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बलिया जिले में एतिहासिक ददरी मेला का प्रस्ताव पास, अब चाहिए प्रशासन की सहमति

बोर्ड बैठक के दौरान जिले में एतिहासिक ददरी मेला आयोजन की तिथि तय हो गई है। 5 नवंबर से पशु मेला शुरू होगा, जिसकी तैयारी में नगर पालिका जुट गई है। मेला के स्थल को चिह्नित करने की कवयाद शुरू होने के साथ ही अतिक्रमण से परेशानी भी नजर आने लगी है। अब ऐतिहासिक मेले की तैयारियों को जमीन मिलना शुरू होने के साथ ही बलिया में रौनक भी नजर आने लगेगी। 

ऐतिहासिक ददरी मेला की तिथि नजदीक आते ही तैयारी शुरू हो गई है। कोविड-19 काल में मेला का आयोजन नहीं होने से इस वर्ष इसको लेकर काफी उत्साह है। शुक्रवार को नगर पालिका परिषद, बलिया की बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित हो गए हैं। अब प्रशासन से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। पांच नवंबर से पशु मेला के आयोजन की तिथि प्रस्तावित है। शहर से सटे काशीपुर क्षेत्र में भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। इस बार मेला लगेगा या नहीं, इसको लेकर असंमजस की स्थित बनी हुई थी।

बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित होने से पालिका परिषद तैयारी में जुट गया है। दीपावली के समय पशु मेला का आयोजन होता है, इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन से मीना बाजार स्थापित होता है। इसमें तरह-तरह के आयोजन होते हैं। एक माह तक चलने वाले मेले में प्रशासन संग पुलिस को पूरा सहयोग नगर पालिका परिषद देता है। मेले में यूपी और बिहार के अलावा अन्य प्रांतों के व्यापारी अपनी-अपनी दुकानें लेकर आते हैं।

मेले की अपनी भूमि नहीं होने से बढ़ती परेशानी : काशीपुर की तरफ लगने वाले मेला क्षेत्र में लगातार हो रहे अतिक्रमण ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। अपनी स्थाई भूमि नहीं होने से नगर पालिका परिषद काश्तकारों से मेला अवधि तक लेती है। किसानों के लगातार जमीन बेचने से मेला क्षेत्र हर साल आगे खिसकता चला जा रहा है, इससे परिषद को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

बोले अधिकारी : ददरी मेला आयोजन के लिए बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास हो गया है। इसकी सूचना प्रशासन को दे दी गई है। प्रशासन की अनुमति मिलते ही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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