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जानिए गले में सोने की चेन पहनने के फायदे, नया सोना किस दिन पहनना चाहिए

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रविवार

गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और नया सोना किस दिन पहनना चाहिए, आज के समय में सोने के आभूषण पहनना हर किसी को पसंद है। लोग एक दूसरे की देखते ही सोने के आभूषण पहनते हैं।

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हेलो दोस्तों क्या हम भी जानना चाहते हैं, गले में सोने की चेन पहनने के फायदे और नया सोना किस दिन पहनना चाहिए, आज के समय में सोने के आभूषण पहनना हर किसी को पसंद आता है। लोग दूसरों को सोने के आभूषण पहनते हुए देखकर प्रेरित होते हैं, परंतु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि सोने के आभूषण पहनने से कुछ लोगों को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकता है।

सोने के आभूषण पहनने के पीछे हमारे ग्रह नक्षत्र भी काम करते हैं। कई लोग गले में सोने की चेन पहनना चाहते हैं। सोने की चेन पहनने से कुछ लोगों को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकता है।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और सोने के पहनने के नुकसान को साझा करेंगे। इसके अलावा, हम इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान करेंगे। इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्राप्त करने के लिए, कृपया हमारा लेख अंत तक ज़रूर पढ़ें। चलिए, हम आपको इस विषय पर पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

जाने सोने की चेन गले में पहनने के फायदे

नीचे हमने गले में सोने की चेन पहनने के कुछ लाभ बताए हैं।

  • यदि आप अपने दांपत्य जीवन में सुख चाहते हैं, तो गले में सोने की चेन पहनना आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। इससे आपका दांपत्य जीवन खुशहाल और सुखमय हो सकता है।
  • यदि आपके शरीर में विष का प्रभाव है, तो आप गले या अन्य किसी भी जगह सोने का आभूषण पहन सकते हैं। सोना उष्ण होता है और यह विष को दूर करने में हमारी सहायता कर सकता है।
  • यदि आप दुबले-पतले हैं, तो गले में सोने की चेन पहनें।
  • सोना गले और अन्य किसी भी स्थान पर धारण करने से आँख, कान, नाक, छाती, पेट आदि का दर्द समाप्त हो सकता है।
  • माना जाता है कि सोना सोने को आकर्षित करता है, इसलिए यदि आप गले में सोने की चेन पहनते हैं, तो आपके पास और अधिक सोना इकट्ठा हो सकता है।

किस दिन New Gold पहनना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोना रविवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए। इन दिनों नया सोना धारण करना शुभ माना जाता है।

सोना पहनने के हानिकारक प्रभाव

नीचे हमने सोना पहनने के कुछ हानिकारक प्रभाव बताए हैं।

  • जिन लोगों को मोटापा और पेट की समस्या है, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए। इस तरह के व्यक्तियों को सोना पहनने से उल्टा नुकसान हो सकता है।
  • कभी भी बाएं हाथ में सोना नहीं पहनना चाहिए, लेकिन यदि किसी विशेष कार्य के लिए बाएं हाथ में सोना पहना है, तो वह स्वीकृत होगा।
  • जो व्यक्ति बहुत गुस्सेवाले और वाचाल प्रकार के होते हैं, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए।
  • पैरों में सोने की कोई भी धातु नहीं पहननी चाहिए। सोना बहुत ही पवित्र धातु माना जाता है, इसलिए अगर आप सोना को पैरों में धारण करते हैं, तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • जो महिला वृद्ध हैं या गर्भवती हैं, उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए। थोड़ा सोना पहना जा सकता है, लेकिन अधिक सोना पहनने से बचना चाहिए, नहीं तो उल्टा नुकसान हो सकता है।

Gold पहनने के नियम

नीचे हमने सोना पहनने के कुछ नियम बताए हैं।

  • सोना को हमेशा रविवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार के दिन ही पहनना चाहिए।
  • पैरों में सोना नहीं पहनना चाहिए।
  • कुछ लोग सोना पहनने के साथ अन्य धातु के भी आभूषण पहनते हैं, लेकिन सोने के साथ चांदी के अलावा अन्य किसी भी वस्तु को धारण नहीं करना चाहिए।
  • तर्जनी उंगली में सोना पहनना चाहिए ताकि एकाग्रता मिले।
  • सम्मान प्राप्त करने के लिए भी सोना पहनना चाहिए।
  • जुकाम और सर्दी से परेशान हैं? तो कनिष्ठान उंगली में सोना धारण करें।
  • विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए आप किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर सोना धारण कर सकते हैं।

निष्कर्ष

मित्रों, इस आलेख के माध्यम से हमने गले में सोने की चेन पहनने के लाभ और सोना पहनने के नुकसान को साझा किया है। इसके अलावा, हमने इस विषय से संबंधित और भी जानकारी प्रदान की है। हम उम्मीद करते हैं कि आज का आलेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा है, तो कृपया इसे शेयर करें।

मित्रों, हम आशा करते हैं कि आपको गले में सोने की चेन पहनने के फायदे वाला आलेख पसंद आया होगा। धन्यवाद!

Raja Yoga in Astrology: जानिए Jyotish में 7 सबसे प्रबल राजयोग क्या है?

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Raja Yoga in Astrology: हम सभी एक ऐसे जीवन की कामना करते हैं जो असाधारण हो और सफलता, प्रसिद्धि, धन, और ज्ञान से भरपूर हो, या दूसरे शब्दों में - "एक जीवन जो समाज में सामान्य से हटकर हो।" हमेशा सुना है कि सामान्य तौर से एक सामग्रिक और योग्यताओं से भरा जीवन जीने के लिए, आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है, और ईमानदारी से - इसमें कोई 2 रास्ते नहीं हैं। हालांकि, ऐसे लोग भी हैं जो किसी विशेष पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों के परिणामस्वरूप कुछ विशेष आकाशीय आशीर्वाद धारण करते हैं जो उन्हें अपने जीवन के कुछ क्षेत्रों में शीघ्रता से उन्नत होने में मदद करते हैं।

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Kundali में Rajyog का क्या मतलब है?

ज्योतिष में 'राजयोग' कहे जाने वाले विशिष्ट ग्रहों के संयोजन होते हैं, जो यदि किसी के Kundali में मौजूद होते हैं, तो उसके जीवन में सफलता और समृद्धि को बहुत तेज़ी और सरलता से ला सकते हैं। एक व्यक्ति को एक ज्योतिषी से बात करनी चाहिए ताकि उसकी कुंडली में किसी Rajyog की मौजूदगी की जाँच की जा सके और उसे यह जानने में मदद हो सके कि वह अपने जीवन के कुंडली राजयोग के सर्वोत्तम लाभ उठा सकता है और अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों को कैसे योजना बना सकता है।

राजयोग ज्योतिष लाभ

Kundali में राजयोग के साथ होने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं। Raj Yoga बुनियादी रूप से अत्यधिक शक्तिशाली और समृद्धिपूर्ण ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं को आकर्षित करता है और व्यक्ति के भविष्य या जीवन की पथदर्शिता में एक महत्वपूर्ण धक्का प्रदान करता है। राजयोग से युक्त व्यक्तियां हमेशा अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कई कदम आगे रहती हैं और उन्हें अपने जीवन में सफलता, नाम और प्रशंसा बहुत ही सरलता से मिलती है।

ऐसा लगता है कि लेडी लक हमेशा उन पर मुस्कुराती है और ऐसे लोगों के कुंडली में राजयोग होने से भाग्य उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रयासों में हमेशा साथी बनता है। राजयोग से युक्त व्यक्तियां आदिकाल से ही विशेषाधिकार और शक्ति के पदों पर उठती हैं। इन व्यक्तियों को नाम और प्रशंसा स्वभाव से ही मिलते हैं और उनकी व्यक्तित्व में एक महत्वपूर्ण कार्षिक जुड़ी होती है। जबकि राजयोग के बिना एक व्यक्ति कड़ी मेहनत के बावजूद मध्यम परिणाम प्राप्त करेगा, एक राजयोग से युक्त व्यक्ति को सफलता बहुत ही आसानी से और कुछ ही समय में हो जाएगी।

हालांकि, यह याद रखना आवश्यक है कि किसी के कुंडली में राजयोग होने वाले व्यक्ति को अपनी समय, प्रयास और ऊर्जा को उस विशेष क्षेत्र पर केंद्रित करना चाहिए जिसे उस विशेष राजयोग से संकेत किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए, यह हमेशा सुनिश्चित किया जाता है कि आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में कदम रखने से पहले ज्योतिषी से बात करें, ताकि आपके प्रयास उसी दिशा/क्षेत्र में दिशा में हों जो आपके कुंडली में मौजूद राजयोग के साथ "संरेखित" है।

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी से संपर्क करें और एक अत्यंत अनुभवी ज्योतिषी से बात करें जो आपकी कुंडली को ध्यानपूर्वक विश्लेषण करेंगे और आपको अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करेंगे जो आपको आपके जीवन में स्वास्थ्य, धन, प्रचुरता, सफलता और अनपेक्षित समृद्धि के लिए सकारात्मक ब्रह्मांडीय ऊर्जा आकर्षित करने में मदद करेगा!

