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गाजीपुर जिला अस्पताल में मरीज मांग रहे ऑक्सीजन, डाक्टर दे रहे दिलासा

जिला अस्पताल व सहेड़ी में बने कोविड वार्ड में आक्सीजन और रेगुलेटर का संकट बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के मरीज तो बढ़ रहे हैं लेकिन उसके सापेक्ष संसाधन नहीं मिल रहा है चिकित्सकों को। इसके चलते मरीजों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल रहा है। हांफ रहे मरीज आक्सीजन मांग रहे हैं तो मजबूर डाक्टर उन्हें बस दिलासा दे रहे हैं कि रामनगर से सिलेंडर आ रहा है, वहां से चल चुका है.. रास्ते में है..तो फंसा हुआ है आदि-आदि। आक्सीजन वाहन के इंतजार में मरीजों की सांसें टूट जा रही हैं।

बुरा हाल सहेड़ी का

शम्मे हुसैनी मेडिकल कालेज सहेड़ी में कहने को तो 107 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है, लेकिन संसाधन 50 बेड का भी नहीं है। अस्पताल को किसी भी दिन 10-15 सिलेंडर से अधिक आक्सीजन नहीं मिलता। बुधवार की सुबह तक वहां 42 बेड भरे थे, लेकिन सिलेंडर केवल 10 थे और वह भी आधे से अधिक खाली हो चुके थे। रेगुलेटर न होने से सभी रोगियों को आक्सीजन देना मुश्किल हो रहा था। किसी तरह पाइप के सहारे सभी को आक्सीजन देने की कोशिश हो रही थी जो अपर्याप्त था। बिना आक्सीजन छटपटा रहे मरीजों को डाक्टर शीघ्र आक्सीजन आने का दिलासा दे रहे थे। जब तक आक्सीजन की गाड़ी आई, तब तक कई की सांसें थम चुकी थीं।

एक का हटाओ, दूसरे को लगाओ

आक्सीजन की कमी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कोविड वार्ड में उन मरीजों को आक्सीजन देने की कोशिश हो रही है जो सबसे ज्यादा गंभीर है। कोविड वार्ड में भर्ती एक एसआइ का आक्सीजन लेवल 96 था। कुछ देर बाद दो मरीजों को महिला वार्ड में को दाखिल किया गया, जिसका आक्सीजन लेवल बहुत ही कम था। वार्ड में आक्सीजन सिलेंडर न होने के चलते एसआइ को लगाया गया आक्सीजन सिलेंडर हटा लिया गया और उसे नए मरीज को लगा दिया गया। इससे एसआइ की स्थिति गंभीर होती चली गई। हालांकि बाद में जैसे-तैसे आक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था की गई। वार्ड में तैनात चिकित्सकों ने बताया कि आक्सीजन सिलेंडर कम होने से मजबूर होकर उसी में किसी तरह सभी मरीजों को एडजस्ट करने की कोशिश हो रही है।

गंभीर मरीजों को नहीं मिल रहा आइसीयू

गंभीर स्थिति में पहुंच चुके मरीजों को आइसीयू की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जिला अस्पताल में केवल 10 बेड का आइसीयू है जो भरा पड़ा है। सहेड़ी में आइसीयू है ही नहीं। अगर किसी मरीज की स्थिति आइसीयू में भेजने लायक होती है तो बेड न होने के चलते मजबूरी में उसे रेफर नहीं किया जाता। आर्थिक रूप से कमजोर परिजन भी मिन्नतें करते हैं कि मरीज को और कहां ले जाएंगे, यहीं पर रहने दीजिए। भर्ती मरीजों की अपेक्षा आक्सीजन सिलेंडर की कमी है, लेकिन उसी में सभी को एडजस्ट किया जा रहा है। हालांकि सभी को आक्सीजन की आवश्यकता भी नहीं है। कोशिश जारी है। शीघ्र ही व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।

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