देवरिया में रविवार को निकली एक बारात ने पुरानी परंपराओं की याद ताजा कर दी। इस बारात में दूल्हा पालकी से निकला तो वहीं बाराती बैलगाड़ी से रवाना हुए। इस बारत को जिसने भी देखा देखता ही रह गया। जिस चौराहे से भी यह बारात गुजरी वहां मजमा लग गया। कुछ बुजुर्ग तो बाराती व दुल्हा दोनों की तारीफ कर अघाते नहीं थक रहे थे।
रामपुर कारखाना विकासखंड के कुशहरी गांव के रहने वाले छोटेलाल पाल धनगर पुत्र स्व जवाहर लाल की शादी जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के पकड़ी बाजार के नजदीक बलडीहा दल गांव निवासी रामानंद पाल धनगर की पुत्री सरिता से तय थी। रविवार को बारात रवाना होनी थी। इसके लिए कुशहरी में पिछले एक सप्ताह से तैयारी चल रही थी। छोटेलाल ने अपनी बारात पुराने रीति-रिवाज और परंपरा से निकालने की जानकारी दुल्हन पक्ष को पहले ही दे दिया था। सुबह 11 बैल गाड़ियां सज-धज कर छोटे लाल के दरवाजे पर पहुंची तो लोग देखते ही रह गए।
#WATCH | Deoria: Groom & the ‘baratis’ rode bullock-carts to reach wedding venue in Pakri Bazar from his home in Kushari village, a distance of 35-km today
— ANI UP (@ANINewsUP) June 20, 2021
“I wanted to show people how our ancestors used to take out wedding processions & perform weddings,” said groom Chhote Lal pic.twitter.com/v7pIsdpaON
सभी बैलगाड़ी खास अंदाज में पीले कपड़े की छतरी से सजी थी। रिश्तेदार और बाराती भी सुबह ही पहुंच गए। जो लोग उत्सुक थे उन्हें घरातियों ने बताया कि बारात 22 किलोमीटर दूर बैलगाड़ी से ही जानी है सो सुबह ही निकलना पड़ेगा। सारी तैयारी होने के बाद दुल्हा छोटे लाल पाल धनगर पालकी से परछावन के लिए निकले। आगे-आगे बैंडबाजे की जगह फर्री नृत्य लोक कलाकार कर रहे थे। इस दृश्य ने मानों वर्षो पुरानी पंरपरा को जीवंत कर दिया। गांव में बूढ़े-बुजुर्ग जहां
दौड़ते-भागते हुए परछावन देखने पहुंचे वहीं बच्चों के लिए यह बारात किसी अचम्भे से कम नहीं थी। कोई उत्सुकता के साथ एक दूसरे से सवाल कर रहा था तो कुछ लोग परंपरा की दुहाई देकर छोटेलाल के फैसले की तारीफ में जुटे थे। करीब घंटे भर तक गांव में काली माई, बरम बाबा के पास परछावन की रस्म पूरी हुई। इसके बाद छोटेलाल पालकी से उतर कर एक बैलगाड़ी में सवार हुए। इसके बाद खास अंदाज में इनकी बारात दुल्हन को लाने के लिए पकड़ी बाजार के लिए रवाना हुई। रास्ते में भी यह बारात लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। चौक-चौराहों से गुजरते समय लोगों की भीड़ लग जा रही थी। जिले में यह अनोखी बारात चर्चा का का विषय बनी हुई है।
मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के आर्ट डिपार्टमेंट में काम करते हैं छोटे लाल
कुशहरी गांव निवासी स्व जवाहर लाल पाल धनगर के दो बेटे हैं। बड़े बेटे रामविचार पाल धनगर गांव पर ही रहते हैं। जबकि छोटेलाल मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में आर्ट डिपार्टमेंट में काम करते हैं। रिश्ता तय होने के बाद जब छोटे लाल घर आए तो उन्होंने अपनी बारात खास अंदाज में निकालने की चर्चा घर पर की। पहले तो परिजन और रिश्तेदार तैयार नहीं हुए। लेकिन जब छोटेलाल में पुरानी परंपरा की याद दिलाई तो वह भी तैयार हो गए। इसके बाद रविवार को सज धज कर बैलगाड़ी से बारात और पालकी में दूल्हा पकड़ी बाजार के लिए निकल पड़े।
बचपन से ही अपनी बारात पुरानी परंपरा के अनुसार निकालने की बात सोच रखे थे। आज मेरा सपना साकार हो गया है। बैलगाड़ी आदि की व्यवस्था करने में परिवार के साथ ही गांव के लोगों ने भी काफी सहयोग किया। हम इस सहयोग के लिए सभी के आभारी हैं। हम सभी को अपनी पंरपरा को जिंदा रखते हुए उससे नई पीढ़ी को अवगत कराना चाहिए।