देर से ही सही, रेलवे को अपनी गलती का अहसास हुआ है। रेलवे प्रशासन ने लगातार विलंब से चल रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की रफ्तार को पटरी पर लाने की कवायद युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है। कमजोर पक्षों को चिन्हित कर उन्हें दुरुस्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। संबंधित अधिकारी प्लेटफार्मों को जल्दी खाली कराने और जोनल स्तर पर एक- दूसरे से समन्वय स्थापित कर सूचनाओं के आदान-प्रदान करने पर जोर देने लगे हैं।
अब डेढ़ घंटे में ही ट्रेनों से प्रवासियों को उतारेंगे
नई व्यवस्था के तहत प्लेटफार्मों पर अब अधिकतम डेढ़ घंटे में ही ट्रेनों से प्रवासियों को उतार लिया जाएगा। हर घंटे प्लेटफार्म खाली होते रहेंगे और ट्रेनें आगे बढ़ती रहेंगी। सेक्शन (रेल खंड) और जोनल रेलवे को जोडऩे वाले इंटरचेंज प्वाइंट ब्लॉक (अवरोध) नहीं होंगे। इसके लिए प्लेटफार्मों पर पर्याप्त संख्या में रेलकर्मी और सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। गोरखपुर में शुरुआत हो चुकी है। दरअसल, स्टेशनों पर प्रवासियों को उतारने में दो से तीन घंटे लग जा रहे हैं। प्लेटफार्म व्यस्त होने के चलते पीछे वाली ट्रेनों को सिग्नल नहीं मिल पा रहा। इसका असर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, छपरा, पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन ही नहीं भुसावल और इटारसी सेक्शन तक पड़ जा रहा है। खामियाजा कामगारों को भुगतना पड़ रहा, जो भूख-प्यास से बिलबिलाते हुए घर पहुंच रहे हैं।