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Griha Pravesh Muhurat 2026: जानें साल 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त, प्रवेश तिथि लिस्ट यहाँ देखें!

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बुधवार

क्या आपने हाल ही में नया घर खरीदा है और अब गृह प्रवेश के शुभ समय की तलाश में हैं? या आप जानना चाहते हैं कि वर्ष 2026 में गृह प्रवेश के लिए कौन-सा मुहूर्त सबसे उचित रहेगा? सही शुभ मुहूर्त की जानकारी आपके नए घर में मंगलमय प्रवेश के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है।

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Griha Pravesh Muhurat in 2026: क्या आप 2026 में अपने नए घर में प्रवेश की योजना बना रहे हैं और यह जानने को उत्सुक हैं कि गृह प्रवेश के लिए कौन-से दिन सबसे शुभ रहेंगे? यदि हां, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। हिंदू परंपरा में गृह प्रवेश एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है, जिसे शुभ मुहूर्त पर करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

साल 2026 में गृह प्रवेश के लिए कई शुभ तिथियाँ मिलेंगी, लेकिन हर घर और परिवार के लिए एक ही मुहूर्त उचित नहीं होता। शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त का चयन पंचांग, नक्षत्र, वार, तिथि और लग्न को ध्यान में रखकर किया जाता है। विशेष रूप से जब घर नया बना हो या हाल ही में खरीदा गया हो, तो वास्तु दोष और ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए शुभ दिन पर गृह प्रवेश करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

इस लेख में हम आपके लिए वर्ष 2026 के सभी शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त / kab karen griha pravesh प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि आप पहले से अपनी योजनाएँ बना सकें और नए घर की शुरुआत शुभता, समृद्धि और मंगलमय वातावरण के साथ कर सकें।

गृह प्रवेश क्या होता है? What is Griha Pravesh

गृह प्रवेश वह महत्वपूर्ण संस्कार है, जब कोई परिवार अपने नए घर में पहली बार प्रवेश करता है। यह केवल एक पारंपरिक रीति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान है, जिसका उद्देश्य नए घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि का स्वागत करना होता है।

हिंदू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि नए घर में प्रवेश करने से पूर्व विशेष पूजन, हवन और देवताओं की आराधना करना आवश्यक माना जाता है। इसी प्रक्रिया को गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है। इसे संपन्न करने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं, नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और परिवार के जीवन में सुख-समृद्धि आने का मार्ग प्रशस्त होता है।

गृह प्रवेश के सामान्यतः तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं:

  1. अपूर्व गृह प्रवेश – जब कोई परिवार पहली बार नए घर में प्रवेश करता है।
  2. सपुर्व गृह प्रवेश – जब पहले से बसे हुए घर में कुछ समय बाहर रहने के बाद पुनः प्रवेश किया जाता है।
  3. द्वितीयक गृह प्रवेश – किसी विशेष कारण, जैसे पुनर्निर्माण या मरम्मत के उपरांत, घर में दोबारा प्रवेश करना।

गृह प्रवेश सदैव शुभ मुहूर्त में किया जाता है, ताकि नए जीवन की शुरुआत मंगलमय हो और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास हो।

गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त 2026: Grih Pravesh Shubh Muhurat 2026

2026 Kab Hai Griha Pravesh Muhurat: यदि आप गृह प्रवेश समारोह की योजना बना रहे हैं, तो 2026 का गृह प्रवेश मुहूर्त (Griha Pravesh Muhurat 2026) आपके लिए शुभ साबित हो सकता है। किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह लेकर, आप आने वाले वर्ष में गृह प्रवेश के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त और अनुकूल नक्षत्र चुन सकते हैं।

जनवरी 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: January Griha Pravesh Muhurat 2026

  • धार्मिक परंपराओं के अनुसार, जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल न हो, तब गृह प्रवेश करना उचित नहीं माना जाता। इसी कारण वर्ष 2026 के इन महीनों में नक्षत्रों की अशुभ स्थिति के चलते कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

फरवरी 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: February Griha Pravesh Muhurat 2026

यदि आप फरवरी 2026 में नए घर में प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह महीना आपके लिए कई शुभ अवसर लेकर आ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फरवरी में गृह प्रवेश के लिए कुल 7 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जो चित्रा, हस्त, ज्येष्ठा, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, रेवती और मृगशिरा जैसे नक्षत्रों में मिलते हैं। 6 फरवरी से 26 फरवरी 2026 के बीच विभिन्न तिथियों पर गृह प्रवेश करना शुभ रहेगा। वास्तु के अनुसार सही समय चुनने के लिए नीचे दिए गए मुहूर्त आपकी मदद करेंगे।

फरवरी 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (February Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 6 फरवरी 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 12:23 बजे से 7 फरवरी तड़के 1:18 बजे तक — नक्षत्र: चित्रा, हस्त, तिथि: षष्ठी, पञ्चमी
  • 11 फरवरी 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 9:58 बजे से 10:53 बजे तक — नक्षत्र: ज्येष्ठा, अनुराधा, तिथि: दशमी, नवमी
  • 19 फरवरी 2026, गुरुवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 8:52 बजे से 20 फरवरी सुबह 6:55 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, तिथि: तृतीया
  • 20 फरवरी 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:55 बजे से दोपहर 2:38 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, तिथि: तृतीया
  • 21 फरवरी 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त:  दोपहर 1:00 बजे से शाम 7:07 बजे तक — नक्षत्र: रेवती, तिथि: पञ्चमी
  • 25 फरवरी 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 2:40 बजे से 26 फरवरी सुबह 6:49 बजे तक — नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: दशमी
  • 26 फरवरी 2026, बृहस्पतिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:49 बजे से दोपहर 12:11 बजे तक — नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: दशमी

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मार्च 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: March Griha Pravesh Muhurat 2026

क्या मार्च 2026 में गृह प्रवेश का सपना पूरा करना चाहते हैं? आपके लिए अच्छी खबर है! इस महीने हिंदू पंचांग के अनुसार कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जो गृह प्रवेश के लिए अत्यंत उपयुक्त माने जाते हैं। विशेषकर उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा और उत्तराषाढ़ा जैसे शुभ नक्षत्रों में आने वाले ये मुहूर्त न केवल ज्योतिषीय दृष्टि से श्रेष्ठ हैं, बल्कि सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का भी संकेत देते हैं। यदि आप नए घर में शुभ समय पर प्रवेश करना चाहते हैं, तो 4 मार्च से 14 मार्च 2026 तक ये मुहूर्त आपके लिए बेहद लाभकारी होंगे। नीचे दिए गए समय और तिथियों को ध्यान से देखें और वास्तु तथा ज्योतिष के अनुसार अपने गृह प्रवेश की योजना बनाएं।

मार्च 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (March Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 4 मार्च 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 7:39 बजे से 5 मार्च सुबह 6:42 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी, तिथि: प्रतिपदा, द्वितीया
  • 5 मार्च 2026, गुरुवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:42 बजे से 8:17 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी, तिथि: द्वितीया
  • 6 मार्च 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 9:29 बजे से शाम 5:53 बजे तक — नक्षत्र: चित्रा, तिथि: तृतीया
  • 9 मार्च 2026, सोमवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 11:27 बजे से 10 मार्च सुबह 6:37 बजे तक — नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: सप्तमी
  • 13 मार्च 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 3:03 बजे से 14 मार्च सुबह 6:32 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: दशमी
  • 14 मार्च 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:32 बजे से 15 मार्च तड़के 4:49 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: दशमी, एकादशी

अप्रैल 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: April Griha Pravesh Muhurat 2026

यदि आप अप्रैल 2026 में नए घर में प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। 20 अप्रैल 2026, सोमवार को एक शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त है, जो रोहिणी नक्षत्र में आता है। रोहिणी चंद्रमा का बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है और यह गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

अप्रैल 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (April Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 20 अप्रैल 2026, सोमवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:51 बजे से 7:27 बजे तक — नक्षत्र: रोहिणी, तिथि: तृतीया

मई 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: May Griha Pravesh Muhurat 2026

यदि आप मई 2026 में नए घर में गृह प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह महीना आपके लिए कई शुभ अवसर लेकर आया है। पंचांग के अनुसार, मई में कुल तीन शुभ तिथियां—4 मई, 8 मई और 13 मई 2026—गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त हैं। इन दिन आने वाले नक्षत्र जैसे अनुराधा, उत्तराषाढा और उत्तरभाद्रपद गृह प्रवेश के लिए अत्यंत फलदायक माने जाते हैं। नीचे दिए गए मुहूर्तों में से आप अपना सर्वश्रेष्ठ समय चुनकर नए घर में सौभाग्य के साथ प्रवेश कर सकते हैं।

मई 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (May Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 4 मई 2026, सोमवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:38 बजे से 9:58 बजे तक — नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: तृतीया
  • 8 मई 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:21 बजे से रात 9:20 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: सप्तमी
  • 13 मई 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:32 बजे से दोपहर 1:29 बजे तक — नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, तिथि: एकादशी

जून 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: June Griha Pravesh Muhurat 2026

यदि जून 2026 में नए घर में गृह प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह महीना कई शुभ तिथियां लेकर आया है। 24, 26 और 27 जून को चित्रा और अनुराधा नक्षत्र में विशेष गृह प्रवेश मुहूर्त बनेंगे, जो पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माने जाते हैं। चाहे सुबह हो या रात, इन तारीखों पर आपको वास्तु और ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार उत्तम समय मिलेगा। नीचे दिए गए विवरण के आधार पर सही मुहूर्त चुनकर नए घर में शुभता के साथ प्रवेश करें।

जून 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (June Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 24 जून 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:25 बजे से दोपहर 1:59 बजे तक — नक्षत्र: चित्रा, तिथि: दशमी
  • 26 जून 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 10:22 बजे से 27 जून सुबह 5:25 बजे तक — नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: त्रयोदशी
  • 27 जून 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:25 बजे से रात 10:11 बजे तक — नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: त्रयोदशी

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जुलाई 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: July Griha Pravesh Muhurat 2026

