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Radha Ashtami 2024: जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Radha Ashtami 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसका मतलब है कि कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी का पर्व आता है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का पर्व भी मथुरा, वृंदावन और बरसाने में धूमधाम से मनाया जाता है। 

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इस दिन महिलाएं घर में सुख, शांति और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सहकी थीं। राधा-कृष्ण एक-दूसरे से प्रेम करते थे, इसलिए कहा जाता है कि राधा का नाम जपने से भगवान श्रीकृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और राधा रानी के साथ कृष्ण जी की पूजा करने से घर में धन-धान्य के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ऐसे में हम जानते हैं राधा अष्टमी पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त…

राधा अष्टमी की कथा: Story of Radha Ashtami

राधा वृषभानु गोप की संतान थीं। राधाजी की माता का नाम कीर्ति था। पद्म पुराण में राधा को राजा वृषभानु की पुत्री कहा गया है। इस पुराण के अनुसार, जब राजा यज्ञ के लिए भूमि की शुद्धि कर रहे थे, तो उन्हें धरती के रूप में राधा मिली। राजा ने उसे अपनी पुत्री मानकर पाला-पोषा। 

कुछ किंवदंतियों के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों को कृष्ण अवतार में जन्म लेने के लिए पृथ्वी पर आवश्यकता होने पर, विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी ने राधा के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, राधा श्रीकृष्ण की मित्र थीं, और उनकी शादी रपन या रायन नामक व्यक्ति से हुई थी। कहा जाता है कि राधाजी अपने जन्म के समय ही श्रीकृष्ण की प्रेमिका बन गई थी।

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2024 में राधा अष्टमी कब है? When is Radha Ashtami in 2024

राधा अष्टमी, जिसे राधाष्टमी भी कहा जाता है, 2024 में 11 सितंबर को मनाई जाएगी। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय भक्त और सखी राधा जी की जन्म तिथि होती है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं और उनके भगवान के साथ लीला की स्मृति करते हैं। 

इस दिन विशेष रूप से वृंदावन, मथुरा, और मयपुर में उत्सवी धार्मिक आयोजन होते हैं जिनमें भक्त आकर्षित होते हैं। राधा अष्टमी को महिलाएँ खासकर ध्यान और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान के प्रेम का संदेश पाने का अवसर मानती हैं और इस दिन विशेष रूप से मिठाईयाँ बनाई जाती हैं।

राधा अष्टमी क्यों मनाई जाती है? Why is Radha Ashtami Celebrated?

राधा अष्टमी का उत्सव हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय भक्त और सखी, राधा जी की जन्म तिथि मनाई जाती है। यह उत्सव भगवान कृष्ण और राधा जी के अत्यंत प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण घटना को याद करने के रूप में मनाया जाता है।

राधा रानी श्रीकृष्ण के अत्यंत प्रिय गोपिका थीं और उनके प्रेम की प्रतीक थीं। उनकी प्रेम कहानी भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच में एक अद्वितीय प्रेम और आत्मा के साथ उनके दिव्य रिश्ते को प्रकट करती है।

राधा अष्टमी के दिन भक्त भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा और भजन-कीर्तन करके उनके प्रेम और भक्ति की याद करते हैं। इस दिन धार्मिक गाथाओं के सुनाने जाने के बाद, भक्त एक साथ आकर्षित होते हैं और भगवान के प्रेम का संदेश पाते हैं। इसे एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो भक्तों के बीच एकता और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है।

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राधा अष्टमी महोत्सव पूजा महत्व: Radha Ashtami Festival Puja Importance

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जब उपवास रखा जाता है, ठीक उसी तरह, राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस पर्व को 'श्री किशोरी जी के जन्मोत्सव' के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन राधा रानी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, आयु, और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

राधा अष्टमी 2024 तिथि: Radha Ashtami 2024 Date

हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 11 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से आरंभ होगी और 23 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। तिथि के अनुसार, राधा अष्टमी पर 12 सितंबर 2024, Thursday के दिन हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाएगा। इस दिन, मध्यान्ह पूजा का समय सुबह 10 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त: Radha Ashtami 2024 Auspicious Time

पंचांग के अनुसार, राधा अष्टमी पर्व के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही इस दिन रवि योग भी बन रहा है। विशेष बात यह है कि सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग शुरू होगा। इसके अलावा, रवि योग दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर के सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक बना रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है कि इन शुभ योगों में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

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राधा अष्टमी का पौराणिक महत्व: Mythological Significance of Radha Ashtami

देवी भागवत में श्री नारायण ने श्री राधायै स्वाहा मन्त्र की प्राचीन परम्परा और महत्वपूर्ण महिमा के संदर्भ में नारद को बताया कि श्री राधा की पूजा करना अत्यंत आवश्यक है। अगर कोई व्यक्ति श्री राधा की पूजा नहीं करता है, तो उसे भगवान कृष्ण की पूजा करने का अधिकार नहीं है। 