पराशारी राजयोग क्या है? | What is Parashari Raj Yoga

पराशारी राजयोग ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग है जो जातक को धन, सम्मान और साम्राज्य की प्राप्ति में मदद करता है। इस योग में ग्रहों के एक विशेष संयोजन की उपस्थिति होती है जो व्यक्ति को समृद्धि और शक्ति प्रदान करता है। 

अधिकांश योग उत्तम विषय, भाग्यशाली ग्रहों, उच्च स्थिति और योगक्षेम योग के साथ जुड़े होते हैं। यह ग्रहों के संयोजन की स्थिति और उनके एकांत के आधार पर निर्धारित होता है। 

पराशारी राजयोग (Parashari Yoga) विशेष रूप से कुंडली में धन योग, राजा योग और महाराजा योग के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह योग जातक को सफलता, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, और शक्ति प्रदान करते हैं।

ज्योतिष में सबसे शक्तिशाली Raja Yoga

यह थोड़ा सा कपटपूर्ण लग सकता है, लेकिन सभी राज योग शक्तिशाली होते हैं। वास्तव में, उन्हें शक्तिशाली होने के लिए ही बनाया गया है, इसीलिए उन्हें पहले से ही राज योग कहा जाता है। तो, "कौन सा सबसे शक्तिशाली राज योग है?" के सवाल का वास्तविक उत्तर है - वह जिसे आप पूरी तरह से उपयोग करते हैं! आपकी कुंडली में एक राजयोग हो सकता है, लेकिन आप उस राजयोग के ऊर्जाओं के साथ अनुसरण करने वाले पहलुओं की पहल करने के बावजूद, आप उस राजयोग से लाभ नहीं उठा सकते हैं।

Jyotish में राजयोग के प्रकार

हालांकि कई राज योग हैं, Astrology में सात सबसे शक्तिशाली 'राज योग' निम्नलिखित हैं:

  1. गजकेसरी योग: गजकेसरी योग गुरु और चंद्रमा के बीच का एक प्रकार का Raj Yoga है। जब ये दो ग्रह एक होरोस्कोप में आपस में 'केंद्र' स्थित होते हैं, तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। इस राजयोग से Kundali में सफलता, धन, आनंद और शक्ति होती है।
  2. बुधआदित्य योग: अगर सूर्य और बुध ज्योतिष के किसी सुखकारी घर में संयुक्त रूप से सकारात्मक रूप से स्थित होते हैं, तो इससे बुध आदित्य योग (Budha Aditya Yoga) का निर्माण होता है। यह Rajyog किसी को उच्च स्तर की बुद्धि, नाम, प्रशंसा, शक्ति और स्थान में आशीर्वाद प्रदान करता है।
  3. विपरीत राज योग: इस प्रकार का Rajyog कुंडली में 'त्रिक स्थानों' या 6वें, 8वें, और 12वें घरों के स्वामियों द्वारा निर्मित होता है। जब त्रिक स्थानों के स्वामीज़ अपने ही घरों में स्थित होते हैं या उनके द्वारा स्वामित्व किए गए अन्य त्रिक स्थानों के घरों में स्थित होते हैं, तो एक विपरीत राज योग (Vipreet Raja Yoga) जातक की कुंडली में बनता है। इस राजयोग के परिणामस्वरूप, जातक को महान सफलता और प्रशंसा मिलती है, हालांकि कुछ मामलों में, सफलता और प्रशंसा किसी प्रारंभिक संघर्ष के बाद आती हैं।
  4. पाराशरी राज योग: यह राजयोग कुंडली में तब बनता है जब 'केन्द्र' और 'त्रिकोण' घर या उन घरों के स्वामियों का आपसी संबंध होता है। पाराशारी राजयोग (Parashari Raja Yoga) वाले व्यक्ति को सफलता, धन की प्राप्ति होती है और समाज में उच्च स्थान का आनंद मिलता है।
  1. अखण्ड राज योग: यह कुंडली में एक दुर्लभ Rajyog है और यह तब बनता है जब बृहस्पति लग्नेश की तुलना में बढ़िया स्थिति में होता है और व्यक्ति की कुंडली में 2वें, 5वें, या 9वें घर का स्वामी होता है। अखंड राजयोग (Akhand Raja Yoga) को कुंडली में माना जाता है जब 2वें, 9वें, या 11वें घर का स्वामी चंद्रमा के साथ केंद्र में स्थित है। यह राजयोग शक्ति, स्थान, अधिकार, प्रमुखता और शासन की क्षमता प्रदान करता है। इस राजयोग के साथ व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेता है और दुनिया के कई प्रमुख राजनेता की कुंडलियों में इसे देखा जाता है।
  2. धन राज योग: यह Kundali में एक ऐसा राजयोग है जो बनता है जब 1वें, 2वें, 5वें, 9वें और 11वें घर के स्वामी एक दूसरे से संबंधित होते हैं, जो मेल या दृष्टि के माध्यम से। धन राजयोग (Dhan Yoga) से युक्त व्यक्तियों को उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती। प्रचुर धन उनके जीवन की स्वाभाविक स्थिति बन जाता है।
  3. अधि राज योग: यह राजयोग कुंडली में बनता है जब बृहस्पति, शुक्र, और बुध नेत्रीय चंद्रमा से 6वें या 8वें घर में स्थित होते हैं। अधि योग (Adhi Yoga) को चंद्राधि राज योग भी कहा जाता है। यह राजयोग व्यक्ति पर महान ज्ञान, सफलता, और नेतृत्व की गुणवत्ता बरसाता है और उसे समाज में एक आदर्श उदाहरण बनाता है।

ज्योतिष में अत्यंत दुर्लभ योग

Jyotish में राजयोग व्यक्ति की कुंडली या जन्मकुंडली में विशेष ग्रह स्थानों के मामले होता है। इसलिए, जो ग्रह स्थान बनाने वाला एक राजयोग को कोई दुर्लभ चीज नहीं कहा जा सकता है, और न ही यह कुछ है जो व्यापक रूप से फैला हुआ है।

हालांकि, अखंड राजयोग एक ज्योतिष में यह वाकई बहुत ही दुर्लभ योग है जो आमतौर पर लोगों की कुंडलियों में धूप में पाया जाता है। इसके अलावा, आधि योग भी पाने में काफी दुर्लभ होता है। इसलिए, यह था ज्योतिष में 7 सबसे शक्तिशाली 'राजयोग' के बारे में।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कौन-कौन से राजयोग हैं जिन्हें आप चतुरता से उपयोग करके अपने जीवन में सफलता, विकास, धन, और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं, तो एक ज्योतिषी से बातचीत करें जो आपको अपनी कुंडली / Kundli की अनुकूल ग्रह स्थितियों को सबसे अच्छे तरीके से उपयोग करने के लिए मार्गदर्शन करेगा।

पराशारी राजयोग के लाभ: Parashari Raj Yoga Benefits

1. धन की प्राप्ति: पराशारी राजयोग व्यक्ति को धन की प्राप्ति में मदद करता है। यह धन के स्रोतों को संतुलित करके आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।

2. सम्मान और प्रतिष्ठा: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, जो उन्हें समाज में उच्च स्थान पर ले जाती है।

3. साम्राज्य की प्राप्ति: पराशारी राजयोग व्यक्ति को साम्राज्यिक शक्ति और प्रभाव की प्राप्ति में सहायक होता है। यह उन्हें अधिकाधिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने की क्षमता प्रदान करता है।

4. स्थिरता और सफलता: यह योग व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और सफलता की प्राप्ति में सहायक होता है, जिससे वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में समर्थ होता है।

5. आत्मविश्वास और आत्मसंयम: पराशारी राजयोग व्यक्ति को आत्मविश्वास और आत्मसंयम की प्राप्ति में मदद करता है, जो उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनाता है।

जानिए घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और स्थान कैसे बनाएं

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क्या आप को पता है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं, इस बात के बारे में आज चर्चा करेंगे, हिंदू धर्म में श्राद्ध के दिन पितरों को स्मरण किया जाता है। इस दिन पितरों के लिए खीर का भोग चढ़ाया जाता है, और उनकी फोटो के सामने फूल आदि अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग पितरों की फोटो को अलमारी इत्यादि में सुरक्षित रखते हैं और श्राद्ध के दिन उन्हें बाहर निकालकर पूजा-अर्चना करते हैं, फिर फोटो को फिर से अलमारी में रख देते हैं।

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कुछ लोग अपने घर में पितरों की फोटों को गलत स्थान पर लगा देते हैं, जिसे वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि पितरों की फोटो को घर में सही स्थान पर कैसे रखना चाहिए, तो हमारे यह लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि घर में पितरों को किस स्थान पर रखना चाहिए और उनका स्थान कैसे सुनिश्चित करें। इसके अलावा, हम इस विषय से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। तो चलिए, हम आपको इस विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

परिवार में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए?

घर में पितरों की फोटो को हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए। यह दिशा पितरों के लिए सही मानी जाती है, और पितरों का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यम की दिशा मानी जाती है, और इसलिए यह पितरों के लिए सही मानी जाती है।

ये भी पढ़े: सपने में दीवार पर छिपकली देखना शुभ या अशुभ

पितरों का स्थान कैसे तैयार करें?

