चंदौली : बेतरतीब यूनिफार्म पहन कर स्कूल जाने के सोनू और मीना के दिन अब लद गए..। चाची और दादी के हाथों सिली ड्रेस में लकदक पढ़ने जाएंगे। दरअसल शासन ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की स्कूल ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़ी महिलाओं को सौंपने का निर्णय लिया है। इससे लॉकडाउन में गरीब महिलाओं को रोजगार मिलेगा साथ ही यूनिफार्म की गुणवत्ता भी सुधरेगी। जिले में स्वयं सहायता समूह की 426 प्रशिक्षित महिलाएं दो लाख 29 हजार 600 ड्रेस तैयार करेंगी। अप्रशिक्षित महिलाओं को प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाने की भी योजना है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एक से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को दो सेट मुफ्त यूनिफार्म उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। पिछले शैक्षणिक सत्र तक निविदा के माध्यम से रेडिमेड ड्रेस उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। बच्चों में बिना सही माप के ड्रेस वितरित कर किए जाते थे। बहरहाल शासन ने पहल करते हुए एनआरएलएम से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ड्रेस तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। विभाग को निर्देश दिया गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर लक्ष्य पूरा कराएं। पिछले सत्र में प्रयोग के तौर पर इसे आजमाया गया था। महिलाओं का काम अच्छा रहा तो शासन ने अबकी लक्ष्य बढ़ा दिया है। 229600 ड्रेस तैयार करने का लक्ष्य