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सकट चौथ 2026: तिथि, पूजा विधि और भगवान गणेश की कहानी

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बुधवार

Sakat Chauth 2026 Date: साल 2026 में सकट चौथ जनवरी के प्रथम वीक में पड़ रहा है, सकट चौथ, जिसे संकट चतुर्थी या तिलकुट चौथ भी कहते हैं, बच्चों की लंबी उम्र, सेहत और खुशहाली के लिए मनाया जाने वाला सबसे खास हिंदू व्रतों में से एक है। भारत और नेपाल में माताएं इस दिन कड़ा व्रत रखती हैं, भगवान गणेश और देवी सकट की पूजा करती हैं ताकि उनके जीवन की बाधाएं दूर हों और उनके बच्चों को खुशी, समझदारी और मुश्किलों से सुरक्षा मिले।

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    साल 2026 में, सकट चौथ बहुत श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा, जिससे भक्त मंदिरों और सामुदायिक समारोहों में आएंगे, जबकि लाखों लोग घर पर व्रत रखेंगे। यह blog में हम आपको सकट चौथ 2026 की तारीख (Sakat chauth 2026 kab hai), पूरी पूजा विधि, व्रत के नियम, महत्व और इस त्योहार से जुड़ी भगवान गणेश की पवित्र कहानी के बारे में बतायेगे।

    सकट चौथ 2026: तारीख और समय - Sakat Chauth 2026: Date and Time

    Sakat Chauth Kab Hai 2026 / सकट चौथ हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है (North Indian Purnimanta Calendar के अनुसार)। महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में, अमांत कैलेंडर के अनुसार महीना अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इस त्योहार की तारीख वही रहती है।

    When is Sakat Chauth in 2026?

    सकट चौथ 2026 में कब है: बहुत से लोगो ले मन में सवाल होगा की साल 2026 में सकट चौथ कब है? तो हम आपको बता दे की साल 2026 में यह व्रत 6 जनवरी, दिन मंगलवार को पड़ रहा है।  

    • Sakat Chauth 2026 Date: मंगलवार, 6 जनवरी 2026

    सकट चतुर्थी तिथि का समय

    • चतुर्थी चौथ शुरू: 06 जनवरी 2026, दिन:मंगलवार को सुबह 8:01 बजे से
    • चतुर्थी चौथ खत्म: 07 जनवरी 2026, दिन:बुधवार को सुबह 6:52 बजे तक

    Moonrise Timing (For Breaking the Fast)

    मुख्य बिंदु: संकट चौथ पर चंद्रोदय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।

    • 06 जनवरी 2026 को चंद्रोदय समय: रात के 8:54 बजे (लगभग)

    सकट चौथ क्या है? - What Is Sakat Chauth?

    सकट चौथ भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता हैं, और देवी सकट माता जी, जो बच्चों को परेशानियों और बीमारियों से बचाती हैं, और यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं। कुछ इलाकों में, शादीशुदा महिलाएं पूरे परिवार की खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं।

    सकट शब्द का मतलब है मुश्किलें, और भक्तों का मानना ​​है कि इस दिन पूजा करने से जीवन से मुश्किलें दूर होती हैं। यह भी माना जाता है कि इस व्रत के दौरान की गई कोई भी इच्छा भगवान गणेश पूरी करते हैं।

    सकट चौथ 2026 का महत्व

    बच्चों की भलाई के लिए

    माताएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत, लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए इस व्रत रखती हैं। इस व्रत को बच्चों के प्रति बिना शर्त प्यार और समर्पण के रूप में देखा जाता है।

    बाधाओं से सुरक्षा

    इस दिन भगवान गणेश भक्तों के मार्ग से सभी बाधाएं दूर करते हैं, इसलिए इसे चतुर्थी को संकट मोचन चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

    इच्छाओं की पूर्ति

    भक्तों का यह भी मानना ​​है कि गणेश चतुर्थी पर जल्दी वरदान देते हैं, खासकर जब व्रत को सख्त नियम के साथ किया जाता है।

    परिवार के साथ मज़बूत रिश्ता

    इस दिन परिवार शाम की पूजा, चांद निकलने की रस्मों और प्रसाद बांटने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिससे एकता और आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है।

    ज्योतिष में महत्व

    माना जाता है कि सकट चौथ बच्चों की Kundli से जुड़े ग्रह दोषों के बुरे असर को कम करता है। भगवान गणपति जी नेगेटिव एनर्जी और राहु और केतु के बुरे असर से भी बचाते हैं।

    सकट चौथ का व्रत कैसे रखें - How to Observe the Sakat Chauth Fast

    सकट चौथ का व्रत बहुत ही सख्त माना जाता है और कई महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं, जबकि कुछ माताए सिर्फ फल या दूध लेती हैं।

    सकट चौथ उपवास के प्रकार

    • निर्जला व्रत: यानि बिना खाना या पानी
    • फलाहार व्रत: फल और दूध की अनुमति
    • सात्विक आहार: बिना अनाज के एक बार का भोजन

    इस व्रत में चंद्रोदय और चतुर्थी पूजा पूरी होने के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है।

    सकट चौथ 2026 पूजा विधि - Sakat Chauth 2026 Puja Vidhi

    आपको बता दे कि सकट चौथ की पूजा शाम को करनी चाहिए, खासकर चांद निकलने के समय। नीचे साल 2026 के लिए पूरी पूजा विधि दी गई है।

    सकट चौथ में पूजा से पहले की तैयारियाँ

    1. सुबह के काम

    • इस दिन जल्दी उठें, हो सके तो सूरज उगने से पहले।
    • पवित्र स्नान करें।
    • पूजा की जगह को ठीक से साफ़ करें।
    • भगवान गणेश और देवी सकट माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।

