घातक कोरोना वायरस ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए अप्रैल में खूब कहर बरपाया। नौजवान से लेकर बुजुर्ग तक को निशाना बनाया। सबसे ज्यादा 672 कोरोना मरीजों की मौतें अप्रैल में हुई है।
पिछले साल मार्च से कोरोना वायरस का प्रकोप है। पहली लहर में लोग कम संक्रमित कम हुए थे। मौत का आंकड़ा भी कम था। पिछले साल अप्रैल में महज तीन मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। जबकि कोरोना की दूसरी लहर ने तो लखनऊ में कोहराम मचा दिया। लखनऊ में अब तक 1883 मरीजों की इलाज के दौरान सांसें थम चुकी हैं। इस साल अप्रैल में 672 मरीजों की सांसों की डोर टूट गई।
कोरोना की दूसरी लहर सभी उम्र के लोगों के लिए जानलेवा बनकर आई। होली के बाद वायरस ने कहर बरपाना शुरू किया। संक्रमितों के साथ मौत का ग्राफ भी तेजी से बढ़ने लगा। हालात यह हैं कि अप्रैल में एक लाख 17 हजार 263 नए लोग वायरस की जद में आए हैं। जबकि 672 मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा।
संक्रमण दर ज्यादा होने से पैदा हुई समस्या
केजीएमयू रेस्पीरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत बताते हैं कि देश में कोरोना मरीजों की मृत्युदर 1.10 है। लखनऊ में भी लगभग यही मृत्युदर का आंकड़ा है। मरीजों की संख्या के मुकाबले मृत्युदर कम है। अब हालात सामान्य की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार ऑक्सीजन से लेकर दवाओं की आपूर्ति में पूरी ताकत झोंक दी है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह पर इलाज कराएं। अनावश्यक दवाओं के पीछे न भागे। रेमडेसिविर इलाज का विकल्प नहीं है। इससे बेहतर परिणाम स्टराइड देने पर आ रहे हैं। लिहाजा डॉक्टर की सलाह को मानें।
ये कारण हैं
- मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है
- एक से दूसरे अस्पताल में जाने से मरीजों की हालत गंभीर हो रही है
- समय पर ऑक्सीजन न मिलने से बिगड़ रही हालत
- ऑक्सीजन थेरेपी में मानकों की अनदेखी भी बनी घातक