मॉनसून की बेरुखी से पूरब से लेकर पश्चिम तक उत्तर प्रदेश का एक-एक जिला अच्छी बारिश के लिए तरस रहा है। हाल यह है कि इस बार मानसून में अब तक पूरे राज्य में सिर्फ 72.3 मिलीमीटर ही पानी बरसा है। यह सामान्य से 57 फीसदी कम है। आगरा, वाराणसी और फैजाबाद ही ऐसे जिले हैं जहां सामान्य से कुछ अधिक वर्षा हुई है। बाकी पूरे राज्य में 40 से लेकर 97 फीसदी तक कम वर्षा दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक जुलाई का यह हाल बता रहा है कि राज्य सूखे की तरफ बढ़ेगा।
मौसम विभाग मानसून में जुलाई और अगस्त को सर्वाधिक वर्षा वाला मानता है। दस जुलाई तक राज्य में अच्छी बारिश हो जाती थी पर इस बार हाल बुरा है। मॉनसून ने उत्तर प्रदेश से आंखें फेर ली हैं। सोनभद्र के रास्ते में राज्य में दाखिल होने वाला मानसून कमजोर पड़ गया है। मानसून ने उत्तर भारत के बजाय मध्य भारत की तरफ राह पकड़ ली। इससे उत्तर प्रदेश झमाझम बारिश के लिए तरस रहा है।
कौशाम्बी में सबसे कम बारिश
उत्तर प्रदेश में मानसून में 11 जुलाई तक 169.4 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी पर अभी 72.3 मिलीमीटर हुई है। कौशाम्बी में अब तक सबसे कम बारिश रिकार्ड की गई है। यहां 122.7 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी पर हुई सिर्फ 3.2 मिलीमीटर। यानी औसत से 97 फीसदी कम। लखनऊ, कानपुर देहात, बाराबंकी, गोण्डा, प्रयागराज, मेरठ, बलिया, बरेली, गोरखपुर, जौनपुर, बांदा, हमीरपुर, जालौन, इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत राज्य के 95 फीसदी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।
जुलाई का तो हाल और बुरा
सर्वाधिक वर्षा जुलाई में होती है, पर पिछले दस दिनों में फैजाबाद और मुरादाबाद को छोड़ दें तो पूरा राज्य बारिश के लिए तरस रहा है। मऊ में तो जुलाई में एक बूंद पानी नहीं गिरा। यहां पिछले दस दिनों में 79.2 औसत वर्षा होनी चाहिए थी हुई एक मिलीमीटर भी नहीं। जुलाई में सोमवार तक 73.5 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए। हुई सिर्फ 27.5 मिलीमीटर। यह सामान्य से 63 फीसदी कम है।
फैजाबाद में हुई अच्छी बारिश
फैजाबाद में पिछले दस दिनों में 132.2 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य (23 मिलीमीटर) से 475 फीसदी अधिक है। वहीं मुरादाबाद में जुलाई में अब तक 80.2 फीसदी बारिश हो चुकी है। यह सामान्य से 61 फीसदी अधिक है।
‘अभी जुलाई के बीस दिन बाकी हैं। मानसून सक्रिय हुआ तो वह औसत वर्षा पूरी कर लेगा। यदि जुलाई भर यही स्थिति बनी रही तो राज्य में सूखे के हालात बन सकते हैं। बारिश ना होने के कारण सबसे अधिक धान की फसल को नुकसान हो रहा है। किसान पम्प लगाकर सिंचाई कर रहे हैं। वर्षा ना होने से फसल का वह विकास नहीं होगा जो होना चाहिए।’