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रविवार की दोपहर, पूर्वांचल में नदियों के घटते रुख के बीच आसमान से बादलों ने बरसायी मुसीबत

पूर्वांचल में सप्‍ताह भर से प्रमुख नदियों का जलस्‍तर लगातार कम हो रहा है मगर लगातार रह रहकर हो रही बरसात निचले इलाकों में जलभराव की समस्‍या भी बढ़ा रही है। गंगा और सरयू नदियों के घटते जलस्‍तर ने एक ओर राहत दी है तो दूसरी ओर तटवर्ती इलाकों में कई जगह कटान होने से बेशकीमती जमीनें नदी की भेंट चढ़ जा रही हैं। बलिया जिले में ही इस पूरे बाढ़ के सत्र में सौ एकड़ से अधिक खेती की उपजाऊ जमीन गंगा और सरयू नदी की भेंट चढ़ चुकी है। वहीं दूसरी ओर नदियों के घटते जलस्‍तर के बीच नदियों द्वारा छोड़े गए कीचड़ और जल भराव की वजह से निचले इलाकों में संक्रामण बीमारियों के पैर पसारने का भी खतरा बढ़ रहा है।

रविवार की दोपहर केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार पूर्वांचल के मीरजापुर, गाजीपुर और बलिया जिले में गंगा का जलस्‍तर लगातार घट रहा है, जबकि वाराणसी में गंगा नदी का जलस्‍तर अब स्थिर हाे गया है। वहीं सरयू नदी बलिया जिले के तुर्तीपार में अब बढ़ रहा है और दोपहर तक यह दोबारा चेतावनी बिंदु पार कर 63.05 मीटर पर है। जौनपुर जिले में गोमती नदी का जलस्‍तर फ‍िलहाल स्थिर है तो सोनभद्र जिले में बाणसागर बांध, रिहंद बांध और सोन नदी का जलस्‍तर लगातार बढ़ रहा है। वहीं पूर्वांचल में लगातार रह रहकर हो रही बरसात की वजह से तटवर्ती इलाकों में दोबारा बाढ़ आने और जलस्‍तर में बढ़ाव के साथ ही फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है।

किसानों के अनुसार इस बार डूब प्रभावित क्षेत्रों में फसलें नहीं बोयी जा सकी हैं तो दूसरी ओर निचले इलाकों में पशुओं के लिए हरे चारे का भी संकट पैदा हो गया है। इस बार बलिया जिले में सरयू और गंगा दोनों ही नदियां खतरा बिंदु से ऊपर रह चुकी हैं लिहाजा अभी भ्‍ाी निचले इलाकों में पानी जमा रहने से खेती किसानी नहीं हो पा रही है। जबकि कई तटवर्ती इलाकों में नदियों का कम हो रहा जलस्‍तर कटान भी कर रहा है जिससे किसानों के खेत नदी की भेंट भी चढ़ रहे हैं।

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