जुलाई 2026 में नए घर में गृह प्रवेश का सपना पूरा करने वालों के लिए यह महीना शुभ अवसर लेकर आया है। पंचांग के अनुसार, 1, 2 और 6 जुलाई को उत्तराषाढा और उत्तर भाद्रपद नक्षत्रों में खास गृह प्रवेश मुहूर्त बनेंगे। ये नक्षत्र स्थिरता, सुख और समृद्धि देने वाले माने जाते हैं, इसलिए इस समय गृह प्रवेश विशेष रूप से फलदायी होगा। नए घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ प्रवेश करने के लिए नीचे दिए गए शुभ समय का लाभ जरूर उठाएं।

जुलाई 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (July Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 1 जुलाई 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:51 बजे से 2 जुलाई सुबह 5:27 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: द्वितीया
  • 2 जुलाई 2026, बृहस्पतिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 5:27 बजे से 9:27 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: द्वितीया
  • 6 जुलाई 2026, सोमवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: दोपहर 4:07 बजे से 7 जुलाई सुबह 5:29 बजे तक — नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, तिथि: सप्तमी

अगस्त 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: August Griha Pravesh Muhurat 2026

  • अगस्त 2026 में गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ समय उपलब्ध नहीं है।

सितंबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: September Griha Pravesh Muhurat 2026

  • सितंबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ समय उपलब्ध नहीं है।

अक्टूबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: October Griha Pravesh Muhurat 2026

  • अक्टूबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ समय उपलब्ध नहीं है।

नवंबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: November Griha Pravesh Muhurat 2026

यदि नवम्बर 2026 में नए घर में गृह प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह महीना आपके लिए खास होगा। पंचांग के अनुसार, नवम्बर में कुल 6 शुभ तिथियां—11, 14, 20, 21, 25 और 26 नवम्बर—गृह प्रवेश के लिए उपलब्ध हैं। इन तिथियों में अनुराधा, उत्तराषाढा, उत्तर भाद्रपद, अश्विनी, रेवती, रोहिणी और मृगशिरा जैसे शुभ नक्षत्र बन रहे हैं, जो गृह प्रवेश के लिए बेहद मंगलकारी माने जाते हैं। नए घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के साथ प्रवेश के लिए नीचे दिए गए शुभ मुहूर्तों की मदद से उपयुक्त तिथि चुन सकते हैं।

नवंबर 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (November Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 11 नवम्बर 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:40 बजे से 11:38 बजे तक — नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: द्वितीया
  • 14 नवम्बर 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 8:24 बजे से 11:23 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: पञ्चमी
  • 20 नवम्बर 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:56 बजे से 21 नवम्बर सुबह 6:31 बजे तक — नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, तिथि: एकादशी
  • 21 नवम्बर 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 4:56 बजे से 22 नवम्बर सुबह 5:54 बजे तक — नक्षत्र: अश्विनी, रेवती, तिथि: त्रयोदशी, द्वादशी
  • 25 नवम्बर 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:52 बजे से 26 नवम्बर सुबह 6:53 बजे तक — नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा, तिथि: प्रतिपदा, द्वितीया
  • 26 नवम्बर 2026, गुरुवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:52 बजे से शाम 5:47 बजे तक — नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: द्वितीया, तृतीया

दिसंबर 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त: December Griha Pravesh Muhurat 2026

दिसंबर 2026 में नया घर लेने या गृह प्रवेश की योजना बनाने वालों के लिए यह महीना अत्यंत शुभ रहेगा। पंचांग के अनुसार, दिसंबर में कुल 8 शुभ तिथियां—2, 3, 4, 11, 12, 18, 19 और 30 दिसंबर—गृह प्रवेश के लिए उपलब्ध हैं। इन तिथियों पर उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, उत्तराषाढ़ा और रेवती जैसे शुभ नक्षत्र बनेंगे, जो गृह प्रवेश के लिए अत्यंत फलदायक माने जाते हैं। यदि आप अपने नए घर में सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो नीचे दिए गए मुहूर्तों में से उचित समय चुन सकते हैं।

दिसंबर 2026 के लिए शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त की जांच यहां करें: (December Grih Pravesh Shubh Muhurat)

  • 2 दिसंबर 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 10:51 बजे से 3 दिसंबर सुबह 6:58 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी, तिथि: दशमी
  • 3 दिसंबर 2026, गुरुवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 6:58 बजे से 9:23 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी, तिथि: दशमी
  • 4 दिसंबर 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 10:22 बजे से रात 11:44 बजे तक — नक्षत्र: चित्रा, तिथि: एकादशी
  • 11 दिसंबर 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 3:04 बजे से 12 दिसंबर सुबह 7:04 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: तृतीया
  • 12 दिसंबर 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 7:04 बजे से दोपहर 2:06 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: तृतीया
  • 18 दिसंबर 2026, शुक्रवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: रात 11:14 बजे से 19 दिसंबर सुबह 7:09 बजे तक — नक्षत्र: रेवती, तिथि: दशमी
  • 19 दिसंबर 2026, शनिवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 7:09 बजे से दोपहर 3:58 बजे तक — नक्षत्र: रेवती, तिथि: दशमी
  • 30 दिसंबर 2026, बुधवार, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त: सुबह 7:13 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक — नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी, तिथि: सप्तमी

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गृह प्रवेश के लिए शुभ महीने

  • माघ (जनवरी–फरवरी): धन लाभ के लिए शुभ।
  • फाल्गुन (फरवरी–मार्च): संतान सुख और आर्थिक उन्नति का कारक।
  • बैशाख (अप्रैल–मई): समृद्धि तथा धन वृद्धि प्रदान करने वाला।
  • ज्येष्ठ (मई–जून): पशुधन व संपत्ति के लिए मंगलकारी।

गृह प्रवेश हेतु अशुभ महीने

  • आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और पौष

गृह प्रवेश का महत्व – सरल और सहज भाषा में

घर बनाना या खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है, क्योंकि यह खुशियों, तरक्की और नए जीवन के सफर की शुरुआत का प्रतीक है। जब आप पहली बार अपने नए घर में प्रवेश करते हैं, तो इसे 'गृह प्रवेश' कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस परंपरा को अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है।

2026 वर्ष के लिए गृह प्रवेश के अनुकूल शुभ नक्षत्र

  • रोहिणी – यह शुभ नक्षत्र समृद्धि और वृद्धि का प्रतीक है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल है।
  • मृगशिरा – यह नक्षत्र घर में शांति और सौहार्द लाने वाला माना जाता है।
  • उत्तर फाल्गुनी – यह नक्षत्र स्थिरता और सौभाग्य प्रदान करता है।
  • चित्रा – यह नक्षत्र रचनात्मकता, धन और समृद्धि आकर्षित करता है।
  • रेवती – यह नक्षत्र खुशी, संपन्नता और समग्र कल्याण लाने वाला होता है।
  • उत्तराषाढ़ा – यह नक्षत्र सफलता, धन और दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करता है।
  • अनुराधा – यह नक्षत्र लंबे समय तक चलने वाले संबंधों और घरेलू सफलता को बढ़ावा देता है।

गृह प्रवेश को तभी मंगलकारी माना जाता है, जब नक्षत्र शुभ स्थिति में हों। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र हैं, जो चंद्रमा की विभिन्न राशियों में विद्यमान रहते हैं। चंद्रमा प्रत्येक नक्षत्र में लगभग एक दिन का समय व्यतीत करता है। पंचांग और हिंदू कैलेंडर में नक्षत्रों का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि इनके आधार पर ही शुभ मुहूर्त निर्धारित किए जाते हैं।

ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार, गृह प्रवेश व पूजा उन्हीं नक्षत्रों में करना शुभ होता है, जो अनुकूल हों, ताकि घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा स्थापित हो सके।

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गृह प्रवेश पूजन का महत्व

हिंदू परंपरा में, नए घर में प्रवेश से पहले गृह प्रवेश पूजन करना आवश्यक माना गया है। ‘गृह प्रवेश’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ‘गृह’ अर्थात् घर और ‘प्रवेश’ अर्थात् अंदर प्रवेश करना।

  • वास्तु शास्त्र का महत्व: वास्तु के अनुसार, शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश पूजा करने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और स्थान शुद्ध हो जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा यह पूजा जीवन में केवल एक बार की जाती है।
  • पांच तत्वों का संतुलन: इस पूजन का उद्देश्य पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – इन पांच प्राकृतिक तत्वों के संतुलन को बनाए रखना है। इससे परिवारिक सुख, समृद्धि और घर का वातावरण आनंदमय बनता है।
  • नए घर की पवित्रता: मान्यता है कि घर मात्र एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि एक जीवंत स्वरूप है। गृह प्रवेश पूजा इसे परिवार का हिस्सा बनाती है और सुरक्षा, शांति व खुशहाली सुनिश्चित करती है।
  • नई शुरुआत का प्रतीक: शुभ दिन पर नए घर में प्रवेश और पूजन करना जीवन में सकारात्मकता और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक खुशियों को आमंत्रित करता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का शुद्धिकरण: यह पूजा आध्यात्मिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया भी है, जिसमें मंत्रोच्चार, धूप, कपूर और पवित्र जल से घर को पवित्र किया जाता है। इससे निर्माण कार्य या पूर्व निवासियों की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  • दैवीय शक्तियों का आशीर्वाद: गृह प्रवेश पूजा परिवार को नई यात्रा की शुरुआत, प्रेम और आपसी संबंधों की मजबूती का संकल्प दिलाती है। यह घर में शांति व अच्छे संस्कारों का प्रसार करती है।
  • ज्योतिषीय महत्व: ग्रहों की अनुकूल स्थिति और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है।
  • नक्षत्रों का महत्व: नए घर में प्रवेश तभी शुभ माना जाता है जब नक्षत्र अनुकूल हों। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें चंद्रमा क्रमशः लगभग एक दिन तक निवास करता है। हिंदू पंचांग में इन्हीं नक्षत्रों के आधार पर शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है।

गृह प्रवेश का प्रतीकात्मक महत्व

वास्तु शास्त्र के अनुसार, गृह प्रवेश पूजा के समय देवी-देवताओं को विशेष भेंट अर्पित की जाती है, जिनका अपना प्रतीकात्मक महत्व होता है।

