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जमानियां में ओडीएफ का दावा फेल, टॉयलेट की हालत जर्जर, दरवाजा और छत गायब

जमानियां को सात वर्ष पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। लेकिन धरातल पर इसका असर दूर-दूर तक देखने को नहीं मिल रहा है। अधिकांश शौचालय जर्जर हो चुके हैं। किसी में दरवाजा नहीं है, तो किसी की छत गायब है। जिस कारण इनका उपयोग नहीं हो रहा है। जिस कारण शासन की खुले में शौच मुक्त की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है।

नौ करोड़ खर्च कर बनवाए साढ़े आठ हजार शौचालय

जमानियां की सभी 130 ग्राम पंचायतों में करीब साढ़े तीन लाख आबादी के 70 हजार परिवार निवास करते हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी पंचायतों में 9 करोड़ दस लाख रुपये से साढ़े आठ हजार शौचालय बनवाए गये। ब्लाक और गांव को ओडीएफ घोषित करने के बाद ओडीएफ प्लस की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसका मकसद लोगों को खुले में शौच की प्रवृति त्यागने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है।

लोगों ने बताया कि लेकिन सच तो ये है कि सुहवल, महादेवा, साईंतबांध, मेदिनीपुर, श्रीरामपट्टी, बडेसर, ढढनी, रेवतीपुर, नवली और जमानियां आदि गांवों में बनवाए गए शौचालयों की की हालत ऐसी है ही नहीं कि उसे उपयोग किया जाए। सोनिया, राधिका, जगदीश, तारा देवी, चंदा और ओमप्रकाश ने बताया कि गांवों और बस्ती के लोग खुले में शौच को विवश हैं।

महिला, पुरुष और बच्चे खुले में शौच जाने को विवश

आरोप है कि मानक विहीन और आधे-अधूरे निर्माण के कारण सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। जिस कारण विवश होकर महिला, पुरूष और बच्चे खुले में शौच जा रहे हैं। कहा जिन लोगों को शौचालय की सुविधा प्रदान की गई है, उनमें अधिकतर शौचालय जीर्णशीर्ण हैं। उपयोग लायक नहीं है।सीडीओ श्रीप्रकाश गुप्ता ने बताया कि जर्जर हो चुके शौचालय की मरम्मत कराई जाएगी। लोगों को खुले में शौच न करने के लिए प्रेरित किया जायेगा।

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