वासंतिक नवरात्र शनिवार से शुरू होगा। घरों से लेकर मंदिरों में माता का दरबार सजाने के लिए शुक्रवार को अंतिम रूप दिया गया। घरों की सफाई में दिन भर महिलाएं जुटी रहीं। बाजारों में पूजन सामग्री से लेकर माता के श्रृंगार के लिए वस्त्र, चूनरी, धूप दीप, नारियल, कलश की खरीदारी को लेकर भीड़ लगी रही। इस बार घोड़े पर सवार मां का आगमन और विदाई महिष पर हो रहा है।
नगर के दुर्गा मंदिरों के अलावा गहमर स्थित मां कामाख्या धाम, करीमुद्दीनपुर स्थित कष्टहरणी भवानी समेत अन्य जगहों पर दिन भर मां का दरबार सजाने में भक्त जुटे रहे। इस बार देवी व गौरी आराधना के लिए पूरे नौ दिन मिल रहा है।
रेवतीपुर : नवरात्रि को लेकर घर-घर तैयारियां जोरों पर हैं। घरों व पूजा स्थल की धुलाई के साथ ही गाय के गोबर से घरों की लिपाई में महिलाएं जुटी रहीं। स्थानीय गांव के मध्य स्थित गांव आस्था का प्रतीक मां भगवती देवी के पंच तलीय मंदिर को झालरों से सजाया गया है। नवरात्रि में यहां भी लोगों की भीड़ जुटती है। मुंडन संस्कार भी चलता रहता है। दुकानों पर पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ देखी गई। वासंतिक नवरात्र का महत्व बताया
मनिहारी : सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा कालीधाम हरिहरपुर में पंचांग पूजन, भगवती का आह्वान व चंडी पाठ से नवरात्र का शुभारंभ होगा। महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति महाराज ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं को वासंतिक नवरात्र का महत्व बताते हुए कहा कि यह समय माता भगवती की आराधना और उपासना के लिए शुभ माना जाता है। चैत्र में प्रकृति भी आह्लादित होती है। हर तरफ नए जीवन व नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है।
नवीनता युक्त इस मौसम में प्राणियों में नई उर्जा का संचार होता है। लहलहाती फसलों से उम्मीदें जुड़ी होती हैं। सूर्य अपने उत्तरायण की गति में होते हैं। इस समय मां भगवती की आराधना, पूजन अर्चन करने से विशेष अनुभूति होती है और शरीर में नव स्फूर्ति का संचार होता है। श्रद्धालु अपने घरों में रहकर मां भगवती की आराधना, साधना और भजन-पूजन और हवन करें। हवन पूजन से निकली सुगंध से हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।