जमानियां के पकडी गावं में पिछले पांच वर्ष पूर्व लाखों की लागत से निर्मित आंगनबाड़ी केंद्र पशुओं का तबेला बना हुआ है। यहां परिसर व कमरे में ही पशु बांधे जाते हैं। इतना ही नहीं परिसर में बड़ी-बड़ी घास उगी है,जिससे यह पहचान कर पाना मुश्किल होता है कि यहां आंगनबाडी केन्द्र भी है। इसके बावजूद बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को अभी तक जानकारी नहीं है। हालांकि मामला संज्ञान में आने के बाद जांच कराने की बात कही गई है।
नौनिहालों को प्रारंभिक शिक्षा देने व उनके कुपोषण दूर करने , मानसिक विकास के उद्देश्य से चलायी जा रही आगनबाड़ी परियोजना में सरकार लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। केन्द्र संचालन के लिए एक भवन पर पांच लाख रुपये से अधिक धन भी खर्च किया जा रहा है। बावजूद योजना धरातल पर नही आई।
जिसका जीता जागता उदाहरण पकडी गाव में बना आगनबाड़ी भवन खुद ब खुद बयां कर रहा है। गौरतलब है कि बीते लगभग पांच वर्ष पूर्व भवन का निर्माण किया गया। निर्माण के बाद से भवन में एक दिन भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो सकी। वर्तमान में भवन का उपयोग गाव के कुछ लोग अपने जानवर व इत्यादि सामान रखकर निजी उपयोग कर रहे हैं।
विभागीय अधिकारी इस बात को जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। गाव के लोगों ने बताया कि विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत की गई। लेकिन अधिकारी इस समस्या पर सिर्फ आश्वासन दे कर टाल देते हैं। इस वजह से उक्त आंगनबाड़ी केंद्र निष्प्रयोज्य हो गया है। आंगनबाड़ी केंद्र के सामने ,अंदर पशुओं को बांध दिया जा रहा है।
ग्रामीणों की मानें तो पहले उक्त केंद्र पर बड़ी संख्या में बच्चे, गर्भवती, धात्री, किशोरी आती थी। लेकिन वर्तमान समय मे यह केंद्र केंद्र पशुओं का तबेला बन चुका है। सीडीपीओ अखिलेश कुमार ने बताया कि इसकी जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी, साथ ही इसका जीर्णोद्धार कराया जाएगा।