  • नारियल: इसे पवित्रता, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गृह प्रवेश पर द्वार पर नारियल फोड़ने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • चावल और अनाज: चावल पूजा का मुख्य हिस्सा है, जो घर में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक है।
  • पवित्र जल: गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी का जल पूरे घर में छिड़ककर शुद्धि की जाती है।
  • दीये और कपूर: दीया जलाना अंधकार और अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है, वहीं कपूर वातावरण को शुद्ध करता है।
  • फूल: घर में ताजगी और दिव्यता लाने के साथ देवताओं की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
  • दूध और शहद: दूध को शहद के साथ उबालना मिठास, एकता और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक माना जाता है।

गृह प्रवेश में शुभ मुहूर्त और नक्षत्रों का महत्व

नए घर में प्रवेश करने से पहले सही समय का चुनाव करना अत्यंत आवश्यक माना गया है। वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार, गृह प्रवेश तभी किया जाना चाहिए जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। इसके लिए पंचांग देखने या किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श लेना लाभकारी होता है।

जानकारों का मत है कि खरमास, श्राद्ध और चातुर्मास की अवधि गृह प्रवेश के लिए अशुभ मानी जाती है। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों के पंचांग में भिन्नता हो सकती है, इसलिए स्थानीय परंपराओं का भी पालन करना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त, शुभ नक्षत्रों के दौरान गृह प्रवेश करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें चंद्रमा क्रमशः लगभग एक-एक दिन तक निवास करता है। यही नक्षत्र पंचांग का मुख्य आधार होते हैं और इन्हीं के आधार पर शुभ मुहूर्त निर्धारित किए जाते हैं।

गृह प्रवेश क्यों आवश्यक है?

गृह प्रवेश का अर्थ है—घर में रहने से पहले एक विशेष पूजा करना। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त पर घर में प्रवेश करने से वहां सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यदि गलत समय पर प्रवेश किया जाए तो घर में अशांति और बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

किस बातों का रखें ध्यान?

  1. सही समय चुनें: गृह प्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ महीने अत्यंत शुभ माने जाते हैं। जबकि आश्विन, पौष, भाद्रपद, श्रावण और आषाढ़ महीनों में गृह प्रवेश से बचना उचित होता है।
  2. सही दिन और तिथि का चुनाव करें:
    • अमावस्या, पूर्णिमा, पंचक और ग्रहण वाले दिन टालें।
    • शुभ तिथियां हैं—शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी।
    • गृह प्रवेश मंगलवार को नहीं करना चाहिए, और विशेष परिस्थितियों को छोड़कर रविवार और शनिवार भी टालना बेहतर होता है।
  3. शुक्र और गुरु ग्रह के अस्त होने पर गृह प्रवेश करना अशुभ माना जाता है, इसलिए इन ग्रहों की स्थिति की जांच अवश्य करें।

वास्तु शांति के लिए शुभ मुहूर्त चुनने के उपाय

वास्तु शास्त्र के अनुसार, गृह प्रवेश के समय वास्तु शांति पूजा करने से घर के दोष दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। सही वास्तु शांति मुहूर्त चुनने के लिए कुछ विशेष ग्रह स्थितियां इस प्रकार मानी जाती हैं –

  • शुभ योग: यह योग समृद्धि और उन्नति को बढ़ाता है।
  • अमृत सिद्धि योग: सफलता, शांति और सौभाग्य प्रदान करने वाला योग।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: नए कार्यों की शुरुआत और मंगल कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

स्थान और जन्म कुंडली को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त वास्तु शांति मुहूर्त तय करने के लिए किसी योग्य वास्तु विशेषज्ञ या ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होता है।

गृह प्रवेश के दिन क्या-क्या लाना चाहिए?

  • गृह प्रवेश के समय पति-पत्नी के हाथों में चावल, दही, गुड़, हल्दी, नारियल और नारियल का पानी होना चाहिए।
  • घर में सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, और श्री यंत्र लाना आवश्यक है।
  • प्रवेश के दौरान महिला बाएं पैर से और पुरुष दाएं पैर से घर में कदम रखें।

क्या है गृह शांति पूजा?

गृह शांति’ एक संस्कृत पद है, जहाँ ‘गृह’ का अर्थ ग्रह और ‘शांति’ का अर्थ है शांति प्रदान करना। यह पूजा गृह प्रवेश के समय नवग्रहों को शांत करने के उद्देश्य से की जाती है। इसे अक्सर वास्तु शांति पूजा के साथ सम्पन्न किया जाता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और परिवार पर शुभ आशीर्वाद बना रहता है।

गृह शांति पूजन का महत्व

वास्तु शास्त्र के अनुसार, ग्रहों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। गृह प्रवेश और वास्तु शांति पूजा के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित करने में ग्रहों की अनुकूल स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।

  • बृहस्पति (Jupiter): यह ग्रह समृद्धि और विकास का कारक माना जाता है। गृह प्रवेश के समय बृहस्पति वक्री या अशुभ ग्रहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
  • बुध (Mercury): इसकी अनुकूल स्थिति घर में संवाद, सौहार्द और आपसी समझ बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है।
  • मंगल (Mars): भूमि और निर्माण से संबंधित ग्रह होने के कारण इसकी शुभ स्थिति गृह शांति मुहूर्त के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि घर में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।

पूजा विधि कैसे करें?

  • पूजा के लिए आवश्यक सामग्री: कलश, नारियल, गंगाजल, शुद्ध पानी, हल्दी, कुमकुम, चावल, कपूर, अगरबत्ती, अबीर-गुलाल, दूध, गुड़ आदि।
  • मंगल कलश बनाएं, जिसमें गंगाजल और आम या अशोक के आठ पत्ते रखें। ऊपर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं।
  • कलश को घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें और भगवान गणेश के मंत्र का जाप करें।
  • रसोई में विशेष पूजा करें, वहां पहली बार मीठा बनाएं और पहले भगवान को भोग लगाएं।
  • इसके बाद यह भोजन गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी को दें।
  • जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान करना न भूलें।

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गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त कैसे तय किया जाता है?

गृह प्रवेश का मुहूर्त कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है, जिनमें प्रमुख हैं –

  • तारों और नक्षत्रों का संयोग: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी जैसे कुछ नक्षत्र अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इनकी ऊर्जा घर में सकारात्मक वातावरण और संतुलन स्थापित करने में सहायक होती है।
  • ग्रहों की स्थिति: शुभ मुहूर्त निकालते समय गुरू और शुक्र जैसे मुख्य ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से देखी जाती है। साथ ही, इन ग्रहों के अस्त होने की स्थिति से भी बचा जाता है।
  • शुभ लग्न: परिजनों की कुंडली का लग्न, घर के वास्तु के अनुरूप हो, इसका ध्यान रखा जाता है ताकि घर में ऊर्जा का प्रवाह सहज और लाभदायक हो।
  • सूर्योदय और सूर्यास्त: गृह प्रवेश आमतौर पर सूर्योदय के 4 घंटे बाद या सूर्यास्त से 4 घंटे पहले की अवधि में करना शुभ माना जाता है।
  • सूर्य और चंद्रमा की स्थिति: इन दोनों ग्रहों की स्थिति भी मुहूर्त निर्धारण में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
  • व्यक्ति की कुंडली: कई बार व्यक्ति और घर में रहने वाले अन्य सदस्यों की कुंडली का अध्ययन करके ही अंतिम मुहूर्त निर्धारित किया जाता है।
  • चंद्र कैलेंडर: चंद्र पंचांग के आधार पर शुभ तिथियों का चयन किया जाता है, क्योंकि इसके अनुसार तिथियां बदल सकती हैं।
  • अधिक मास: पंचांग में अतिरिक्त माह (अधिक मास) होने पर शुभ मुहूर्त चयन में विशेष सावधानी रखी जाती है।
  • अधिक मास: यह पंचांग में जुड़ा हुआ एक अतिरिक्त महीना होता है। गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त तय करते समय अधिक मास का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • अनुकूल मुहूर्त चुनते समय उन तिथियों और कालों से अवश्य बचना चाहिए जिन्हें अशुभ माना गया है, जैसे राहुकाल, अमावस्या, भद्रा और ग्रहण काल।

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क्या बसंत पंचमी के दिन गृह प्रवेश करना शुभ माना जाता है?

बसंत पंचमी एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है तथा बसंत ऋतु की शुरुआत का सूचक माना जाता है। इस दिन को नए कार्यों, विशेषकर गृह प्रवेश जैसे मंगलकारी अवसरों की शुरुआत के लिए शुभ समझा जाता है। उचित मुहूर्त के चयन के लिए ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना लाभदायक होता है, जो कुंडली, स्थान एवं अन्य कारकों के आधार पर श्रेष्ठ समय निर्धारित करते हैं।

सबसे शुभ मुहूर्त कौन से होते हैं?

