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कोरोना काल में कमाल का ये जुगाड़ वाला स्‍टार्ट-अप, भीड़ कम कर रहा ठेले पर बना सत्तू-बेसन प्लांट


खाद्य सामग्रियों में मिलावट की शिकायतें आम हैं। सत्तू में मकई का आटा और बेसन में खेसारी की मिलावट खूब की जाती है। ऐसे में अगर आपके दरवाजे पर सामने पीसा गया सत्तू और बेसन मिल जाए तो यह सुरक्षित भी है और पौष्टिक भी। कोरोना काल में दुकानों में भीड़ कम करने में मददगार बक्‍सर के एक युवक का कमाल का यह स्‍टार्ट-अप ग्राहकों को उनके घर के दरवाजे पर शुद्ध और ताजा सत्तू-बेसन उपलब्ध करा रहा है। ग्राहक चाहे ढाई सौ ग्राम सत्तू लें या उससे ज्यादा, झट से प्लांट में भुना हुआ चना डाल सत्तू तैयार किया जाता है।

कमाल का है नौवीं तक पढ़े युवक का जुगाड़ू स्टार्टअप
बक्सर के सइसढ़ गांव के नौवीं तक पढ़े शंकर कुमार चौधरी का यह जुगाड़ू स्टार्टअप है। करीब 50 हजार रुपये खर्च कर शंकर ने ठेला पर सत्तू-बेसन पीसने का मिनी प्लांट लगाया। ठेले पर ही चना और चना दाल से भरी बोरी लेकर चलते हैं। ग्राहक को जितना सत्तू या बेसन चाहिए, सामने पीसकर देते है। कीमत भी बाजार भाव के बराबर, सौ रुपये प्रति किलो सत्तू और 90 रुपये प्रति किलो बेसन।

मिलावट से परेशानी की बातें सुन आया आइडिया
शंकर बताते हैं कि आइडिया दो साल पहले आया। शहरों में सत्तू-बेसन में मिलावट की बात सुनते थे, तब उन्होंने लोगों को ताजा सत्तू बेचने के लिए अपने ठेले को प्लांट का रूप दे दिया। ठेले पर 24 हजार का जेनरेटर, 14 हजार की मोटर और ग्राइंडर, बिना पैडल मारे ठेला चलाने के लिए आठ हजार की एक बैट्री और पांच हजार रुपये के अन्य सामान लगा चलता-फिरता प्लांट तैयार कर लिया।

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