गांवों में अब धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। प्रवासी कामगारों के परिवार में लौटने से गांव गुलजार हो गए हैैं। इसमें सरकार की ओर से स्थानीय स्तर पर रोजी-रोटी का जुगाड़ सोने पर सुहागा साबित होने लगा है। सरकारी योजनाएं गांवों में शुरू होने से स्थानीय ही नहीं प्रवासी कामगारों को भी काम मिलने लगा है।
62 हजार लोगों को मिला काम, एक करोड़ का भुगतान
गांवों में बड़े स्तर पर विकास कार्य शुरू करा दिए गए हैैं। सबसे अहम मनरेगा के कार्य हैैं। जिले के लगभग सभी 1637 गांवों में मनरेगा के कार्य शुरू करा दिए गए हैैं। मनरेगा के 22 हजार से ज्यादा काम शुरू हुए हैैं। इसमें जल संरक्षण के लिए तालाब की खोदाई और पौधारोपण के लिए गड्ढों की खोदाई का काम शुरू हुआ है। उपायुक्त मनरेगा कपिल कुमार ने बताया कि मनरेगा के तहत अब तक 62 हजार लोगों को काम देकर एक करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान भी करा दिया है।
खास बातें
- 07 गांवों में दो-दो लाख रुपये से बनने लगे कम्युनिटी टॉयलेट.
- 15 सौ गांवों में 'कायाकल्प' के तहत स्कूलों की हो रही मरम्मत.
- 16 सौ गांवों में मनरेगा के तहत शुरू कराए गए 22 हजार काम.
- 01 लाख से ज्यादा हाथों को इस समय गांवों में मिल रहा है काम।