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जानिए ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये | ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता है

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शुक्रवार

ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये - ब्रह्म कमल एक प्रकार का फुल है। जिसे पवित्र माना जाता हैं ऐसा माना जाता है की ब्रह्म कमल में से निकलने वाला रस अमृत के समान माना जाता हैं। इसलिए ब्रह्म कमल काफी सारे औषधीय गुणों से भरा हुआ होता हैं।

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ब्रह्म कमल पौधे का इस्तेमाल काफी सारी बीमारियों को ठीक करने में भी किया जाता हैं। इसलिए आयुर्वेद में भी इस पौधे का काफी महत्व हैं। ब्रह्म कमल के पौधे को घर में लगाना भी शुभ माना जाता हैं। इसलिए काफी लोग ब्रह्म कमल के पौधे को घर में लगाते हैं।

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले है की ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये तथा ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

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ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये

ब्रह्म कमल का पौधा लगाने की संपूर्ण प्रोसेस हमने नीचे बताई हैं:

  • ब्रह्म कमल का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले आपको इसकी पत्ती को लेना होगा।
  • इसके पश्चात आपको मिट्टी को तैयार करना होगा। मिट्टी को तैयार करने के लिए 50 प्रतिशत सामान्य मिट्टी तथा 50 प्रतिशत पुराने गोबर के खाद वाली मिट्टी लेनी होगी और दोनों मिट्टी को बड़े से गमले में अच्छे तरीके से मिश्रित करना होगा।
  • अब ब्रह्म कमल की पत्ती को मिट्टी में चार से पांच इंच गहराई में लगाए।
  • यह सभी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद गमले में भरपूर मात्रा में पानी डालना होगा।
  • इसके बाद गमले को सूर्य की रोशनी में रख दें।
  • गमला ऐसी जगह रखे जहां सूर्य की सीधी धुप न लगे क्योंकि ब्रह्म कमल के लिए थोड़ी धुप और थोड़ी ठंडक रहना जरूरी हैं।
  • अब एक महीने के भीतर ब्रह्म कमल की जड़े निकलना शुरू हो जाएगी।
  • एक बार जड़े निकलना शुरू हो जाए। इसके बाद इतना ही पानी दे जिससे सिर्फ नमी बनी रहे क्योंकि इसके पौधे के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती हैं।

ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता है

ब्रह्म कमल का अर्थ ब्रह्मा का कमल माना जाता हैं। इसलिए ब्रह्म कमल ब्रह्म देवता का अतिप्रिय माना जाता हैं। इसलिए आप ब्रह्म देवता को ब्रह्म कमल का फुल चढ़ा सकते हैं।

ब्रह्म कमल को तोड़ने के नियम

ब्रह्म कमल को सिर्फ नन्दाष्टमी के समय में तोडा जाता हैं। इसके अलावा आप इस फुल को तोड़ नहीं सकते हैं। यह फुल बहुत ही पवित्र माना जाता हैं। इसलिए ब्रह्म कमल के फुल को कभी भी तोडना नहीं चाहिए।

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ब्रह्म कमल कब खिलता है

ब्रह्म कमल अगस्त महीने में खिलने लगता हैं तथा सितंबर से अक्टूम्बर तक इसके ऊपर फुल खिलना शुरू हो जाते हैं। ब्रह्म कमल का जीवन पांच से छ: महीने का होता हैं। इसके पश्चात फिर से यह अगस्त में खिलना शुरू करते हैं।

ब्रह्म कमल का रहस्य

ब्रह्म कमल को ब्रह्मा का कमल माना जाता हैं। उनके नाम से ही इस पौधे का नाम ब्रह्म कमल पड़ा हैं। ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति ब्रह्म कमल के पौधे को खिलता हुआ देख लेता हैं। वह बहुत ही भाग्यशाली व्यक्ति माना जाता हैं। जल्दी इसके पौधे खिलते हुए देखने को नहीं मिलते हैं। 

ऐसा भी माना जाता है की जो व्यक्ति ब्रह्म कमल के पौधे को खिलता हुआ देख लेता हैं। उसको संपति तथा सुख की प्राप्ति होती हैं। एक और बात यह है की इस फुल को नंदा का पसंदीदा फुल माना जाता हैं। इसलिए इस फुल को नन्दाष्टमी के दिन तोडा जाता हैं।