धर्मशास्त्रों में 15 विशेष योग गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ माने गए हैं: रुद्र, श्वेत, मित्र, सार्भट, सावित्र, वैराज, विश्ववसु, अभिजीत, रोहिणी, बाल, विजय, रेणेत, वरुण, सौम्य और भाग।

इन योगों में गृह प्रवेश करने से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

चोघड़िया का खास ध्यान रखें

गृह प्रवेश के लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर चोघड़िया को सबसे शुभ माना जाता है, जबकि उद्वेग, काल और रोग वाले चोघड़िया अशुभ होते हैं।

गृह प्रवेश केवल एक रस्म नहीं, बल्कि ऊर्जा से भरी नई शुरुआत है। यदि सही समय, पूजा और नियमों का पालन किया जाए, तो यह आपके घर को जीवन भर खुशियों और समृद्धि से भर सकता है।

चोघड़िया का महत्व ध्यान रखें

चौघड़िया एक वैदिक पद्धति है, जिसका उपयोग दिन के शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। इसमें पूरे दिन को 7 खंडों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक खंड का प्रभाव अलग-अलग होता है। ये खंड इस प्रकार हैं:

  • शुभ (शुभकारी): इस समय आरंभ किए गए कार्य सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं।
  • लाभ (लाभदायक): यह समय लाभदायक माना जाता है और नए आरंभ, जैसे गृह प्रवेश, के लिए उपयुक्त होता है।
  • अमृत (श्रेष्ठतम): यह सबसे अनुकूल समय होता है, जो सफलता, शांति और सौभाग्य देता है।
  • चल (सामान्य): अन्य विशेष मुहूर्त न मिलने पर गृह प्रवेश के लिए इसे उचित माना जाता है।
  • उद्वेग (अशुभ): इस अवधि में कार्य करने से तनाव और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
  • काल (अशुभ): इस समय कार्यों में रुकावटें और बाधाएं आने की संभावना रहती है।
  • रोग (अशुभ): इस दौरान गृह प्रवेश या पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

घर बदलने के लिए सबसे शुभ दिन

  • सोमवार: सप्ताह के सबसे शुभ दिनों में से एक माने जाने वाला सोमवार चंद्रमा का दिन है। चंद्रमा शांति, स्थिरता और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन घर बदलने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन आता है।
  • बुधवार: बुध ग्रह का दिन रिश्तों में मधुरता और सहज संवाद का द्योतक है। इस दिन गृह प्रवेश से परिवार में सामंजस्य बढ़ता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • गुरुवार: यह दिन बृहस्पति यानी गुरु ग्रह से संबंधित है, जो ज्ञान, धन और दीर्घकालिक सफलता का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार का गृह प्रवेश घर में देवी लक्ष्मी और बुद्धि का वास कराता है।
  • शुक्रवार: शुक्र ग्रह को प्रेम, सौंदर्य और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। शुक्रवार को नए घर में प्रवेश करने से दांपत्य जीवन मधुर बनता है और घर में खुशहाली आती है।
  • रविवार: सूर्य देव का दिन होने के कारण यह आत्मबल, यश और सफलता से जुड़ा हुआ है। रविवार को गृह प्रवेश करने से घर में सौभाग्य, सकारात्मकता और शक्ति का संचार होता है।

घर बदलने के लिए किन दिनों से बचना चाहिए

  • मंगलवार: मंगल ग्रह की प्रबल ऊर्जा से जुड़ा यह दिन गृह प्रवेश के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। इस दिन घर बदलने से कलह और मानसिक तनाव की संभावना बढ़ सकती है।
  • शनिवार: शनिवार शनि ग्रह का दिन है। इस दिन गृह प्रवेश करना उचित नहीं माना जाता क्योंकि यह कार्यों में बाधा, देरी और कठिनाइयों का कारण बन सकता है।

क्या गणेश चतुर्थी के दिन गृह प्रवेश करना शुभ माना जाता है?

भगवान गणेश को नई शुरुआत, सकारात्मक ऊर्जा और घर के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन नई संपत्ति लेना शुभ फलदायक होता है। गृह प्रवेश के समय विघ्नहर्ता गणेश की आराधना करने से नए घर में सुख-समृद्धि और शुभता का वास होता है। परंपरा के अनुसार, नए घर में प्रवेश करते समय गणेश जी की मूर्ति या चित्र लेकर कदम रखना मंगलकारी माना जाता है। उन्हें घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना अत्यंत शुभ होता है। सही गृह प्रवेश मुहूर्त के लिए ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

गृह प्रवेश के समय क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • आम के पत्तों से पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें, ताकि वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाए।
  • घर में प्रवेश से पहले नारियल फोड़ें, क्योंकि यह बाधाओं को दूर करने और शुभ आरंभ का प्रतीक माना जाता है।
  • घर के अंदर प्रवेश करते समय दायां पैर पहले रखें, इसे मंगलकारी माना जाता है।
  • जल से भरे कलश के ऊपर नारियल रखें और उसमें आठ आम के पत्ते लगाकर घर में प्रवेश करें।
  • देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
  • गृह प्रवेश की पूजा सभी परिजनों की उपस्थिति व सकारात्मक भावनाओं के साथ करें।
  • पूजा के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
  • नए घर के पहले दिन रसोई में हरी पत्तेदार सब्जियां और गुड़ अवश्य रखें।

क्या न करें:

  • मंगलवार को गृह प्रवेश की पूजा से बचें। विशेष परिस्थितियों को छोड़कर शनिवार और रविवार को भी यह पूजा वर्जित मानी जाती है।
  • पूजा के दौरान बातचीत न करें और इसे पूर्ण श्रद्धा तथा एकाग्रता के साथ संपन्न करें।

क्या किराए के घर में भी गृह प्रवेश करना आवश्यक है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार किराए के घर में भी गृह प्रवेश पूजा करना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर घर में शांति और सकारात्मकता स्थापित करता है। घर की ऊर्जा को सक्रिय बनाए रखने के लिए हवन करना उत्तम है। यदि विस्तृत पूजा संभव न हो तो एक छोटा-सा पूजन समारोह भी किया जा सकता है।

क्या सावन मास गृह प्रवेश के लिए शुभ महीना है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार सावन माह गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता। हिंदू परंपरा में यह महीना भगवान शिव को समर्पित पवित्र काल होता है और चातुर्मास का हिस्सा है। चातुर्मास की यह अवधि गृह प्रवेश सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती। 

नए घर में दूध उबालने का सही शुभ समय कौन-सा है?

परंपरा के अनुसार नए घर में दूध को तब तक उबालना चाहिए जब तक वह बर्तन से छलक न जाए। दूध का छलकना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह समृद्धि, सौभाग्य और घर में बरकत का प्रतीक है। आमतौर पर गृह प्रवेश के समय दूध उबालने के साथ पूजा और हवन भी किए जाते हैं। ये सभी कार्य पंचांग के अनुसार तय किए गए शुभ मुहूर्त में ही करना उचित होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दूध उबालने का सर्वोत्तम समय वही है जो गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त के अनुरूप हो, और यह प्रायः सुबह ही होता है।

अशुभ गृह प्रवेश मुहूर्त से बचने के उपाय

  • गणेश पूजा: यदि तय मुहूर्त पर प्रवेश संभव न हो या अशुभ दिन गृह प्रवेश करना पड़े, तो भगवान गणेश की पूजा करके नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। वे सभी बाधाओं को हरने वाले देवता माने जाते हैं।
  • गृह शांति पूजा: नवग्रहों की पूजा करने से अशुभ मुहूर्त की नकारात्मक ऊर्जा संतुलित होती है और घर में शांति स्थापित होती है।
  • वास्तु यंत्र: घर के उत्तर-पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करने से दोषों का निवारण होता है। इसके साथ वास्तु पुरुष की पूजा भी ऊर्जा संतुलन के लिए लाभकारी होती है।
  • हवन: गृह प्रवेश के समय हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है, देवी-देवताओं की कृपा मिलती है, नकारात्मकता दूर होती है और घर में सौभाग्य का वास होता है।

गृह प्रवेश पूजा के लिए घर की तैयारी कैसे करें?

गृह प्रवेश से पहले घर की तैयारी इस प्रकार करें:

  • भूमि पूजन करें: घर का निर्माण शुरू करने से पूर्व भूमि पूजन अवश्य करें। यह भूमि की शुद्धि करता है, नकारात्मकता को दूर करता है और समृद्धि व शांति के लिए आशीर्वाद दिलाता है।
  • घर की सफाई करें: गृह प्रवेश से पहले पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें और अव्यवस्था दूर करें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
  • शुभ मुहूर्त चुनें: हिंदू पंचांग के अनुसार गृह प्रवेश पूजा के लिए उपयुक्त शुभ मुहूर्त का चयन करें।
  • मुख्य द्वार सजाएं: दरवाजे पर गेंदे के फूल या आम्रपल्लव की तोरण लगाएं, स्वस्तिक या ओम का चिह्न बनाएं और प्रवेश द्वार पर जल और आम के पत्तों से भरा कलश रखें।
  • घर को रोशनी से सजाएं: घर के हर कोने में दीपक या तेल के दिए जलाएं, जिससे अंधकार और नकारात्मकता दूर हो।
  • पहली बार प्रवेश: सभी परिवारजन घर में दायां पैर रखकर प्रवेश करें, इसे शुभ माना जाता है।
  • गृह प्रवेश पूजा करें: पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करें, फिर नवग्रह पूजन और हवन करें, जिससे घर की शुद्धि और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हो।
  • नारियल घुमाना: हर कमरे की जमीन पर नारियल घुमाकर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करें और सौभाग्य को आमंत्रित करें।
  • दूध उबालने की रस्म: एक नए बर्तन में दूध उबालें जब तक कि वह उफान कर छलक न जाए, यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद पंडितों और अतिथियों को भोजन व प्रसाद अर्पित करें।

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क्या गृह प्रवेश के लिए अक्षय तृतीया शुभ है?