    2. उपवास संकल्प

    • मूर्ति के सामने बैठें और व्रत का प्रण लें:

    “माता मैं यह सकट चौथ व्रत अपने बच्चों की खुशी, सेहत और सुरक्षा के लिए रख रही हूँ।”

    3. पूजा सामग्री तैयार करें

    आपको चाहिये होगा:

    • गणेश की मूर्ति
    • मिट्टी का दीया
    • तेल या घी
    • रोली, कुमकुम, हल्दी
    • दूर्वा घास (21 धागे)
    • फूल
    • तिल
    • गुड़
    • रेवड़ी, गजक
    • मूंगफली
    • नारियल
    • अक्षत (चावल)
    • पानी
    • पान के पत्ते
    • प्रसाद के लिए मिठाई
    • सकट माता की रोटी के लिए गेहूं का आटा

    Sakat Chauth 2026 Evening Puja Vidhi

    पूजा एरिया सेटअप करें

    मूर्तियों को लकड़ी के प्लेटफॉर्म पर रखें, दिप जलाएं और जगह को फूलों से सजाएं।

    गणेश पूजा

    • कुमकुम और हल्दी लगाएं।
    • भगवान गणेश को 21 दूर्वा घास चढ़ाएं।
    • फूल और मोदक चढ़ाएं।
    • अगरबत्ती या धूप जलाएं।

    तिल और गुड़ चढ़ाएं

    सकट चौथ पर तिल और गुड़ ज़रूरी प्रसाद हैं। ऐसा माना जाता है कि:

    “तिल और गुड़ से सकट माँ प्रसन्न होती हैं।”

    सकट माता से प्रार्थना करें

    प्रसाद के रूप में घी और गुड़ से बनी गेहूं के आटे की रोटी रखें।

    सकट चौथ व्रत कथा पढ़ें या सुनें

    व्रत पूरा करने के लिए कहानी सुनना ज़रूरी है।

    चंद्रोदय अनुष्ठान

    चाँद देखने के बाद:

    • जल (अर्घ्य) चढ़ाएं
    • तिल, फूल और चावल चढ़ाएं
    • बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें

    उपवास तोड़ें

    तिल, गुड़ और गजक का प्रसाद ग्रहण करें।

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    सकट चौथ व्रत कथा (The Story of Lord Ganesha)

    यदि आप सकट चौथ व्रत करना है तो आपको सबसे ज़रूरी हिस्सों में से एक है व्रत कथा। यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान गणेश जी के भक्तों की रक्षा करने के चमत्कारी तरीकों पर रोशनी डालती है।

    सकट चौथ के पीछे की कथा

    बहुत समय पहले कि बात है, एक गांव में एक गरीब औरत अपने छोटे बेटे के साथ रहती थी। सकट चौथ पर जब सब लोग सकट माता और भगवान गणेश की पूजा करते थे, तो उस औरत के पास चढ़ाने के लिए कुछ नहीं था। अपनी गरीबी के बावजूद, उसने पूरी श्रद्धा से व्रत रखा। उसने तिल इकट्ठा किए, बचे हुए आटे से एक छोटी रोटी बनाई और पूरी श्रद्धा से पूजा की।

    उस रात, डाकू गांव में घुस आए और कई घरों पर हमला किया। लेकिन चमत्कार से, महिला और उसके बेटे को कोई नुकसान नहीं हुआ। अगली सुबह जब गांव वालों ने यह देखा, तो उन्हें यकीन हो गया कि सकट माता ने मां की सच्ची भक्ति की वजह से उनकी रक्षा की है। उस दिन से, गांव वालों ने नई आस्था के साथ व्रत रखना शुरू कर दिया, और यह परंपरा अभी तक पीढ़ियों तक चलती रही।

    एक और लोकप्रिय कहानी - गणेश और चंद्रमा की कहानी

    पुरानी कहानी के अनुसार, एक बार भगवान गणेश दावत के बाद घर लौट रहे थे। अपने मूषक वाहन पर सवार होकर, वे अचानक लड़खड़ाकर गिर पड़े। चंद्र देव, चंद्र देव, उन पर ज़ोर से हंसे।

    अपमानित होकर भगवान गणेश ने चाँद को श्राप दिया:

    “जो कोई भी इस दिन चाँद को देखेगा, उसे झूठे इल्ज़ाम और बुरी किस्मत का सामना करना पड़ेगा।”

    यह दिन कृष्ण चतुर्थी था, जिसे बाद में सकट चौथ के रूप में मनाया गया।

    अपनी गलती का एहसास होने पर, चंद्र देव ने माफ़ी मांगी। गणेश ने श्राप कम करते हुए कहा:

    “जो कोई भी आज चांद को देखेगा और श्रद्धा से सकट चौथ का व्रत रखेगा, वह सभी मुश्किलों से सुरक्षित रहेगा।”

    यह कहानी बताती है:

    • सकट चौथ पर चांद की पूजा क्यों ज़रूरी है
    • भक्त दिन में चांद देखने से क्यों बचते हैं
    • व्रत खोलने में चांद निकलने का क्या अहम रोल होता है

    सकट चौथ का आध्यात्मिक अर्थ - Spiritual Meaning of Sakat Chauth

    बाधाओं पर विजय

    भगवान गणेश ज्ञान और चुनौतियों से निपटने की क्षमता के प्रतीक हैं। माना जाता है कि यह व्रत नेगेटिविटी और कर्मों की रुकावटों को दूर करता है।

    बच्चे और माँ के बीच के रिश्ते को मज़बूत करना

    पारंपरिक रूप से, माताएं अपने बच्चों की सफलता, अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