ब्रह्म कमल का पौधा प्राइस

ब्रह्म कमल का पौधा आपको किसी भी नर्सरी वाले के यहां से आसानी से 200 से 300 रूपये के करीब मिल जाएगा।

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताया है की ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये तथा ब्रह्म कमल किस देवता को चढ़ाया जाता है। इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं। हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

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क्रासुला का पौधा किस दिन लगाना चाहिए | क्रासुला का पौधा कैसे लगाएं जानें

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क्रासुला का पौधा किस दिन लगाना चाहिए - क्रासुला के पौधे के बारे में काफी कम लोगो को जानकारी होती हैं। वैसे तो क्रासुला का पौधा हमारे यहां काफी मशहूर भी हैं। इस पौधे को पुलाव का पौधा के नाम से भी जाना जाता हैं। यह पौधा हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं,लेकिन वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी यह पौधा हमारे लिए अच्छा माना जाता हैं।

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वास्तुशास्त्र के अनुसार क्रासुला का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पौधे को घर में रोप ने से देवी-देवता प्रसन्न हो जाते हैं। इस ब्लॉग में क्रासुला के पौधे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। इसलिए हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े।

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले है की क्रासुला का पौधा किस दिन लगाना चाहिए तथा क्रासुला का पौधा कैसे लगाएं. इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

क्रासुला का पौधा किस दिन लगाना चाहिए

वास्तुशास्त्र के अनुसार क्रासुला का पौधा लगाने से फायदा होता हैं। अगर आप इस पौधे को लगाना चाहते हैं, तो किसी भी दिन आप इस पौधे को लगा सकते हैं। लेकिन आप किसी त्योहार के दिन या आपके घर में किसी भी शुभ अवसर के दिन इस पौधे को लगाते हैं, तो और अधिक लाभ होता हैं।

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क्रासुला का पौधा कैसे लगाएं

क्रासुला का पौधा लगाने के लिए नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखे:

  • क्रासुला का पौधा आप किसी भी दिन लगा सकते हैं।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार क्रासुला का पौधा घर के मुख्य द्वार के दाहिने तरफ लगाना शुभ माना जाता हैं।
  • इस पौधे को घर की दाहिनी दिशा में लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं।
  • क्रासुला का पौधा लगाते समय इस बात का भी ध्यान रखे की इस पौधे पर कभी-कभी सूर्य की रोशनी पड़नी चाहिए।
  • इस पौधे को भूलकर भी दक्षिण दिशा में न लगाए। इससे आपको हानि या उल्टे फल की प्राप्ति हो सकती हैं। ऐसा करने से धन की भी हानि होने लगती हैं।

क्रासुला का पौधा कहां लगाएं

क्रासुला का पौधा आप घर के मुख्य द्वार के दाहिनी तरफ लगा सकते हैं। यह दिशा अतिउत्तम मानी जाती हैं। इस पौधे को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए। इससे आपके पारिवारिक जीवन में समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

क्रासुला का पौधा कहां मिलेगा

क्रासुला का पौधा आपको आपके आसपास की किसी भी पेड़-पौधे बेचने वाली नर्सरी में आसानी से मिल जाएगा। इसके अलावा आप इस पौधे को ऑनलाइन वेबसाइट Flipkart तथा Amazon पर से भी खरीद सकते हैं। यह पौधा आसानी से मिलने वाला पौधा हैं।

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क्रासुला के चमत्कारी उपाय

क्रासुला पौधे के कुछ चमत्कारिक उपाय हमने नीचे बताए है:

  • क्रासुला का पौधा घर में लगाने से धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती हैं। अगर आप मेहनत करने के बाद भी धन प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, तो घर में क्रासुला का पौधा लगाने से धन की प्राप्ति होने लगती हैं तथा आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता हैं। 
  • अगर घर में अधिक कलह हो रहा है। घर के सदस्य या पति-पत्नी आपस में कलह उत्पन्न कर रहे हैं, तो ऐसे कलह को दूर के लिए क्रासुला का पौधा घर में लगाए। क्रासुला का पौधा घर में लगाने से आपके घर में उत्पन्न हो रहा कलह दूर हो जाएगा तथा घर में शांति का वातावरण बना रहेगा।
  • क्रासुला का पौधा घर में लगाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती हैं तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता हैं। इससे घर के सदस्यों को मानसिक शांति मिलती हैं।

