नए कृषि कानून को लेकर कुछ स्थानों पर भले ही आंदोलन किया जा रहा है लेकिन क्षेत्र के किसानों का विरोध-प्रदर्शन से किसी प्रकार का वास्ता नहीं है। किसानों का कहना है कि नया कानून किसानों के विरोध में नहीं, बल्कि हित में है। इससे किसान बिचौलियों से मुक्त हुए हैं, जो काम पूर्व की सरकारों ने नहीं किया, उसे मोदी सरकार ने किया। किसानों के नाम पर हो रही राजनीति को किसानों ने बंद करने की मांग की।
किसानों का कहना है कि आंदोलन में शामिल विपक्षी दलों को किसानों के हित से कोई लेना-देना नहीं है। वे अपनी खोई हुई जमीन को तलाशने के जुगाड़ में हैं। सबेली गांव निवासी हेमंत कुमार पांडेय आलू के खेत की सिचाई करते कहते हैं कि यह वक्त फसलों को बचाने व मेहनत करने का है। सही कानून का भी विरोध करने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वे लोग जो आज इस कानून की खिलाफत कर रहे हैं, वही कभी इस तरह के कानून की वकालत करते थे। गेहूं की सिचाई कर रहे गड़वा गांव निवासी किसान राजनाथ चौहान ने कहा कि सरकार किसानों को किसान सम्मान निधि दे रही है।
साथ ही अन्य बुनियादी संसाधन भी मुहैया करा रही है। ऐसे में विरोध का क्या मतलब। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने फायदे के लिए किसानों के नाम पर देश को गुमराह कर रहे हैं। हिम्मत नगर निवासी किसान जटा शंकर शुक्ल ने कहा कि इसमे विपक्षियों की चाल है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में किसान हित की बात कर रहे लोग वास्तव में किसान हैं ही नहीं। उन्होंने कहा कि विरोध के नाम पर जिस तरह सरकारी संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है। सड़क जाम कर आम लोगों को परेशान किया जा रहा है, उसे देश की जनता कभी नहीं भूलेगी।