    आंतरिक अनुशासन

    उपवास सेल्फ-कंट्रोल, धैर्य और आध्यात्मिक ध्यान सिखाता है।

    मन और आत्मा की शुद्धि

    पूजा, प्रार्थना और कहानी सुनाने से भक्त अपने विचारों और भावनाओं को शुद्ध करते हैं।

    भारत भर में रीति-रिवाज और परंपराएँ

    उत्तर भारत: महिलाएं गुड़ के साथ तिलकुट, गजक, रेवड़ी और रोटी बनाती हैं। समाज के लोग इकट्ठा होते हैं जहां महिलाएं मिलकर व्रत कथा पढ़ती हैं।

    महाराष्ट्र: इस व्रत को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। भक्त मोदक, दूर्वा घास चढ़ाते हैं और संकष्टी गणेश कथा सुनते हैं।

    दक्षिण भारत: कुछ समुदाय परिवार की खुशहाली के लिए बड़े पैमाने पर गणेश होमम करते हैं।

    बिहार और उत्तर प्रदेश: तिल और गुड़ का खास महत्व है। परिवार खास रोटियां बनाते हैं और मूंगफली, मीठे व्यंजन और मौसमी फल चढ़ाते हैं।

    सकट चौथ 2026 पर क्या करें और क्या न करें

    क्या करें

    • सुबह जल्दी उठें और पवित्रता बनाए रखें।
    • पूरी श्रद्धा से व्रत रखें।
    • भगवान गणेश को 21 दूर्वा चढ़ाएं।
    • व्रत के बाद गायों को चारा खिलाएं या खाना दान करें।
    • सकट चौथ कथा पढ़ें या सुनें।

    क्या न करें

    • चांद निकलने से पहले कुछ न खाएं-पिएं (अगर निर्जला व्रत कर रहे हैं)।
    • नॉन-वेजिटेरियन खाना खाने से बचें।
    • कठोर शब्द या नेगेटिव विचार न कहें।
    • चांद की पूजा न छोड़ें; व्रत पूरा करने के लिए यह ज़रूरी है।

    सकट चौथ के बाद पारंपरिक रूप से खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ

    जब व्रत खोला जाता है, तो भक्त इसका आनंद लेते हैं:

    • तिल-गुड़ के लड्डू
    • रेवड़ी / गजक
    • मूंगफली
    • गुड़ के साथ गेहूं की रोटी
    • दूध और मिठाई
    • मोदक
    • मौसमी फल

    इन खाद्य पदार्थों को शुभ माना जाता है क्योंकि ये सर्दियों में गर्मी, ऊर्जा और पवित्रता दिखाते हैं।

    सकट चौथ पर तिल इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

    तिल सकट चौथ का मुख्य हिस्सा है। पुराने शास्त्रों में तिल को अमरता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक बताया गया है।

    लाभ और प्रतीकवाद

    • लंबी उम्र दिखाता है
    • बुरी ताकतों से बचाता है
    • सर्दियों में शरीर की गर्मी को बैलेंस करता है
    • भक्ति और त्याग का प्रतीक

    माना जाता है कि भगवान गणेश को तिल चढ़ाने से संकट दूर होते हैं।

    सकट चौथ और ज्योतिष - Sakat Chauth and Astrology

    ग्रहों का प्रभाव

    • माना जाता है कि यह व्रत राहु और केतु के दोष कम करता है।
    • यह चंद्रमा के प्रभाव को मजबूत करता है, जिससे इमोशनल स्टेबिलिटी बेहतर होती है।
    • गणेश बुरे ग्रहों के असर को दूर करते हैं और शुभ एनर्जी लाते हैं।

    के लिए अनुशंसित

    • जिन बच्चों को हेल्थ प्रॉब्लम हैं
    • जिन लोगों को देरी या रुकावटें आ रही हैं
    • जिन लोगों को मेंटल स्ट्रेस, डर या एंग्जायटी है
    • कोई भी जो नया काम कामयाबी से शुरू करना चाहता है

    निष्कर्ष

    सकट चौथ 2026, इस साल 06 जनवरी को मनाया जाता है, भगवान गणेश और देवी सकट माता की भक्ति, व्रत और आशीर्वाद का एक शक्तिशाली दिन है। यह पवित्र व्रत एक माँ के प्यार और विश्वास का इज़हार है, माना जाता है कि यह रुकावटों को दूर करता है और बच्चों को मुश्किलों से बचाता है।

    व्रत, पूजा, कहानी और चांद की पूजा से भक्त दैवीय शक्तियों से गहराई से जुड़ते हैं। चाहे आप इसे अपने बच्चों के लिए करें या अपने पूरे परिवार की खुशहाली के लिए, सकट चौथ आध्यात्मिक शक्ति, शांति और संतुष्टि लाता है।

    भगवान गणेश जी आपकी सभी मुश्किलों को दूर करें और आपके परिवार में खुशियां और शांति लाएं।

    FAQs

    2026 mein sakat chauth kab ki hai?

    साल 2026 में sakat chauth 06 जनवरी को है।

    सकट चौथ में किस भगवान की पूजा होती है?