क्रासुला का पौधा कैसा होता है

क्रासुला के पौधे का आकार सिक्को जैसा होता हैं। इस पौधे को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती हैं। इसलिए इसे आसानी से उगाया जा सकता हैं। आपकी अधिक जानकारी के लिए हमने नीचे क्रासुला के पौधे की तस्वीर दी हैं।

निष्कर्ष

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जानिए प्रसिद्ध होने के उपाय | मान-सम्मान के लिए मंत्र

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मान-सम्मान के लिए मंत्र - आज के समय में प्रसिद्ध कोन नहीं होना चाहते हैं। आज के समय में हर एक मनुष्य के मन में यह चाहना होती हैं कि उसकी प्रसिद्धी हर जगह हो। हर जगह उसका मान-सम्मान हो. काफी बार इंसान प्रसिद्ध होने के लिए मेहनत भी करता हैं। उसे लगता है की मेहनत के आधार पर उसे कुछ प्रसिद्धी प्राप्त हो जाए। लोग उनका मान-सम्मान करने लगे।

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लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी इंसान को प्रसिद्धी नहीं मिलती हैं और इंसान निराश हो जाता हैं। व्यक्ति प्रसिद्ध न होने के पीछे भी काफी सारी वजह हो सकती हैं। काफी बार देवी-देवता की बाधा या ज्योतिष तथा ग्रहों के परिवर्तन के कारण भी यह हो सकता हैं। अगर आप जीवन में प्रसिद्ध होना चाहते हैं, तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े।

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रसिद्ध होने के उपाय तथा शक्तिशाली बनने के उपाय बताने वाले हैं। इसके अलावा मान सम्मान के लिए मंत्र भी बताने वाले हैं। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

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प्रसिद्ध होने के उपाय

प्रसिद्ध होने के कुछ उपाय हमने नीचे बताए हैं:

  • अगर आप प्रसिद्ध होना चाहते हैं, तो रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे बर्तन में पानी भरकर रख ले। अब सुबह उठकर बर्तन का पानी अपने घर के बाहर आंगन में छांट दे। यह उपाय करने से लांछन, मिथ्या आदि से आप बचेगे, तथा आप धीरे धीरे प्रसिद्ध होते जाओगे।
  • प्रसिद्ध होने के लिए रात को एक तांबे के लौटे में पानी, थोडा शहद, चांदी या सोने का सिक्का तथा अंगूठी आदि डाल दीजिए। अब सुबह उठकर भगवान का नाम लेते हुए इस पानी को पी लीजिए। यह उपाय कुछ दिन करने के पश्चात आपकी यश और कीर्ति बढ़ने लगेगी और आप प्रसिद्ध हो जाएगे।
  • व्यक्ति को प्रसिद्ध होने के लिए दुर्गा सप्त्शी का 12वां पाठ करना चाहिए। इससे व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है।
  • अगर कोई व्यक्ति प्रसिद्ध होना चाहता हैं, तो अपने बच्चे के दूध के दांत को संभाल कर रखना चाहिए। इस दांत को चांदी के यंत्र में रखकर गले तथा बाजू पर धारण करने से व्यक्ति को मान-सम्मान मिलता हैं।
  • समाज में प्रसिद्ध होने के लिए शुक्रवार को बाजरा, जौ आदि खरीदकर शनिवार के दिन कबूतर, पशु, पक्षी आदि को खिलाने से लाभ होता हैं।
  • ज्येष्ठ नक्षत्र में जामुन के पेड़ की छाल लेकर आइये। अब इस छाल को अपने पास संभालकर रखिए। इससे व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती हैं।
  • गले, हाथ तथा पैर आदि में काले रंग का डोरा धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता हैं तथा व्यक्ति प्रसिद्ध होता हैं।
  • अगर आप चाहते है की आप जो अच्छे अच्छे कार्य कर रहे है। उसका डंका सर्वत्र बजे. तो रात को सोने पहले एक तांबे के बर्तन में पानी भरकर अपने पलंग के पास रख दे। अब सुबह उठकर इस पानी को अपने माथे पर सात बार वार ले। इसके पश्चात इस पानी को किसी कांटे वाले पेड़ की जड़ में डाल दे। यह उपाय आपको नियमति रूप से 40 दिन तक करना हैं। 40 दिन की समाप्ति के बाद आपको खुद को अपने जीवन में फर्क दिखाई देगा। आपके कार्य तथा आपके नाम का डंका सर्वत्र बजेगा।

शक्तिशाली बनने के उपाय

इस दुनिया में काफी लोग ऐसे है जो शक्तिशाली बनना चाहते हैं। हर कोई यही चाहेगा की उसका शरीर शक्तिवान और रोगों से मुक्त हो। अगर आप भी शक्तिवान बनना चाहते हैं, तो रोजाना नियमति रूप से हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। 

इससे हनुमान जी आप पर प्रसन्न होगे तथा उनके आशीर्वाद से आप रोग मुक्त तथा शक्तिशाली बनेगे। इसलिए हनुमान जी महाराज को रोजाना याद कीजिए।

मान–सम्मान के लिए मंत्र

मान-सम्मान पाने के लिए भगवान सूर्य का नीचे दिया गया मंत्र एक माला जाप करे।

भगवान सूर्य का मान–सम्मान पाने का मंत्र

ओम धृणी सूर्याय नम:

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रसिद्ध होने के उपाय तथा शक्तिशाली बनने के उपाय बताए हैं। इसके अलावा मान सम्मान के लिए मंत्र भी बताया है। हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर उपयोगी साबित हुआ है, तो आगे जरुर शेयर करे।

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह प्रसिद्ध होने के उपाय। मान सम्मान के लिए मंत्र आर्टिकल अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!

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जानिए नींद भगाने का मंत्र और घरेलू उपाय | नींद कम करने के लिए योग

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नींद भगाने का मंत्र और घरेलू उपाय और योग - नींद भगाने का मंत्र और घरेलू उपाय कभी-कभी किसी व्यक्ति को नींद बहुत आती हैं। नींद बहुत आने की वजह से दिनचर्या में गड़बड़ी हो जाती हैं। ऐसे व्यक्ति को काम के समय या ऑफिस में भी नींद आती हैं। इस वजह से वह ऑफिस का काम भी नहीं कर पाते हैं। अधिक नींद के कारण इंसान आलस्य का शिकार बन जाता हैं। इसके बाद नींद और आलस्य इंसान के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।

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अगर किसी व्यक्ति को दिन में भी अधिक नींद आती हैं, तो इसे हाइपरसोमनिया नामक बीमारी कहा जाता हैं। यह बीमारी होने के पीछे काफी सारे कारण हो सकते हैं। काफी लोग नींद भगा ने के लिए कई प्रकार के इलाज आदि करवाते हैं। लेकिन कई बार इलाज नहीं हो पाता हैं।इसलिए हम आपको नींद भगाने का मंत्र बताएगे, जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता हैं।

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से नींद भगाने का मंत्र तथा नींद भगाने का घरेलू उपाय बताने वाले हैं। इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान करेगे। इसलिए हमारा यह ब्लॉग अंत तक जरुर पढ़े। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

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नींद भगाने का मंत्र

दोस्तों हमने नीचे नींद भगाने का बहुत ही प्रभावशाली मंत्र बताया है। जिसका जाप करने से आपकी नींद भाग जाएगी।

नींद भगाने का मंत्र: ॐ नमो नरसिंह निद्रा स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा

नींद भगाने का घरेलू उपाय

अगर आपको भी नींद आती हैं और नींद भगाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए घरेलू उपाय करे।

  • अगर आपको भी ज्यादा नींद आती हैं और नींद भगाना चाहते हैं, तो हमेशा ताजा भोजन लीजिए। बासी और बाहर का जंक फ़ूड खाने से आपको दिन में भी अधिक नींद आ सकती हैं। इसलिए आप चाहते है की आपको दिन के समय अधिक नींद न आए, तो हमेशा ताजा भोजन आपके आहार में लीजिए।
  • अधिक मिर्च मसाले तथा तेल वाला भोजन रोजाना लेने से आपको ज्यादा नींद आ सकती हैं। इसलिए नींद भगाने के लिए हमेशा सादा और हल्का भोजन लीजिए।
  • अगर आप दिन की नींद से बचना चाहते हैं, तो रात को भरपूर नींद लीजिए। अगर आपको रात को अच्छी नींद मिल जाएगी, तो दिन में नींद आने की संभावना कम बनेगी।
  • कई बार व्यक्ति अधिक तनाव में रहने के कारण भी ज्यादा नींद लेने का आदि हो जाता हैं। इसलिए नींद को भगाने के लिए तनाव से दूर रहिए।
  • अगर हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार सही से नहीं होता हैं, तो दिनभर हमारे शरीर में आलस्य तथा थकान रहता हैं। इस वजह से नींद ज्यादा आती है। हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार लाने के लिए रोजाना 1 घंटा कसरत तथा व्यायाम आदि जरुर करे। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होगा और थकान आलस्य दूर होगा। इस कारण आपकी नींद भाग जाएगी।
  • अगर आपको दिन के समय अधिक नींद आती हैं तो अपने मुंह को ठंडे पानी से समय समय पर धोते रहे। इससे आपकी नींद भाग जाएगी।

नींद कम करने के लिए योग

नींद कम करने का योग हमने नीचे बताया हैं। जिसे करने से आपकी ज्यादा नींद आने की समस्या दूर हो जाएगी।

अगर आपको नींद ज्यादा आती हैं काम के समय भी नींद आती हैं और ज्यादा नींद की वजह से आप परेशान हो गए हैं, तो नींद कम करने के लिए आप शाम्भवी मुद्रा कर सकते हैं।

यह योग नींद कम करने के लिए बहुत ही प्रभावशाली माना जाता हैं। इस मुद्रा को आप रोजाना करते हैं, तो आपकी नींद में कमी आएगी और अधिक नींद आने की समस्या से छुटकारा मिलेग।

ज्यादा नींद आना किस बीमारी के लक्षण है

अगर आपको ज्यादा नींद आती है, तो यह हाइपरसोमनिया नामक बीमारी का लक्षण माना जाता हैं।

निष्कर्ष

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FAQs

नींद ना आने के लिए कौन सा मंत्र है?

नींद न आने के लिए आप इस मंत्र " नमो नरसिंह निद्रा स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा" को बोल सकते है।

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पति-पत्नी के बीच तनाव या तलाक? तलाक (Divorce) से बचने में ज्योतिष की भूमिका

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गुरुवार

पति-पत्नी के बीच तनाव या तलाक- सनातन धर्म के मुताबिक मनुष्य जीवन में सोलह संस्कार होते हैं जिसमें सबसे मुख्य है, विवाह का संस्कार। विवाह संस्कार में भावी पति-पत्नी आजीवन साथ रहने और कभी भी एक दूसरे से अलग न होने की कामना रखते हुए पाणिग्रहण संस्कार कर वैदिक अनुष्ठान करते हैं। इसमें विवाह विच्छेदन यानि तलाक की कल्पना भी नहीं की जाती। लेकिन वर्तमान समय में विवाह से अधिक तलाक हो रहे हैं या फिर कोर्ट में केस चल रहे हैं। अक्सर यह पूछा जाता है कि क्या ज्योतिष तलाक/अलगाव से बचने में सहायता कर सकता है या नहीं। इस प्रश्न का उत्तर यह है कि यदि हम वैदिक ज्योतिष के नियमों को देखें, तो यह आपको अपने जीवन में तलाक की संभावनाओं के बारे में पहले से अवगत करा सकता है। यह पूर्ण रूप से सत्य है कि अगर किसी को किसी अनहोनी की जानकारी या उसका संकेत मिल जाए, तो वह उसके खिलाफ सतर्क रहने का प्रयास करेगा।

पति-पत्नी के बीच तनाव या तलाक? तलाक से बचने में ज्योतिष की भूमिका

पति-पत्नी के बीच तनाव या तलाक - Tension or Divorce between Husband and Wife

एक गाड़ी के दो पहिये होते हैं पति-पत्नी। जैसे समय बदल रहा है, शादी को लेकर लोगों के विचार भी बदलते जा रहे हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए, शादी का मतलब और शादी के बारे में राय अलग-अलग है। आजकल लोग शादी को परेशानी समझते हैं लेकिन ऐसा क्यों है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह भंग या तलाक का होना कई बातों पर निर्भर करता है। छोटी सी बात पर शुरू हुआ झगड़ा तलाक की दहलीज तक पहुंच जाता है। जिस जोड़े को आप कुछ समय पहले तक साथ देखते हैं वो आजकल अलग-अलग रहते हैं।

ज्योतिष में हमें तलाक के संकेत देखने को मिलते हैं; बस जरूरत है कुंडली का विश्लेषण करके उन्हें समझने की। एक व्यक्ति की जन्म कुंडली से वास्तव में तलाक के संकेत का पता लगाया जा सकता है। कुंडली में सूर्य, मंगल, शनि और राहु जैसे ग्रह विवाह तोड़ने वाले या तलाक कराने वाले ग्रह होते हैं। विवाह और तलाक की भविष्यवाणी करते समय शुक्र और बृहस्पति की स्थिति पर विचार करना आवश्यक है। इसका विश्लेषण केवल एक योग्य ज्योतिषी ही कर सकता है।

पति-पत्नी के बीच तलाक के ज्योतिषीय कारण और निवारण - Astrological Reasons and Remedies for Divorce between Husband and Wife

पति-पत्नी के बीच झगड़ा और तलाक कुंडली में पंचमेश, सप्तमेश, अष्टमेश, द्वादशेश की स्थिति पर निर्भर करता है। पांचवें, सातवें, आठवें व बारहवें भाव के बल, और इन भावों के कारक ग्रह पर निर्भर करता है। सर्वाधिक रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि सप्तम भाव और सप्तम भाव का स्वामी किस स्थिति में है कहीं वह पापी व क्रूर ग्रहों से पीड़ित तो नहीं है। सप्तम भाव में सूर्य, मंगल, शनि व राहू की उपस्थिति या सप्तमेश का नीच स्थान में बैठकर पापी व क्रूर ग्रह से पीड़ित होना तलाक या अलग होने के साथ झगड़े का कारण बनता है।

सातवें भाव का स्वामी कुंडली में द्वितीय भाव में हो, लग्न में सूर्य हो, शुक्र सूर्य से दृष्ट हो और गुरु शनि से दृष्ट हों तो लड़ाई झगडे के साथ-साथ सम्बन्ध विच्छेद होता है।  

सूर्य सप्तम भाव में हो, उस पर किसी पाप गृह की दृष्टि पद रही हो तो पति-पत्नी की आपस में नहीं बनती।

जब भी किसी जातक की कुंडली में शुक्र और जातिका की कुंडली में गुरु पीड़ित होता है तो वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता। 

सातवें भाव में बैठे द्वादशेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है। बारहवें भाव में बैठें सप्तमेश से राहु की युति हो तो तलाक होता है। पंचम भाव में बैठे द्वादशेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है। पंचम भाव में बैठे सप्तमेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है।

सातवें भाव का स्वामी और बाहरवें भाव का स्वामी अगर दसवें भाव में युति करता हो तो में तलाक होता है। सातवें भाव में पापी ग्रह हों व चंद्रमा व शुक्र पापी ग्रह से पीड़ित हो तो पति-पत्नी के तलाक लेने के योग बनते हैं।

सप्तमेश व द्वादशेश छठे आठवें या बाहरवें भाव में हो और सातवें घर में पापी ग्रह हों तो तलाक के योग बनते है। सातवें घर में बैठे सूर्य पर शनि के साथ शत्रु की दृष्टि होने पर तलाक होता है।

तलाक से बचने के उपाय - Ways to Avoid Divorce

ज्योतिष के अनुसार इन समस्याओं से मुक्ति पाने का सबसे आसान और सरल समाधान है रुद्रावतार हनुमान जी की आराधना। जैसे हनुमानजी ने भगवान राम और सीता माता का मिलन करवाया। उर्मिला व सीता के सुहाग की रक्षा की, वैसे ही हनुमान जी की पूजा से जीवनसाथी से मनमुटाव या बिच्छेद नहीं होता है। चाहे सप्तम भाव में सूर्य, मंगल, शनि व राहू की उपस्थिति या युति ही क्यों न हो हनुमान जी की शरण जाकर दांपत्य जीवन सामान्यतः सुखद बनाया जा सकता है।

  • तलाक की स्थिति को शत प्रतिशत समाप्त करने के लिए एक-एक दाना 12मुखी + 11मुखी + 10मुखी + गौरीशंकर + 8मुखी +7मुखी + 6मुखी रुद्राक्ष प्राण प्रतिष्ठित करवाकर पहनें।
  • दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर से प्राप्त सिंदूर जीवनसाथी के चित्र पर लगाएं।
  • पति को हर शुक्रवार अपनी पत्नी को कोई न कोई उपहार लाना चाहिए।
  • राहू के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार शाम के समय दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में 7 नारियल चढ़ाएं।
  • हर गुरुवार केले के पौधे की पूजा करने से भी लाभ मिलता है।
  • शिवलिंग पर हल्दी की गांठ चढ़ाकर वैवाहिक जीवन में शांति बनाए रखने की प्रार्थना करें।
  • रोज हनुमान चालीसा पढ़ें और संभव हो तो मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
  • तांबे के गिलास में पानी पिएं, बंदरों को गुड़ चना खिलाएं।
  • पशु-पक्षियों की सेवा करें और बड़ों का सम्मान करें, किसी से कड़वे वचन न बोलें।
  • मंगलवार के दिन लाल रंग की मसूर की दाल या गुड़ किसी जरूरतमंद को दान करें।
  • शनि के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार हनुमान जी के चित्र के सामने गुड़ का भोग लगाकर काली गाय को खिलाएं।
  • मंगलवार को हनुमान जी के लिए उपवास करें, व्रत के दिन नमक का सेवन न करें।
  • मंगल के कारण तलाक की स्थिति में सात मंगलवार तांबे के लोटे में गेहूं भरकर उस पर लाल चन्दन लगाकर लोटे समेत हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।

Ekadashi Vrat 2026: जानें साल 2026 में एकादशी व्रत का महत्व और तिथियां

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Ekadashi Vrat 2026 Date: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत न केवल पुण्य प्रदान करने वाला है, बल्कि मन की शुद्धि और आत्मिक उन्नति का भी साधन है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का पालन किया जाता है, जो चंद्रमा के उज्ज्वल (शुक्ल) तथा अंधकारमय (कृष्ण) दोनों पक्षों में आती है। इस लेख में हम आपको साल 2026 की सभी एकादशी व्रत तिथियों (Ekadashi Vrat 2026 Date) के साथ-साथ उनके महत्व, पूजा विधि और व्रत कथाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

ekadashi-vrat-2026

एकादशी व्रत का आध्यात्मिक महत्व - Spiritual significance of Ekadashi Vrat

हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि एकादशी व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।एकादशी व्रत को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की उपासना के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। यह भी मन जाता है कि इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और साधक को मोक्ष (Moksha) की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह तिथि पर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का अद्भुत अवसर प्रदान करती है। यह व्रत मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है। इस दिन व्रती अन्न का त्याग करके फलाहार करते हैं और दिनभर भगवान विष्णु की आराधना व भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं ध्यान करने से जीवन में सुख, शांति और वैभव मिलता है।

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एकादशी व्रत के प्रमुख लाभ - Major Benefits of Ekadashi Vrat

मन और आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे भक्त के जीवन में सकारात्मकता आती है। इसके अलावा शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इस व्रत को करने से तनाव कम होता है, एकाग्रता और मानसिक शांतता का अनुभव मिलता है। यह भी कहा जाता है कि इस बारात को करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना गया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। वजन नियंत्रण और रक्तचाप संतुलन में मदद करता है। आयुर्वेदिक दृष्टि से, उपवास से त्रिदोष संतुलन (वात, पित्त, कफ) मिलता है। अनुशासन, संयम एवं नियमित जीवनशैली विकसित होती है।

2026 में एकादशी व्रत की महत्वपूर्ण तिथियां - 2026 Ekadashi List

आइये जानते है साल 2026 में जनवरी से दिसंबर तक के एकादशी व्रत कि तिथियां, नाम और दिन कौन सा है…

जनवरी 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat January 2026

  • 14 जनवरी 2026, दिन: बुधवार- षटतिला एकादशी
  • 29 जनवरी 2026, दिन: गुरुवार- जया एकादशी 

फरवरी 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat February 2026

  • 13 फरवरी 2026, दिन: शुक्रवार- विजया एकादशी 
  • 27 फरवरी 2026, दिन: शुक्रवार- आमलकी एकादशी 

मार्च 2026 में एकादशी व्रत  | Ekadashi Vrat March 2026

  • 15 मार्च 2026, दिन: रविवार- पापमोचनी एकादशी 
  • 29 मार्च 2026, दिन: रविवार- कामदा एकादशी 

अप्रैल 2026 में एकादशी व्रत  | Ekadashi Vrat April 2026

  • 13 अप्रैल 2026, दिन: सोमवार- वरूथिनी एकादशी 
  • 27 अप्रैल 2026, दिन: सोमवार- मोहिनी एकादशी 

मई 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat May 2026

  • 13 मई 2026, दिन: बुधवार- अपरा एकादशी 
  • 27 मई 2026, दिन: बुधवार- निर्जला एकादशी

