फाइलेरिया मुक्त भारत बनाने को शासन गंभीर है। ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर माइक्रो प्लान (दवा देने की योजना) के तहत 2022 तक फाइलेरिया मुक्त करने का कार्य होना है। जनसंख्या के अनुसार ब्लाक के 72 ग्राम पंचायतों में करीब 1.35 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा घर-घर जाकर खिलाई जाएगी। इसके लिए आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की 107 टीमें बनाई गई हैं। इनसे उनके क्षेत्र की जनसंख्या का रिकार्ड भी तैयार किया जाएगा। 29 अप्रैल से 15 मई तक फाइलेरिया से निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाएगा। खास बात यह कि इसकी दवा से कोरोना के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी।
अभियान में आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम को भी शामिल किया गया है। टीम हर व्यक्ति को दवा खिलाएगी। एक टीम एक हजार की आबादी को कवर करेगी। टैबलेट खाने वालों का रिकार्ड भी आशा व आंगनबाड़ी को तैयार करना है। प्रत्येक टीम को 10 घरों में टैबलेट खिलाने पर धनराशि का भुगतान होगा। दवा खिलाने के लिए सावधानियां बरतनी होंगी। इसके लिए आशा-आंगनबाड़ी को प्रशिक्षण भी होगा। अभियान का सुपरविजन करने के लिए एएनएम लगाई गईं हैं। इनकी निगरानी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को लगाया गया है। ये बरतनी होगी सावधानी
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चंदौली जिले में मंगलवार को आग से किसानों का हजारों का नुकसान- दो वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को नहीं
- 80 वर्ष से अधिक बुजुर्गों को मनाही
- दो से पांच वर्ष तक एक टैबलेट
- छह से 15 वर्ष तक दो टैबलेट
- 15 वर्ष से ऊपर वालों को तीन टैबलेट
- गर्भवती व गंभीर बीमारी से ग्रसित को नहीं - फाइलेरिया के लक्षण
चिकित्साधिकारी डाक्टर नीलेश मालवीय के मुताबिक, हाथ व पांव में सूजन, स्तनों का असामान्य बड़ा होना, अंडकोष में सूजन ये कुछ फाइलेरिया के लक्षण हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य महकमा इस बार दवाएं खिलाने के साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाएगा। फाइलेरिया मादा मच्छर क्यूलैक्स फैटीगंस के कारण फैलता है। किसी व्यक्ति को खाली पेट दवा नहीं दी जानी है। दो वर्ष व 80 वर्ष से नीचे के व्यक्ति को दवा खाना अनिवार्य है। प्रशिक्षण कराकर आशा, आंगनबाड़ी व एएनएम को दवा खिलाने की जानकारी दी गई है। टीम 29 अप्रैल से घर-घर दस्तक देगी।