रमजान का पवित्र माह शुरू होने वाला है। यदि चांद दिखा तो मंगलवार को पहला रोजा होगा नहीं तो बुधवार से माह-ए-मुबारक रमजान की शुरुआत होगी। मुकद्दस माह रमजान की आमद से मुस्लिम समुदाय में काफी उत्साह व जोश-ओ-खरोश दिख रहा है। माह-ए-रमजान के शुरू होने से पूर्व ही कुछ मस्जिदों में सफाई के साथ रंगाई-पुताई का काम लगभग पूरा हो चुका है।
मुकद्दस माह रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की खुशनूदी और उसकी इताअत के लिए रखते हैं। वहीं हदीस व कुरआन में आता है कि रमजान के रोजे रखने का सवाब अल्लाह अता करता है। अल्लाह के नजदीक रोजेदार के मुंह की बू जो लंबे समय तक मेदा खाली रहने के कारण उत्पन्न होती है, मुश्क से भी ज्यादा पसंदीदा है। रोजे का बदला (सवाब) अल्लाह खुद अता फरमाएगा। रमजान में यूं तो सहरी और इफ्तार में भी लोग अपनी हस्ब हैसियत अल्लाह की अता की गई नेमतों से इफ्तार करते हैं।
यूं तो खासतौर पर अफ्तार में खजूर, फल व तमाम तरह के पकवान व अच्छे खाने मौजूद रहते हैं। रमजान माह की खास बात है इसकी विशेष नमाज तरावीह जो इशा की नमाज के अलावा अलग से होती है, जिसमें कुरआन का पाठ किया जाता है, लेकिन मौजूदा समय में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कुछ जगहों पर रात्रि कर्फ्यू लगा दिया है। हालांकि, जिले में ऐसी स्थिति नहीं है। फिर भी लगातार लोगों से अपील की जा रही है कि कम से कम संख्या में सामाजिक दूरी बनाते हुए इबादतगाहों में इबादत करने पहुंचे।