    भगवान गणेश जी की पूजा होती है सकट चौथ के दिन।

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    मंगलवार

    चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है या अशुभ - कई बार हम देखते है की हमारे घर में किसी चिड़िया ने घोंसला बना लिया है या फिर हमने काफी घरो में चिड़िया का घोंसला देखा भी होगा। यह सब देखकर हम सोच में डूब जाते है की ऐसा होना शुभ होता है या अशुभ होता हैं। अगर आप भी इस सवाल का जवाब चाहते हैं, तो आज का हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े।

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    चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है या अशुभ

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      चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है या अशुभ

      अगर किसी के या आपके घर में किसी चिड़िया ने घोंसला बना लिया है, तो आपको खुश होना चाहिए. चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है की घर में चिडियां घोंसला बना ले तो उस घर में सुख-समृद्धि आती हैं। परिवार में सुख बना रहता है। इससे आपके घर का वास्तु दोष ठीक हो जाता हैं।



      काली चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है या अशुभ

      काली चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ माना जाता हैं। इससे आपके घर में हो रहा मनमुटाव दूर होता हैं। आपके घर में शांति बनी रहती हैं। इससे आपके घर में हो झगड़े खत्म हो जाते हैं।

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      अगर आपके घर में आकर कबूतर बोलता है तो यह आपके लिए शुभ संकेत माना जाता हैं। कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता है। अगर आपके घर में आकर कबूतर बोलता हैं, तो आपके घर में भी शांति का वातावरण बनता है। घर में हो रहे झगड़े और मनमुटाव दूर होते हैं।

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      अच्छे दिन आने के संकेत क्या है

      अच्छे दिन आने के कुछ संकेत हमने नीचे बताए हैं:

      • अगर घर से निकलते समय आपको दूध या खाली बर्तन दिख जाता हैं। यह आपके लिए शुभ माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है की आपका वह दिन अच्छा निकलने वाला हैं।
      • अगर आपको रास्ते में पैसो का नोट मिल जाता हैं, तो यह आपके लिए शुभ संकेत माना जाता हैं। इस घटना से माना जाता है की आपको आने वाले कुछ ही समय में धन लाभ होने वाला हैं।
      • अगर घर से निकलते समय कबूतर आपके ऊपर बीट कर लेता हैं, तो यह घटना भी आपके लिए शुभ मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है की इससे आपकी आर्थिक तंगी दूर होने वाली हैं और आपको किसी भी काम में सफलता मिलने वाली है। साथ-साथ आपको धन लाभ भी हो सकता हैं।
      • अगर घर से निकलते समय कोई भिखारी आपके सामने आकर भीख मांगता हैं, तो उसे भीख दे देना चाहिए। अगर आप ऐसा करते है तो मान लीजिए के आपका कर्ज कम हो गया।

      निष्कर्ष

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      काला धागा बांधने का तरीका, मंत्र तथा फायदे – आपने काफी लोगो के हाथ, पैर, बाजु आदि पर काला धागा बांधा हुआ देखा होगा। काला धागा बांधना यह पुराने समय से चला आ रहा हैं। पुराने समय में भी लोग काले धागे का उपयोग करते थे। ऐसा माना जाता है की काला धागा बांधने से बुरी शक्तियाँ हमारे से दूर रहती हैं और हमे किसी की बुरी नजर नही लगती हैं।

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      आज ही जानें काला धागा बांधने का तरीका

        इसके अलावा भी काला धागा बांधने के काफी सारे फायदे हैं। कुछ लोग तो तांत्रिक क्रियाओं में भी काले धागे का उपयोग करते हैं। लेकिन आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से काला धागा बांधने का सही तरीका बताएगे, तो यह महत्वपूर्ण जानकारी को पाने के लिए हमारे साथ अंत तक बनी रहिए।

        दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से काला धागा बांधने का तरीका बताने वाले हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं, तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

        काला धागा बांधने का तरीका | शनिवार के दिन काला धागा कैसे बांधे

        काला धागा बांधने का सही तरीका हमने नीचे विस्तार से बताया हैं:

        • काला धागा बांधने से पहले उसको अभिमंत्रित जरुर करे। इसके बाद ही काला धागा धारण करे।
        • अभिमंत्रित होने के बाद काले धागे पर नौ गांठ बांध ले।
        • काले धागे को हमेशा ही ब्रह्म मुहूर्त या अच्छे मुहूर्त में ही पहनना चाहिए।
        • इसके लिए आप किस योग्य ज्योतिष या ब्राह्मण की सलाह ले सकते हैं।
        • आप जिस हाथ में काला धागा बांध रहे हैं। उस हाथ में कोई अन्य रंग का धागा ना बांधे जैसे की पीले या लाल रंग का धागा नही बांधना चाहिए।
        • काले धागे को शनिदेवता का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए हो सके तो शनिवार के दिन काला धागा बांधे।
        • काला धागा बांधते समय ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् इस मंत्र का जाप करे। अगर हो सके तो काला धागा बांधने के बाद भी इस मंत्र का जाप रोजाना अपने इच्छा अनुसार करे। इससे आपको अधिक लाभ होगा।
        • आप शनिवार के दिन भी बिलकुल इसी प्रकार से काला धागा बांध सकते हैं।

        तो कुछ इस आसान तरीके से आप काला धागा अपनी कलाई, बाजु, हाथ, पैर आदि जगह बांध सकते हैं।

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        काला धागा बांधने का मंत्र

        ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्

        यह काला धागा बांधने का सबसे अच्छा और प्रभावशाली मंत्र माना जाता हैं। काला धागा बांधते समय इस मंत्र का जाप करने से काले धागे से होने वाले फायदे बढ़ जाते हैं। इससे आपको अधिक लाभ होता हैं। काला धागा बांधते समय इस मंत्र का कम से कम दो से पांच बार जाप जरुर करे। 

        काला धागा बांधने के फायदे

        काला धागा बांधने के कुछ फायदे हमने नीचे बताए हैं आप इसे ध्यान से देखे:

