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मुख्तार अंसारी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया जवाब तलब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जिला जेल में गिरोहबंद कानून के तहत निरुद्धि की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी की याचिका पर दिया है। अंसारी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाना में दर्ज मामले में नजरबंदी को अवैध करार देते हुए कोर्ट में पेश किए जाने की गुहार लगाई है।

अपर महाधिवक्ता ने कहा कि पोषणीय नहीं है याचिका

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि याचिका पोषणीय नहीं है। वहीं, याची अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय का कहना था कि याचिका पोषणीय है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के गौतम नौलखा केस का हवाला दिया। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रकरण विचारणीय है। राज्य सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गाजीपुर के जिलाधिकारी को अवमानना नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी गाजीपुर मंगला प्रसाद सिंह को अवमानना नोटिस जारी करके एक माह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने उन्हें आदेश का पालन करने का अवसर दिया है। कहा कि प्रथम दृष्टया जिलाधिकारी के खिलाफ अवमानना का केस बनता है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अफसान अंसारी की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की।

आदेश का पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर की गई है

इनका कहना था कि शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की जांच कार्रवाई के दौरान लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। जिसे हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर जांच के दौरान निलंबन को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। इस आदेश का पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने कहा कि हलफनामा दाखिल न करने पर कोर्ट तलब कर अवमानना आरोप निर्मित करेगी।

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