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पचोखर गांव के हरिजन बस्ती से, आग का तांडव, 400 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख

वर्ष भर दिन-रात मेहनत कर किसानों ने गेहूं की फसल तैयार की थी लेकिन एक चिगारी ने सब कुछ खाक कर दिया। क्षेत्र के पचोखर मौजा में बुधवार की दोपहर लगी? आग से सैकड़ों किसानों की लगभग 400 बीघा गेंहू की फसल जलकर राख हो गई। ग्रामीण अपनी जान की परवाह किए बिना आग को बुझाने में जुट रहे, लेकिन आग की उठती तेज लपटें के कारण वह विवश हो जा रहे थे। सूचना के दो घंटे बाद पहुंचे दमकल ने आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी कुछ स्वाहा हो चुका था। आग कैसे लगी? इस कारण का पता नहीं चल सका।

पचोखर गांव के हरिजन बस्ती से गेहूं की फसल में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग की तेज लपटें उठने लगीं। ग्रामीण पानी फेंक कर आग को बुझाने के प्रयास में जुट गए, लेकिन तेज हवा होने के कारण आग की लपटें तेजी से आगे बढ़ रही थीं। देखते ही देखते ही आग ने पचोखर मौजा के कुसुमपुर और पटखवलिया डेरा स्थित गेंहू के फसल को अपने आगोश में ले लिया। थाना निरीक्षक कमलेश पाल दल बल संग दोपहर 11:30 बजे पहुंच गए। मौके पर पहुंचे कुसुमपुर, दिलदारनगर गांव व पटखवलिया डेरा के किसान लाठी डंडा लेकर आग को बुझाने में जुटे रहे, लेकिन दोपहर एक बजे पहुंचे दमकल ने आग को काबू में किया, लेकिन पानी खत्म होने के कारण फिर कुसुमपुर गांव स्थित ट्यूबवेल पर पानी लेकर पहुंचा और खेत में गेंहू की कटाई कर रखे गए बोझ में लगी आग बुझाई गई। आग लगने की सूचना पाकर क्षेत्राधिकारी जमानियां हितेंद्र कृष्ण, जमानियां कोतवाल रविद्र भूषण मौर्य व रेवतीपुर थानाध्यक्ष राजेश बहादुर संग मौके पर पहुंचे। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी मौके पर पहुंचकर पीड़ित किसानों से मिले और हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया।

आग के साथ जल गए किसानों के अरमान

अगलगी की इस घटना ने किसानों के अरमान को भी जलाकर राख कर दिया। किसान के आंखों के सामने ही उनकी खड़ी फसल जलती रही और वह आग की तेज लपटों को देख हैरान व परेशान थे। ग्रामीणों ने कहा कि आग पर काबू पा लिया गया अन्यथा आग की लपटें बहुआरा और दिलदारनगर गांव के सिवान में पहुंच जाती तो किसानों को और भारी नुकसान उठाना पड़ता। हालांकि पटखवलिया व बिदुपुरवा डेरा के एक दर्जन लोग पेशगी पर खेती लिए थे, लेकिन आग लगने से उनको भारी नुकसान हुआ।

इन किसानों की जली फसल

राजकुमार राय, भुनेश्वर राय, जयनारयण राय, भोला राय, शिवकुमार राय, मनराज, वंशराज, बालेश्वर यादव, ओमप्रकाश, महाजन बिद, रामराज, राधेश्याम, राकेश, रंगी बिद, चिरंजीवी, जंगलाल, संकठा सिंह, आशा देवी, वीरेंद्र एमहातीम, रविद्र, सुरेंद्र, हवलदार, किशोर राम, गौरीशंकर, रामजस, लाल मोहर, शिवपूजन, मुन्ना, ब्रमदेव, दरोगा आदि किसानों का गेंहू के गेहूं की खड़ी जलकर राख हो गई।

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