अक्षय तृतीया संपत्ति खरीदने और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए उत्तम दिन माना जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नई संपत्ति या मूल्यवान वस्तु खरीदने तथा गृह प्रवेश करने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का स्थायी वास होता है। वर्ष 2026 में अक्षय तृतीया का पर्व 19 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा।

गृह प्रवेश पूजा के बाद ध्यान रखें ये वास्तु टिप्स

गृह प्रवेश पूजा के बाद घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए वास्तु विशेषज्ञ कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। नियमित रूप से ग्रह शांति और गणेश पूजन करने से घर में शुभता बनी रहती है और पारिवारिक जीवन में समरसता आती है।

गृह प्रवेश के बाद किए जाने वाले प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं –

  • पूजा के उपरांत प्रसाद का वितरण करें और अतिथियों के लिए भोग या भोजन का आयोजन करें।
  • घर के सभी दरवाजों पर तिलक लगाएं।
  • तुलसी का पौधा रोपें और नारियल फोड़कर शुभता का मंगलाचरण करें।
  • सुबह सत्यनारायण व्रत का आयोजन करें।
  • गृह प्रवेश के बाद कम से कम एक रात नए घर में अवश्य ठहरें।
  • प्रवेश के बाद कम से कम तीन दिन तक घर को खाली न छोड़ें।

गृह प्रवेश पूजा के कितने प्रकार होते हैं?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार गृह प्रवेश पूजा तीन प्रकार की होती है –

  • अपूर्व गृह प्रवेश: जब किसी नए निर्मित घर में गृहस्वामी पहली बार प्रवेश करता है, तो इसे अपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। इस प्रकार के प्रवेश के लिए सूर्य का उत्तरायण होना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • सपूर्व गृह प्रवेश: यदि लंबे समय तक खाली रहने के बाद कोई व्यक्ति अपने घर में दोबारा प्रवेश करता है, तो इसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। उदाहरण के तौर पर, काम या प्रवास के कारण घर खाली पड़ा हो और वापसी पर प्रवेश किया जाए। ऐसी स्थिति में प्रवेश से पहले घर की अच्छे से सफाई करनी चाहिए। नवीनीकृत या पुराने घरों के लिए गुरु या शुक्र अस्त काल को सर्वोत्तम माना जाता है। इस में नक्षत्र की विशेष भूमिका नहीं होती।
  • द्वंद्व गृह प्रवेश: किसी प्राकृतिक आपदा या विपत्ति के कारण घर छोड़ने के बाद, जब लंबे समय बाद उसमें वापसी की जाती है, तो इस स्थिति में द्वंद्व गृह प्रवेश पूजा की जाती है।

गृह प्रवेश पूजा के आधुनिक चलन

आजकल हममें से ज्यादातर लोग तेज़-तर्रार और व्यस्त जीवन जीते हैं, जिससे सभी का एकसाथ मिलकर पूजा करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन तकनीक और स्मार्टफोन ने इस समस्या का आसान समाधान निकाल दिया है। अब गृह प्रवेश पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान ऑनलाइन आयोजित किए जा सकते हैं। किसी शुभ दिन पर पूजा करने वाला व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों को दुनिया में कहीं से भी वर्चुअली जोड़ सकता है, वहीं पुजारी भी ऑनलाइन मार्गदर्शन देकर पूजा सम्पन्न करा देते हैं।

इसके साथ ही लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी विशेष भाषा के जानकार पुजारी को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं और पूजा सामग्री भी घर बैठे मंगवा सकते हैं। कई घरों में अब मालिक स्वयं पूजा करते हैं, जहाँ पुजारी उन्हें वीडियो कॉल पर मंत्रोच्चारण और विधि-विधान में गाइड करते हैं।

गृह प्रवेश पूजा का एक नया चलन यह भी है कि कई एनआरआई इसे अंग्रेजी भाषा में आयोजित करना पसंद करते हैं। ऐसे अवसरों पर पुजारी मंत्रों का अर्थ अंग्रेजी में समझाते हैं। खास बात यह है कि अब महिला पुजारी भी इस क्षेत्र में आगे आकर गृह प्रवेश और विवाह जैसे धार्मिक कार्यक्रम करा रही हैं।

देशभर में त्योहारों के समय गृह प्रवेश समारोह

हिंदू परंपराओं में, नए घर में प्रवेश करते समय गृह प्रवेश पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इस पूजा से जुड़े अनेक विशिष्ट और रोचक रीति-रिवाज पाए जाते हैं। आइए जानते हैं देश के कुछ प्रमुख प्रदेशों में प्रचलित गृह प्रवेश पूजा की अनूठी परंपराओं के बारे में –

उत्तर भारत

पंजाब (दूध और दही का रिवाज): पंजाब में नए घर में प्रवेश अवसर को ढोल, नगाड़ों और भांगड़ा के साथ उल्लासपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। नए घर में सुख और समृद्धि लाने की कामना से परिवारजन घर के मुख्य द्वार पर दूध या दही छिड़कते हैं तथा भीतर पवित्र जल का छिड़काव करते हैं, जिससे घर शुद्ध और मंगलमय माना जाता है।

राजस्थान (पुराने घर की अग्नि लाना): राजस्थान में कई परिवार गृह प्रवेश के समय अपने पुराने घर से जलती हुई चिंगारी या दीपक नए घर में लाते हैं। यह परंपरा निरंतर समृद्धि और शुभता बनाए रखने का प्रतीक मानी जाती है

पश्चिम भारत

महाराष्ट्र (गणपति होमम): महाराष्ट्र में पारंपरिक गृह प्रवेश समारोह के अंतर्गत लक्ष्मी पूजा और पट्ट पूजा (घर की नींव की पूजा) की जाती है, ताकि देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो। यहां विशेष रूप से भगवान गणेश की आराधना की जाती है और गृह प्रवेश के अवसर पर गणपति होमम का आयोजन मुख्य रूप से किया जाता है। यह मान्यता है कि इस पूजन से घर की सभी बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में शांति व समृद्धि बनी रहती है।

दक्षिण भारत

कोलम और नीम के पत्ते: दक्षिण भारतीय राज्यों में नए घर को नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षित रखने के लिए अग्नि देव की पूजा की जाती है। तमिलनाडु व आसपास के प्रदेशों में गृह प्रवेश के समय घर के मुख्य द्वार पर चावल के आटे से कोलम (रंगोली) बनाया जाता है। साथ ही नीम और आम के पत्तों की तोरण लगाई जाती है, जिसे बुरी शक्तियों को दूर रखने का प्रतीक माना जाता है।

केरल (विष्णु पूजा और नारियल अर्पण): केरल में गृह प्रवेश के दौरान भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। शुभारंभ और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश हेतु नारियल और केले के पत्तों का अर्पण किया जाता है।

पूर्वी भारत

बंगाल (अल्पना कला): बंगाली परंपरा में ‘गृह प्रवेश अंजलि’ नामक अनुष्ठान किया जाता है। इसमें परिवार का मुखिया देवताओं को धन्यवाद प्रकट करते हुए नए घर में चावल अर्पित करता है। महिलाएं घर के मुख्य द्वार और अन्य स्थानों पर चावल के घोल से अल्पना (पारंपरिक भूमि सज्जा कला) रचती हैं, जिससे देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में समृद्धि आती है।

असम (आरती और बिहू गीत): असम में गृह प्रवेश समारोह को आरती और बिहू के लोकगीतों के साथ मनाया जाता है, जिससे पूरे अवसर का वातावरण भक्ति और आनंद से भर जाता है।

गृह प्रवेश के समय इन गलतियों से अवश्य बचें

  • शुभ मुहूर्त की अनदेखी: नए घर में प्रवेश और पूजन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें। मुहूर्त की उपेक्षा से अप्रत्याशित नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
  • वास्तु नियमों की अवहेलना: मुख्य द्वार, फर्नीचर और सजावट को वास्तु के अनुसार ही व्यवस्थित करें। वास्तु दोष घर की सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकते हैं।
  • अधूरी सफाई: गृह प्रवेश से पहले पूरे घर की साफ-सफाई सुनिश्चित करें। गंदगी न केवल लापरवाही दर्शाती है बल्कि शुभता में बाधा डालती है।
  • रसोई अनुष्ठान की उपेक्षा: कई परंपराओं में गृह प्रवेश पर रसोई में दूध उबालने की रस्म अनिवार्य मानी जाती है। इस परंपरा की अनदेखी अशुभ समझी जाती है।
  • अव्यवस्थित पूजा: पूजा की सभी सामग्रियां पहले से तैयार रखें। सामग्री या विधि में कोई कमी गृह प्रवेश के पूर्ण फल में बाधा डाल सकती है।
  • फर्नीचर पहले लाना: गृह प्रवेश से पहले भारी फर्नीचर घर में ले जाना अशुभ माना जाता है। इसे टालना ही उचित है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

क्या हम दिवाली पर गृह प्रवेश पूजा आयोजित कर सकते हैं?

दिवाली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है, और कई लोग इस दिन गृह प्रवेश को शुभ मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और आकाश जैसे पंचतत्व संतुलन में रहते हैं, जिससे महावास्तु योग बनता है। इसी कारण दिवाली को नए घर में प्रवेश के लिए अत्यंत मंगलकारी दिन माना जाता है। वर्ष 2026 में दिवाली का पर्व 08 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।

निष्कर्ष

वास्तु शास्त्र में गृह प्रवेश पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इसे हमेशा शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए ताकि नए घर में प्रवेश करने वाले सभी सदस्यों के लिए सौभाग्य और समृद्धि सुनिश्चित हो सके। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रत्येक घर के लिए गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त स्थान और परिस्थिति के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसलिए, ज्योतिषाचार्य या वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना अत्यंत लाभकारी होता है।

गृह प्रवेश के समय पूजा और हवन की दिशा का सही चयन भी आवश्यक है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार गृह प्रवेश पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव और वास्तु दोष दूर होते हैं तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

FAQs

क्या गृह प्रवेश से पहले घर का सामान शिफ्ट किया जा सकता है?

नहीं, गृह प्रवेश से पहले गैस सिलेंडर को छोड़कर कोई अन्य सामान नए घर में नहीं रखना चाहिए। परंपराओं के अनुसार यह अशुभ माना जाता है।

गृह प्रवेश पर दूध उबालने का क्या महत्व है?

हिंदू परंपराओं में दूध उबालना समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। इसे धन-धान्य तथा खुशहाली के आगमन का संकेत माना जाता है।

क्या गृह प्रवेश पूजा के दौरान हवन करना अनिवार्य है?

जी हां, हवन से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध व सकारात्मक बनता है। इसी कारण गृह प्रवेश पूजा में इसे विशेष महत्व दिया जाता है।

क्या शनिवार के दिन गृह प्रवेश करना उचित है?

यदि पंचांग के अनुसार शनिवार को शुभ मुहूर्त हो, तो उस दिन भी गृह प्रवेश किया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि तिथि और समय शुभ हों।

क्या गृह प्रवेश पूजा के बिना नए घर में रहना उचित है?

नहीं, स्थायी रूप से नया घर बसाने से पहले गृह प्रवेश पूजा करना आवश्यक है। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।

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Vivah Muhurat 2026: जानें साल 2026 में शुभ विवाह मुहूर्त, मैरिज तिथि लिस्ट यहाँ देखें!

