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गाजीपुर में गंगा नदी में पहुंचे हजारों साइबेरियन सी गल, चारा खिलाकर सेल्फी ले रहे लोग

सैदपुर क्षेत्र स्थित गंगा नदी में साइबेरियन सी गल पक्षियों के बड़े-बड़े झुंड पहुंचने लगे हैं। जिससे क्षेत्र स्थित गंगा नदी धीरे-धीरे पटती जा रही है। साथ ही क्षेत्र के गंगा घाटों पर अपने हाथों से इन पंछियों को चारा खिलाते हुए फोटो और सेल्फी लेने वालों की सुबह शाम भीड़ इकट्ठा होने लगी है। इससे घाट के आसपास की दुकानों पर इन पंक्षियों के पसंदीदा चारे के रूप में बेसन के दाल की बनी सेव खूब बिक रही है।

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5 महीने तक करेंगे क्षेत्र में प्रवास, फिर लौट जाएंगे

साइबेरिय पक्षी हर साल नवंबर माह के शुरुआती हफ्तों के दौरान गंगा नदी में अपने सालाना प्रवास पर आते हैं। जो अगले 5 महीनों तक क्षेत्र में बने रहते हैं। इसके बाद अप्रैल के आखिरी हफ्ते में यह फिर से अपने मूल आवास रूस में साइबेरिया के लिए वापस लौटने लगते हैं। लौटने से पहले यह पक्षी हजारों की संख्या में गिद्ध की तरह गर्म हवाओं पर तैर कर काफी ऊंचाई तक जाते हैं। इसके बाद सीधे साइबेरिया के लिए निकल जाते हैं।

गंगा में आने वाले पक्षियों को कहते हैं साइबेरियन सी गल

यूं तो साइबेरिया से भारत में आने वाले पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रफ, ब्लैक विंग्ट स्टिल्ट, कॉमन टील, कॉमन ग्रीनशैंक, नॉर्दर्न पिनटेल, रोजी पेलिकन, गडवाल, वूड सैंडपाइपर, स्पॉटेड सैंडपाइपर, यूरेसियन विजन, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, स्पॉटेड रेडशैंक आदि नाम से जानते हैं। जो अपने मनपसंद क्षेत्र अनुसार, देश के विभिन्न जलाशयों में इकट्ठा होते हैं। इसमें से साइबेरियन सी गल पक्षी ही हजारों की संख्या में अपने सालाना प्रवास के तहत क्षेत्र की गंगा नदी में आती हैं।

ठंड में -50 डिग्री से ज्यादा गिर जाता है साइबेरिया का तापमान

रूस के साइबेरिया क्षेत्र में ठंड का समय आने पर वहां का तापमान -50 डिग्री से नीचे गिर जाता है। हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है। ऐसे में पशु पक्षियों के लिए उस क्षेत्र में जीवन यापन करना बेहद कठोर हो जाता है। इससे बचने के लिए साइबेरियन पक्षी सालाना हल्के ठंड वाले दूसरे क्षेत्रों में प्रवास के लिए निकल जाते हैं। यह पक्षी साइबेरिया से 8 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर हिमालय की 8 हजार मीटर ऊंची पहाड़ियों को लांघते हुए भारत में अपने सालाना प्रवास पर पहुंचते हैं।

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