लॉकडाउन के 52वें दिन शुक्रवार को प्रवासी कर्मयोगी जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन से मीरजापुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो गेट से निकलते ही उनके चेहरे पर एक अलग तरह की खुशी झलक रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानों जैसे पिजरे से पंक्षी को आजादी मिल गई हो। स्टेशन के बाहर वेटिग हाल में प्रवासियों का तापमान चेक किया जा रहा था, उसी बीच मां का हाथ थामे मासूम ने तुतलाते बोला- मम्मी-मम्मी हम घर आ गए न! यह सुन महिला बोली हां बेटे जल्द ही हम घर पहुंचने वाले हैं। कोई परेशानी नहीं होगी। बच्चे की बात सुन लंच पैकेट देने वाले कर्मी ने बच्चे की मासूमियत देख मुस्कराते बोला- हां बेटा आ गए हो अपने घर।
सूरत-मीरजापुर श्रमिक स्पेशल ट्रेन 09293 सुबह करीब दस बजे स्टेशन पर पहुंची तो सभी प्रवासी कर्मयोगी ट्रेन के कोच की खिड़कियों को खोल कर हाथ हिला कर अभिवादन करना शुरू कर दिया। काफी संख्या में कर्मयोगी व बच्चे ताली बजा रहे थे और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी अलग झलक रही थी। उनमें काफी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी थे। ट्रेन कुछ देर खड़ी रही, उसके बाद जिलेवार कोच से एनाउंस कर बाहर बुलाया गया। सबसे पहले जौनपुर जिले के लोगों को निकाला गया। जौनपुर के बाजार निवासी एक परिवार जब वेटिग हाल में थर्मल स्कैनिग कराने पहुंचे तो एक महिला का हाथ थामे चार वर्षीय बेटा गोलू की नजरें इधर-उधर अपना घर तलाश रही थीं।
मासूम चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई और मां से पूछा कि मम्मी हम घर आ गए हैं न। इस पर आसपास खड़े लोगों की नजरें उस बच्चे पर चली गई और सभी मुस्करा दिए। बच्चे को ढाढ़स बंधाते मां बोली- हां बेटा हम अपने घर आ गए हैं। कुछ ही घंटे में बस से पहुंच जाएंगे। बच्चे के चेहरे पर संतोष के भाव बिखरने लगे। कमोबेश यही भाव हरेक चेहरे पर नजर आ रहे थे फिर चाहे बड़े-बुजुर्ग हों या फिर नन्हें-मुन्ने बच्चे। सभी में घर पहुंचने की ललक दिख रही थी।