कोरोना को मात देने वाले लोगों को कई नई बीमारियों से जूझना पड़ है। उनमें एक बीमारी चिलब्लेन भी है। बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के डार्मेटोलॉजी (त्वचा विज्ञान) विभाग में इधर बीच चिलब्लेन से पीड़ित 50 से अधिक मरीज पहुंचे हैं। ये सभी कोरोना से उबरने के बाद नए रोग की गिरफ्त में आ गए।
क्या है चिलब्लेन
चिलब्लेन आमतौर पर भीषण ठंड के मौसम में होने वाला त्वचा रोग है जिसमें हाथ-पैरों की अंगुलियां सूज जाती हैं। अंगुलियों में दर्द के साथ जलन भी होती है। कभी -कभी कान के आसपास का हिस्सा लाल हो जाता है। वहां भी दर्द व जलन का अनुभव होता है। BHU के डार्मेटोलॉजी विभाग में प्रोफेसर एसके सिंह के अनुसार चिलब्लेन के केस जनवरी और फरवरी महीने में अधिक आते हैं। मगर इस बार गर्मी के दिनों में भी इसके खूब मरीज मिले हैं। सबसे ज्यादा यह परेशानी कोरोना से उबर चुके लोगों में दिख रही है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन मरीजों को चिलब्लेन क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मरीज हमारे यहां जुलाई-अगस्त में भी मरीज मिले हैं।
सेनेटाइजर का साइड इफेक्ट
लोगों में इन दिनों पंफोलिक्स (दोनों उंगलियों के बीच में दाना निकलकर पंछा फेंकने लगता है) बीमारी भी दिख रही है। आम तौर पर यह बीमारी गर्मी और बरसात के दिनों में होती है। अक्तूबर के बाद इसका केस नहीं मिलता है लेकिन इन दिनों बीएचयू अस्पताल में डार्मेटोलॉजी की ओपीडी में रोज चार से पांच मरीज आ रहे हैं। प्रोफेसर एसके सिंह का मानना है कि कोरोना काल में हैंड सेनेटाइजर के अधिक प्रयोग के कारण पंफोलिक्स जैसी बीमारी हो रही है।
चिलब्लेन से ऐसे करें बचाव
- अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है, तो हाथों में ग्लब्स पहनें।
- पैरों में जुराबें पहनें। ऊनी जुराब के अंदर कॉटन की जुराब जरूर पहनें, क्योंकि ऊनी जुराब से भी दिक्कत हो सकती है।
- सुबह उठें तो एकदम से ठंड में न जाएं। हाथ ठंडे हो रहे हों तो सीधे गर्म पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
- हाथ पैरों की सिंकाई के लिए हीटर आदि के सीधे संपर्क में न आएं। कपड़ा गर्म करके भी सिंकाई न करें।
- अगर यह दिक्कत हर साल होती है तो डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें।