गाजीपुर जिले के उधरनपुर गाँव में आज सोमवार को नौ दिवसीय श्री रूद्रचंदी मां काली मूर्ति प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ के पहले दिन भव्य कलश यात्रा श्रद्धालुओं के द्वारा काशी से आए दीपांकर पांडेय के नेतृत्व में निकाली गई। इस कलश यात्रा में विभिन्न झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। यह यात्रा उधरनपुर गाँव से डेढगावां से सुहवल होते हुए गंगा तट पहुंची।
जहाँ पूरे वैदिक मंत्रोचार के जरिए भव्य गंगा पूजन व आरती का आयोजन किया गया। इसके उपरांत 151 कलश में जलभरी के तत्पश्चात् वहां से महिला, पुरुष, बच्चे आदि श्रद्धालु कलश लेकर पुन: गाजे बाजे के साथ डीजे की धुन पर थिरकते हुए जयकारे लगाते हुए उधरनपुर गांव स्थित महायज्ञ स्थल पहुंचे।
4 अक्टूबर को होगा भंडारे का आयोजन
वहां पहुंचते ही बेदी पूजन के बाद कलश स्थापना पुरोहितों के द्वारा मंत्रोचार के जरिए किया गया। इस दौरान महिलाएं, युवक, युवतियां रंग बिरंगे वस्त्र ,पताका धारण किए हुए थे।भक्ताें के द्वारा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं पर जगह जगह पुष्प वर्षा लोग कर रहे थे। बीच-बीच में भक्तों के जयकारे से पूरा इलाका भक्तिमय हो उठा। आयोजक मंडल के कृष्णानंद राय सहित अन्य समस्त ग्रामीणों ने बताया कि 26 सितंबर से महायज्ञ प्रारंभ होकर पूर्णाहुति एवं महाप्रसाद भण्डारा 4 अक्टूबर को होना सुनिश्चित है।
प्रतिदिन रामलीला का होगा आयोजन
प्रतिदिन रात्रि में कलाकारों के द्वारा रामलीला का मंचन भी किया जायेगा।काशी से आए दीपांकर पांडे ने कहा कि महायज्ञ के आयोजन से क्षेत्र में शान्ति व समृद्धि होती है, आसपास का वातावरण शुद्ध होता है तथा मानव में सद्बुद्धि आती है। कहा कि इससे मानव समाज स्वस्थ रहता है। जिन जिन प्राणियों के कर्णगोचर होते हैं उनमे पुन्य और सद्गुण का संचार होता है।
कथावाचक ने कथा का महत्व समझाया
आचार्य ने बताया कि देवता के प्रति समर्पण भाव से आना चाहिए तथा महायज्ञ का अवश्य दर्शन करना चाहिए। कहा कि यज्ञ ही श्रेष्ठ कर्म है इसे कभी भी त्यागना नहीं चाहिए। इस धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन से विश्व कल्याण होता है। कहा कि महायज्ञ से मानव समाज का कल्याण होता है।