरण

    • इस दौरान जातक को आध्यात्मिकता और रहस्यमयी विषयों की ओर झुकाव बढ़ता है।
    • रिश्तों में दूरी तथा सामाजिक दूरी भी बढ़ सकती है।
    • इसमें जातक के करियर में अचानक बदलाव तथा संघर्ष संभव हैं।

    अंतिम चरण

    • जातक को आत्मबोध तथा गहरी समझ विकसित होती है।
    • इस अवधि में जातक को संघर्षों के बाद मानसिक शांति मिल सकती है।
    • यह समय जातक के जीवन के नए दृष्टिकोण को मिलने में मदत मिलती है।

    केतु महादशा की अंतरदशाएं और असर

    केतु महादशा – राहु अंतर्दशा

    • यह दौरान अत्यधिक भ्रम तथा मानसिक तनाव की स्थिति का अभास हो सकता है।
    • रिश्तों और करियर में अस्थिरता भी जातक को देखने को मिल सकती है।
    • जातक को आध्यात्मिक की आवश्यकता का अहसास हो सकती है।

    केतु महादशा – शनि अंतर्दशा

    • इस दौरान संघर्ष तथा बाधाएँ की अधिकता देखने को मिल सकती है।
    • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ जातक को मिल सकती हैं।
    • इस समय में जातक को अपने धैर्य तथा संयम की परीक्षा भी हो सकती है।

    केतु महादशा – गुरु अंतर्दशा

    • जातक को ज्ञान तथा आध्यात्मिकता की ओर झुकाव ज्यादा होता है।
    • इस टाइम में जातक के जीवन में कुछ स्थिरता आने की संभावना भी हो सकती है।
    • जातक का सकारात्मकता तथा धार्मिक काम में भी रूचि बढ़ सकती है।

    केतु महादशा – बुध अंतर्दशा

    • मानसिक असंतुलन तथा संवाद की कमी भी प्राप्त हो सकता है।
    • जातक को इस समय में ध्यान और साधना जरूरी हो सकती है।

    केतु महादशा – शुक्र अंतर्दशा

    • इस समय में जातक को भौतिक सुखों में कमी भी देखने को मिल सकती है।
    • प्रेम तथा वैवाहिक जीवन में तनाव की समस्याएँ भी आ सकती है।

    केतु महादशा का सबसे कठिन दौर

    जब केतु नीच राशि में हो जातक के लिए सबसे खराब टाइम होता है या अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तब यह समय जातक के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस अवधि::

    • जातक को करियर तथा आर्थिक अस्थिरता का सामना भी करना पड़ सकता है।
    • पारिवारिक कलह तथा मानसिक दबाव भी जातक का बढ़ सकता है।
    • दुर्घटनाओं तथा कानूनी मामलों की आशंका की अधिकता बढ़ सकती है।

    केतु महादशा के असरदार उपाय

    अगर केतु महादशा से आप भी परेशान तो ये सभी असरदार उपाय आपको लाभ दे सकते हैं:

    • हर दिन केतु मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का रोज़ 108 बार जाप करे।
    • काले तिल, कंबल, सफेद चंदन, नीला वस्त्र तथा नारियल का दान करे।
    • गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें तथा भगवान शिव की पूजा करे।
    • शिवलिंग पर हर दिन जल चढ़ाएँ।
    • हर दिन केतु से संबंधित धूप-दीप रोज़ जलाएँ जिससे मन को शांति मिलती है।
    • किसी योग्य ज्योतिषी से बात करने के बाद ही केतु यंत्र धारण करें।

    केतु महादशा के बाद क्या होता है?

    केतु महादशा के बाद जातक की शुक्र महादशा शुरू होती है, जो जातक के जीवन में भौतिक सुख, आनंद तथा स्थिरता लेकर आती है। अगर केतु महादशा का दौर संघर्षपूर्ण रहा हो, तो शुक्र महादशा जातक को राहत तथा संतुलन प्रदान कर सकती है।

    निष्कर्ष:

    केतु महादशा में जातक को त्याग, आत्मबोध तथा आध्यात्मिकता की राह दिखाती है। यह दौर जातक के लिए कठिन जरूर हो सकता है, लेकिन सही उपाय तथा सकारात्मक सोच के साथ इसे आत्मविकास का अवसर भी बनाया जा सकता है।

    दोस्तों आज के दिन हमने आपको इस ब्लॉग के जरिये से केतु महादशा के लक्षण, असर, अंतरदशाएं और पक्के उपाय बताये है। हम आशा करते है कि आपको आज का यह केतु महादशा का ब्लॉग लाभदायक हुआ होगा। अगर आपके लिए बेस्ट साबित हुआ है तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा जरुर करे और अपने अनुभव के बारे में कमेंट बॉक्स में बिना किसी सकोच के बताये। धन्यवाद!

    FAQs

    केतु महादशा कितने साल कि होती है?

    केतु महादशा हर जातक के लिए 7 साल कि होती है।

    केतु महादशा में किस मंत्र को बोलना चाहिए?

    केतु महादशा में इस मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का हर दिन जाप करना चाहिए।

    केतु महादशा के बाद कौन कि महादशा आती है?

    केतु महादशा के बाद शुक्र महादशा कि शुरुआत होती है।

    इस महादशा (केतु महादशा) में क्या दान करने चाहिए?

    केतु महादशा में जातक को नीला वस्त्र, काले तिल, सफेद चंदन, कंबल और नारियल का दान करना चाइये।

    केतु महादशा के कितने चरण होते है?

    केतु महादशा के मुख्यतः तीन चरण होते है।

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