हमारी पृथ्वी असंख्य अमूल्य रत्नों से भरी हुई है। कोयले से लेकर हीरे तक और विभिन्न रत्न, आभूषण ,सोना, चांदी, माणिक्य, पन्ना, पुखराज और नीलम सब पृथ्वी के गर्भ से ही मिलते हैं। समुद्र भी अमूल्य रत्नों का भंडार है। मूंगा और सच्चा मोती ये जलीय रत्न हैं। ज्योतिष की दृष्टि से सच्चा मोती चंद्रमा का रत्न है जो समुद्र में सीप से निकलता है। सच्चा मोती दक्षिणी गहरे सागर में सीपों से निकाले जाते हैं जो दुर्लभ और चमत्कारी होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में चंद्रमा अशुभ होते हैं। यानी अच्छे भाव के होने के बावजूद अशुभ स्थानों छठे, आठवें या बारहवें स्थान में विराजमान हों तो जीवन में निराशा का भाव संचार करते हैं। चंद्रमा यदि अशुभ नीच राशि अर्थात वृश्चिक का हो तो भी अशुभ फल देने वाला होता है। इससे व्यक्ति की मनोदशा अच्छी नहीं होती।
अशुभ चंद्रमा केवल मानसिक तनाव ही नहीं देते बल्कि घर के सुख को भी कम करते हैं क्योंकि चतुर्थ भाव के कारक चंद्रमा होते हैं और चतुर्थ भाव माता, घर का सुख, वाहन और मन का कारक है। अशुभ चंद्रमा होने से इन से जुड़ी समस्याएं आती रहती हैं। सच्चा मोती धारण करने से उपरोक्त समस्याओं में शीघ्र लाभ होता है।
रत्न धारण करने के लिए किसी विद्वान ज्योतिषी से जन्मपत्री दिखाकर चंद्रमा के लिए शुभ रत्न पहनें तो आपके लिए बहुत ही अच्छा रहेगा। कभी-कभी चंद्रमा अशुभ घर का स्वामी होता है। उसमें सच्चा मोती पहनने से कभी-कभी दिक्कत आ जाती है इसलिए इसको किसी विद्वान से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
इसके साथ-साथ सच्चे मोती के अलावा अन्य रत्न भी पहन सकते हैं जैसे सामान्य सच्चा मोती, चंद्रमणि, सफेद मूंगा आदि। सच्चे मोती को हमेशा चांदी की धातु में बनवा कर सीधे हाथ की कनिष्ठा अथवा अनामिका में ही पहनना चाहिए। कोई भी रत्न पहनने से पहले पंचामृत से शुद्ध करके तत्संबंधित ग्रह के बीज मंत्र या वैदिक मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।
रत्न पहनने के अलावा अशुभ चंद्रमा के अन्य उपाय भी हैं। चंद्रमा को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा उपाय माता, मौसी,चाची आदि को प्रसन्न करना और उनका सम्मान करना। उनको उपहार देना भी बहुत अच्छा रहता है। किसी महिला को सफेद वस्तुओं का दान चावल, आटा,चीनी, दूध, दही और सफेद वस्त्र दान करने से भी चंद्रमा मजबूत होता है।