नगर पालिका प्रशासन भले ही कितने दावे करे कि शहर की जनता को पर्याप्त पेयजल सप्लाई की जा रही है, लेकिन वास्तविकता इससे उलट है। सच्चाई है कि लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। कपड़े धोने और नहाने की बात छोड़िए सिविल लाइन मोहल्लों में तो पीने को पानी नहीं मिल पा रहा है। हाहाकार मचा है, लेकिन शिकायत के बाद भी जिम्मेदार हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं।
नगर पालिका के जलकल विभाग की ओर से ही सिविल लाइन क्षेत्र में नलकूप के जरिए पेयजल की आपूíत की जाती है। इसके बदले उपभोक्ताओं से बाकायदा जलकर भी लिया जाता है, लेकिन गर्मी आते ही पेयजल आपूíत अबकी भी ध्वस्त होने लगी है। सिविल लाइन में पेयजल की किल्लत है। टंकियों की टोटियां सूख गई हैं। लोगों को कपड़ा धोने, नहाने, खाना बनाने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि प्यास बुझाने के लिए हैंडपंपों की ओर भागना पड़ रहा है। पूनम सिंह, विजय लक्ष्मी पांडेय, जयंती राजभर व साधना ने बताया कि पानी की किल्लत बढ़ने से घर-घर में परेशानी शुरू हो गई है। मोहल्ले में पानी नहीं आने के बारे में पालिका प्रशासन को बताया भी जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक मोहल्ले वासियों को पानी नसीब नहीं हो सका है। अधिकारियों को फोन किया जाता है तो वह नंबर ब्लैकलिस्ट (काली सूची) में डाल देते हैं।