प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने के लिए शासन ने कदम बढ़ाया है। सौ वर्ष और उससे पुराने पेड़ों को चिह्नित कर उनका संरक्षण होगा। वन विभाग ऐसे पुराने पेड़ों की पहचान करेगा जो ऐतिहासिक घटना के गवाह बने हों और उससे लोगों की आस्था जुड़ी हो। इसमें बरगद व पीपल के सबसे पुराने पेड़ों को हेरिटेज (धरोहर) के रूप में घोषित किया जाएगा।
शासन ने चार पीढ़ी पुराने पेड़ों को विरासत में शामिल किए जाने का निर्देश दिया है। इसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे पेड़ों को चुना जाएगा जो ऐतिहासिक घटना के गवाह बने हों और आस्था से जुड़े हों। ग्राम स्तर पर प्रधान, ग्राम पंचायत, खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, शहर स्तर पर नगर आयुक्त द्वारा चयन किया जाएगा। इसकी सूची जिलाधिकारी के माध्यम से प्रभागीय वनाधिकारी को भेजी जाएगी। प्रभागीय वनाधिकारी इस सूची को उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड लखनऊ को भेजेंगे। जैव विविधता बोर्ड की पड़ताल के बाद ऐसे पेड़ों को विरासत घोषित किया जाएगा। चयन प्रक्रिया में राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान की सलाह ली जाएगी। प्रभागीय वानिकी निदेशक अयोध्या प्रसाद ने बताया कि पेड़ों के चिह्नीकरण के लिए ग्राम पंचायत, नगर आयुक्त व ब्लाक को पत्र भेज दिया गया।