पितरों के स्थान को बनाने से पहले, नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखें।

  • पितरों का स्थान घर में हमेशा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  • पितरों के मुख की दिशा को घर में हमेशा दक्षिण की ओर रखना चाहिए।
  • एक से अधिक पितरों की फोटो घर में नहीं लगानी चाहिए। एक से अधिक पितरों की फोटो लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
  • मंदिर में पितरों की फोटो को भूलकर भी न रखें।
  • बैठक रूम और शयन रूम में भी पितरों की फोटो नहीं रखनी चाहिए। इसे माना जाता है कि इस जगह पर पितरों की फोटो रखने से घर के सदस्य बार-बार बीमार होते रहते हैं, और इससे परिवार में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • रसोई में भूलकर भी पितरों की फोटो नहीं लगानी चाहिए।

पितरों के विषय में जानकारी

पितरों के बारे में हमने कुछ जानकारी नीचे दी है।

  • हमारे कुछ शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि पितरों का निवास स्थान चंद्र के उधर्वभाग में है।
  • ऐसा भी माना जाता है कि हमारे पितर मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच 1 से 100 वर्ष तक वही स्थान पर रहते हैं।
  • अगर हम हमारे पितरों के श्राद्ध आदि नहीं करते हैं और उनको याद नहीं करते हैं, तो वे हमसे नाराज हो जाते हैं।
  • उनकी नाराजगी के कारण हमें पितृदोष भी हो सकता है, जिसके कारण हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
  • यदि हम समय-समय पर हमारे पितरों को याद करते हैं, और उनका श्राद्ध आदि करते हैं, तो वे प्रसन्न होते हैं और उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है।

पितरों की Puja कैसे करें

  • पितरों की पूजा करने के लिए, सुबह के समय स्नान आदि करने के बाद, उनका ध्यान करते हुए उन्हें याद करें।
  • उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें।
  • उसके बाद पितरों का तर्पण करें। पितरों के तर्पण में फूल, तिल, जल आदि अर्पित करें।
  • उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, तथा दान आदि करें।
  • उसके पश्चात् कौआ, कुत्ता, आदि जैसे पशु-पक्षियों को भोजन कराएं। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। इससे हमारे पितर प्रसन्न होते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताया है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं। इसके अलावा, इस टॉपिक से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।

आशा है कि आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यदि यह आपके लिए उपयोगी सिद्ध होता है, तो कृपया इसे आगे शेयर करें, ताकि अन्य लोग भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें।

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल "घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए, पितरों का स्थान कैसे बनाएं" अच्छा लगा होगा। धन्यवाद! 

FAQs

पितृस्थान में कौन-सी चीज़ें रखनी चाहिए?

पितृस्थान पर आप अपने पूर्वजों की तस्वीरें, दीपक, फूल, चांदन, अक्षत, पुष्प आदि रख सकते हैं। पिंडदान के लिए एक थाली भी रखें।

पितृस्थान कहाँ बनाना चाहिए घर में?

पितृस्थान घर के पूर्वांगण या फिर आंगन या बगीचे में बनाएँ। पूर्व दिशा श्रेष्ठ मानी गई है पितरों के लिए।

पितृस्थान पर कितने चित्र लगाएँ?

जितने भी अपने पूर्वजों के चित्र उपलब्ध हैं सभी को लगा सकते हैं। अगर कम चित्र हैं तो कम लगाएँ।

पितृस्थान की कितनी बार सफाई करनी चाहिए?

प्रत्येक 15 दिन में एक बार पितृस्थान की सामान्य सफाई अवश्य करें। त्यौहार आने पर विशेष सफाई करवाएँ।

पितृस्थान पर कौन से पौधे लगा सकते हैं?

तुलसी, अशोक, वट वृक्ष और पीपल के पौधे आप पितृस्थान पर अच्छे से उगा सकते हैं।

सकट चौथ 2026: तिथि, पूजा विधि और भगवान गणेश की कहानी

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गुरुवार

Sakat Chauth 2026 Date: साल 2026 में सकट चौथ जनवरी के प्रथम वीक में पड़ रहा है, सकट चौथ, जिसे संकट चतुर्थी या तिलकुट चौथ भी कहते हैं, बच्चों की लंबी उम्र, सेहत और खुशहाली के लिए मनाया जाने वाला सबसे खास हिंदू व्रतों में से एक है। भारत और नेपाल में माताएं इस दिन कड़ा व्रत रखती हैं, भगवान गणेश और देवी सकट की पूजा करती हैं ताकि उनके जीवन की बाधाएं दूर हों और उनके बच्चों को खुशी, समझदारी और मुश्किलों से सुरक्षा मिले।

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साल 2026 में, सकट चौथ बहुत श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा, जिससे भक्त मंदिरों और सामुदायिक समारोहों में आएंगे, जबकि लाखों लोग घर पर व्रत रखेंगे। यह blog में हम आपको सकट चौथ 2026 की तारीख (Sakat chauth 2026 kab hai), पूरी पूजा विधि, व्रत के नियम, महत्व और इस त्योहार से जुड़ी भगवान गणेश की पवित्र कहानी के बारे में बतायेगे।

सकट चौथ 2026: तारीख और समय - Sakat Chauth 2026: Date and Time

Sakat Chauth Kab Hai 2026 / सकट चौथ हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है (North Indian Purnimanta Calendar के अनुसार)। महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में, अमांत कैलेंडर के अनुसार महीना अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इस त्योहार की तारीख वही रहती है।

When is Sakat Chauth in 2026?

सकट चौथ 2026 में कब है: बहुत से लोगो ले मन में सवाल होगा की साल 2026 में सकट चौथ कब है? तो हम आपको बता दे की साल 2026 में यह व्रत 6 जनवरी, दिन मंगलवार को पड़ रहा है।  

  • Sakat Chauth 2026 Date: मंगलवार, 6 जनवरी 2026

सकट चतुर्थी तिथि का समय

  • चतुर्थी चौथ शुरू: 06 जनवरी 2026, दिन:मंगलवार को सुबह 8:01 बजे से
  • चतुर्थी चौथ खत्म: 07 जनवरी 2026, दिन:बुधवार को सुबह 6:52 बजे तक

Moonrise Timing (For Breaking the Fast)

मुख्य बिंदु: संकट चौथ पर चंद्रोदय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।

  • 06 जनवरी 2026 को चंद्रोदय समय: रात के 8:54 बजे (लगभग)

सकट चौथ क्या है? - What Is Sakat Chauth?

सकट चौथ भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता हैं, और देवी सकट माता जी, जो बच्चों को परेशानियों और बीमारियों से बचाती हैं, और यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं। कुछ इलाकों में, शादीशुदा महिलाएं पूरे परिवार की खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं।

सकट शब्द का मतलब है मुश्किलें, और भक्तों का मानना ​​है कि इस दिन पूजा करने से जीवन से मुश्किलें दूर होती हैं। यह भी माना जाता है कि इस व्रत के दौरान की गई कोई भी इच्छा भगवान गणेश पूरी करते हैं।

सकट चौथ 2026 का महत्व

बच्चों की भलाई के लिए

माताएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत, लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए इस व्रत रखती हैं। इस व्रत को बच्चों के प्रति बिना शर्त प्यार और समर्पण के रूप में देखा जाता है।

बाधाओं से सुरक्षा

इस दिन भगवान गणेश भक्तों के मार्ग से सभी बाधाएं दूर करते हैं, इसलिए इसे चतुर्थी को संकट मोचन चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

इच्छाओं की पूर्ति

भक्तों का यह भी मानना ​​है कि गणेश चतुर्थी पर जल्दी वरदान देते हैं, खासकर जब व्रत को सख्त नियम के साथ किया जाता है।

परिवार के साथ मज़बूत रिश्ता

इस दिन परिवार शाम की पूजा, चांद निकलने की रस्मों और प्रसाद बांटने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिससे एकता और आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है।

ज्योतिष में महत्व

माना जाता है कि सकट चौथ बच्चों की Kundli से जुड़े ग्रह दोषों के बुरे असर को कम करता है। भगवान गणपति जी नेगेटिव एनर्जी और राहु और केतु के बुरे असर से भी बचाते हैं।

सकट चौथ का व्रत कैसे रखें - How to Observe the Sakat Chauth Fast

सकट चौथ का व्रत बहुत ही सख्त माना जाता है और कई महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं, जबकि कुछ माताए सिर्फ फल या दूध लेती हैं।

सकट चौथ उपवास के प्रकार

  • निर्जला व्रत: यानि बिना खाना या पानी
  • फलाहार व्रत: फल और दूध की अनुमति
  • सात्विक आहार: बिना अनाज के एक बार का भोजन

इस व्रत में चंद्रोदय और चतुर्थी पूजा पूरी होने के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है।

सकट चौथ 2026 पूजा विधि - Sakat Chauth 2026 Puja Vidhi

आपको बता दे कि सकट चौथ की पूजा शाम को करनी चाहिए, खासकर चांद निकलने के समय। नीचे साल 2026 के लिए पूरी पूजा विधि दी गई है।

सकट चौथ में पूजा से पहले की तैयारियाँ

1. सुबह के काम

  • इस दिन जल्दी उठें, हो सके तो सूरज उगने से पहले।
  • पवित्र स्नान करें।
  • पूजा की जगह को ठीक से साफ़ करें।
  • भगवान गणेश और देवी सकट माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।

2. उपवास संकल्प

  • मूर्ति के सामने बैठें और व्रत का प्रण लें:

“माता मैं यह सकट चौथ व्रत अपने बच्चों की खुशी, सेहत और सुरक्षा के लिए रख रही हूँ।”

3. पूजा सामग्री तैयार करें

आपको चाहिये होगा:

  • गणेश की मूर्ति
  • मिट्टी का दीया
  • तेल या घी
  • रोली, कुमकुम, हल्दी
  • दूर्वा घास (21 धागे)
  • फूल
  • तिल
  • गुड़
  • रेवड़ी, गजक
  • मूंगफली
  • नारियल
  • अक्षत (चावल)
  • पानी
  • पान के पत्ते
  • प्रसाद के लिए मिठाई
  • सकट माता की रोटी के लिए गेहूं का आटा

Sakat Chauth 2026 Evening Puja Vidhi

पूजा एरिया सेटअप करें

मूर्तियों को लकड़ी के प्लेटफॉर्म पर रखें, दिप जलाएं और जगह को फूलों से सजाएं।

गणेश पूजा

  • कुमकुम और हल्दी लगाएं।
  • भगवान गणेश को 21 दूर्वा घास चढ़ाएं।
  • फूल और मोदक चढ़ाएं।
  • अगरबत्ती या धूप जलाएं।