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मंगलवार

Shubh Vivah Muhurat 2026: डिअर रीडर, क्या आप 2026 में विवाह के लिए सही समय की खोज कर रहे हैं? यदि आप शुभ विवाह मुहूर्त में विश्वास रखते हैं, तो आप जनवरी से दिसंबर तक के लिए 2026 में इन शुभ विवाह तिथियों के बारे में जान सकते हैं और आनंदमय वैवाहिक जीवन की योजना की तैयारी कर सकते हैं।

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हिंदू धर्म में विवाह का बहुत महत्व है। यह जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है, क्या आप भी शादी का योजना बना रहे है? शादी विवाह जीवन का एक अहम विचार होता है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे के साथ जीवनभर एक-दूसरे का साथ और सहयोग देने के लिए विवाह करता है और वैदिक पंद्रहवें संस्कार (Vivah Sanskar) को पूर्ण करता है, जो व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करता है।

विवाह दो आत्माओं का पवित्र बंधन है, जो अग्निदेव के चारों ओर सात फेरे लेते हैं और पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त करते हैं। “कन्यादान” (दुल्हन का हाथ दूल्हे को सौंपना), जिसे महादान कहा गया है, दिव्य महत्व रखता है। कन्या (लड़की) को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना जाता है, जबकि पुरुष का संबंध भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है। इसी कारण विवाह दो परिवारों का मिलन माना जाता है।

यहाँ हम 2026 के सभी शुभ विवाह मुहूर्तों (Vivah Muhurat 2026) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे, ताकि आपका खास दिन और भी यादगार बन सके। यह जानकारी न केवल सही समय चुनने में आपकी सहायता करेगी, बल्कि आपके और आपके जीवनसाथी के लिए खुशहाल और समृद्ध भविष्य की राह भी आसान करेगी। आइए जानते हैं 2026 के वे खास मुहूर्त, जो आपके विवाह को शुभ और मंगलमय बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।

साल 2026 में शादी के लिए सबसे अच्छी तिथि क्या है?

मुहूर्त एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “क्षण”। यह एक शुभ समयावधि है, जिसमें विवाह जैसे महत्वपूर्ण जीवन के संस्कार संपन्न किए जाते हैं ताकि जीवन में सामंजस्य, समृद्धि, सौभाग्य और सफलता प्राप्त हो सके। उपयुक्त शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) का चयन करना आवश्यक है, जिससे कार्य ब्रह्मांडीय प्रवाह के अनुरूप हों और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त हो। अब आइए देखते हैं कि 2026 में विवाह (Shubh Marriage Muhurat 2026) के लिए कौन-कौन से मुहूर्त उपलब्ध हैं।

साल 2026 में जनवरी महीने में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त - January Vivah Shubh Muhurat 2026

दुर्भाग्यवश, जनवरी महीने में विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है क्योंकि इस अवधि में शुक्र ग्रह के अस्त होने और अन्य प्रतिकूल कारणों के चलते यह समय विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता।

साल 2026 में फरवरी महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - February Vivah Shubh Muhurat 2026

फरवरी का महीना ठंडी हवाओं और प्रेम की मिठास के साथ शादी के बंधन में बंधने के लिए बेहद खास माना जाता है। फरवरी का महीना वैलेंटाइन वीक से जुड़ा हुआ है, यदि इस महीने में जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करने का मन बना रहे हैं, तो उचित मुहूर्त का चुनाव आपके विवाह को और भी शुभ और सफल बना सकता है। फरवरी 2026 में कई ऐसे शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं जो आपके रिश्ते की मजबूत नींव रखने में सहायक होंगे।

साल 2026 का दूसरा महीना फरवरी है इस माह में विवाह के लिए कुल 12 शुभ विवाह तिथियां उपलब्ध हैं। आइए जानते हैं 2026 में फरवरी के विवाह मुहूर्त: 5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25 और 26 फरवरी, 2026।

फरवरी महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें!  (February Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 5 फरवरी 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:08 बजे से 6 फरवरी 2026, सुबह 07:07 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी और हस्त, तिथि: चतुर्थी, पंचमी।
  • 6 फरवरी 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:07 बजे से रात 11:37 बजे तक, नक्षत्र: हस्त, तिथि: पंचमी।।
  • 8 फरवरी 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 12:08 बजे से 9 फरवरी 2026, सुबह 05:02 बजे तक, नक्षत्र: स्वाती, तिथि: सप्तमी ।
  • 10 फरवरी 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:55 बजे से 11 फरवरी 2026, रात 01:42 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: नवमी ।
  • 12 फरवरी 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 08:20 बजे से 13 फरवरी 2026, सुबह 03:06 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: एकादशी।
  • 14 फरवरी 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 06:16 बजे से 15 फरवरी 2026, सुबह 03:18 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा, तिथि: त्रयोदशी।
  • 19 फरवरी 2026, दिन: बृहस्पतिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 08:52 बजे से 20 फरवरी 2026, सुबह 06:56 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, तिथि: तृतीय।
  • 20 फरवरी 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:56 बजे से 21 फरवरी 2026, रात 01:51 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद और रेवती, तिथि: तृतीया और चतुर्थी।
  • 21 फरवरी 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: दोपहर 01:00 बजे से 01:22 बजे तक, नक्षत्र: रेवती, तिथि: चतुर्थी, पंचमी।
  • 24 फरवरी 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 04:26 बजे से 25 फरवरी 2026, सुबह 06:51 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी, तिथि: नवमी।
  • 25 फरवरी 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 01:28 बजे से 26 फरवरी 2026, सुबह 06:49 बजे तक, नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: नवमी, दशमी।
  • 26 फरवरी 2026, दिन: बृहस्पतिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:50 बजे से दोपहर 12:11 बजे तक, नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: दशमी।

Also Read: Griha Pravesh Muhurat 2026: जानें साल 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त, प्रवेश तिथि लिस्ट यहाँ देखें!

साल 2026 में मार्च महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - March Vivah Shubh Muhurat 2026

मार्च माह को बदलाव का महीना माना जाता है, जो नई शुरुआत और खुशियों का प्रतीक माना जाता है, और सर्दियों को विदा कहकर गर्म वसंत ऋतु का स्वागत करता है। यह शादी के लिए एक उपयुक्त महीना है क्योंकि इस दौरान तापमान सुखद और संतुलित रहता है, जो आपकी खुशियों को बनाए रखने में मदद करता है। 

यदि आप मार्च 2026 में शादी करने का विचार कर रहे हैं, तो सही मुहूर्त चुनना आपके नए जीवन की नींव को मजबूत कर सकता है। इस महीने के शुभ मुहूर्त आपकी शादी को मंगलमय और समृद्धि से भर देंगे। मार्च 2026 में विवाह के लिए कुल 9 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस महीने की 2, 3, 4, 7, 8, 9, 11, और 12 तारीखें विवाह समारोहों के लिए अत्यंत शुभ मानी गई हैं।

मार्च महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें!  (March Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 2 मार्च 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: दोपहर 01:46 बजे से शाम 05:55 बजे तक, नक्षत्र: मघा, तिथि: चतुर्दशी।
  • 2 मार्च 2026, सुबह 05:28 बजे से 3 मार्च 2026, सुबह 06:44 बजे तक, नक्षत्र: मघा, तिथि: पूर्णिमा।
  • 3 मार्च 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:44 बजे से सुबह 07:31 बजे तक, नक्षत्र: पूर्व फाल्गुनी तथा मघा, तिथि: पूर्णिमा।
  • 4 मार्च 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:39 बजे से सुबह 08:52 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी, तिथि: प्रतिपदा।
  • 7 मार्च 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 11:15 बजे से 8 मार्च 2026, सुबह 06:39 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: चतुर्थी और पंचमी।
  • 8 मार्च 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:39 बजे से सुबह 07:04 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: पंचमी।
  • 9 मार्च 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 04:11 बजे से रात 11:27 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: षष्ठी।
  • 11 मार्च 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 04:41 बजे से 12 मार्च 2026, सुबह 06:34 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: नवमी।
  • 12 मार्च 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:34 बजे से सुबह 09:59 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: नवमी।

साल 2026 में अप्रैल महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - April Vivah Shubh Muhurat 2026

अप्रैल का महीना विवाह के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह वसंत के स्वागत और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यदि आप अप्रैल 2026 में अपने जीवनसाथी के साथ शादी करने की योजना बना रहे हैं, तो यह उत्तम समय है सही मुहूर्त चुनने का। हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2026 में विवाह के लिए कुल 9 शुभ तिथियाँ उपलब्ध हैं। इस महीने की 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28 और 29 तारीखें विवाह हेतु अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। इन मुहूर्तों का विस्तृत विवरण जानने के लिए आप नीचे दिए गए समय-सारणी का अनुसरण कर सकते हैं।

अप्रैल महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (April Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 15 अप्रैल 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: दोपहर 03:22 बजे से रात 10:31 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, तिथि: त्रयोदशी।
  • 20 अप्रैल 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:51 बजे से शाम 05:49 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी, तिथि: तृतीया, चतुर्थी ।
  • 20 अप्रैल 2026, दिन: सुबह 04:14 बजे से 21 अप्रैल 2026, सुबह 05:50 बजे तक, नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: पंचमी।
  • 21 अप्रैल 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:50 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक, नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: पंचमी।
  • 25 अप्रैल 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 02:10 बजे से 26 अप्रैल 2026, सुबह 05:57 बजे तक, नक्षत्र: मघा, तिथि: दशमी।
  • 26 अप्रैल 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:57 बजे से रात 08:27 बजे तक, नक्षत्र: मघा, तिथि: दशमी, एकादशी।
  • 27 अप्रैल 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 09:18 बजे से रात 09:36 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी, पूर्व फाल्गुनी, तिथि: द्वादशी।
  • 28 अप्रैल 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 09:04 बजे से 29 अप्रैल 2026, सुबह 05:42 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी, हस्त, तिथि: त्रयोदशी।
  • 29 अप्रैल 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:55 बजे से रात 08:52 बजे तक, नक्षत्र: हस्त, तिथि: त्रयोदशी, चतुर्दशी।

साल 2026 में मई महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - May vivah Shubh Muhurat 2026

