Type Here to Get Search Results !

Recent Gedgets

Trending News

इंगलैंड में 80 लाख रुपये का पैकेज छोड़ फूलों की खेती से 100 परिवारों में फैला रहे खुशियों की सुगंध

साफ्टवेयर इंजीनियर अभिनव को इंगलैंड में 80 लाख रुपये पैकेज की ठाठ-बाट वाली नौकरी रास नहीं आई। उन्होंने पहले 25 लाख के पैकेज पर वतन लौटना स्वीकारा, फिर अपने साथ गांव की तकदीर संवारने को फूल की खेती शुरू की। सरकार की योजनाएं संबल बनीं तो ऊसर जमीन को उपजाऊ बना जरबेरा (फूल) की खेती से सौ घरों में खुशियों की सुगंध फैला रहे हैं। अपने गांव चिलबिला में बंजर जमीन पर 60 लाख का प्रोजेक्ट लगाए तो ग्रामीणों से ताना मिला। अब फूलों की खेती राज्य पुरस्कार हासिल कर रोजगार सृजन की दिशा में बढ़ चला तो ग्रामीण अपने इंजीनियर बेटे की सोच पर फक्र करने लगे हैं।

यूं बने इंजीनियर से राज्य पुरस्कृत किसान : अभिनव का बंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के तुरंत बाद 2008 में कैंपस सेलेक्शन हो गया। वहां 16 माह काम करने के बाद लंदन में पोस्टिंग पा ली। वहां छह साल नौकरी की लेकिन मन नहीं लगा। ऊब गए तो वर्ष 2015 में 25 लाख के पैकज पर इंडिया आ गए। एक साल बाद फिर से काम छोड़े तो किसानी में करियर तलाशते वर्ष 2019 में जरबेरा की खेती शुरू की तो पीछे मुड़कर नहीं देखे।

पिता की प्रेरणा और सरकारी योजनाएं बनी संबल : किसान पिता अरविंद सिंह ने कहाकि मिट्टी में असीम संभावनाएं छिपी हैं। अभिनव सिंह ढूंढ़ने में जुटे तो जरबेरा की खेती की ठानी। 50 फीसद सब्सिडी वाला पाली हाउस का प्रोजेक्ट लगा दिए। दरअसल, जरबेरा का फूल वाराणसी, लखनऊ, पुणे और बंगलुरु से आता है। ऐसे में अभिनव के उत्पाद को बाजार आसानी से मिल गया। वह ढेढ़ रुपये का फूल औसतन चार रुपये में बेचकर डेढ़ लाख रुपये प्रति माह अर्जित करते हैं। वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सौ परिवार को भी जोड़ रखे हैं।

20 युवाओं का लगवा रहे प्रोजेक्ट : पाली हाउस से रोजाना निकल रहे दो हजार फूल बाजार में ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। फूलों का हब बनाने के लिए 20 लोगों का प्रोजेक्ट और लगवा रहे हैं। इससे बाजार की जरूरतें पूरी होने के साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से दो हजार परिवारों की जीविका चल पाएगी। चूंकि सरकार इसे बढ़ावा दे रही, इसलिए जरबेरा की पहचान आजमगढ़ी के रूप में उभरेगा।

बोले अधिकारी : ‘‘घर पर रहकर डेढ़ लाख रुपये महीने कमाई नोएडा के 25 लाख के बराबर है। क्यों कि वहां 30 फीसद टैक्स देना पड़ता था। सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में फूलों की खेती को टैक्स फ्री किया है। कृषि से बड़ा दूसरा कोई कारोबार नहीं है। 20 लोगों का प्रोजेक्ट लगवा रहा हूं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिले। कोई चाहे तो मैं मदद को तैयार हूं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ad Space

uiuxdeveloepr