गंगा का पानी अब तबाही मचाने लगा है। सोमवार को गंगा खतरे के बिदु 71.262 सेंटीमीटर को पार कर गईं। इससे तटवर्ती इलाके के गांवों में त्राहि-त्राहि मच गई है। टांडाकला और सोनबरसा बाजार में पानी पहुंच गया। पानी अब घरों में घुसने लगा है। गांवों के सिवान पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। किसानों को फसल बर्बादी व गंगा कटान की चिता सताने लगी है। घाट किनारे रह रहे लोग भी विस्थापन को मजबूर हैं। उन्हें यहां से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा।
पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश की वजह से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। एक पखवारे से गंगा में पानी बढ़ने का क्रम जारी है। ऐसे में तटवर्ती इलाकों में खतरा मंडरा रहा था। आखिर सोमवार को गंगा खतरे के बिदु को पार कर गईं। पानी तटवर्ती इलाके के सिवान को पार करते हुए अब गांवों के समीप पहुंच गया है। दर्जनों गांव गंगा की बाढ़ से घिर गए हैं। वहीं टांडाकला और सोनबरसा गांव में पानी घुस गया हैं। गांव की गलियों व मार्गों पर घुटने भर तक पानी लग गया है। यहां तक कई घरों और दुकानों में भी पानी घुस रहा है।
ऐसे में लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। लोग घर-गृहस्थी का सामान और पशुओं को लेकर ऊंचाई वाले स्थानों पर शरण ले रहे। ताकि जान बच सके। गांवों के मुख्य मार्ग जलमग्न होने की वजह से संपर्क भी टूट गया है। गांवों के चारों तरफ पानी की वजह से ग्रामीणों की जिदगी दुश्वार हो गई है। कहीं आने-जाने के लिए उन्हें नाव का सहारा लेना पड़ रहा अथवा घुटने भर पानी से होकर गुजर रहे। आपदा को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। संबंधित एसडीएम व तहसीलदार को पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। गंगा किनारे स्थित 13 बाढ़ चौकियां अलर्ट हैं।
इसके अलावा 23 गोताखोर व पीएसी की टीम भी मोटर बोट व नावों के साथ मुस्तैद है। जरूरत पड़ी तो ग्रामीणों को स्कूलों अथवा किसी सार्वजनिक स्थानों पर शरण दिलाई जा सकती है। हालांकि बाढ़ समाप्त होने के बाद समस्या दूर नहीं होगी। कटान से दो-चार होना पड़ेगा। वहीं गांवों में कीचड़ और गंदगी से परेशानी होगी। जिला प्रशासन ने गांवों में सफाई व ब्लीचिग पाउडर के छिड़काव की जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग को दी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट रहने का निर्देश है। ताकि किसी तरह की संक्रामक बीमारी फैलने की स्थिति में तत्काल दवा व उपचार मिल सके।