एसडीएम के आदेश को काटकर दूसरा लिखने के मामले में तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं इस मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ जांच का आदेश भी दिया गया है। इस कार्रवाई से तहसील परिसर में कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
वाराणसी के करधना गांव के रामकिशुन ने आबादी की भूमि गांव के ही नंदलाल और बच्चालाल से खरीदी थी। इस भूमि पर गांव के कुछ लोग काबिज थे। रामकिशुन कब्जा हटाने के लिए पत्र दिया था। एसडीएम के आदेश के बाद लेखपाल ने जांच रिपोर्ट दी। जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने सीन लिखकर कार्यालय में भेज दिया था।
इसके बाद तहसील कर्मचारियों ने एसडीएम द्वारा लिखे गए सीन को न सिर्फ काट दिया, बल्कि कब्जा हटाने का आदेश भी लिख दिया। इस कूटरचित आदेश का पालन भी जल्द हो गया और मौके से कब्जा भी हटा दिया गया। पीड़ित पक्षकारों ने इसकी जानकारी उप जिलाधिकारी को दी।
ऐसे सामने आया सच
पीड़ित का कहना था कि उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी उल्टे उनके खिलाफ आदेश हो गया। उप जिलाधिकारी को मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने पत्रावली मंगा कर देखा तो सारा मामला सामने आ गया। उप जिलाधिकारी ने शुक्रवार को इस मामले में दो लेखपालों और एक अमीन को निलंबित कर दिया। इस मामले में उप जिलाधिकारी ने बताया कि यह गड़बड़ी उनकी छुट्टी के दौरान की गई है। इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है।
आरोप- तहसील में भ्रष्टाचार के चरम पर
वरिष्ठ अधिवक्ता तथा बार एसोसिएशन राजातालाब के पूर्व अध्यक्ष सर्वजीत भारद्वाज का कहना है कि कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। जिसे लेकर वे लोग हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। अबकी बार मामला पकड़ में आ गया है। पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि कई मामलों में आदेश कुछ होता है और बात में निर्णय कुछ और निकल जाता है।
आदेश के बाद कार्यालयों में संलग्न कर्मचारी और आउटसाइडर दूसरा आदेश जारी कर देते हैं। अधिवक्ता छेदी यादव, प्रदीप सिंह तोयज सिंह, नीरज पांडेय का कहना था कि ऐसी घटना राजातालाब तहसील में भ्रष्टाचार के चरम को दर्शाती है।
लेखपालों ने निलंबन वापस लेने की मांग की
तहसील राजातालाब में शनिवार को आयोजित बैठक में लेखपालों का निलंबन रद्द किए जाने की मांग की गई। लेखपाल संघ के अध्यक्ष मान सिंह ने कहा कि उप जिलाधिकारी कार्यालय से डाक पर चढ़कर पत्र निर्गत होता है तो लेखपाल उसका अनुपालन कराएगा ही। लेखपालों ने अतिरिक्त गांव की जिम्मेदारी तत्काल वापस लेने की मांग की।
लेखपालों का कहना था कि बहुत से लेखपाल पैरवी और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कार्यालय से संबद्ध हो जाते हैं। सरकारी आदेशों पर कूट रचित कार्य कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा जबरन कराया जाता है। बैठक में कृष्ण मुरारी, प्रदीप, अजीत, राजेश, रामरेखा, जय प्रकाश राय आदि उपस्थित थे।
गांव छोड़कर मुख्यालय पहुंचने पर 17 कर्मियों का वेतन रोका
जिला पंचायत राज अधिकारी राघवेंद्र द्विवेदी ने गांव छोड़कर मुख्यालय आए 17 सफाई कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया है। जारी आदेश में कहा है कि उक्त सफाई कर्मचारी कार्य अवधि के बाद आ सकते थे लेकिन कार्य छोड़कर जिला मुख्यालय पर होना लापरवाही है। इस मामले में तीन दिनों के अंदर अपना स्पष्टीकरण रखें वरना कार्यवाही की जाएगी।
शासन के निर्देश पर इस समय गांवों में संक्त्रसमक बीमारियों की रोकथाम को लेकर विशेष अभियान तहत स्वच्छता, दवा का छिड़काव, फागिंग समेत अन्य कार्य चल रहे हैं। जिलाधिकारी की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सफाई कर्मचारी क्षेत्र में मौजूद रहकर इस कार्य को मूर्तरूप देंगे।
शासन ने सभी स्कूलों में नियमित सैनिटाइजेशन कराने का निर्देश पहले ही दे रखा है। सफाई कर्मचारी शिष्टाचार मुलाकात करने व विभिन्न मांगों को रखने के लिए नौ सितंबर को जिला पंचायत राज कार्यालय पहुंच गए। इसी मामले को संज्ञान में लेते हुए वेतन रोकने का आदेश जारी हुआ है।