वाराणसी का मुख्य चर्च सेंट मैरी कैथेड्रल धार्मिक एकता और सामाजिक समरसता की मिसाल भी है। इसकी दीवारों पर गीता के श्लोक लिखे हुए हैं। इस चर्च में केवल ईसाई ही नहीं, अन्य धर्मो के लोग भी आते हैं। क्रिसमस के मौके पर हर साल तीन दिनों तक यहां मेले का आयोजन होता है। इस बार कोरोना के कारण मेला नहीं लगेगा। पूर्व संध्या पर होने वाले यीशु के जन्म उत्सव का समय भी बदला गया है। हमेशा यह देर रात शुरू होकर रात 12 बजे के बाद तक चलता था। इस बार यह शाम से शुरू होकर रात नौ बजे तक ही चलेगा।
चर्च में भी वाइबिल के साथ श्रीमद्भागवत गीता और भगवान बुद्ध के संदेश सुनाए जाते हैं। स्थापना काल से कैंटोमेंट स्थित सेंट मैरी कैथड्रल चर्च (महागिरजाघर) की दीवारों पर वाइबिल के साथ गीता के श्लोक लिखे हैं।
सेंट मैरी कैथड्रल चर्च की स्थापना पोप जान पॉल की प्रेरणा से किया गया। शिलान्यास आठ सितम्बर सन् 1989 में आगरा के आर्क बिशप मोस्ट रेव्ह. डॉ. सीरिल डी सा ने किया था। जो 11 फरवरी 1993 में बन कर तैयार हुआ। इसी समय इसका उद्घाटन भी हुआ। उस समय रेव्ह. डॉ. पैट्रिक ड्यिसुजा बिशप बने थे। वर्तमान में फादर यूजिन जोसेफ हैं।
जहां बिशप व पादर वाइबिल का पाठ व प्रार्थना कराते हैं। वहीं गीता का श्लोक लिखा है। जो संस्कृत में ‘सेवाधर्म: परमगहनो योगिनामव्यग्मय:’ है। यानी सभी धर्मों में सर्वश्रेष्ठ है सेवा धर्म, जिसे योगियों ने भी माना है। चर्च के अंदर भगवान बुद्ध के ‘शांति‘ ‘शांति’ का संदेश भी पीतल से उकेरा गया है। जो आपसी एकता और दुनिया में शांति का पैगाम देता है।