        • काला धागा बांधने से बुरी शक्तियाँ हमारे आसपास नहीं भटकती हैं।
        • काला धागा बांधने से हमारे आसपास हमेशा ही पॉजिटिव ऊर्जा बनी रहती हैं। नेगेटिव ऊर्जा हमारे से दूर रहती हैं।
        • काला धागा बांधने से हम किसी की बुरी नजर से बच सकते हैं।
        • अगर आपके बिजनेस और दूकान को किसी की बार-बार नजर लग जाती हैं, तो काले धागे में एक साबुत नींबू और सात मिर्च पिरोकर मुख्य द्वार पर लगाने से आपके धंधे रोजगार पर किसी की नजर नही लगती हैं।
        • काला धागा शनिदेवता का प्रतीक भी माना जाता हैं। अगर आपके जीवन में शनिदेवता का बुरा प्रभाव बना हुआ है, तो आपको काला धागा बांधना चाहिए। इससे आप शनिदेवता के बुरे प्रकोप से बच सकते हैं।
        • राहू केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी काला धागा हमारे लिए फायदेमंद माना जाता हैं।
        • अगर आप अपने दाहिने पैर में काला धागा बांधते हैं, तो आपको कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं।
        • अंगुठे पर काला धागा बांधने से आपके पेट से जुडी समस्या खत्म हो जाती हैं।

        काला धागा बांधने का नियम

        अगर आप काला धागा बांधना चाहते हैं, तो काला धागा बांधने से पहले उसके नियम जानने जरूरी हैं। अगर आप काला धागा बांधने के बाद उसका पूरा फायदा लेना चाहते हैं तो उसके नियम जान ले।

        काला धागा बांधने के कुछ नियम हमने नीचे बताए हैं:

        • काला धागा महिला या पुरुष कोई भी बाँध सकता हैं। इसलिए आप महिला है या पुरुष नि:संकोच होकर काला धागा बाँध सकते हैं।
        • काला धागा आप हाथ या पैर दोनों में अपनी इच्छा अनुसार बाँध सकते हैं।
        • अगर आप एक महिला है और काला धागा पैर में बाँध रही हैं, तो महिलाओ को काला धागा बाए पैर में बाँधना चाहिए।
        • अगर आप पुरुष हैं. और पैर में काला धागा बांधना चाहते हैं, तो पुरुष को काला धागा हमेशा ही दाए पैर में बांधना चाहिए।
        • अगर आप काला धागा हाथ में बांधना चाहते हैं, तो महिला हो या पुरुष काला धागा हमेशा ही दाए हाथ में ही बांधना चाहिए।
        • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है की दाहिने हाथ में काला धागा बांधने से जातक की कुंडली / Kundli में मौजूद शनि, राहू और केतु का दोष दूर होता हैं।

        काला धागा किस दिन पहनना चाहिए

        अगर आप काला धागा पहनना चाहते हैं तो आपको शनिवार या मंलवार के दिन काला धागा पहनना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन काला धागा पहनना शुभ माना जाता हैं।

        अगर आप इस दिन काला धागा पहनते हैं तो आपके जीवन में आ रही बाधा दूर होती हैं। इससे आपको खुशियों की प्राप्ति होती हैं। अगर आप मंगलवार के दिन काला धागा बांधते हैं, तो इससे आपके जीवन में चल रही सभी प्रकार की आर्थिक समस्या खत्म हो जाती हैं।

        इसके अलावा अगर आप शनिवार के दिन काला धागा बांधते हैं, तो इससे आपके जीवन में चल रहा शनि दोष दूर होता हैं। अगर आपके जीवन में शनि देवता का बुरा प्रभाव बना हुआ हैं तो ऐसे में आपको शनिवार के दिन शनि देवता की पूजा अर्चना करने के बाद काला धागा बांधना चाहिए।



        पैर में काला धागा बांधना से क्या होता है

        शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की पैर में काला धागा बांधने से राहू और केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। अगर आपके जीवन में राहू और केतु के कारण दोष उत्पन्न हो रहे हैं, तो आपको पैर में काला धागा बांधना चाहिए। इससे आपको अवश्य ही राहू केतु के दोष से मुक्ति मिलती हैं और आपको सुख की प्राप्ति होती हैं।

        निष्कर्ष

        दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से काला धागा बांधने का तरीका बताया है। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं।

        हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे। ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके।

        दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह काला धागा बांधने का तरीका, मंत्र तथा फायदे ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

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        जानिए तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं | तुलसी का पौधा घर में लगाने के नियम

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        तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं – हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र माना जाता हैं। तुलसी को घर के आंगन में लगाया जाता है जिस से घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती हैं। तुलसी हिंदू शास्त्र में अच्छा तो माना जाता ही है लेकिन तुलसी में बहुत से औषधीय गुण होते हैं। इसलिए अधिकतर घरो में तुलसी का पौधा पाया जाता हैं।

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        तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं | तुलसी का पौधा घर में लगाने के नियम

          दोस्तों आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से आपको बताएगे की तुलसी का पौधा किसी से उपहार में लेना या किसी को उपहार में देना अच्छा है या नही। इस बारे में बताएगे तथा किन लोगो को तुलसी का पौधा घर में नही रखना चाहिए इसके बारे में भी चर्चा करेंगे, तो आप इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े।

          तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं | तुलसी का पौधा उपहार में लेना लेना चाहिए

          उपहार लेना और देना भारत में प्राचीन समय से चला आ रहा हैं। उपहार लेने देने से एक दुसरे के प्रति स्नेह और प्रेम बढ़ता हैं। लेकिन कई बार उपहार देने वाले नकारात्मक ऊर्जा आप के लिए बुरे अनुभव का कारण बन सकते हैं। इसलिए कुछ वस्तु को उपहार में लेने से नकारात्क ऊर्जा फैलती हैं। इन्ही में से एक है तुलसी का पौधा इसे भले ही पूजनीय माना जाता है लेकिन उपहार के तौर पर लेना या स्वीकार करना आप के लिए नकारात्मक प्रभाव वाला हो सकता हैं।

