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गाजीपुर में बाढ़ से बर्बाद हो गई सैकड़ों एकड़ फसल, खेतों में पानी भरने से हो गईं मछलियां

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गाजीपुर के करंडा के बसंतपट्टी और गद्दोगाड़ा के खेतों में हुए जलजमाव से खेती बर्बाद हो गई है। यही किसान इन खेतों में सब्जियां जैसे नेनुआ, लौकी, करैला, बोड़ा, परवल, भिंडी, बैगन, मिरचा आदि की खेती कर जिले सहित पूरे पूर्वांचल के लोगों की थाली में पौष्टिक आहार के साथ स्वाद बढ़ाते थे।

बाढ़ ने पूरी तरह से तैयार फसलों को नष्ट कर दिया। अब तालाब बने खेतों से सब्जी की जगह थाली में रोटी के साथ अपने बोरन की व्यवस्था के लिए मछलियां ढूंढ रहे हैं। सीजन भर इन्हीं खेतों से प्रतिदिन पांच से आठ पिकअप सब्जियां गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर आदि मंडियों में भेजते थे। प्रकृति का कहर ऐसा कि एक दिन में ही कंगाल बना दी और बेचना तो दूर स्वयं के खाने के लाले पड़ गये।

कई फसलों की होती है जिले में खेती

बाढ़ के जलजमाव से मानिकपुर, मैनपुर, तुलापट्टी, सरयां, लखनचंदपुर, करंडा, बसंतपट्टी, प्रतापपुर, मेदनीपुर, उधरनपुर, कुचौरा और गोशंदेपुर के लगभग आठ सौ किसानों की सैकड़ों बीघा कृषि भूमि झील में तब्दील हो गयी है। किसानों की खरीफ की फसलें मक्का, बाजरा, ज्वार अरहर तथा नेनुआ, लौकी, कोहड़ा, धनियां पत्ती, करैला, भिंडी,परवल, बैगन आदि पूरी तरह नष्ट हो गयी। अब अगर पानी नहीं निकला तो गेंहू, जौ, चना, मटर, सरसों, अलसी, सूरजमुखी सहित सब्जियों के बुआई भी नहीं हो पायेगी और किसान कर्ज के बोझ तले दब जायेगा।

जलनिकासी में जुटे ग्रामीण

मानिकपुर कोटे के युवा किसान अजय सिंह, दुर्गेश सिंह, उपेन्द्र सिंह आदि बताते हैं कि यदि जलजमाव के कारण फिर बुआई नहीं हुई तो इन दर्जनों गांवों में तय शादियों को भी टालना पड़ेंगा। जल जमाव से निपटने के लिए पिछले कई वर्षों से समाजिक संस्था स्वाभिमान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमितेश मिश्रा अपने कुछ समाजसेवियों के साथ मिलकर गांव के लोगों से चंदा एकत्र कर खुदायी कर जलनिकासी कराते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष मौसम के कारण फसलें खराब होने से कोई सहयोग करने में सक्षम नहीं है और हरबार की तरह लोगों के सहयोग से होते आ रहे समस्या के समाधान के भी आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए लोग अब प्रशासन के भरोसे हैं।

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