जून 2026 में एकादशी व्रत  | Ekadashi Vrat June 2026

  • 11 जून 2026, दिन: गुरुवार- योगिनी एकादशी 
  • 25 जून 2026, दिन: गुरुवार- देवशयनी एकादशी

जुलाई 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat July 2026

  • 10 जुलाई 2026, दिन: शुक्रवार– योगिनी एकादशी 
  • 25 जुलाई 2026, दिन: शनिवार- देवशयनी एकादशी

अगस्त 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat August 2026

  • 09 अगस्त 2026, दिन: रविवार- कामदा एकादशी 
  • 23 अगस्त 2026, दिन: रविवार, पवित्रा एकादशी

सितंबर 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat September 2026

  • 07 सितंबर 2026, दिन: सोमवार- अजा एकादशी
  • 22 सितंबर 2026, दिन: मंगलवार- पद्मा एकादशी

अक्टूबर 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat October 2026

  • 06 अक्टूबर 2026, दिन: मंगलवार- इंदिरा एकादशी
  • 22 अक्टूबर 2026, दिन: गुरुवार- पापांकुशा एकादशी 

नवंबर 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat November 2026

  • 05 नवंबर 2026, दिन: गुरुवार- रमा एकादशी 
  • 20 नवंबर 2026, दिन: शुक्रवार, देवप्रबोधिनी एकादशी 

दिसंबर 2026 में एकादशी व्रत | Ekadashi Vrat December 2026

  • 04 दिसंबर 2026, दिन: शुक्रवार- उत्पत्ति एकादशी
  • 20 दिसंबर 2026, दिन: रविवार- मोक्षदा एकादशी 

यह सभी थीं एकादशी व्रत 2026 की प्रमुख तिथियां (Important dates of Ekadashi fasting in 2026)। प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष आध्यात्मिक महत्व है और इन व्रतों को रखने से पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत की पूजा विधि - Ekadashi Vrat Puja Vidhi

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की पूजा में पीले पुष्प, तुलसी के पत्ते और पंचामृत का उपयोग करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
  • इस दिन अन्न, मांस, लहसुन, प्याज और शराब से दूरी बनाएं, केवल फलाहार करें।
  • रात्रि जागरण करते हुए भगवान विष्णु की कथाएं सुनें और भजन-कीर्तन करें।
  • अगले दिन प्रातः में ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

यह है कि एकादशी व्रत कथा - Ekadashi Vrat Katha

प्राचीन काल में एक राजा अम्बरीष, विष्णु के परम भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें मोक्ष का वरदान दिया। असुर मुरासुर का संहार करते समय भगवान के शरीर से एकादशी देवी प्रकट हुईं, जिन्होंने मुरासुर को नष्ट किया। तब भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि जो भी एकादशी व्रत करेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा।

दूसरी ओर, एक समय की बात है, असुरों के राजा मुरासुर ने पृथ्वी पर आतंक फैलाया था। भगवान विष्णु जी जब उससे युद्ध कर रहे थे, तो उनके शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिसे एकादशी देवी कहा गया। इस देवी ने मुरासुर का वध किया। इसके उपरांत भगवान विष्णु ने यह वरदान दिया कि जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसे सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होगी।

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एकादशी व्रत के नियम - Ekadashi Vrat ke Rule

  • व्रती लोग ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • इस दिन क्रोध, हिंसा और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • दान-पुण्य इस दिन करें, जिससे व्रत का फल बढ़ता है।
  • तुलसी के पत्ते बिना भगवन विष्णु कि पूजा अधूरी मानी जाती है।

Ekadashi Vrat 2026 न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि मानसिक शांति, संयम एवं धैर्य की प्रेरणा भी देता है। इस एकादशी व्रत से जीवन में शक्ति और सकारात्मकता आती है।

यदि आप भी साल 2026 में एकादशी व्रत रखना चाहते हैं, तो इस शुभ तिथियों पर कर सकते है। यह लेख में दी गई सम्पूर्ण जानकारी आपको एक सही मार्गदर्शन देगी। 

"एकादशी व्रत के दौरान: "हरे कृष्ण, हरे राम, या "श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय मंत्रो" का जाप करना चाहिए।

FAQs

साल 2026 में पहली एकादशी कब है?

इस साल पहली एकादशी 14 जनवरी को है जिसका नाम है षटतिला एकादशी।

2026 कि अंतिम एकादशी कौन सी है?

मोक्षदा एकादशी साल 2026 कि अंतिम एकादशी है।

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