Gold Rate History: पिछले 50 सालों में सोने ने कई बार बाज़ार को चौंकाया है। तीन बड़े दौर ऐसे रहे, जब गोल्ड के दामों में जबरदस्त तेजी आई — और फिर उतनी ही तेजी से गिरावट भी देखने को मिली। हर बार कारण अलग-अलग रहे, लेकिन कुछ चीजें कॉमन रहीं — जैसे जियो-पॉलिटिकल तनाव, डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल की अस्थिरता।
कोरोना के बाद लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहा है सोना
कोरोना महामारी के बाद से सोने की कीमतों में निरंतर उछाल देखा जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में गोल्ड हर साल नया रिकॉर्ड बना रहा है। 17 अक्टूबर को सोना ₹1,30,874 प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि दिवाली के बाद इसमें कुछ नरमी आई और 28 अक्टूबर को यह ₹1,19,164 के स्तर तक नीचे आ गया।
अब बड़ा सवाल ये है - क्या यह तेजी थमेगी? क्या सोना फिर से ₹1 लाख के नीचे जाएगा? कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में इसमें सुधार (करेक्शन) संभव है।
सोना दिखा चुका है तगड़ी गिरावट
इतिहास बताता है कि गोल्ड हर उछाल के बाद गिरावट का दौर भी देखता है। 1970 से अब तक तीन बार इसमें तेज़ बुल रन आया। 1970 के दशक के अंत में लगभग 10 साल की लगातार तेजी के बाद, 1980 से 1985 के बीच सोने में करीब 68% की गिरावट देखी गई। यह दौर गोल्ड निवेशकों के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था।
कब-कब रहा स्थिर और कब-कब उछला
1985 से लेकर 2000 तक सोने के दाम लगभग स्थिर रहे। फिर 2001 से 2011 के बीच सोने ने 593% का शानदार रिटर्न दिया। यह सोने के इतिहास की सबसे बड़ी तेजी मानी जाती है। लेकिन 2011 के बाद अगले 2-3 साल में फिर 45% की गिरावट आई।
2018 के बाद से सोना एक बार फिर तेजी के रास्ते पर है। इस दौरान गोल्ड ने करीब 300% तक रिटर्न दिया। हालांकि, साल 2021 में इसमें लगभग 22% का करेक्शन देखने को मिला था।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया के अनुसार, सोने में आमतौर पर 9 साल तक का बुल रन देखने को मिलता है, जिसके बाद 2 से 3 साल तक मंदी का दौर रहता है। यह एक ऐतिहासिक चक्र है, जो दशकों से दोहराता आ रहा है।
उन्होंने कहा —
“अगर यह पैटर्न फिर दोहराया गया, तो आने वाले समय में सोने के दामों में गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता।”
अजय केडिया का मानना है कि जिन कारणों ने हाल के वर्षों में सोने को ऊंचाई दी — जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, डॉलर की कमजोरी, और वैश्विक व्यापार अस्थिरता — अब वे धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं।
निष्कर्ष:
सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश का प्रतीक रहा है, लेकिन इतिहास ये भी बताता है कि इसकी कीमतें कभी सीधी रेखा में नहीं चलतीं। लंबे समय में भले ही रिटर्न शानदार हों, पर बीच-बीच में गिरावट आना इसका स्वभाव है।
