हाईवे पर सफर कर रहे प्रवासी कामगारों पर भूख और प्रकृति दोनों की मार पड़ रही है। मंजिल की तलाश में पैदल चलने से थक कर चूर हो चुके कामगार थकान को ही बिस्तर बनाकर सोने को मजबूर हैं। कंधों पर लदे सामान से ज्यादा उन्हें बच्चों की भूख और पैरों में छालों से हुआ दर्द रुला रहा है। शनिवार को कामगारों की मदद करने निकले आइजी ने अपनी गाड़ी में बैठाकर कुछ कामगारों को गाजियाबाद के मोरटा में बने शेल्टर होम तक पहुंचाया।
शेल्टर होम तक छुड़वाया
कमिश्नर अनीता सी. मेश्राम और आइजी प्रवीण कुमार शनिवार को हापुड़ रोड होते हुए खरखौदा थाने की धीरखेड़ा चौकी पर पहुंचे। पैदल सफर कर रहे कामगारों को उन्हें वहीं पर रोका। इसे बाद थानों से गाड़ी बुलवाकर शेल्टर होम तक छुड़वाया। कुछ कामगारों के पैरों की हालत देखकर अपने काफिले की गाड़ी में बैठा लिया और उन्हें गाजियाबाद के मोरटा तक छुड़वाया।
बॉर्डर तक पहुंचाया जाएगा
धीरखेड़ा चौकी से कमिश्नर और आइजी बुलंदशहर के सिकंदराबाद पहुंचे। वहां से हापुड़ होते हुए गाजियाबाद के मोरटा स्थित शेल्टर होम पहुंचे। शेल्टर होम में मौजूद कामगारों से बातचीत की। आइजी प्रवीण कुमार ने बताया कि गाजियाबाद से रोडवेज की दो सौ बसें प्रदेश के विभिन्न जिलों में कामगारों को छोडऩे के लिए लगाई गई हैं। मोरटा से बड़ी संख्या में कामगार अपने जिले पहुंच जाएंगे। कुछ कामगार बिहार के भी हैं। उन्हें भी राज्य के बार्डर तक पहुंचाया जाएगा।