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          तुलसी का पौधा घर में लगाने के नियम

          तुलसी का पौधा ज्यादातर हिंदू घरों में पाया जाता हैं। जिसे भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता हैं। जिस घर में श्री कृष्ण की पूजा की जाती है उस घर में तुलसी का पौधा ज़रूर पाया जाता है क्योंकि श्री कृष्ण का कोई भी भोग तुलसी के बिना नही लग सकता हैं। इन घरो में श्री कृष्ण की पूजा के साथ तुलसी की भी पूजा की जाती हैं।

          कई लोग सुबह या शाम के समय तुलसी के सामने घी का दीपक जलाते हैं। लेकिन तुलसी का पौधा सभी के लिए शुभ नही होता हैं। तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाने के लिए कुछ नियम का पालन करना जरूरी होता हैं। अगर नियम का पालन करे बिना तुलसी का पौधा घर में लगाया जाए तो आपको हानि भी हो सकती हैं।

          तो आइए जानते है किन लोगो को तुलसी का पौधा घर में नही लगाना चाहिए और इसे लगाते समय किस बातों का ध्यान रखना चाहिए।

          • जिन लोगो के घर में मांस का सेवन होता हो उन लोगो को तुलसी नही रखनी चाहिए क्योंकि तुलसी को परम वैष्णव माना गया है। भगवान विष्णु या श्री कृष्ण के पूजन में तामसिक चीजों का इस्तेमाल नही होता उनकी पूजा सात्विक तरीके से की जाती हैं। इसलिए मांस खाने वाले तुलसी का पौधा अपने आंगन में नही लगा सकते हैं।
          • जो लोग मदिरा या शराब का सेवन करते है उन लोगो को तुलसी अपने घर में नही रखनी चाहिए। शराब पीने वाले घर में तुलसी लाभ की जगह हानि ही पहुंचाती हैं क्योंकि तुलसी को परम वैष्णव माना जाता हैं। इसलिए तुलसी को यह सभी चीजों से दूर रखने में ही भलाई हैं।
          • तुलसी को दक्षिण दिशा में नही रखना चाहिए क्योंकि इस दिशा में स्थापित तुलसी अशुभ फल देती हैं। तुलसी को हमेशा उत्तर दिशा की तरफ लगाए जिसे बुध की दिशा मानी जाती है इस दिशा में लगाने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
          • तुलसी को कभी भी जमीन में नहीं लगाना चाहिए तुलसी को हमेशा गमले में लगाना चाहिए। तुलसी को जमीन में लगाने से वह अशुभ फल देना शुरू कर देती है जिसकी असर घर के सदस्यों के सेहत पर पड़ती हैं।
          • दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में तुलसी को स्थापित नही करना चाहिए। इस दिशा में रखी गई तुलसी धन की समस्या पैदा करती है तथा घर में लाभ होने वाले कार्य कम हो जाते हैं।
          • तुलसी को छत पर नही लगाना चाहिए इस से बुध ग्रह खराब होता है इसके कारण व्यक्ति के जीवन में मानसिक विकार आने लगते हैं। तुलसी को अंडरग्राउंड भी नही लगाना चाहिए इस से घर में रोग और विकार जन्म लेते हैं। तुलसी को हमेशा घर के आंगन में या फिर केंद्र में तथा पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए इस से ज्यादा लाभ होगा।
          • तुलसी की पूजा रविवार के दिन नही करनी चाहिए तथा इस दिन तुलसी के पत्तो को भी नही तोडना चाहिए। बाकी के दिनों में भी सूर्यास्त होने के बाद तुलसी के पत्ते नही तोड़ने चाहिए।
          • तुलसी को नैऋत्य कोण में भी लगाना अशुभ माना जाता है इस दिशा में लगाई तुलसी अधर्म को जन्म देती हैं।


          निष्कर्ष

          दोस्तों आज हमने इस ब्लॉग में तुलसी का पौधा किसी को देना चाहिए या नहीं | तुलसी का पौधा घर में लगाने के नियम के माध्यम से आपको तुलसी को उपहार में लेना अच्छा नहीं माना जाता है यह बताया तथा किन लोगो को अपने घर में तुलसी नहीं लगानी चाहिए। और तुलसी लगाते समय किन नियम का पालन करना जरुरी है। यह सभी जानकारी आपको प्रदान की हैं।

          अगर आपको भी अपने घर में तुलसी लगानी है तो हमारे ब्लॉग में लिखी बाते ध्यान में रखके तुलसी स्थापित करे जिससे आपको काफी लाभ होगा और आपके कार्य शुभ होगे। दोस्तों आशा करते है आपको हमारा यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

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          सोमवार

          क्या आप जानना चाहते है कि Vastu Shastra के अनुसार Ghar की लम्बाई चौड़ाई कितनी होनी चाहिए – आज भी वास्तु शास्त्र का महत्व उतना ही है, जितना कि प्राचीन काल में था। प्राचीन काल में लोग वास्तु शास्त्र को महत्वपूर्ण मानते थे और इसे अपनाते थे। आजकल भी कई लोग वास्तु शास्त्र को महत्वपूर्ण सिद्ध करते हैं, क्योंकि इसके अनुसार घर की योजना बनाने से हमारा जीवन सुखद और समृद्धि युक्त होता है।

