उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव टलने से जहां एक तरफ राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपनी तैयारी के लिए और समय मिलेगा। वहीं गांव की राजनीति में धनबल, बाहुबल व जातिवाद के नए समीकरण भी बनेंगे। प्रदेश सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह चुनाव छह महीने आगे बढ़ाए जाएंगे। इसका मतलब अब यह चुनाव अगले साल फरवरी व मार्च के महीनों में होने की उम्मीद है।
प्रधानों का कार्यकाल दो महीने के लिए ही बढ़ेगा
इस लिहाज से देखें तो ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्यों का कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ेगा क्योंकि इनका कार्यकाल 25 दिसम्बर तक है ही। जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल 14 जनवरी तक है, इसलिए उनका कार्यकाल भी एक से दो महीने के लिए बढ़ सकता है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख का कार्यकाल 18 मार्च तक है इसलिए उनका कार्यकाल बढ़ाने की शायद ही जरूरत पड़े।
गांव में अपनी सरकार के बूते सूबे की हुकूमत हासिल करने की होगी कोशिश
चूंकि वर्ष 2022 के फरवरी-मार्च में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए अगला साल ही चुनावी तैयारियों का भी साल होगा इसलिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल गांव में अपनी सरकार बनवा कर सूबे की हुकूमत हासिल करने की जी-तोड़ कोशिश करेंगे। हालांकि पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर नहीं होते, मगर यह सियासी दल इस चुनाव में प्रत्याशियों को समर्थन देते हुए बराबर सक्रिय रहते हैं।