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गिट्टी विहीन रेल पटरी पर प्रतिदिन दौड़ रही डीटी पैसेंजर

पूर्व मध्य रेलवे दानापुर मंडल के दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को यदि मौत की पटरी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं। कारण ब्रांच लाइन की रेल पटरी जर्जर और गिट्टी नदारद है और इस पर ही पैसेंजर प्रतिदिन दौड़ती है। ऐसे में कभी भी किसी बड़े हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसको लेकर इंजीनियरिग विभाग के अधिकारी भी मौन साधे हुए हैं।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान नील और अफीम की ढुलाई के लिए अंग्रेजों ने 1880 में दिलदारनगर से ताड़ीघाट तक ब्रांच लाइन को बिछवाया था। 1990 में इस रेलखंड को छोटी लाइन से बड़ी लाइन में परिवर्तित किया गया। तब से लेकर अब तक इस रेल पटरी पर डिटी पैसेंजर ट्रैन दौड़ रही है। इस रेल खंड का विद्युतीकरण कर इलेक्ट्रिक इंजन से डिटी पैसेंजर ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ, लेकिन रेल पटरी नहीं बदली गई।

19 किमी लंबी है रेल लाइन: दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन की लंबाई 19 किमी है। इसमें महज कुछ जगह ही गिट्टियां हैं। पैसेंजर ट्रेन बैगर गिट्टी युक्त पटरी पर ही दिनभर में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को आती-जाती है। रेल पटरी के बीच गिट्टी नहीं होने से दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।

30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है पैसेंजर: दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर पैसेंजर ट्रेन केवल 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कारण जर्जर रेल पटरी व पटरियों के बीच गिट्टियों का पर्याप्त मात्रा में नहीं होना है। ऐसे में दिलदारनगर से ताड़ीघाट तक 19 किमी की दूरी तय करने में पैसेंजर ट्रेन को 50 मिनट का समय लग जाता है, जबकि रेलवे के मानक के अनुसार 19 किमी की दूरी तय करने में किसी भी पैसेंजर ट्रेन को 25 मिनट का समय लगना चाहिए। हालांकि ब्रांच लाइन पर कुल 15 छोटी बड़ी पुलिया हैं। सभी पुलिया पर लगे जर्जर लकड़ी स्लीपर के बदले कंक्रीट का स्लैब लगाया गया है।

52 किलो की पुरानी रेल पटरी पर दौड़ रही ट्रेन: दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर आज भी 52 किलो की पुरानी और जर्जर रेल पटरी पर ही डिटी पैसेंजर ट्रेन दौड़ रही है। ऐसे में ट्रेन के सफल संचालन को लेकर रेलवे का संरक्षा और सुरक्षा का दावा भी पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर रेल पटरी बदली गई है।

इसलिए डाली जाती हैं रेल पटरी के बीच गिट्टियां:  रेलवे ट्रैक पर गिट्टियां इसलिए डाली जाती हैं कि पटरियों के बीच में घर्षण ना हो। रेल काफी भारी-भरकम होती है और जब वह चलती है तो इससे बहुत ज्यादा घर्षण होता है। उसको कम करने के लिए गिट्टियां बिछाई जाती हैं। इन विशेष प्रकार की गिट्टियों को बलास्ट कहते हैं।

गंगा नदी में निर्माणाधीन रेल पुल का कार्य पूरा होने के बाद दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को मेन लाइन बनाया जाएगा। इस हिसाब से कार्य किया जा रहा है। साथ ही सुरक्षा और संरक्षा का पूरा ध्यान दिया जा रहा है। ब्रांच लाइन में कुछ जगह रेल पटरी भी बदली गई है।

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