प्रदेश के पशुपालन विभाग में 50 करोड़ रुपये की दवा और उपकरण खरीद में हुए घोटाले पर सीएम योगी सख्त रुख अपनाया है। जांच दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की टीम करेगी। इस टीम में कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह और अपर मुख्य सचिव कार्मिक डाॅ. देवेश चतुर्वेदी शामिल किये गये हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच रिपोर्ट एक हफ्ते के अन्दर तलब की है।
शुरुआती पड़ताल में करीब 50 करोड़ रुपये की दवा व सामग्री तय प्रक्रिया को ताक पर रखकर खरीदने का खुलासा हुआ है। कई दवाएं जांच में घटिया साबित हुई हैं। उपकरण भी मनमानी दरों पर खरीदे गए। सरकारी विश्लेषक की जांच में दवाएं घटिया होने के खुलासे में आधा दर्जन दवाएं अधोमानक साबित हुईं, तो विभाग ने खुद ही तहकीकात शुरू करवा दी। मानक से कमतर सभी दवाओं के उपयोग व वितरण पर तत्काल रोक लगा दी गई।
प्रदेश के पशु चिकित्सा अधिकारियों को बची दवाएं कंपनी को वापस करने का निर्देश दे दिए। यह दवाएं जम्मू व उत्तराखंड की कंपनियों से खरीदी गई थीं। वर्ष 2021-22 में खरीद के दौरान निदेशक (रोग नियंत्रण) पद पर डॉ. इंद्रमणि व डॉ. आरपी सिंह थे। जेम बायर की जिम्मेदारी डॉ. जेपी वर्मा के पास थी। सभी जांच के दायरे में हैं। इस साल फरवरी व मार्च में हुई खरीद में निदेशक जीवनदत्त के भी हस्ताक्षर हैं।
50 हजार के कोल्ड बॉक्स 1.27 लाख में खरीदे, मास्क 96 रुपये में खरीदे गए। एक्टिव कोल्ड बॉक्सेज 1,27,770 रुपये प्रति जेम या नग खरीदे गए, वैसे ही बॉक्स उसी अवधि में मध्य प्रदेश सरकार ने 47,250 से 49,500 रुपये प्रति नग व जम्मू-कश्मीर में 59,000 रुपये प्रति नग खरीदे गए थे।
वाक इन कूलर-कोल्ड रूम : पहले 88 फिर 10 खरीदे गए। दोनों बार दरें अलग-अलग हैं।
आइलसालाइनर रेफ्रिजरेटर : दो निविदा के बीच एक माह का अंतर था। दोनों की खरीद दर में 75 हजार रुपये प्रति नग अंतर है। एन-95 मास्क 96 रुपये की दर पर खरीदे गये। विभाग में वर्ष 2021-22 के लिए जुलाई 2021 तक ही 65 करोड़ में से करीब 50 करोड़ खर्च कर दिए गए।