मई का महीना प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है और विवाह के लिए एक आदर्श समय होता है। यह समय गर्मियों की शुरुआत के साथ खुशियों का वातावरण लेकर आता है, जब अनेक जोड़े अपने रिश्ते को विवाह के बंधन में बदलने का निर्णय लेते हैं। यदि आप मई 2026 में शादी की योजना बना रहे हैं, तो इस महीने उपलब्ध शुभ मुहूर्त आपके लिए एक बेहतरीन अवसर साबित हो सकते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, मई 2026 में विवाह हेतु कुल 8 शुभ तिथियाँ हैं। इनमें विशेष रूप से 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13 और 14 तारीखें विवाह के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। इन मुहूर्तों का विस्तृत विवरण जानने के लिए आप नीचे दी गई समय-सारणी देख सकते हैं।

मई महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (May Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 1 मई 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 10:00 बजे से रात 09:13 बजे तक, नक्षत्र: स्वाती, तिथि: पूर्णिमा।
  • 3 मई 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:10 बजे से रात 10:28 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: द्वितीय।
  • 5 मई 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 07:39 बजे से 6 मई 2026, सुबह 05:37 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: चतुर्थी।
  • 6 मई 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:37 बजे से दोपहर 03:54 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: चतुर्थी, पंचमी।
  • 7 मई 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 06:46 बजे से 8 मई 2026, सुबह 05:35 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: षष्ठी।
  • 8 मई 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:35 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: षष्ठी।
  • 13 मई 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 08:55 बजे से 14 मई 2026, सुबह 05:31 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, रेवती, तिथि: द्वादशी।
  • 14 मई 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:31 बजे से शाम 04:59 बजे तक, नक्षत्र: रेवती, तिथि: द्वादशी, त्रयोदशी।

साल 2026 में जून महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - June vivah Shubh Muhurat 2026

जून का महीना प्रेम और नए जीवन की शुरुआत के लिए खास महत्व रखता है। इस मौसम की हरियाली और उमंग से भरा वातावरण विवाह के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि आप जून 2026 में अपने जीवनसाथी के साथ शादी की योजना बना रहे हैं, तो सही मुहूर्त का चयन करना आवश्यक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जून 2026 में विवाह के लिए कुल 8 शुभ तिथियाँ उपलब्ध हैं। इनमें 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27 और 29 तारीखें विवाह के बंधन में बंधने हेतु अत्यंत अनुकूल मानी जाती हैं। इन शुभ मुहूर्तों की विस्तृत जानकारी के लिए आप नीचे दी गई समय-सारणी पर नज़र डाल सकते हैं।

जून महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (June Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 21 जून 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 09:31 बजे से 11:21 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी, तिथि: सप्तमी।
  • 22 जून 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 10:31 बजे से 23 जून 2026, सुबह 05:24 बजे तक, नक्षत्र: हस्त, तिथि: अष्टमी, नवमी।
  • 23 जून 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:24 बजे से 10:13 बजे तक, नक्षत्र: हस्त, तिथि: नवमी।
  • 24 जून 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: दोपहर 01:59 बजे से 25 जून 2026, सुबह 05:25 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: दशमी, एकादशी।
  • 25 जून 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:25 बजे से 07:08 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: एकादशी।
  • 26 जून 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 07:16 बजे से 27 जून 2026, सुबह 05:25 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: द्वादशी, त्रयोदशी।
  • 27 जून 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:25 बजे से रात 10:11 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा, तिथि: त्रयोदशी।
  • 29 जून 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: शाम 04:16 बजे से 30 जून 2026, सुबह 04:03 बजे तक, नक्षत्र: मूल, तिथि: पूर्णिमा।

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साल 2026 में जुलाई महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - July vivah Shubh Muhurat 2026

जुलाई का महीना गर्मी की ऊर्जा और लंबे दिनों का प्रतीक है, जो नए अवसरों और खुशियों की शुरुआत करता है। यह प्रेम और समर्पण को एक नए बंधन में जोड़ने का उत्तम समय माना जाता है। जुलाई 2026 में विवाह समारोहों के लिए कुल 4 शुभ तिथियाँ उपलब्ध हैं। विशेष रूप से 1, 6, 7 और 11 जुलाई शादी के लिए अनुकूल मानी जाती हैं। इन शुभ मुहूर्तों की विस्तृत जानकारी के लिए आप नीचे दी गई समय देख सकते हैं।

जुलाई महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (July Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 1 जुलाई 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:51 बजे से दोपहर 04:04 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा, तिथि: द्वितीय।
  • 6 जुलाई 2026, दिन: सोमवार, शुभ विवाह मुहूर्त: 7 जुलाई 2026, सुबह 01:41 बजे से 05:29 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, तिथि: सप्तमी।
  • 7 जुलाई 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 05:29 बजे से दोपहर 02:31 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद, तिथि: सप्तमी, अष्टमी।
  • 11 जुलाई 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: 12 जुलाई 2026, सुबह 12:05 बजे से 05:49 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी, तिथि: द्वादशी, त्रयोदशी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस वर्ष अगस्त 2026 के लिए विवाह का कोई अनुकूल या शुभ मुहूर्त नहीं होंगे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस वर्ष सितंबर 2026 के लिए भी विवाह के लिए कोई अनुकूल या शुभ मुहूर्त नहीं होंगे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस वर्ष अक्टूबर 2026 के लिए भी विवाह के लिए कोई अनुकूल या शुभ मुहूर्त नहीं होंगे।

साल 2026 में नवंबर महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - November vivah Shubh Muhurat 2026

नवंबर का महीना विवाह के लिए खास समय माना जाता है, जब ठंडी हवाओं के बीच खुशियों का माहौल बनता है। यह वह वक्त होता है जब लोग अपने जीवनसाथी के साथ नए सफर की शुरुआत करने को तैयार होते हैं। यदि आप नवंबर 2026 में शादी करने की योजना बना रहे हैं, तो इस महीने के शुभ मुहूर्त आपके खास दिन को और भी यादगार बना सकते हैं।

साल 2026 में नवंबर में कुल 4 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। खासतौर पर 21, 24, 25 और 26 तारीखें विवाह के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती हैं। इस समय विवाह समारोह आयोजित करना आपके नए जीवन की शुरुआत के लिए शुभ रहेगा। इन शुभ तिथियों की विस्तृत जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए समय-सारणी को देख सकते हैं।

नबंवर महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (November Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 21 नवंबर 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:48 बजे से 22 नवंबर, रात 12:08 बजे तक, नक्षत्र: रेवती, तिथि: द्वादशी।
  • 24 नवंबर 2026, दिन: मंगलवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 11:25 बजे से 25 नवंबर, सुबह 06:52 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी, तिथि: प्रतिपदा।
  • 25 नवंबर 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:52 बजे से 26 नवंबर, सुबह 06:52 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी और मृगशिरा, तिथि: प्रतिपदा, द्वितीय।
  • 26 नवंबर 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:48 बजे से शाम 05:47 बजे तक, नक्षत्र: मृगशिरा, तिथि: द्वितीय, तृतीया।

साल 2026 में दिसंबर महीने के लिए विवाह के शुभ मुहूर्त - December vivah Shubh Muhurat 2026

दिसंबर का महीना खुशियों, उत्सवों और नई शुरुआत का संदेश लेकर आता है, जो ठंडी सर्दियों और त्योहारी माहौल के साथ विशेष बन जाता है। यह समय अपने जीवनसाथी के साथ नए बंधन बनाने का आदर्श मौका है। यदि आप दिसंबर 2026 में विवाह की तैयारी कर रहे हैं, तो यह महीना आपके लिए कई शुभ मुहूर्त लेकर आया है। सही मुहूर्त का चयन न केवल आपके विवाह को सफल बनाएगा, बल्कि आपके नवजीवन की शुरुआत को भी आनंदमय करेगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, दिसंबर 2026 में विवाह के लिए 2, 3, 4, 5 और 6 तारीखें अत्यंत शुभ मानी गई हैं। इन शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए समय को अवश्य देखें।

दिसंबर महीने के शादी के शुभ मुहूर्त यहाँ देखें! (December Marriage Shubh Muhurat 2026)

दिन, तारीख,  शुभ विवाह मुहूर्त समय, नक्षत्र और तिथि

  • 2 दिसंबर 2026, दिन: बुधवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 10:32 बजे से 3 दिसंबर 2026, सुबह 06:58 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी, तिथि: नवमी, दशमी।
  • 3 दिसंबर 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:58 बजे से 10:53 बजे तक, नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी और हस्त, तिथि: दशमी।
  • 3 दिसंबर 2026, दिन: गुरुवार, शुभ विवाह मुहूर्त: रात 11:03 बजे से 4 दिसंबर 2026, सुबह 06:59 बजे तक, तिथि: एकादशी।
  • 4 दिसंबर 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 06:59 बजे से 10:22 बजे तक, नक्षत्र: हस्त, तिथि: एकादशी।
  • 5 दिसंबर 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 11:48 बजे से 6 दिसंबर 2026, सुबह 07:00 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: द्वादशी, त्रयोदशी।
  • 6 दिसंबर 2026, दिन: रविवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:00 बजे से 07:42 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति, तिथि: त्रयोदशी।
  • 11 दिसंबर 2026, दिन: शुक्रवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 03:04 बजे से 12 दिसंबर 2026, सुबह 07:04 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: तृतीया।
  • 12 दिसंबर 2026, दिन: शनिवार, शुभ विवाह मुहूर्त: सुबह 07:04 बजे से 13 दिसंबर 2026, सुबह 03:27 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराषाढा, तिथि: तृतीया, चतुर्थी।

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हिन्दू धर्म में विवाह और शुभ मुहूर्त का महत्व:

Vivah Muhurat 2026: हिन्दू धर्म में विवाह को बड़ा महत्व दिया जाता है, और विशेष रूप से विवाह संस्कार को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि विवाह व्यक्तियों के लिए दोबरी जन्म का प्रतीक होता है, और इसके साथ ही यह दो परिवारों के बीच ब्राइड और ग्रूम के माध्यम से दो परिवारों के संयोजन का प्रतीक भी होता है।