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            और अगर घर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं किया जाता है, तो घर के सदस्यों को दुखों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, लोग जब भी घर बनवाते हैं, तो वे वास्तु शास्त्र एक्सपर्ट से सलाह/Advice from Vastu Shastra Expert लेते हैं और उनके सुझावों के अनुसार ही घर का निर्माण करवाते हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से वास्तु शास्त्र से संबंधित कुछ ऐसी बातों पर चर्चा करेंगे। इसलिए, हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें।

            दोस्तों, आज हम इस post के माध्यम से बताएंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार एक घर की लम्बाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए। इसके अलावा, जब आप ज़मीन या प्लाट खरीदने का निर्णय लेने के लिए तैयार हों, तो ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण वास्तु शास्त्रिक बिंदुओं के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे। तो चलिए, हम आपको इस विषय में पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

            Vastu Shastra के अनुसार घर की लम्बाई चौड़ाई कितनी होनी चाहिए

            आस per वास्तु शास्त्र, घर की लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 2:1 से अधिक नहीं होना चाहिए। आपके घर का अनुपात 2:1 से कम होना चाहिए, क्योंकि इससे अधिक अनुपात वास्तु शास्त्र के अनुसार उचित नहीं माना जाता है।



            जाने Vastu Shastra के महत्वपूर्ण बिंदु जमीन या प्लाट खरीदने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें

            जब भी आप ज़मीन या प्लॉट खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है।

            आपको ज़मीन या प्लॉट खरीदने से पहले ध्यान में रखने योग्य महत्वपूर्ण वास्तु शास्त्र के कुछ पहलुओं को हम नीचे विवरण कर रहे हैं।

            • जब आप ज़मीन या प्लॉट खरीदते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपकी ज़मीन के आसपास कोई मंदिर नहीं है। अगर कोई मंदिर है, तो न तो आपको मंदिर के पीछे ना खरीदना चाहिए और न ही मंदिर के दाएं, बाएं, या सामने की साइड पर। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आप ज़मीन या प्लॉट सुरक्षित हैं।
            • जब आपकी ज़मीन या प्लॉट मंदिर के पास होती है, तो उसे अत्युत्तम माना जाता है। अगर मंदिर से थोड़ा दूर प्लॉट है, तो इसे मध्यम उत्तम माना जाता है। और जब ज़मीन और प्लॉट के आसपास मंदिर नहीं हैं, तो इसे निम्न माना जाता है।
            • जब आप ज़मीन या प्लॉट खरीद रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि ज़मीन त्रिकोणाकारी आकार में नहीं होनी चाहिए। त्रिकोणाकारी ज़मीन वास्तु शास्त्र के हिसाब से अशुभ मानी जाती है।
            • जिस ज़मीन को आप खरीदना चाहते हैं, उसके सामने से अगर तीन रास्ते निकल रहे हैं, तो इस तरह की ज़मीन से बचना चाहिए।
            • यदि आप किसी पहाड़ी क्षेत्र में जमीन और प्लॉट खरीद रहे हैं, तो पहाड़ के उत्तर साइड में जमीन खरीदना उत्तम माना जाता है।
            • आपकी ज़मीन के सामने कोई भी खंभा न हो, ऐसी ज़मीन खरीदनी चाहिए।
            • जो भी ज़मीन आप खरीदते हैं, ध्यान रखें कि वह वर्गाकार हो, अर्थात ज़मीन की लम्बाई और चौड़ाई बराबर हों, और ज़मीन के कोने समकोणीय हों। वर्गाकार ज़मीन सबसे उत्तम और बेहतरीन मानी जाती है।
            • आप यदि चाहें, तो आयातकार ज़मीन भी खरीद सकते हैं, जिसकी चौड़ाई एक समान हो और कोने 90 डिग्री होते हैं। ऐसी ज़मीन आयातकार ज़मीन कहलाती है। इस प्रकार की ज़मीन खरीदने पर आपके लिए शुभ हो सकता है।
            • जमीन या प्लाट को हमेशा शहर की पूर्व, पश्चिम, या उत्तर दिशा में खरीदें। इस दिशा को शुभ माना जाता है।

            तो जमीन खरीदने से पहले वास्तु शास्त्र के इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जमीन या प्लॉट खरीदें। इस प्रकार की जमीन पर आप अगर घर, ऑफिस, फैक्ट्री आदि का निर्माण करवाते हैं, तो यह शुभ फलदायी हो सकती है।

            निष्कर्ष

            मित्रोँ, आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताया है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की लम्बाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए। इसके अलावा, जब आप जमीन या प्लाट खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले ध्यान में रखने वाले महत्वपूर्ण वास्तु शास्त्र के बिंदुओं की भी चर्चा की है।

            हम उम्मीद करते हैं कि आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी सिद्ध हुआ होगा। अगर आपको यह उपयोगी लगा है, तो कृपया इसे आगे शेयर करें। मित्रोँ, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की लंबाई-चौड़ाई कितनी होनी चाहिए आर्टिकल अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

            FAQs

            Ghar की लम्बाई चौड़ाई का महत्व होता है वास्तु शास्त्र में?

            वास्तु शास्त्र के अनुसार, गृह की लम्बाई और चौड़ाई का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस सवाल में, गृह की लम्बाई चौड़ाई का महत्व और उसका सीधा सम्बंध वास्तु शास्त्र से होने चाहिए।

            गृह की लम्बाई चौड़ाई का आधार वास्तु शास्त्र में क्या होता है?

            इस सवाल में, वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह की लम्बाई और चौड़ाई को मापन करने के लिए कौन-कौन से मापदंडों का पालन करना चाहिए, उसका विवेचन होना चाहिए।

            Ghar की उचित लम्बाई चौड़ाई से कैसे जुड़ा होता है सुख-शांति?