तिल और गुड़ चढ़ाएं

सकट चौथ पर तिल और गुड़ ज़रूरी प्रसाद हैं। ऐसा माना जाता है कि:

“तिल और गुड़ से सकट माँ प्रसन्न होती हैं।”

सकट माता से प्रार्थना करें

प्रसाद के रूप में घी और गुड़ से बनी गेहूं के आटे की रोटी रखें।

सकट चौथ व्रत कथा पढ़ें या सुनें

व्रत पूरा करने के लिए कहानी सुनना ज़रूरी है।

चंद्रोदय अनुष्ठान

चाँद देखने के बाद:

  • जल (अर्घ्य) चढ़ाएं
  • तिल, फूल और चावल चढ़ाएं
  • बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें

उपवास तोड़ें

तिल, गुड़ और गजक का प्रसाद ग्रहण करें।

सकट चौथ व्रत कथा (The Story of Lord Ganesha)

यदि आप सकट चौथ व्रत करना है तो आपको सबसे ज़रूरी हिस्सों में से एक है व्रत कथा। यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान गणेश जी के भक्तों की रक्षा करने के चमत्कारी तरीकों पर रोशनी डालती है।

सकट चौथ के पीछे की कथा

बहुत समय पहले कि बात है, एक गांव में एक गरीब औरत अपने छोटे बेटे के साथ रहती थी। सकट चौथ पर जब सब लोग सकट माता और भगवान गणेश की पूजा करते थे, तो उस औरत के पास चढ़ाने के लिए कुछ नहीं था। अपनी गरीबी के बावजूद, उसने पूरी श्रद्धा से व्रत रखा। उसने तिल इकट्ठा किए, बचे हुए आटे से एक छोटी रोटी बनाई और पूरी श्रद्धा से पूजा की।

उस रात, डाकू गांव में घुस आए और कई घरों पर हमला किया। लेकिन चमत्कार से, महिला और उसके बेटे को कोई नुकसान नहीं हुआ। अगली सुबह जब गांव वालों ने यह देखा, तो उन्हें यकीन हो गया कि सकट माता ने मां की सच्ची भक्ति की वजह से उनकी रक्षा की है। उस दिन से, गांव वालों ने नई आस्था के साथ व्रत रखना शुरू कर दिया, और यह परंपरा अभी तक पीढ़ियों तक चलती रही।

एक और लोकप्रिय कहानी - गणेश और चंद्रमा की कहानी

पुरानी कहानी के अनुसार, एक बार भगवान गणेश दावत के बाद घर लौट रहे थे। अपने मूषक वाहन पर सवार होकर, वे अचानक लड़खड़ाकर गिर पड़े। चंद्र देव, चंद्र देव, उन पर ज़ोर से हंसे।

अपमानित होकर भगवान गणेश ने चाँद को श्राप दिया:

“जो कोई भी इस दिन चाँद को देखेगा, उसे झूठे इल्ज़ाम और बुरी किस्मत का सामना करना पड़ेगा।”

यह दिन कृष्ण चतुर्थी था, जिसे बाद में सकट चौथ के रूप में मनाया गया।

अपनी गलती का एहसास होने पर, चंद्र देव ने माफ़ी मांगी। गणेश ने श्राप कम करते हुए कहा:

“जो कोई भी आज चांद को देखेगा और श्रद्धा से सकट चौथ का व्रत रखेगा, वह सभी मुश्किलों से सुरक्षित रहेगा।”

यह कहानी बताती है:

  • सकट चौथ पर चांद की पूजा क्यों ज़रूरी है
  • भक्त दिन में चांद देखने से क्यों बचते हैं
  • व्रत खोलने में चांद निकलने का क्या अहम रोल होता है

सकट चौथ का आध्यात्मिक अर्थ - Spiritual Meaning of Sakat Chauth

बाधाओं पर विजय

भगवान गणेश ज्ञान और चुनौतियों से निपटने की क्षमता के प्रतीक हैं। माना जाता है कि यह व्रत नेगेटिविटी और कर्मों की रुकावटों को दूर करता है।

बच्चे और माँ के बीच के रिश्ते को मज़बूत करना

पारंपरिक रूप से, माताएं अपने बच्चों की सफलता, अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

आंतरिक अनुशासन

उपवास सेल्फ-कंट्रोल, धैर्य और आध्यात्मिक ध्यान सिखाता है।

मन और आत्मा की शुद्धि

पूजा, प्रार्थना और कहानी सुनाने से भक्त अपने विचारों और भावनाओं को शुद्ध करते हैं।

भारत भर में रीति-रिवाज और परंपराएँ

उत्तर भारत: महिलाएं गुड़ के साथ तिलकुट, गजक, रेवड़ी और रोटी बनाती हैं। समाज के लोग इकट्ठा होते हैं जहां महिलाएं मिलकर व्रत कथा पढ़ती हैं।

महाराष्ट्र: इस व्रत को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। भक्त मोदक, दूर्वा घास चढ़ाते हैं और संकष्टी गणेश कथा सुनते हैं।

दक्षिण भारत: कुछ समुदाय परिवार की खुशहाली के लिए बड़े पैमाने पर गणेश होमम करते हैं।

बिहार और उत्तर प्रदेश: तिल और गुड़ का खास महत्व है। परिवार खास रोटियां बनाते हैं और मूंगफली, मीठे व्यंजन और मौसमी फल चढ़ाते हैं।

सकट चौथ 2026 पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें

  • सुबह जल्दी उठें और पवित्रता बनाए रखें।
  • पूरी श्रद्धा से व्रत रखें।
  • भगवान गणेश को 21 दूर्वा चढ़ाएं।
  • व्रत के बाद गायों को चारा खिलाएं या खाना दान करें।
  • सकट चौथ कथा पढ़ें या सुनें।

क्या न करें

  • चांद निकलने से पहले कुछ न खाएं-पिएं (अगर निर्जला व्रत कर रहे हैं)।
  • नॉन-वेजिटेरियन खाना खाने से बचें।
  • कठोर शब्द या नेगेटिव विचार न कहें।
  • चांद की पूजा न छोड़ें; व्रत पूरा करने के लिए यह ज़रूरी है।

सकट चौथ के बाद पारंपरिक रूप से खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ

जब व्रत खोला जाता है, तो भक्त इसका आनंद लेते हैं:

  • तिल-गुड़ के लड्डू
  • रेवड़ी / गजक
  • मूंगफली
  • गुड़ के साथ गेहूं की रोटी
  • दूध और मिठाई
  • मोदक
  • मौसमी फल

इन खाद्य पदार्थों को शुभ माना जाता है क्योंकि ये सर्दियों में गर्मी, ऊर्जा और पवित्रता दिखाते हैं।

सकट चौथ पर तिल इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

तिल सकट चौथ का मुख्य हिस्सा है। पुराने शास्त्रों में तिल को अमरता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक बताया गया है।

लाभ और प्रतीकवाद

  • लंबी उम्र दिखाता है
  • बुरी ताकतों से बचाता है
  • सर्दियों में शरीर की गर्मी को बैलेंस करता है
  • भक्ति और त्याग का प्रतीक

माना जाता है कि भगवान गणेश को तिल चढ़ाने से संकट दूर होते हैं।

सकट चौथ और ज्योतिष - Sakat Chauth and Astrology

ग्रहों का प्रभाव

  • माना जाता है कि यह व्रत राहु और केतु के दोष कम करता है।
  • यह चंद्रमा के प्रभाव को मजबूत करता है, जिससे इमोशनल स्टेबिलिटी बेहतर होती है।
  • गणेश बुरे ग्रहों के असर को दूर करते हैं और शुभ एनर्जी लाते हैं।

के लिए अनुशंसित

  • जिन बच्चों को हेल्थ प्रॉब्लम हैं
  • जिन लोगों को देरी या रुकावटें आ रही हैं
  • जिन लोगों को मेंटल स्ट्रेस, डर या एंग्जायटी है
  • कोई भी जो नया काम कामयाबी से शुरू करना चाहता है

निष्कर्ष

सकट चौथ 2026, इस साल 06 जनवरी को मनाया जाता है, भगवान गणेश और देवी सकट माता की भक्ति, व्रत और आशीर्वाद का एक शक्तिशाली दिन है। यह पवित्र व्रत एक माँ के प्यार और विश्वास का इज़हार है, माना जाता है कि यह रुकावटों को दूर करता है और बच्चों को मुश्किलों से बचाता है।

व्रत, पूजा, कहानी और चांद की पूजा से भक्त दैवीय शक्तियों से गहराई से जुड़ते हैं। चाहे आप इसे अपने बच्चों के लिए करें या अपने पूरे परिवार की खुशहाली के लिए, सकट चौथ आध्यात्मिक शक्ति, शांति और संतुष्टि लाता है।

भगवान गणेश जी आपकी सभी मुश्किलों को दूर करें और आपके परिवार में खुशियां और शांति लाएं।

FAQs

2026 mein sakat chauth kab ki hai?

साल 2026 में sakat chauth 06 जनवरी को है।

सकट चौथ में किस भगवान की पूजा होती है?

भगवान गणेश जी की पूजा होती है सकट चौथ के दिन।

December 2025 Horoscope: साल के आखिरी महीने में आपकी किस्मत का क्या होगा बड़ा खुलासा!

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बुधवार

December 2025 Monthly Horoscope: साल का अंतिम महीना दिसंबर है बात करे तो दिसंबर 2025 कई राशियों के लिए यह महीना बेहद खास रहने वाला है। इस महीने में ग्रहों - बृहस्पति, मंगल, बुध, सूर्य और शुक्र - की बड़ी चाल भी बदलने वाली है। इन ग्रह गोचर का सीधा असर सभी राशियों के करियर, धन, रिश्तों और खुशियों पर भी पड़ेगा। खासकर शुक्र का बदलता हुआ व्यवहार रिश्तों, वैवाहिक जीवन, प्रेम, सुख और समृद्धि पर गहरा प्रभाव डालेगा। कई लोगों के लिए यह महीना सौभाग्य लेकर आएगा, तो कुछ के लिए यह महीना चुनौतियों का दौर भी रह सकता है।

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दिसंबर महीने के प्रमुख व्रत और त्योहार

  • 1 दिसंबर 2025: एकादशी व्रत (Monday)
  • 2 दिसंबर 2025: प्रदोष व्रत (Tuesday)
  • 4 दिसंबर 2025: पूर्णिमा व्रत (Thursday)
  • 15 दिसंबर 2025: एकादशी व्रत (Monday)
  • 17 दिसंबर 2025: प्रदोष व्रत (Wednesday)
  • 27 दिसंबर 2025: गुरु गोविंद सिंह जयंती (Saturday)
  • 28 दिसंबर 2025: दुर्गा अष्टमी व्रत (Sunday)
  • 31 दिसंबर 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत (Wednesday)

मेष राशिफल दिसंबर 2025

दिसंबर आपके लिए सम्मान और उपलब्धियों का महीना भी बन सकता है। आपके पुराने अटके काम पूरे होंगे। विदेश यात्रा के योग भी मजबूत हैं। आपकी सेहत अच्छी रहेगी, परिवार में भी शुभ कार्यक्रम हो सकता है, धन में लाभ मिलेगा। इस माह निवेश करना लाभदायक रहेगा। काम पर किसी महिला सहयोगी की ओर आकर्षण बढ़ सकता है। साहित्य और संगीत में रुचि बढ़ेगी। छात्रों के लिए यह महीना सफलता देने वाला है।

  • उपाय: हनुमान जी की पूजा कर हनुमान चालीसा पढ़ें।
  • लकी कलर: लाल
  • लकी नंबर: 9

वृषभ राशिफल दिसंबर 2025

दिसंबर का यह महीना लाभदायक रहेगा, लेकिन अत्यधिक महत्वाकांक्षा से बचें। इस महीने दोस्त कम ही सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा पर डॉक्टर से सलाह आवश्यक है। अचानक किसी बड़े काम पर धन खर्च हो सकता है। शत्रुओं से सतर्क रहें। बच्चों या परिवार में मतभेद संभव। प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के लिए समय ठीक नहीं। छात्र पढ़ाई में कम मन लगाएंगे, प्रेम संबंधों में गलतफहमियाँ हो सकती हैं।

  • उपाय: शिवालय में जाकर शिव जी को जल अर्पित करें और शिव चालीसा पढ़ें।
  • लकी कलर: ऑफ-व्हाइट
  • लकी नंबर: 6, 15

मिथुन राशिफल दिसंबर 2025

मिथुन राशि वालो के लिए यह महीना संघर्षपूर्ण रहेगा, परंतु आप अपने शत्रुओं पर विजय पाएंगे। इस महीने आपका धार्मिक कार्यों व दान-पुण्य की ओर झुकाव होगा। आपको अपने करियर को लेकर चिंता रहेगी। धन की आवक होगी पर खर्च भी बराबर रहेंगे। यह महीना वाहन खरीदने के लिए समय शुभ है। लव प्रपोज़ल स्वीकार हो सकता है। दांपत्य जीवन सामान्य रहेगा।

  • उपाय: तुलसी माता की प्रतिदिन सेवा करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • लकी कलर: हरा
  • लकी नंबर: 5, 14

कर्क राशिफल दिसंबर 2025

कर्क राशि वालो के लिए यह महीना दिमाग और अनुभव से कार्यक्षेत्र में सबको प्रभावित करेंगे। इस महीने सेहत ठीक रहेगी, विदेश यात्रा के योग मजबूत हैं। आपके परिवार में मतभेद की स्थिति बन सकती है। इस महीने धन धार्मिक कार्यों के लिए खर्च होगा। यही आप स्टूडेंट्स है तो आपको नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। प्रेम संबंधों में धोखे की संभावना।

  • उपाय: पारद शिवलिंग की पूजा करें और शिवमहिम्न स्तोत्र पढ़ें।
  • लकी कलर: सिल्वर
  • लकी नंबर: 2

सिंह राशिफल दिसंबर 2025

सिंह राशि के जातको के लिए यह महीना तरक्की भरा रहेगा। इस महीने ऊँचे पद के लोगों से मुलाकात होगी। आपकी धन की स्थिति इस महीने बेहतर होगी। इस महीने आपको संतान से खुशी मिलेगी। आपका विदेश यात्रा शुभ रहेगी। दिसंबर महीने में आपकी मनोकामनाएँ पूरी होंगी। इस माह में कानूनी मामलों में जीत मिल सकती है।

  • उपाय: भगवान विष्णु जी की पूजा करें और नारायण कवच पढ़ें।
  • लकी कलर: गोल्डन
  • लकी नंबर: 1

कन्या राशिफल दिसंबर 2025

दिसंबर के महीने में कन्या राशि के जातको के पुराने अटके कामों में तेजी आएगी। इस महीने आपके मित्र सहयोग करेंगे। आपकी सेहत अच्छी रहेगी, उत्साह बना रहेगा। इस महीने आपका वित्तीय फैसले सोच-समझकर लें, भ्रमित न हों। खासकर आपको नई प्रॉपर्टी खरीदने का मौका मिल सकता है। प्रेम संबंधों में सफलता और विवाह के योग।

  • उपाय: गणपति को दूर्वा-मोदक चढ़ाएँ और अथर्वशीर्ष पढ़ें।
  • लकी कलर: हरा
  • लकी नंबर: 5

तुला राशिफल दिसंबर 2025

तुला राशि के जातको के लिए इस महीने में काम ज्यादा रहेगा और लाभ कम रहेगा ऐसी स्थिति बन सकती है। आपको इस महीने में धन लाभ होगा, पर इस महीने में आप परिवार को समय नहीं दे पाएंगे। साल के लास्ट महीने में नए मकान की खरीद संभव। इस माह में प्रेम संबंधों में तनाव हो सकता है और दुश्मन सक्रिय रहेंगे।

  • उपाय: क्रिस्टल शिवलिंग की पूजा कर रुद्राष्टक पढ़ें।
  • लकी कलर: सफेद
  • लकी नंबर: 6

वृश्चिक राशिफल दिसंबर 2025

वृश्चिक राशि के जातको के लिए दिसंबर महीने के शुरुआत में दिक्कतें रहेंगी पर अंत में सफलता मिलेगी। इस महीने आप कोई भी बड़े रिस्क न लें। आपको इस महीने दोस्तों से भी कम लाभ मिलेगा। आपका इस माह में स्वास्थ्य व मानसिक तनाव बढ़ भी सकता है। साल के लास्ट महीने में पुरानी प्रॉपर्टी विवाद भी बढ़ सकता है। प्रेम संबंधों में कलह संभव रहेगा।

  • उपाय: हनुमान जी की पूजा कर सुंदरकांड पाठ करें।
  • लकी कलर: गहरा लाल
  • लकी नंबर: 9

धनु राशिफल दिसंबर 2025

धनु राशि के जातको के लिए दिसंबर का महीना शांति और समृद्धि का समय होगा। आपके कार्यों में लाभ मिलेगा। इस महीने में आपका समाज में मान-सम्मान कुछ ज्यादा ही बढ़ेगा। दिसंबर के महीने में प्रॉपर्टी लेन-देन के अच्छे योग है। इस महीने आपका बच्चों पर खर्च बढ़ सकता है। यही आप छात्र है तो अन्य गतिविधियों में उलझ सकते हैं।

  • उपाय: तुलसी दल चढ़ाकर नारायण कवच पढ़ें।
  • लकी कलर: पीला
  • लकी नंबर: 12, 3

मकर राशिफल दिसंबर 2025

मकर राशि के जातको के लिए इस महीने में मिश्रित परिणाम मिलेंगे, पर इस महीने का अंत बहुत ही शानदार रहेगा। इस महीने दोस्तों से मध्यम लाभ, और यात्राएँ सुखद होगा। परिवार में शुभ कार्य के भी योग बन रहे है। साल के लास्ट महीने में प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त का अच्छा समय। इस महीने में आपके प्रेम में कड़वाहट आ सकती है।

  • उपाय: शिवजी को बेलपत्र चढ़ाकर शिव चालीसा पढ़ें।
  • लकी कलर: नीला
  • लकी नंबर: 17, 8

कुंभ राशिफल दिसंबर 2025

बात करें दिसंबर महीने में कुंभ राशि के जातको के लिए शुरुआत बहुत ही अच्छी होगी, पर इस महीने आपको स्वास्थ्य थोड़ा परेशान कर सकता है। इस माह में आपके दुश्मन हारेंगे, और आपके रुके हुए कार्य पूरे होंगे। इस महीने में आपकी आय में वृद्धि होगी, प्रमोशन के बेस्ट योग है इस महीने में, इस महीने में प्यार और विवाह के लिए अनुकूल समय है।

  • उपाय: शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ और रुद्राष्टक पढ़ें।
  • लकी कलर: काला
  • लकी नंबर: 8

मीन राशिफल दिसंबर 2025

मीन राशि के जातको के लिए दिसंबर के महीने में काम की दिक्कतें आएंगी लेकिन बुद्धि से सब सम्भल जाएगा। इस महीने आपकी सेहत अच्छी रहेगी, यात्रा के लिए बेस्ट योग है। इस महीने में स्टॉक मार्केट से आप का बेस्ट लाभ संभव है। इस महीने में आपका पिता से मतभेद हो सकते हैं। बच्चों का सहयोग मिलेगा।

  • उपाय: विष्णुजी की पूजा कर नारायण कवच पढ़ें।
  • लकी कलर: पीला
  • लकी नंबर: 3

निष्कर्ष

साल का लास्ट महीना दिसंबर 2025 कुछ राशियों पर खूब मेहरबान रहेगा, जबकि कुछ को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बृहस्पति और बुध के गोचर कई लोगों को करियर और धन लाभ दिलाएंगे, जबकि शनि की स्थिति कुछ राशियों से अधिक मेहनत करवाएगी। अपनी पूरी कुंडली का विस्तृत भविष्यफल जानने के लिए अनुभवी बेस्ट ज्योतिषियों से सलाह लें।

जनवरी 2026 के हिन्दू त्यौहार और व्रत सूची: A Complete Guide । 2026 Hindu Calendar

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मंगलवार

Hindu Calendar January 2026: हिंदू कैलेंडर में जनवरी का महीना आध्यात्मिक महत्व और रंगीन त्योहारों से भरा होता है। Gregorian calendar के हिसाब से यह नए साल (New Year's) की शुरुआत का महीना होता है, लेकिन हिंदू परंपरा में, यह शुभ त्योहारों, व्रतों और धार्मिक रीति-रिवाजों से भरा समय भी होता है। January 2026 में अलग-अलग इलाकों और परंपराओं के त्योहारों की एक लंबी लिस्ट है, जिसमें Sankranti, Pongal, 26 January के बड़े जश्न से लेकर खास व्रत और ऋषियों और देवताओं की याद में मनाए जाने वाले खास दिन शामिल हैं। यह ब्लॉग पोस्ट जनवरी 2026 में मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों और खास दिनों के बारे में एक डिटेल्ड गाइड देता है, जिसमें हर एक से जुड़े कल्चरल बैकग्राउंड, धार्मिक महत्व और खास रस्मों के बारे में बताया गया है। तो आप लोग इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

january-2026-hindu-festival-and-vrat-list
January 2026 Hindu Calendar

Hindu calendar में जनवरी महीने का ओवरव्यू

इस साल जनवरी 2026 हिंदू महीने पौष और माघ से मेल खाता है, बात करें लूनर कैलेंडर के अनुसार तो, इस महीने के आखिर में फाल्गुन (Phalguna) में बदल जाएगा। यह वह time है जब सूरज धनु से मकर में जाता है, जो शुभ उत्तरायण काल ​​को दिखाता है, जिसे आध्यात्मिक कामों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस महीने में कई त्योहार और व्रत आते हैं, जिन्हें भारत और दुनिया भर के दूसरे हिंदू समुदायों में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

जनवरी 2026 के मुख्य त्योहार और अनुष्ठान | January 2026 Hindu Festival & Vrat List

Rohini Vrat 2026

रोहिणी व्रत 2026: बात करें Jain Calendar के अनुसार तो, रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाने वाला रोहिणी व्रत उपवास और प्रार्थना के साथ मनाया जाता है। भक्त समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

रोहिणी व्रत की तारीख: 1 जनवरी, 2026 और दिन गुरुवार है।

Guru Shukla Pradosh Fast 2026

गुरु शुक्ल प्रदोष व्रत 2026: इस साल 1 जनवरी 2026 को हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु प्रदोष की पवित्र शाम को, भक्त प्रदोष काल का पालन करते हैं - यह व्रत रखने, भगवान शिव को बेल के पत्ते और दीप चढ़ाने और आत्मिक शुद्धि पाने का बहुत ही शुभ समय है। जागें, ध्यान करें और मन की शांति को अपनाएं।

गुरु शुक्ल प्रदोष व्रत 2026 की तारीख और मुहूर्त

  • गुरु शुक्ल प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:35 बजे से रात 08:19 बजे तक
  • कुल समय अवधि: 02 घंटे 44 मिनट
  • त्रयोदशी तिथि शुरू: 01 जनवरी, 2026 को सुबह 01:47 बजे से
  • त्रयोदशी तिथि खत्म: 01 जनवरी, 2026 को रात 10:22 बजे तक 

Shakambhari Purnima 2026 

शाकंभरी पूर्णिमा 2026: साल 2026 में शाकंभरी पूर्णिमा देवी शाकंभरी की पूजा 3 जनवरी को है, जो पोषण और पेड़-पौधों की देवी हैं। किसान और भक्त अच्छी फसल के लिए देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं, और रस्मों में सब्जियां और फल चढ़ाना जाता है।

शाकंभरी पूर्णिमा 2026 की तारीख और समय:

  • शाकंभरी पूर्णिमा की तारीख: 3 जनवरी, 2026 एंड दिन: शनिवार
  • पूर्णिमा की तारीख शुरू:  02 जनवरी, 2026 को शाम 06:53 बजे से
  • पूर्णिमा की तारीख खत्म: 03 जनवरी, 2026 को दोपहर 03:32 बजे तक

Arudra Darshan 2026

अरुद्र दर्शन 2026: इस साल अरुद्र दर्शन का पर्व 3 जनवरी को है यह अरुद्र दर्शन ज़्यादातर तमिलनाडु में मनाया जाता है और इसमें भगवान शिव के नटराज के रूप में कॉस्मिक डांस को मुख्य रूप से दिखाया जाता है। यह इवेंट तमिल महीने में खास पूजा और कल्चरल प्रोग्राम के साथ मनाया जाता है।

अरुद्र दर्शन 2026 की तारीख और समय:

  • अरुद्र दर्शन की डेट: 3 जनवरी, 2026 (शनिवार)
  • तिरुवथिरई नक्षत्र शुरू: 02 जनवरी, 2026 को रात 08:04 बजे से 
  • तिरुवथिरई नक्षत्र खत्म: 03 जनवरी, 2026 को शाम 05:27 बजे तक

Pausha Purnima 2026

पौष पूर्णिमा 2026: साल 2026 का यह पहला पूर्णिमा होता है जिसे पौष पूर्णिमा कहा जाता है। पौष पूर्णिमा, पौष महीने की पूर्णिमा का दिन है, जिसे बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन कई लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं।

पौष पूर्णिमा 2026 व्रत का समय और तारीख

  • पौष पूर्णिमा व्रत की तारीख: 3 जनवरी, 2026 (शनिवार)
  • पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 02 जनवरी, 2026 को शाम 06:53 बजे से
  • पूर्णिमा तिथि का समापन: 03 जनवरी, 2026 को दोपहर 03:32 बजे तक

Sakat Chauth and Lambodara Sankashti 2026

सकट चौथ 2026: साल 2026 में सकट चौथ 6 जनवरी दिन मंगलवार को मनाया जायेगा, और इस व्रत को लम्बोदर संकष्टी भी क्या जाता है, ये दोनों व्रत मुश्किलों को दूर करने और भगवान गणेश (लम्बोदर संकष्टी) की पूजा के लिए हैं। भक्त अपने जीवन की मुश्किलों को दूर करने के लिए आशीर्वाद लेने के लिए व्रत रखते हैं और मंदिर में जा कर भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

सकट चौथ पूजा 2026 का समय और तारीख

  • सकट चौथ पूजा की तारीख: 6 जनवरी, 2026 (मंगलवार)
  • सकट चौथ के दिन चंद्रोदय का समय: 08:54 PM
  • चतुर्थी तिथि शुरू: 06 जनवरी, 2026 को सुबह के 08:01 बजे से
  • चतुर्थी तिथि खत्म: 07 जनवरी, 2026 को सुबह के 06:52 बजे तक

Vivekananda Jayanti 2026

विवेकानंद जयंती 2026: साल 2026 में 12 जनवरी के दिन स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाएगी, जो एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु थे। नेशनल यूथ डे उनके प्रेरणा देने वाले योगदान को याद करता है। भक्त उनकी शिक्षाओं पर ध्यान करते हैं और युवाओं पर आधारित प्रोग्राम में हिस्सा लेते हैं।

स्वामी विवेकानंद जयंती 2026 की तारीख और समय

  • स्वामी विवेकानंद जयंती की तारीख: 12 जनवरी, 2026 (सोमवार)
  • स्वामी विवेकानंद जयंती: 163वीं है

Bhogi Pandigai and Lohri 2026

लोहड़ी 2026: बात करें साल 2026 में भोगी पंडिगाई की तो यह 13 जनवरी, 2026 दिन मंगलवार को है, और इसे ज़्यादातर साउथ इंडिया (भोगी पंडिगाई) के नाम से जाना जाता है यदि हम नॉर्थ इंडिया की बात करें तो इसे यानि पंजाब में लोहड़ी के नाम से मनाए जाने वाले ये त्योहार सर्दियों के खत्म होने और खेती की कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक हैं। अलाव जलाना, गाना-बजाना, नाचना और फसल की उपज चढ़ाना आम रस्में होती हैं।

भोगी पंडिगाई और लोहड़ी 2026 की तारीख और समय

  • भोगी पंडिगाई की तारीख: 13 जनवरी, 2026 (मंगलवार)
  • लोहड़ी 2026 की तारीख: 13 जनवरी, 2026 (मंगलवार)
  • भोगी संक्रांति और लोहड़ी का सबसे शुभ मुहूर्त: शाम के 03:13 से, 14 जनवरी, 2026 तक

Makara Sankranti and Pongal 2026

मकर संक्रांति और पोंगल 2026: नये साल 2026 यानि जनवरी महीने का सबसे खास त्योहार में से एक होता है मकर संक्रांति का पर्व, इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी, 2026 को है कही पर लोग इसे पोंगल कहते है इस दिन यानि मकर संक्रांति सूरज के मकर राशि में जाने का प्रतीक है। यह विंटर सोल्सटिस के खत्म होने और लंबे दिनों के आने का प्रतीक है। पोंगल तमिल फसल का त्योहार है जो उसी समय मनाया जाता है। इस दिन पतंग उड़ाई जाती है, दावतें होती हैं और सूरज की फसल के लिए धन्यवाद दिया जाता है।

मकर संक्रांति और पोंगल 2026 की तारीख और समय

  • मकर संक्रांति और पोंगल की तारीख: 14 जनवरी, 2026, दिन: बुधवार
  • थाई पोंगल संक्रांति का सबसे अच्छा मुहूर्त: दोपहर के 03:13 बजे 
  • मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त: दोपहर के 03:13 बजे से शाम के 05:45 बजे तक
  • शुभ समय अवधि: 02 घंटे 32 मिनट
  • मकर संक्रांति का बहुत ही शुभ मुहूर्त: दोपहर के 03:13 बजे से शाम के 04:58 बजे तक 
  • शुभ समय अवधि: 01 घंटा 45 मिनट
  • मकर संक्रांति का सबसे अच्छा मुहूर्त: दोपहर के 03:13 बजे तक

Uttarayana 2026

उत्तरायण 2026: साल का पहला महीना होता है जब उत्तरायण छह महीने का समय है जब सूरज उत्तर की ओर जाता है। इसे पूजा-पाठ, दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना के लिए यह पवित्र समय माना जाता है।

उत्तरायण संक्रांति 2026 का समय और तारीख

  • उत्तरायण संक्रांति की तारीख: 14 जनवरी, 2026 (बुधवार)
  • उत्तरायण संक्रांति का सबसे अच्छा समय: दोपहर के 03:13 बजे से 14 जनवरी, 2026 तक 

Makaravilakku 2026

मकरविलक्कू 2026: यह केरल का एक महत्वपूर्ण त्योहार, मकरविलक्कू, सबरीमाला मंदिर की तीर्थयात्रा से जुड़ा है, जिसमें लाखों भक्त आते हैं।

मकरविलक्कू 2026 की तारीख और समय

  • मकरविलक्कु की तिथि:14 जनवरी, 2026, दिन: बुधवार
  • मकरविलक्कु संक्रांति का सबसे अच्छा समय: दोपहर के 03:13 बजे तक

Mattu Pongal and Magh Bihu 2026

मट्टू पोंगल और माघ बिहू 2026: यह पर्व असम में धूम-धाम से मनाया जाता है, मट्टू पोंगल, मवेशियों को समर्पित पोंगल उत्सव का हिस्सा है, जिसमें खेती में उनकी मदद के लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। माघ बिहू असम में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है, जिसमें दावत और अलाव जलाए जाते हैं।

मट्टू पोंगल और माघ बिहू 2026 की तारीख और समय

  • मट्टू पोंगल और माघ बिहू की तिथि: 15 जनवरी, 2026 (गुरुवार)
  • माघ बिहू का सबसे अच्छा समय: दोपहर के 03:13 से, 14 जनवरी 2026
  • मट्टू पोंगल संक्रांति का सबसे शुभ समय: 14 जनवरी, 2026, 03:13 PM

Shukra Pradosh Fast 2026

शुक्र प्रदोष व्रत 2026: साल 2026 में शुक्र प्रदोष तब मनाया जाएगा जब त्रयोदशी और सूर्यास्त के समय प्रदोष काल एक साथ होंगे। शुक्रवार को पड़ने वाला शुक्र प्रदोष भगवान शिव को समर्पित है और सुंदरता, वैवाहिक जीवन में तालमेल, समृद्धि और शुक्र से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाता है। यह पवित्र व्रत महिलाओं के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, जिससे खुशी और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

शुक्र प्रदोष व्रत 2026 की तारीख और समय

  • शुक्र प्रदोष व्रत की तारीख: 16 जनवरी, 2026 (शुक्रवार)
  • प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:47 बजे से रात 08:29 बजे तक
  • अवधि: 02 घंटे 42 मिनट
  • त्रयोदशी तिथि शुरू: 15 जनवरी, 2026 रात 08:16 बजे से 
  • त्रयोदशी तिथि खत्म: 16 जनवरी, 2026 रात 10:21 बजे तक

Mauni Amavasya and Thai Amavasai 2026

मौनी अमावस्या और थाई अमावसाई 2026: साल 2026 में मौनी अमावस्या 18 जनवरी को है। यह अमावस्या का दिन श्राद्ध  (पूर्वजों का श्राद्ध) और आत्मिक शुद्धि के लिए पवित्र होता है। भक्त पवित्र नदी में स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं।

मौनी अमावस्या 2026 की तारीख और समय

  • मौनी अमावस्या की शुभ तारीख: 18 जनवरी, 2026 (रविवार)
  • थाई अमावस्या की तारीख: (रविवार) 18 जनवरी, 2026
  • मौनी अमावस्या और थाई अमावस्या की तारीख शुरू: 18 जनवरी, 2026 को रात 12:03 बजे से 
  • मौनी अमावस्या और थाई अमावस्या की तारीख खत्म:19 जनवरी, 2026 को सुबह 01:21 बजे तक

Magha Gupta Navratri 2026

माघ गुप्त नवरात्रि 2026: साल 2026 का पहला नवरात्रि 19 जनवरी से शुरू हो रहा है जिसे माघ गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है इस टाइम का हर दिन देवी दुर्गा को समर्पित है और यह नौ दिन का त्योहार, जिसमें उपवास, मंत्रोच्चार और मंदिर जाना शामिल है।

माघ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना 2026 की तारीख, मुहूर्त और समय

  • माघ घटस्थापना की शुभ तिथि: 19 जनवरी, 2026 (सोमवार)
  • घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह के 07:14 बजे से सुबह के 10:46 बजे तक 
  • समय अवधि: 03 घंटे 32 मिनट
  • घटस्थापना का शुभ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर के 12:11 बजे से दोपहर के 12:53 बजे तक
  • समय अवधि: 00 घंटे 42 मिनट
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 19 जनवरी, 2026 को दोपहर के 01:21 बजे तक 
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त : 20 जनवरी, 2026 को दोपहर के 02:14 बजे तक

Ishti and Chandra Darshana 2026

इष्टि और चंद्र दर्शन 2026: इस साल इष्टि और चंद्र दर्शन का पर्व 19 जनवरी, २०२६ दिन सोमवार को होगा, इस पर्व में इष्टि पूर्वजों और देवताओं के लिए एक अनुष्ठानिक भेंट है, जबकि चंद्र दर्शन प्रासंगिक पूजा के साथ चंद्रमा के दिखने को देखता है।

Ganesha Jayanti 2026

गणेश जयंती 2026: साल के पहले महीने में 22 जनवरी 2026 दिन गुरुवार को भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है, जो विघ्नहर्ता हैं। दुनिया भर के मंदिरों में खास प्रार्थना, प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

गणेश जयंती 2026 पूजा मुहूर्त, तारीख और समय

  • गणेश जयंती की तारीख: 22 जनवरी, 2026 (गुरुवार)
  • दोपहर गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह के 11:29 बजे से दोपहर के 01:37 बजे तक
  • समय अवधि: 02 घंटे 08 मिनट
  • वर्जित चांद देखने का समय: सुबह के 09:22 बजे से रात के 09:19 बजे तक 
  • समय अवधि: 11 घंटे 57 मिनट
  • चतुर्थी तिथि शुरू: 22 जनवरी, 2026 को सुबह 02:47 बजे से
  • चतुर्थी तिथि खत्म: 23 जनवरी, 2026 को सुबह 02:28 बजे तक

Ramalala Pratishtha Diwas 2026

रामलला प्रतिष्ठा दिवस 2026: साल 2026 में 22 जनवरी को रामलला प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिन अयोध्या के राम मंदिर को खूब अच्छे से सजाया जाता है।  इस दिन, मंदिर बड़े रीति-रिवाजों के साथ रामलला की मूर्ति की स्थापना का जश्न मनाते हैं।

  • रामलला प्रतिष्ठा दिवस: 22 जनवरी, 2026 (गुरुवार)
  • उत्सव: साल 2026 में तीसरा रामलला प्रतिष्ठा दिवस मनाया जायेगा

Vasant Panchami 2026

वसंत पंचमी 2026: बात करें साल 2026 में सरस्वती पूजा की तो इस वर्ष वसंत पंचमी की पूजा 23 जनवरी, 2026 को मनाया जायेगा, यह विद्या और कला की देवी सरस्वती को समर्पित, वसंत पंचमी वसंत ऋतु का स्वागत करती है। छात्र और कलाकार प्रेरणा के लिए सरस्वती की पूजा करते हैं।

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा 2026 का मुहूर्त और तारीख

  • वसंत पंचमी की तारीख: 23 जनवरी, 2026 (शुक्रवार)
  • वसंत पंचमी सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: 07:13 A.M. 12:33 PM
  • समय अवधि: 05 घंटे 20 मिनट
  • वसंत पंचमी दोपहर का समय: दोपहर के 2:33 बजे तक
  • पंचमी तिथि शुरू: 23 जनवरी, 2026 को सुबह 02:28 बजे (सरस्वती जयंती का समय)
  • पंचमी तिथि खत्म: 24 जनवरी, 2026 को सुबह 01:46 बजे

Subhas Chandra Bose Jayanti 2026

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2026: इस साल सुभाष चंद्र बोस जयंती 23 जनवरी को है, यह राष्ट्रीय यादगार दिन स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में मनाया जाता है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती की तारीख

  • सुभाष चंद्र बोस जयंती की तारीख: 23 जनवरी, 2026 (शुक्रवार)
  • सुभाष चंद्र बोस की जयंती: 2026 में 129वीं

Skanda Sashti 2026

इस साल स्कंद षष्ठी का त्योहार 24 जनवरी, 2026 दिन शनिवार को होगा, इस त्योहार में युद्ध के देवता भगवान स्कंद (कार्तिकेय) का उपवास और भक्ति गीत गाकर सम्मान किया जाता है।

Bhanu Saptami and Ratha Saptami 2026

भानु सप्तमी और रथ सप्तमी 2026: भानु सप्तमी सूर्य देव को समर्पित है, जबकि रथ सप्तमी सूर्य के दिव्य रथ का सम्मान करती है। इस दिन पारंपरिक स्नान और प्रार्थनाएं आम हैं।

रथ सप्तमी 2026 का मुहूर्त और तारीख

  • रथ सप्तमी की तारीख: 25 जनवरी, 2026 (रविवार)
  • रथ सप्तमी के दिन स्नान का समय: सुबह के 05:26 बजे से सुबह के 07:13 बजे तक
  • समय अवधि: 01 घंटा 47 मिनट
  • रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय: सुबह के 06:48 बजे
  • सप्तमी तिथि शुरू: 25 जनवरी, 2026 को दोपहर 12:39 बजे
  • सप्तमी तिथि समाप्त: 25 जनवरी, 2026 रात 11:10 बजे

Narmada Jayanti 2026

इस साल नर्मदा जयंती और ब्रह्म सावर्णी मनवाड़ी का पर्व 25 जनवरी, 2026 दिन रविवार को होगा, ये मौके नर्मदा नदी के जन्म का जश्न मनाते हैं और हिंदू धर्म में एक नए युग की शुरुआत करते हैं।

Bhishma Ashtami 2026

भीष्म अष्टमी 2026: इस दिन महाभारत के भीष्म पितामह की याद में धार्मिक अनुष्ठान और धर्मग्रंथों का पाठ किया जाता है।

भीष्म अष्टमी 2026 का समय और तारीख

  • भीष्म अष्टमी की तारीख: 26 जनवरी, 2026 (सोमवार)
  • भीष्म अष्टमी का समय: 11:29 A.M. 01:38 PM
  • समय अवधि: 02 घंटे 09 मिनट
  • अष्टमी तिथि आरभ: 25 जनवरी, 2026 रात 11:10 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 26 जनवरी, 2026 रात 09:17 बजे

Republic Day 2026

गणतंत्र दिवस 2026: भारत का नेशनल हॉलिडे, रिपब्लिक डे, परेड और देशभक्ति वाले इवेंट्स के साथ भारतीय संविधान को अपनाने का सम्मान करता है।

भारत के गणतंत्र दिवस की सालगिरह 2026

  • गणतंत्र दिवस की तारीख: 26 जनवरी, 2026 (सोमवार)
  • उत्सव: इस साल भारत अपना 77वां गणतंत्र दिवस मनाएगा।

Masik Durgashtami 2026

मासिक दुर्गाष्टमी 2026: इस साल मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 26 जनवरी, 2026 को रखा जायेगा, इस दिन आप देवी दुर्गा को समर्पित एक मासिक अनुष्ठान, जिसमें उपवास और पूजा शामिल है।

Masik Karthigai 2026

मासिक कार्तिगाई 2026: इस तमिल महीने में भगवान मुरुगन का सम्मान किया जाता है, इस साल मासिक कार्तिगाई  27 जनवरी, 2026 दिन मंगलवार को मनाया जायेगा,   जिसे मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रकाश उत्सवों के साथ मनाया जाता है।

Rohini Vrat 2026

रोहिणी व्रत 2026: इस साल जैन कैलेंडर में रोहिणी व्रत 28 जनवरी, 2026 दिन बुधवार को मनाया जायेगा। बात करें जैन कैलेंडर में रोहिणी नक्षत्र का एक और व्रत का दिन, जो प्रार्थना और धार्मिक अनुष्ठान के लिए समर्पित है।

Jaya Ekadashi and Vaishnava Jaya Ekadashi 2026

साल 2026 में यह एकादशी व्रत 28 जनवरी, 2026 को होगा, ये एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि और भक्ति के लिए ज़रूरी हैं, जिन्हें वैष्णव लोग प्रार्थना और उपवास के साथ रखते हैं।

Bhishma Dwadashi 2026 

भीष्म द्वादशी 2026: इस साल जनवरी महीने में भीष्म द्वादशी 29 को पद रही है यह महाभारत में भीष्म की सबसे बड़ी प्रतिज्ञा की याद दिलाता है।

भीष्म द्वादशी 2026 का समय और तारीख

  • भीष्म द्वादशी की तिथि: 29 जनवरी, 2026 (गुरुवार)
  • द्वादशी पारण का शुभ समय: सुबह के 07:10 बजे से सुबह के 09:20 बजे तक
  • द्वादशी तिथि शुरू: 29 जनवरी, 2026 को दोपहर के 01:55 बजे
  • द्वादशी तिथि समाप्त: 30 जनवरी, 2026 को सुबह के 11:09 बजे

Gandhi Punyatithi 2026

गांधी पुण्यतिथि 2026: साल 2026 में जनवरी के महीने गांधी जी के पुण्यतिथि 30 जनवरी, 2026 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा इस साल महात्मा गांधी की 78वीं पुण्यतिथि प्रार्थना और याद के साथ मनाई जाएगी।

Shukra Pradosh Vrat 2026

शुक्र प्रदोष व्रत 2026: इस साल जनवरी के लास्ट में शुक्र प्रदोष व्रत 30 जनवरी, 2026 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा, बात करें शुक्रवार की शाम को भगवान शिव के सम्मान में एक खास व्रत रखा जाता है।

जनवरी महीने के त्योहारों का महत्व समझना

साल का पहला महीना जनवरी होता है जनवरी के त्योहार मिलकर नई शुरुआत, आध्यात्मिक विकास और प्रकृति और देवताओं के प्रति आभार जताने का प्रतीक हैं। इस महीने में सूर्य का मकर राशि में जाना और उत्तरायण काल ​​अंधेरे से रोशनी की ओर एक कॉस्मिक बदलाव को दिखाता है, जो ज्ञान और तरक्की का प्रतीक है। मकर संक्रांति और पोंगल जैसे त्योहार सूर्य और प्रकृति को श्रद्धांजलि देते हैं, जो हिंदू संस्कृति की खेती से जुड़ी जड़ों को दिखाते हैं।

एकादशी, संकष्टी और प्रदोष जैसे व्रत के दिन शरीर और मन की शुद्धि पर ज़ोर देते हैं, जबकि नवरात्रि और शिवरात्रि गहरी आध्यात्मिक साधना और भक्ति के समय होते हैं। स्वामी विवेकानंद जैसे महान नेताओं और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की यादें आध्यात्मिकता को सामाजिक प्रेरणा से भी जोड़ती हैं।

जनवरी 2026 त्योहारों के रीति-रिवाज और रस्में

  • पवित्र डुबकी: कई त्योहारों में पापों और बुरी ताकतों को दूर करने के लिए पवित्र नदियों या पानी में नहाने की सलाह दी जाती है।
  • उपवास: आध्यात्मिक अनुशासन और तपस्या के लिए अलग-अलग दिनों में रखा जाता है।
  • पूजा और आरती: पूजा के बड़े समारोह जिसमें प्रसाद चढ़ाना, मंत्रोच्चार करना और दीये जलाना शामिल है।
  • भोज: खासकर पोंगल और माघ बिहू जैसे फसल के त्योहारों पर, आभार जताते हुए।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: गाना, नाचना और पूजा-पाठ त्योहारों को और भी अच्छा बनाते हैं।
  • दान के काम: शुभ त्योहारों पर ज़रूरतमंदों को देने के लिए बढ़ावा दिया जाता है।

जनवरी के त्योहारों में क्षेत्रीय बदलाव

  • दक्षिण भारत: यहां पर पोंगल, मट्टू पोंगल, थाई अमावस्या और अरुद्र दर्शन बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
  • उत्तर भारत: मकर संक्रांति, लोहड़ी, माघ नवरात्रि और सकट चौथ खास हैं।
  • पूर्वी भारत: माघ बिहू और नर्मदा जयंती पर खास ध्यान दिया जाता है।
  • पश्चिम भारत: एकादशी के व्रत और दूसरे व्रतों का सख्ती से पालन किया जाता है।

निष्कर्ष

Hindu calendar में साल का पहला महीना जनवरी 2026 धार्मिक जोश, सांस्कृतिक समृद्धि और गहरे प्रतीकों से भरा माह होता है। इन त्योहारों और रीति-रिवाजों में हिस्सा लेने से न सिर्फ़ आध्यात्मिक विकास होता है, बल्कि आपसी रिश्ते भी मज़बूत होते हैं और प्रकृति के चक्र का सम्मान होता है। चाहे आप मकर संक्रांति मनाएं, एकादशी का व्रत रखें, या स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर ध्यान करें, यह महीना ब्रह्मांड की लय के साथ जुड़ने और अपनी आस्था की यात्रा को बेहतर बनाने के कई मौके देता है।

जो लोग अपना Spiritual Calendar प्लान करना चाहते हैं, उनके लिए जनवरी 2026 में कई तरह के मतलब वाले त्योहार आने वाले हैं, जो भक्ति, खुशी और सोच-विचार को बढ़ावा देंगे।

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