इस अस्पताल में मरीज सीधे या फिर रेफर होकर भर्ती हो सकते हैं। कोरोना वायरस के वैसे गंभीर मरीज जिन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत होगी, वे भी यहां भर्ती हो सकते हैं। अस्पताल के सुगम संचालन के लिए जिला प्रशासन ने शनिवार को एक बैठक आयोजित की। बैठक के बाद बताया गया कि पटना में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के अलावा डीआरडीओ के 500 बेड का अस्पताल मरीजों के लिए उपलब्ध होगा।
संक्रमण थमने तक चलेगा
यहां 125 गंभीर मरीजों को एक साथ भर्ती और उपचार करने की सुविधा है। उपचार करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर यहां तैनात रहेंगे। यह रक्षा मंत्रालय के सहयोग से चलेगा। शुरुआती दौर में रक्षा मंत्रालय ने पटना एम्स के विशेषज्ञों से मदद मांगी थी। तब एम्स के विशेषज्ञों की एक टीम ने ईएसआई हॉस्पिटल का पिछले माह निरीक्षण किया था। उसके बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि बिहटा में कोविड-19 का एक डेडिकेटेड हॉस्पिटल स्थापित किया जाए। यह अस्पताल तब तक संचालित होते रहेगा, जब तक बिहार में कोरोना वायरस का संक्रमण कम न हो।
हॉस्पिटल में हैं अत्याधुनिक सुविधाएं
500 बेड के हॉस्पिटल में 375 सामान्य बेड लगाए गए हैं, जिसमें कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का उपचार होगा। सामान्य वार्ड में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज भर्ती किए जाएंगे। गंभीर मरीजों के लिए 125 आईसीयू बेड रखे गए हैं। सभी बेड पर ऑक्सीजन देने की सुविधा है। यहां आईसीयू में वेंटिलेटर के साथ-साथ मॉनिटर भी लगाए गए हैं ताकि कोरोना के गंभीर मरीजों का उपचार किया जा सके।