अक्षय पुण्य फल की कामना के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी के रूप में शुक्रवार को श्रद्धा के साथ मनाया गया। महिलाओं ने आंवला वृक्ष का पूजन कर प्रभातफेरी से रक्षासूत्र बांधा। पूजन-अर्चन कर परिवार के मंगल की कामना की गई।
क्षेत्र के श्रद्धा के साथ आंवला नवमी मनाया गया। अक्षय पुण्य फल की कामना के लिए श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन किया। साथ ही आंवले पेड़ के नीचे भोजन बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। ब्राह्मण विनोद पांडेय के बताया कि अक्षय नवमी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीलक्ष्मी नारायण विष्णु की पूजा अर्चना तथा आंवले के वृक्ष के समीप या नीचे बैठकर भोजन करने से आध्यात्मिक और औषधीय लाभ प्राप्त होता है। आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराकर यथाशक्ति दान दक्षिणा देकर पुण्य अर्जित करने से जीवन में जाने अनजाने में हुए समस्त पापों का शमन हो जाता है।
आंवला उपलब्ध ना हो तो मिट्टी के गमले में आंवले का पौधा लगाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सक विजय वर्मा बताते है कि आयुर्वेद में आंवला सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आंवला आयु बढ़ाने वाला अमृत के समान फल है। आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाने से सारे रोग दूर हो जाते हैं। दिमागी मेहनत करने वाले व्यक्तियों को वर्षभर नियमित आंवले का सेवन करना चाहिए। आंवले का नियमित सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। मलसा : क्षेत्र के कई गांवों में आंवला नवमी पर्व श्रद्धा से मनाया गया। पूजन-अर्चन कर परिवार के मंगल की कामना की गई। श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ के नीचे भोजन बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।