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तेज धूप व उमस ने अस्पताल में बढ़ाई मरीजों की संख्या - Ghazipur News

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तेज धूप व उमस बढ़ते ही जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है। पर्ची काउंटर पर मरीजों की लंबी लाइन लग रही है। वहीं ओपीडी में सुबह दस बजे दो बजे तक मरीज सहित तीमारदार डटे है। गर्मी बढ़ते ही लोगों में डी-हाईड्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है। वार्ड में सात मरीज डिहाईड्रेसन से ग्रसित होकर भर्ती है। पानी की कमी के चलते लगातार जिला अस्पताल में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डी हाइड्रेशन की शिकायत विशेष कर फील्ड में रहकर काम करने वालों में देखी जा रही है। मेडिकल स्टाफ के अनुसार डी हाईड्रेशन के मरीज तेजी से बढ़ रहे है।

स्वास्थ्य विभाग भी लोगों को इससे बचने के उपाय बता रहा है। चिकित्सकों का कहना है मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। मौसम के अनुरूप होने में कम से कम 20 दिन का समय लगता है, लेकिन अभी की स्थिति में जिस गति से गर्मी बढ़ी है शरीर उस अनुरूप नहीं हो पाया है तथा डी-हाईड्रेशन की शिकायत बढ़ गई है। अस्पताल में लगातार डी हाईड्रेशन से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं। विभाग की ओर से लगातार बढ़ती गर्मी तथा डीहाईड्रेशन की शिकायत को देखते स्वास्थ्य विभाग ने सभी ओआरएस घोल के अलावा आवश्यक दवाईयां उपलब्ध करा दी है। सीएमएम डा. राजेश सिंह ने बताया कि गर्मी बढ़ने के कारण डिहाईड्रेशन व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इससे बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। जिससे डिहाईड्रेशन सहित अन्य बीमारियों से बच सकते है।

बचाव के लिए करें उपाय

सीएमएस डा. राजेश सिंह ने बताया कि धूप में रहने के दौरान ही शरीर का पानी तेजी से सूखने लगता है इसलिए बेवजह धूप में जाने से बचे। जरूरत पड़ने पर धूप में निकलना हो तो सिर समेत शरीर अन्य हिस्से को अच्छे से कपड़े से ढंके। धूप से तत्काल लौटते हीं पानी ना पीएं, एसी आदि से निकलकर भी एकाएक धूप में ना जाएग। बिना कुछ खाएं घर से बाहर नहीं निकले। तले भूने मसालेदार तथा मांसाहार लेने से परहेज कर इसके स्थान पर सादा भोजन करें। बासी भोजन से पूरी तरह दूरी बनाए रखें। जिससे बीमारियों से बचाव में राहत मिलेगी।

डिहाईड्रेशन में न बरते लापरवाही

गर्मी ज्यादा होने के कारण हमारें शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी होने लगती है। विशेष कर धूप में जाने पर जिस भाग में धूप पड़ता है वहां से सीधे पानी बिना पसीना निकले सूखने लगता है। जिससे हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तो कम होती ही है, इसके साथ ही शरीर में जितने भी आर्गन हैं वे भी प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में थकावट तथा शरीर कमजोर होने लगता है। चिकित्सकों के अनुसार डिहाईड्रेशन होने पर लापरवाहीं नहीं बरतना चाहिए। जिससे जान भी जा सकती है। इसलिए तत्काल चिकित्सकों से सुझाव लेकर हीं दवाएं ले।

ये होते हैं लक्षण

डिहाईड्रेशन तथा सन स्ट्रोक अर्थात ताप घात में शरीर का पानी तेजी से सुखने लगता है। इससे शरीर में थकावट तथा सुस्ती आने लगती है। जिससे मुंह भी सूखने लगता है। इसका प्रभाव बढ़ने पर चक्कर, बेहोशी, बुखार, सिरदर्द, उल्टी होने के साथ साथ प्रभावित व्यक्ति बहकी बहकी बातें भी करने लगता है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सकों से संपर्क करें।

बच्चों को देखभाल करना ज्यादा जरूरी

बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि सन स्ट्रोक या डिहाईड्रेशन के प्रभाव से बचाने के लिए बच्चों की देखभाल करना ज्यादा जरूरी है। अधिकांश बच्चे छुट्टी के चलते धूप में खेलने चले जाते हैं। इससे बच्चे कपड़े भी एसे नहीं पहने रहते, जिससे उनका धूप से बचाव हो सके। बच्चों के शरीर का क्षेत्रफल भी काफी कम होता है जिससे वे धूप से शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं तथा उनकी स्थिति काफी नाजुक बनी रहती है। इस दौरान लापरवहीं बरतने बीमारी जानलेवा हीं साबित हो सकती है।

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