अगर जनवरी जैसी लापरवाही बरती गई तो कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और भयावह होगी। मतलब हालात बिगड़ने पर देश में रोज पांच लाख तक केस आ सकते हैं। तीसरी लहर का पीक भी सितंबर में आ सकता है। यह बात आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजेश रंजन और प्रो. महेंद्र वर्मा ने कही। उन्होंने कहा, अभी से सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसके जरिए तीसरी लहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने यह दावा इस आधार पर किया है कि देश 15 जुलाई तक पूरी तरह अनलॉक हो जाएगा। हालांकि इसमें उन्होंने वैक्सीनेशन को शामिल नहीं किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो. राजेश रंजन व प्रो. महेंद्र वर्मा ने गणितीय मॉडल सर तैयार किया है, जिसके आधार पर तीसरी लहर को लेकर देश को अलर्ट किया है। वैज्ञानिकों ने तीन रिपोर्ट पेश की हैं। वर्तमान में जो स्थितियां चल रही हैं, अगर वैसी ही रहीं तो अक्तूबर में तीसरी लहर के दौरान तीन लाख तक केस रोज आने की उम्मीद है। पहली लहर के बाद जनवरी में जो देश की स्थिति थी, मतलब जितनी मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज किया गया था, वैसा ही अगर जुलाई में अनलॉक के बाद हुआ तो हालात खतरनाक होंगे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगस्त से ही स्थिति खराब होना शुरू हो जाएगी। वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर तीसरे चरण से पहले मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी सावधानियां बरती गईं और वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से चलता रहा तो तीसरी लहर नवंबर के अंत तक आने की उम्मीद है। साथ ही, स्थिति अधिक भयावह नहीं होगी। ऐसे समय में कोरोना केस की संख्या रोजाना दो लाख से कम रहेगी। वैज्ञानिकों ने इसलिए तेजी से वैक्सीनेशन कराने और साल के अंत तक मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करने का आग्रह किया है।