सभी वैष्णव भक्तों को देवी राधा से प्रार्थना करनी चाहिए। श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के जीवन की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए भगवान उनके अधीन रहते हैं। वह सभी कामनाओं के लिए राधन हैं, इसलिए उन्हें श्री राधा कहा जाता है।

राधा अष्टमी 2024 पूजा विधि: Radha Ashtami 2024 Puja Method

  • राधा अष्टमी के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • उसके बाद, धारण-स्थल पर एक तांबे या मिट्टी के कलश को रखें और एक तांबे के पात्र में राधा जी की मूर्ति को स्थापित करें।
  • फिर, एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा फैलाएं, उसके उपर राधा रानी की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • पंचामृत से स्नान कराकर सुंदर वस्त्र पहनें और दोनों का श्रृंगार करें।
  • फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें।
  • इसके बाद, राधा कृष्ण के मंत्रों का जाप करें और कथा सुनें।
  • ध्यान दें कि पूजा का समय ठीक दोपहर के होने चाहिए।
  • इसके साथ ही, राधा कृष्ण की आरती अवश्य गाएं।
  • पूजा के बाद, आप पूर्ण उपवास रख सकते हैं या एक बार स्वस्तिक भोजन कर सकते हैं।
  • राधा गायत्री मंत्र का नियमित जाप करें।
  • फिर, दूसरे दिन, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।

राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें: How to Fast on Radha Ashtami

राधा अष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय भक्त राधा जी की पूजा और आदर के रूप में किया जाता है। इसे ध्यान, भजन, पूजा, और दान के साथ मनाया जा सकता है। यहां एक साधारण राधा अष्टमी का व्रत मानने का तरीका है:

  • उपवास: इस दिन व्रती लोग नींबू पानी और फल जैसे सात्विक आहार का सेवन करते हैं, और अनाना खाने से बचते हैं।
  • पूजा: व्रत करने वालों को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और सुन्दर रूप में तैयार होकर मंदिर में जाकर राधा और कृष्ण की मूर्तियों को देखना चाहिए। पूजा में तिलक, चंदन, फूल, धूप, दीप, और प्रसाद का अर्चना किया जाता है।
  • भजन-कीर्तन: भक्त भजन और कीर्तन करके भगवान की महिमा गाते हैं और उनके गुणगान करते हैं।
  • दान: इस दिन गरीबों को दान देना भी अच्छा होता है, जैसे कि अनाज, कपड़े, या आवश्यक आवश्यकताओं की चीजें।

राधा अष्टमी का व्रत भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है और भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक होता है।

राधा अष्टमी मंत्र: Radha Ashtami Mantra

राधा अष्टमी के दिन, राधा गायत्री मंत्र का जाप करना विशेष महत्वपूर्ण है।

राधा अष्टमी के लिए राधा गायत्री मंत्र है -

ॐ वृषभानुज्यै विद्महे।

कृष्णप्रियायै धीमहि।

तन्नो राधा प्रचोदयात।।

राधा अष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए? 

What should be eaten during Radha Ashtami Fast?

राधा अष्टमी व्रत में सात्विक और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए। यहां कुछ खास आहार की सुझाव दिए गए हैं:

  • फल और फलों की मिठाई: राधा अष्टमी पर व्रत करने वाले फल और फलों की मिठाई खा सकते हैं, जैसे कि केला, सेब, अंगूर, और खजूर।
  • नींबू पानी: नींबू पानी पीना व्रती लोगों के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि यह शुद्ध और सात्विक होता है।
  • दूध और दूध से बनी चीजें: दूध, दही, पनीर, और मिठाईयों में दूध का उपयोग कर सकते हैं।
  • शाकाहारी भोजन: व्रती भोजन में शाकाहारी आहार जैसे कि साबुदाना, कट्टू, अररोट, फली, और सब्जियाँ शामिल कर सकते हैं।

राधा अष्टमी व्रत में तमाम आहार को सात्विकता और शुद्धता के साथ तैयार करना चाहिए और अनाना खाने से बचना चाहिए। व्रत के दौरान भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना के साथ आहार का सेवन करना चाहिए।

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समापन: Conclusion

राधा अष्टमी 2024 का आयोजन महत्वपूर्ण है, जहाँ हम इस पावन तिथि की महत्वपूर्ण जानकारियों को समझते हैं। इस साल की राधा अष्टमी तिथि, पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक उपासना के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हमने इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त को समझा और जानकारी प्राप्त की है। इस दिन श्रद्धा भक्ति से इस पर्व को मनाने का मौका है और राधा-कृष्ण की आराधना करने से सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति मिल सकती है। इसलिए, हमें इस महत्वपूर्ण तिथि का मान्य करके इसका योगदान करना चाहिए।

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