Shadi Ka Muhurat 2026: विवाह समारोह के लिए शुभ समय (जिसे विवाह मुहूर्त 2026/Marriage Muhurat In 2026 भी कहा जाता है) की खोज करने के लिए पहला कदम पंचांग शुद्धि करना है। इस प्रक्रिया से केवल विवाह के लिए शुभ दिन की पहचान होती है, बल्कि विभिन्न विवाह अनुष्ठानों के लिए भी शुभ समय की निर्धारण होती है।

हिन्दू पंचांग, सौर और चंद्रिक महीने, और पवित्र नक्षत्र, योग, और करण का उपयोग करके, हम विवाह के लिए शुभ समय का निर्धारण कर सकते हैं। विवाह दो व्यक्तियों के बीच एक बंधन बनाता है और विशेष रूप से दो परिवारों के बीच एक संबंध की प्रतीक्षा करता है, जो सभी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

इसलिए, हिन्दू धर्म इसे एक शुभ और महत्वपूर्ण क्रिया मानता है जो सुखी और उनके परिवारों की खुशी की सुनिश्चिति के लिए शुभ समय पर करना आवश्यक होता है। शुभ समय पर विवाह किया जाने का भी विवाद धारण किया जाता है कि जीवन में दीर्घकालिक खुशी पाने के लिए महत्वपूर्ण कारक है।

विवाह मुहूर्त और जोड़ी के जन्म राशि:

Vivah Shubh Muhurat 2026: जातक के कुंडली के अनुसार गुणों की मिलान करने के बाद, विशेष रूप से दुल्हा और दुल्हन की जन्म राशि के आधार पर विवाह मुहूर्त निर्धारित किया जाता है। कुंडली में गुणों की मिलान प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पंडित या ज्योतिषी जोड़े की जन्म राशि के आधार पर विशेष तिथि, समय, नक्षत्र, और अवधि का निर्धारण करते हैं विवाह समारोह के लिए।

इसके अलावा, पंडित या ज्योतिषी दुल्हा या दुल्हन की जन्म राशि के आधार पर विवाह की तिथि को भी निर्धारित करते हैं, विशेष रूप से वह चंद्र नक्षत्र जिसमें उनका जन्म हुआ था। लड़के और लड़की के राशि के मैचिंग का परिणाम एक उपयुक्त विवाह की तिथि का चयन करने में आता है, जिसे आमतौर पर विवाह मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा, 2026 में विवाह के शुभ मुहूर्त लोगों को उनकी शादी की तारीखें बेहतर योजना बनाने में मदद करेंगे।

Vivah Muhurat 2026 के लिए शुभ तिथियाँ, नक्षत्र, योग, और करण:

Vivah Muhurat In 2026: वैदिक ज्योतिष में विवाह को वाकई एक अत्यधिक शुभ घटना के रूप में माना जाता है। इसलिए, एक शुभ समय के अलावा, विवाह के लिए एक शुभ तिथि का चयन करना भी महत्वपूर्ण है। ज्योतिष/Astrology में 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें से केवल 11 को अन्यथा विवाह के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कौनसे दिन, योग, तिथि, और करण को विवाह के लिए शुभ माना जाता है उसका निर्धारण किया जाए। यहाँ पर है कैसे हम 2026 में शुभ विवाह मुहूर्त/ Shubh Vivah Muhurat 2026 को जान सकते हैं:

  • करण: किकिंस्तुघ्न करण, बावा करण, बालवि करण, कौलव करण, तैतिल करण, गरो करण, और वाणिज करण विवाह के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं।
  • मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि बेला मुहूर्त विवाह के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं।
  • तिथि: द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी, और त्रयोदशी तिथियाँ विवाह के लिए शुभ मानी जाती हैं। इन तिथियों पर विवाह करना जातक के लिए भी शुभ होता है।
  • नक्षत्र: रोहिणी नक्षत्र (चौथा नक्षत्र), मृगशीर्ष नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र), मघा नक्षत्र (दसवां नक्षत्र), उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (बारहवां नक्षत्र), हस्त नक्षत्र (त्रयोदश नक्षत्र), स्वाति नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र), अनुराधा नक्षत्र (सत्रहवां नक्षत्र), मूल नक्षत्र (उन्नीसवां नक्षत्र), उत्तराषाढ़ा नक्षत्र (इक्कीसवां नक्षत्र), उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र (छब्बीसवां नक्षत्र), और रेवती नक्षत्र (सत्तावां नक्षत्र) विवाह के लिए शुभ माने जाते हैं।
  • दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार को विवाह के लिए काफी शुभ माना जाता है, जबकि मंगलवार के दिन विवाह करना अशुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इस दिन विवाह समारोह के लिए उत्तम नहीं होता है।
  • योग: प्रीति योग, सौभाग्य योग, और हर्षण योग विवाह के लिए बहुत ही अच्छे माने जाते हैं क्योंकि इन योगों का जातक के लिए फायदेमंद होता है।

कितने गुण मिलने से सफल विवाह की संकेत होती है?

हिन्दू पंचांग में, एक पंडित या ज्योतिषी विशेष रूप से दुल्हा और दुल्हन की कुंडलियों की मिलान करते हैं, जिसमें हर एक कुंडली में 36 गुण होते हैं। विवाह के लिए इन 36 गुणों पर ही निर्णय लिया जाता है। हालांकि, एक सफल विवाह के लिए कम से कम 18 गुणों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, 18 से 25 गुणों का होना बिल्कुल सामान्य होता है। हालांकि, 25 से 32 के स्कोर को अत्यधिक माना जाता है।

इसके अलावा, 25 से 32 गुणों के स्कोर वाले व्यक्तियों की कुंडली अत्यधिक उत्कृष्ट मानी जाती है। इसके अलावा, 32 से 36 गुणों के स्कोर वाली कुंडली सबसे अधिक अनुकूल मानी जाती है। इस स्कोर वाले व्यक्तियों को एक अधिक संतोषपूर्ण और खुशहाल विवाहित जीवन का अनुभव होता है। हालांकि, 32 से 36 गुणों के स्कोर वाली कुंडली वाले व्यक्तियों की संख्या बहुत ही कम होती है।

दुल्हन के लिए अनुकूल बृहस्पति और दुल्हे के लिए अनुकूल सूर्य:

ज्योतिष का सुझाव है कि दुल्हन के लिए उसकी राशि में द्वितीय, पांचवा, सातवां, नौवां, और ग्यारहवां घर में बृहस्पति की उपस्थिति शुभ मानी जाती है, जबकि चौथे, आठवे, और बारहवें घर में बृहस्पति की उपस्थिति अशुभ मानी जाती है। उसी तरह, दुल्हे के लिए उसकी राशि में तृतीय, छठा, दसवा, और ग्यारहवां घर में सूर्य की उपस्थिति शुभ मानी जाती है, जबकि चौथे, आठवे, और बारहवें घर में इसकी उपस्थिति अशुभ मानी जाती है।

वर-वधू का जन्म राशि के आधार पर निकाला जाता है विवाह के शुभ मुहूर्त:

जब जातक की Kundali के अनुसार गुण मिलान होता है, तो उसके बाद वर-वधू की जन्म राशि के आधार पर विवाह का शुभ मुहूर्त तय किया जाता है। जातक की कुंडली में गुण मिलान की प्रक्रिया पूरी होने पर, विवाह संस्कार के लिए निश्चित तिथि, वार, नक्षत्र, और समय का चयन किया जाता है, जिसे हम विवाह मुहूर्त / Vivah Muhurat 2026 कहते हैं।

इसके साथ ही, वर या वधू की चंद्रमा राशि, यानी उनका जन्म जिस चंद्रमा नक्षत्र में होता है, उसके आधार पर विवाह की तिथि निर्धारित की जाती है। हालांकि, लड़का और लड़की की राशियों में एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।

विवाह में लग्न भाव का महत्व

ज्योतिष के अनुसार, विवाह के लिए शुभ समय निर्धारण करते समय, ज्योतिषी लग्न के समय को महत्वपूर्ण मानते हैं। इसके अलावा, दुल्हन और दुल्हे के द्वारा पवित्र आग्नि के चारों ओर लिए जाने वाले चक्करों का समय लग्न कहा जाता है, जो विवाह की तारीख तय होने के बाद निर्धारित किया जाता है। इसके अलावा, लग्न को तय करने में एक स्लाइट त्रुटि जन्म राशि के जीवन में दोष पैदा कर सकती है।

तिथि को शरीर माना जाता है, चंद्रमा को मन माना जाता है, योग और नक्षत्र को शरीर के हिस्से माना जाता है, और लग्न विवाह में आत्मा होता है। लग्न को निर्धारित करते समय, एक को ध्यान में रखना चाहिए कि जन्म कुंडली में आठवें घर के स्वामी विवाह लग्न में स्थित नहीं हैं। इसके अलावा, चंद्रमा, शुक्र, और मंगल को लग्न से प्रभावित नहीं होने देना चाहिए और वे आठवें घर में नहीं स्थित होने चाहिए।

निष्कर्ष 

अंत में, यह स्पष्ट है कि शुभ विवाह मुहूर्त 2026 केवल शादी की तारीख तय करने का ही विषय नहीं है, बल्कि यह परंपरा, धर्म और ज्योतिषीय मान्यताओं का अद्भुत संगम है। विवाह जैसे पवित्र संस्कार को सही समय पर संपन्न करना न केवल वर-वधू के जीवन को खुशहाल बनाता है, बल्कि उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भी सौभाग्य और समृद्धि लाता है। 2026 में उपलब्ध विस्तृत मुहूर्तों और तिथियों को ध्यान में रखते हुए आप अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर को और अधिक मंगलमय बना सकते हैं।

शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का बंधन नहीं है, बल्कि दो परिवारों और संस्कृतियों का मिलन भी है। इसलिए यदि आप इस नए सफर की तैयारी कर रहे हैं तो अपनी जन्म कुंडली (Janam Kundli) और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार उपयुक्त तिथि का चयन अवश्य करें। सही मुहूर्त पर किया गया विवाह जीवनभर सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद बन जाता है।

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