एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर में रेलवे स्टेशन पर कोरोना काल में ट्रेनें बंद होने के बाद अब तक शुरू नहीं हो सकी। गांव समेत आसपास के हजारों लोगों के प्रतिदिन का साधन ट्रेन के ठहराव नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं। सैनिक परिवारों ने ट्रेनों के ठहराव नहीं होने पर नाराजगी जताई है और अब धरने पर बैठ गए हैं। ग्रामीणों में सैनिक परिवार, कर्मचारी, समाजसेवी और राजनेता भी शामिल हैं। सभी ने गहमर स्टेशन पर प्रमुख ट्रेनों के फिर से ठहराव की मांग की है।
भूतपूर्व सैनिक सेवा संस्थान एवं रेल पुनः ठहराव समिति ने रेल प्रशासन के वादा खिलाफी का आरोप लगाकर फिर आंदोलन शुरू कर दिया। आश्वासन के 6 महीने बाद भी गहमर रेलवे स्टेशन पर फरक्का एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, भगत की कोठी एवं गरीब रथ एक्सप्रेस का ठहराव न होने से नाराज होकर गहमर रेलवे स्टेशन परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
भूतपूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष मार्कण्डेय सिंह ने कहा कि 15 हजार सैनिकों के स्टेशन से ट्रेनों का ठहराव खत्म होने से सैनिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 25 जुलाई को अपर जिलाधिकारी भूराजस्व के नेतृत्व में हमें आश्वासन मिला कि आप को जल्दी ही ट्रेनें दे दी जाएंगी, मगर 5 माह बीत जाने के बाद भी हमें सारी ट्रेनों का ठहराव नहीं मिला। जिससे क्षुब्ध हो हम इस अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठे हैं। ये अनशन तभी समाप्त होगा जब हमारी बाकी बची ट्रेनों का गहमर रेलवे स्टेशन पर ठहरना शुरू हो जायेगा।
हमने फैसला किया कि अब हम अपने अधिकार के लिए आर पार की लड़ाई लड़ेंगे और तब तक यहाँ से नहीं हटेगें जब तक हमें ट्रेनें नही मिल जाती। इस अवसर पर भूतपूर्व सैनिक संगठन के महामंत्री शिवानंद सिंह, सदस्य चंदन सिंह, महेन्द्र उपाध्याय, कुणाल सिंह, प्रमोद सिंह, रेल पुन: ठहराव समिति के संयोजक हृदय नारायण सिंह, सुधीर सिंह, हेराम सिंह,कामदेव सिंह,महेंद्र प्रताप हिन्दू, किसान मोर्चा के अध्यक्ष अमित सिंह, अखंड गहमरी,अजीत सिंह इत्यादि मौजूद रहे।