            यहां, गृह की सही लम्बाई चौड़ाई से जुड़े सुख और शांति के सिद्धांतों पर चर्चा होनी चाहिए, जो व्यक्ति और परिवार के लिए कैसे लाभकारी हो सकते हैं।

            गृह की लम्बाई चौड़ाई में वास्तु शास्त्र के अनुसार किस प्रकार की बदलाव की जा सकती है?

            इस सवाल में, गृह की लम्बाई चौड़ाई में विभिन्न वास्तु उपायों और बदलावों का विचार करना चाहिए, जिनसे गृह की ऊर्जा को सुधारा जा सकता है।

            Vastu Shastra के अनुसार गृह की लम्बाई चौड़ाई का मापन कैसे किया जाता है?

            इस आधार पर, गृह की लम्बाई चौड़ाई का सही रूप से मापन करने के लिए वास्तु शास्त्रीय सिद्धांतों और तकनीकों की चर्चा होनी चाहिए।

            जानिए अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय | घर में धन प्राप्ति के उपाय

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            अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय - आज के समय में धन का होना बहुत ही जरूरी हो गया हैं। अगर हमारे पास धन नहीं है तो हम हमारी जरूरत की वस्तु भी नहीं खरीद सकते हैं। धन से ही जीवन चलता है ऐसा मानो तो भी कोई गलत बात नहीं है। लेकिन काफी बार हम इतनी बड़ी समस्या में फंस जाते है, की हमे अति शीघ्र धन की जरूरत पड जाती हैं।

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            जानिए अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय

              अर्थात हमे धन नहीं मिला तो हमारा सारा काम बिगड़ सकता हैं। यह समस्या काफी लोगो की हैं। अगर आपकी भी यही समस्या है। आप भी अति शीघ्र धन प्राप्त करना चाहते है, तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े, क्योंकि हम अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय बताने वाले हैं। 

              दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय तथा घर में धन प्राप्ति के उपाय बताने वाले हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान करेगे। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

              ये भी पढ़े: शिवलिंग पर इलायची चढ़ाने के फायदे

              अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय

              अगर आप अति शीघ्र धन की प्राप्ति चाहते है, तो नीचे दिया गया उपाय श्रद्धा पूर्वक करे:

              • अति शीघ्र धन प्राप्ति के लिए सबसे पहले आपको शुक्रवार के दिन का चयन करना होगा। यह उपाय आपको सिर्फ शुक्रवार के दिन रात्रि के समय करना हैं।
              • शुक्रवार को रात्रि के समय आपके घर के मंदिर के पास या फिर घर के किसी भी पवित्र स्थल पर आसन बिछाकर बैठ जाए।
              • अब माता लक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना करे। इसके पश्चात 7 बती वाला घी का दीपक जलाए।
              • अब माता लक्ष्मी से अपने मन की इच्छा कहे तथा माता लक्ष्मी से प्रार्थना करे।
              • सिर्फ इतना करने से माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न हो जाएगी। यह उपाय करने के पश्चात आपको अति शीघ्र धन की प्राप्ति हो सकती हैं कही से भी अचानक आपको धन की प्राप्ति हो सकती हैं।


              घर में धन प्राप्ति के उपाय

              घर में धन प्राप्ति के लिए निम्नलिखित उपाय करे। जिससे आपको अपार धन की प्राप्ति हो सकती हैं:

              • विष्णु जी और महालक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने से धन की प्राप्ति होती हैं।
              • घर में साफ़-सुफाई रखने से माता लक्ष्मी हमारे घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए घर में धन प्राप्ति के लिए हमेशा घर को साफ़ रख।
              • धन प्राप्ति के लिए घर के किसी भी आसपास के मंदिर में रोजाना दीपक जला।
              • श्रीसूक्त का पाठ करने से अपार धन की प्राप्ति होती है।
              • कनकधार स्तोत्र का पाठ करने से भी घर में धन की प्राप्ति होती है।
              • अगर घर में धन की प्राप्ति चाहते हैं तो किसी की भी बुराई करने से बचना चाहिए। किसी की बुराई करने से धन में कमी आती है।

              लाल किताब में धन प्राप्ति के उपाय

              लाल किताब के अनुसार धन प्राप्ति के लिए अपनी अलमारी में चांदी की गोली या चांदी का हाथी रख दे। यह उपाय करने से पहले माता लक्ष्मी के सामने इन वस्तु को रखे। इसके पश्चात माता लक्ष्मी से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे। यह उपाय करने के पश्चात धन की प्राप्ति होने लगेगी।

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              रविवार धन प्राप्ति के उपाय

              रविवार को धन प्राप्ति के कुछ उपाय हमने नीचे बताए हैं:

              • अगर आप रविवार के दिन शाम के समय दीपक के पेड़ के नीचे चार मुखी बाती वाला दीपक जलाते हैं, तो यह उपाय करने से अवश्य ही धन की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा जातक के मान-सम्मान में भी वृद्धि होती हैं।
              • वैसे तो हम सभी लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन उनकी आराधना करते हैं, लेकिन अगर रविवार के दिन शनिदेव की आराधना की जाए, तो शनिदेव आप पर अतिप्रसन्न होते हैं और आपको धन की प्राप्ति कराते हैं।
              • काले तिल, काली उडद दाल तथा काले वस्त्र का रविवार के दिन दान करने से धन की प्राप्ति होती है।

              निष्कर्ष

              दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय तथा घर में धन प्राप्ति के उपाय बताए हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ है, तो आगे जरुर शेयर करे।

              हम आशा करते है की आपको हमारा यह अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय - घर में धन प्राप्ति के उपाय ब्लॉग अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

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